*ब्राह्मण जाति का उद्भव* ================== भगवान् चित्रगुप्त का विवाह कश्यप ऋषि के पौत्र वैवस्वतमनु की ४ कन्याओं तथा नागर ब्राह्मण की ८ कन्याओं से हुआ। इन ऋषिपुत्रियों से १२ पुत्र उत्पन्न हुये। भगवान् ब्रह्मा भगवान् चित्रगुप्त के १२ पुत्र को लेकर स्वर्ग से मृत्यु लोक में लाये जो अपने पिता के समान लिखने की परम्परा के ज्ञाता थे। भगवान् चित्रगुप्त के पुत्रों को भगवान् ब्रह्मा ने १२ ऋषियों को देकर उनसे कहा कि ये चित्रगुप्त के पुत्रों को यहाँ की विधा सुना दो, ये लिख देंगे। ऋषियों ने भगवान् चित्रगुप्त के पुत्रों को यहाँ की विधा सुना दी, जिसे सुनकर भगवान् चित्रगुप्त के पुत्रों ने लिखकर सुरक्षित रख लिया। भगवान् चित्रगुप्त के १२ पुत्र *गौडब्राह्मण* के नाम से जाने गये। *लिखने की परम्परा चित्रगुप्त के पुत्रों द्वारा विकसित हुई।* *गौडाश्च द्वादश प्रोक्ता: कायस्थास्तावदेवहि।* *अर्थ:-* गौडब्राह्मण १२ प्रकार के बताये गये हैं, उन्हें ही कालान्तर में कायस्थ जानें। *वेद-पुराण* लिखने वाले *व्यास* या तो चित्रगुप्त वंशीय थे अथवा भगवान् चित्रगुप्त के पुत्रों से शिक्षित थे। इसके बाद भगवान् चित्रगुप्त के पुत्रों ने १२ ऋषि पुत्रों को लिखना सिखाया। जो मालवीय, श्रीगौड, गंगापुत्र, हर्याणा, वाल्मीकि, वसिष्ठ, सौरभ, दालभ्य, सुखसेन, भट्ट, सूर्यध्वज तथा माथुर नाम से जाने जाते हैं। ये चित्रगुप्त वंशीय गौडब्राह्मणों के नाम से ही गौडब्राह्मण कहे जाते हैं। कालांतर में यही ऋषि ब्राह्मण-सरस्वती नदी पर बस कर *सारस्वत,* कन्नौज में बस कर *कान्यकुब्ज,* सरयू तट पर बस कर *सरयूपारीण,* मिथिला में बसकर *मैथिल* तथा उत्कल देश में बसकर *उत्कल* कहलाये। ये ब्राह्मण कायस्थों के साथ अस्तित्व में आये *ऋषि गौडब्राह्मण* ही हैं। *कायस्थों को हटा कर ऋषि ब्राह्मणों की व्याख्या अधूरी है।* ================== *संदर्भ :- श्रीमद्भागवत पुराण एवं पद्मपुराण।* ==================