KZ
bin
Негізгі бет
Қазірдің өзінде танымал
Тікелей эфир
Ұнаған бейнелер
Қайтадан қараңыз
Жазылымдар
Кіру
Тіркелу
Ең жақсы KZbin
Фильм және анимация
Автокөліктер мен көлік құралдары
Музыка
Үй жануарлары мен аңдар
Спорт
Ойындар
Комедия
Ойын-сауық
Тәжірибелік нұсқаулар және стиль
Ғылым және технология
Жазылу
Baba Albeli Sharan
On this path of rasik ananyata, one of the saras rasik in todays world is Baba Albelisharanji... with all the saintly qualities and that those of mahapurush, deeply ingrained , he is a very humble, loving and charismatic saint. He is very learned and an ardent follower of swami ji's philosophy. He is love and humility personified ( prem ki murti), compassionate, sees good in all and as expected, does not waste even a second of his time..One learns the utmost important lessons in selfless love, humility, compassion, equanimity and other sutras of sadhana/devotion from Maharaj ji. He is most loved and revered amongst his circle of devotees.He is indeed a sadguru and is equally concerned about the well being and progress of his disciples...He is very soft spoken, well read and believes in reading the life story of all our great saints and devotees as this motivates us to aspire and work hard towards our final goal.
He resides in a modest house in Gori Lal Ji Ki Kunj
7:52
श्यामा प्यारी कुंजबिहारी - नाम-संकीर्तन (भाग - 114) // बाबा श्री अलबेलीशरण जी महाराज
2 сағат бұрын
37:28
श्री केलिमाल जी का भावार्थ / पद- संख्या-7 (प्यारी तेरौ वदन अमृत की पंक तामें बींधे नैन द्वै) / भाग-1
4 сағат бұрын
31:49
श्री बाबाजी महाराज से प्रश्नोत्तर (भाग-52) // श्री हरिदासी आचार्यों के जीवन चरित्र पर चर्चा
9 сағат бұрын
10:12
साधकों को शौचाचार की अति आवश्यकता क्यों ?
12 сағат бұрын
6:53
श्यामा प्यारी कुंजबिहारी - नाम-संकीर्तन (भाग - 113) // बाबा श्री अलबेलीशरण जी महाराज
14 сағат бұрын
39:07
श्री केलिमाल जी का भावार्थ // पद- संख्या - 6 ( प्यारी जू जैसे तेरी आँखिन में हौं अपनपौ ) // भाग-2
16 сағат бұрын
8:26
श्री बाबाजी महाराज से प्रश्नोत्तर (भाग-51) // अपने गुरुजनों का नाम क्यों नहीं लेते ?
21 сағат бұрын
2:36
पाप कर्मों से बचते हुए भजन की और बढ़ने का अकाट्य सूत्र
Күн бұрын
1:44
बच्चों को धार्मिक संस्कार किस प्रकार दें ?
Күн бұрын
10:14
श्यामा प्यारी कुंजबिहारी - नाम-संकीर्तन (भाग - 110) // बाबा श्री अलबेलीशरण जी महाराज
Күн бұрын
50:53
श्री केलिमाल जी का भावार्थ // पद- संख्या - 6 ( प्यारी जू जैसे तेरी आँखिन में हौं अपनपौ ) // भाग-1
Күн бұрын
21:43
श्री बाबाजी से प्रश्नोत्तर (भाग-50) // श्री रस-रंग जी के पद की व्याख्या // परम धाम तत्त्व की महिमा
14 күн бұрын
6:01
सिद्ध गुरु-संतजनों के अति निकट होते हुए भी लाभ क्यों नहीं हो पाता ?
14 күн бұрын
42:18
श्री केलिमाल जी का भावार्थ // पद- संख्या - 5 ( इत उत काहे कौं सिधारति आँखिन आगे ही तू आव ) // भाग-3
21 күн бұрын
1:12:22
श्री बाबाजी से प्रश्नोत्तर (भाग-49)/ जगह-जगह भटकने से नहीं, एक उपासना में अनन्य होने से बात बनती है।
21 күн бұрын
9:45
श्यामा प्यारी कुंजबिहारी - नाम-संकीर्तन (भाग - 112) // बाबा श्री अलबेलीशरण जी महाराज
21 күн бұрын
8:57
श्री ललितकिसोरीदेव जी महाराज की सिद्धांत की साखी // जिनकी रूचि संतन सौं भारी, तेई हरि के हैं अधिकारी
21 күн бұрын
38:26
श्री केलिमाल जी का भावार्थ // पद- संख्या - 5 ( इत उत काहे कौं सिधारति आँखिन आगे ही तू आव ) // भाग-2
21 күн бұрын
41:05
श्री बाबाजी महाराज से प्रश्नोत्तर (भाग-48)/ नित्य बिहार में मान-सम्भ्रम होते हुए भी नित्यता कैसे है?
28 күн бұрын
11:01
श्यामा प्यारी कुंजबिहारी - नाम-संकीर्तन (भाग - 111) // बाबा श्री अलबेलीशरण जी महाराज
Ай бұрын
5:47
भगवन्नाम की अद्भुत महिमा को प्रकाशित करती अभी की एक सत्य घटना
Ай бұрын
38:51
श्री केलिमाल जी का भावार्थ // पद- संख्या - 5 ( इत उत काहे कौं सिधारति आँखिन आगे ही तू आव ) // भाग-1
Ай бұрын
38:01
मुग़ल बादशाह अकबर पर कैसे श्रीस्वामी जी की कृपा हुई ? / श्री वृन्दावन धाम की महिमा और वास की सार्थकता
Ай бұрын
10:24
श्यामा प्यारी कुंजबिहारी - नाम-संकीर्तन (भाग - 107) // बाबा श्री अलबेलीशरण जी महाराज
Ай бұрын
28:28
प्रश्नोत्तर (भाग-47) // श्रीस्वामीजी का रस दृढ अनन्य होने से ही मिलता है // मानसी सेवा का निरूपण
Ай бұрын
6:52
अनुपम माधुरी जोड़ी हमारे श्याम श्यामा की
Ай бұрын
46:31
श्री केलिमाल जी का भावार्थ // पद- संख्या - 4 ( जोरी विचित्र बनाई री माई काहू मन के हरन कौं ) / भाग-2
Ай бұрын
30:23
श्री बाबाजी से प्रश्नोत्तर(भाग-46) // साधकों के प्रश्न / श्रीस्वामी जी की उपासना में आगे कैसे बढ़ें ?
Ай бұрын
1:41
प्रेम प्राप्ति का लक्ष्य दृढ हुए बिना अक्षुण्ण साधन नहीं बन सकता
Ай бұрын
Пікірлер