Пікірлер
@kiskubabuyoutubechannel5765
@kiskubabuyoutubechannel5765 15 сағат бұрын
Love this song ❤❤❤
@KainHembrom-f2w
@KainHembrom-f2w 15 сағат бұрын
AdiMojBiti.n..do.AssamKhonDada
@MahesawrMardu
@MahesawrMardu 18 сағат бұрын
Hallo ❤❤❤❤❤
@nirmalhembrom6845
@nirmalhembrom6845 19 сағат бұрын
❤❤❤
@user-gv2rf4cw7y
@user-gv2rf4cw7y 20 сағат бұрын
❤❤❤
@Kisku773
@Kisku773 23 сағат бұрын
ᱟᱹᱰᱤ ᱱᱟᱯᱟᱭ ᱫᱤᱫᱤ ❤❤❤
@BarialMurmu-gi7fc
@BarialMurmu-gi7fc Күн бұрын
ᱦᱟᱨᱟ ᱛᱚᱨᱟ ᱩᱢᱮᱨ ᱨᱮᱜᱮ ᱵᱤᱴᱤ ᱜᱚᱲᱚᱢ ᱵᱩᱰᱷᱤ ᱯᱩᱨᱩᱫᱷᱩᱞ ᱴᱷᱟᱶᱮᱢ ᱟᱢᱮᱴ ᱟᱱᱟ , ᱛᱷᱩᱢᱟᱱ ᱢᱮ |
@user-oh2fq1zp2h
@user-oh2fq1zp2h Күн бұрын
Didi adi napai adi napai ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ great
@SwapankumarSingh-ln2jr
@SwapankumarSingh-ln2jr Күн бұрын
Very nice song
@supalmurmu758
@supalmurmu758 Күн бұрын
Adi sarhao 🎉🎉🎉🎉🎉
@DhirenMurmu-d7i
@DhirenMurmu-d7i Күн бұрын
Aadi napay katha ar aadi napay serenj
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
क्या #झार_खंडी पराधीन थे..? संकुचित विचार से घिरे हुए तथाकथित शिक्षित बुद्धिजीवी (General & SC,ST,OBC) लोगों को एक राष्ट्रपति आदेश (जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370/Constitution Order 1954) समझने के लिए 70yr लग गया.... तब जाकर उक्त राष्ट्रपति आदेश का Solution निकला। अभी तो एक और राष्ट्रपति आदेश बाकि Constitution Order 6th Sept 1950 है उसको समझने के लिए उनको अभी 4-5 साल तो लगेगा... इतिहासकार और तथाकथित लेखक जब Bias हो जाता है तो देश का स्वर्णिम इतिहास भी खिचड़ी बन जाता है। मंगल पांडे, जिसने East India Company के लिये गुलामी किया, लेकिन कारतुस मे लगे गाय के चर्बी का उपयोग का विरोध निजी आस्था के लिए किया । लेकिन किसी भी ज़ाति या धर्म का ना हो होकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी कहलाये। जाहेर -खोंड में आस्था रखने वाले देश के स्वभिमान के लिये "प्राचीन लोकतंत्र ज़िसको स्वराज्य (पुर्ण स्वराज्य /हिन्द स्वराज्य /अमृत स्वराज्य) के लिये लडाई लड़ी, जब सभी East India Company मे चाटूकारीता कर रहे थे तब 1770 से ही झारखण्डी ने अंग्रेजी बोलने वाले को लोहे का चने चबवाया। झार -खण्ड क्षेत्र से निकलने में अंग्रेज को 100 साल लगा लेकिन बाकी के 30 वर्षों में संपूर्ण वर्तमान भारत के नक्शे पर आधिपत्य कर लिया । झार खण्ड के भौगोलिक क्षेत्र को कभी किसी ने गुलामी नहीं बना पाया ..इतिहास गवाह है ..ना किसी मुगल ने और ना किसी बाहरी ने ... लेकिन छुटभैये लेखक एवं तथाकथित बुद्धिजीवियों के द्वारा भारतीय जननायकों को जनजाति/उपजाति शब्द मे उकेरने का प्रयास संकुचित मानसिकता से ग्रसित होने के समान्य लक्षण हैं। झारखण्ड के क्षेत्र को "दामिनी -ई -कोह" कर के Civil Rule बनाना पड़ा, SPT Act 1949 भारतीय संविधान के अनुसूचि 9th में सुरक्षित है ताकि कोई भी भारत देश और भारतीय के स्वभिमान से छेड़छाड़ न करे सके। जब Personal Law का कोई सोच पैदा ही नहीं हुआ था, तब से झारखण्डी Civil Society के Rule & Regulations को कानुनी रुप से मान्यता प्राप्त है.....ll Constitution Order 1950 में पढ़े लिखे तथाकथित शिक्षित बुद्धिजीवी बताये कि वर्तमान में चल रहे CCC Vrs UCC में "CUSTOAMRY LAW" को नज़रअंदाज किया जा सकता है क्या ....?
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
क्या #झार_खंडी पराधीन थे..? संकुचित विचार से घिरे हुए तथाकथित शिक्षित बुद्धिजीवी (General & SC,ST,OBC) लोगों को एक राष्ट्रपति आदेश (जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370/Constitution Order 1954) समझने के लिए 70yr लग गया.... तब जाकर उक्त राष्ट्रपति आदेश का Solution निकला। अभी तो एक और राष्ट्रपति आदेश बाकि Constitution Order 6th Sept 1950 है उसको समझने के लिए उनको अभी 4-5 साल तो लगेगा... इतिहासकार और तथाकथित लेखक जब Bias हो जाता है तो देश का स्वर्णिम इतिहास भी खिचड़ी बन जाता है। मंगल पांडे, जिसने East India Company के लिये गुलामी किया, लेकिन कारतुस मे लगे गाय के चर्बी का उपयोग का विरोध निजी आस्था के लिए किया । लेकिन किसी भी ज़ाति या धर्म का ना हो होकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी कहलाये। जाहेर -खोंड में आस्था रखने वाले देश के स्वभिमान के लिये "प्राचीन लोकतंत्र ज़िसको स्वराज्य (पुर्ण स्वराज्य /हिन्द स्वराज्य /अमृत स्वराज्य) के लिये लडाई लड़ी, जब सभी East India Company मे चाटूकारीता कर रहे थे तब 1770 से ही झारखण्डी ने अंग्रेजी बोलने वाले को लोहे का चने चबवाया। झार -खण्ड क्षेत्र से निकलने में अंग्रेज को 100 साल लगा लेकिन बाकी के 30 वर्षों में संपूर्ण वर्तमान भारत के नक्शे पर आधिपत्य कर लिया । झार खण्ड के भौगोलिक क्षेत्र को कभी किसी ने गुलामी नहीं बना पाया ..इतिहास गवाह है ..ना किसी मुगल ने और ना किसी बाहरी ने ... लेकिन छुटभैये लेखक एवं तथाकथित बुद्धिजीवियों के द्वारा भारतीय जननायकों को जनजाति/उपजाति शब्द मे उकेरने का प्रयास संकुचित मानसिकता से ग्रसित होने के समान्य लक्षण हैं। झारखण्ड के क्षेत्र को "दामिनी -ई -कोह" कर के Civil Rule बनाना पड़ा, SPT Act 1949 भारतीय संविधान के अनुसूचि 9th में सुरक्षित है ताकि कोई भी भारत देश और भारतीय के स्वभिमान से छेड़छाड़ न करे सके। जब Personal Law का कोई सोच पैदा ही नहीं हुआ था, तब से झारखण्डी Civil Society के Rule & Regulations को कानुनी रुप से मान्यता प्राप्त है.....ll Constitution Order 1950 में पढ़े लिखे तथाकथित शिक्षित बुद्धिजीवी बताये कि वर्तमान में चल रहे CCC Vrs UCC में "CUSTOAMRY LAW" को नज़रअंदाज किया जा सकता है क्या ....?
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
इतिहास झूट नहीं बोलता है ...., 1763 के बाद #संताल शब्द का निदान किया गया , जो की बंकुरा (पश्चिम बंगाल ) में ब्रिटिश द्वारा #जाहेर_खोंड के लोग से पूछा गया , तो उनलोग ने उत्तर दिया "#सावता_रेन ' होड़ -होपोन ,वहीं से #सावता_रेन >>फिर sound का खेल ने #सावतार #संतार फिर #संताल >संथाल आदि में बोला जाने लगा ,जो की भौगोलिक आधार पर अलग अलग ध्वनि के साथ शब्द निदान हुआ ..और आज कोई इसी को #समाज और कोई #समुदाय कह के प्रस्तुत करता है ..फिर ब्रिटिश ने 1855_1856 के #होड़_होपोन_हूल ने ....संताल_हूल का संज्ञा दिया ,,और #संताल_परगना बना , इतिहास गवाह है इसी क्षेत्र को मुगलोंके द्वारा #तराई_परगना कहा जाता था , लेकिन ब्रिटिश आने के बाद #संताल शब्द का निदान हुआ और अभी भी #संताल को कोई जाति नहीं ,#उपजाति कर अंकित किया गया है .....अभी भी वर्तमान परोक्ष गवाह है की , #जाहेर_थान और #मांझी_थान में विधिवत परम्परिक सम्पूर्ण करने वाले समुदाय खुद को गांव में #होड़_होपोन कह के एक दुसरे को जानने और पहचानते हैं ,,जो #होड़_होपोन उनकी social और civil administration को दर्शाता है ., प्राचीन इतिहास #जाहेर_खोंड (महाजनपद ) को #कुकुड़ा के नाम जाना जाता था .......#जाहेर_खोंड के mythology में #हास_हसी चिड़िया से इन समुदाय का आस्तित्व है इसलिए वंश के नाम पर #खेरवाल और शासन _प्रणाली को #होड़_होपोन (मांझी _परगना ) व्यवस्था है ,, इसलिए भौगोलिक आधार पर #पोनोत दिशोम के लोग वंश से खुद को प्रस्तुत करते हैं #खेरवाल से और #सोनोत दिशोम (तराई _परगना )के लोग अपनी शासन_व्यवस्था #होड़_होपोन (मांझी _परगना ) से खुद को प्रस्तुत करते हैं ...#वंश +शासन (खेरवाल होड़ -होपोन )... .....देखिये कैसे #खेरवाल_होड़-होपोन समुदाय को आज #सावता_रेन से >>सावतार>>संतार>>संताल >>संथाल किया गया .और अभी वर्तमान परिवेश में ,इतिहास के साथ .. #जाहेर -खोंड को #कुकुड़ा तो मुगलों ने #सोनोत दिशोम को #तराई _परगना का नाम दिया और #पोनोत दिशोम को #मुगलबंदी कहा ,और ब्रिटिश ने #तराई _परगना का नाम #संताल_परगना दे दिया 1855-56 की होड़ _होपोन हूल के बाद ,और वर्तमान में #partial_excluded_area (schedule 5 ) कर के #schedule tribe (educational_backward) कह कर #संताल शब्द को #उप_जाति किया हुआ है ...... संताल शब्द का कोई सार्थक अर्थ है ? संताल कोई समाज है ,समुदाय है ? ये प्रश्न का उत्तर अपने गाँव में सुनने को मिलेगा , #होड़_होपोन या खेरवाल .मतलब #शासन प्रणाली या बंश से खुद को #जाहेर_थान और #मांझी _थान में आस्था रखने वाले खुद को दर्शाएंगे .........ब्रिटिश ने कितनी चालाकी और धूर्त से एक spiritual समुदाय को एक ताख पर रखे हैं .....और स्कूली छात्र जैसे लेखक, लेख लिखकर खुद को #लेखक समझते हैं ,,,,,आज #मांझी _परगना को सर्वोपरि मानने वाले लोग इतिहास का पन्ना पलट कर खुद से पूछे खुद क्या है ? एक और शहर का नाम है #calcutta जो की अब #kolkata हो चुकी है ,, कटा हुआ
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
इतिहास झूट नहीं बोलता है ...., 1763 के बाद #संताल शब्द का निदान किया गया , जो की बंकुरा (पश्चिम बंगाल ) में ब्रिटिश द्वारा #जाहेर_खोंड के लोग से पूछा गया , तो उनलोग ने उत्तर दिया "#सावता_रेन ' होड़ -होपोन ,वहीं से #सावता_रेन >>फिर sound का खेल ने #सावतार #संतार फिर #संताल >संथाल आदि में बोला जाने लगा ,जो की भौगोलिक आधार पर अलग अलग ध्वनि के साथ शब्द निदान हुआ ..और आज कोई इसी को #समाज और कोई #समुदाय कह के प्रस्तुत करता है ..फिर ब्रिटिश ने 1855_1856 के #होड़_होपोन_हूल ने ....संताल_हूल का संज्ञा दिया ,,और #संताल_परगना बना , इतिहास गवाह है इसी क्षेत्र को मुगलोंके द्वारा #तराई_परगना कहा जाता था , लेकिन ब्रिटिश आने के बाद #संताल शब्द का निदान हुआ और अभी भी #संताल को कोई जाति नहीं ,#उपजाति कर अंकित किया गया है .....अभी भी वर्तमान परोक्ष गवाह है की , #जाहेर_थान और #मांझी_थान में विधिवत परम्परिक सम्पूर्ण करने वाले समुदाय खुद को गांव में #होड़_होपोन कह के एक दुसरे को जानने और पहचानते हैं ,,जो #होड़_होपोन उनकी social और civil administration को दर्शाता है ., प्राचीन इतिहास #जाहेर_खोंड (महाजनपद ) को #कुकुड़ा के नाम जाना जाता था .......#जाहेर_खोंड के mythology में #हास_हसी चिड़िया से इन समुदाय का आस्तित्व है इसलिए वंश के नाम पर #खेरवाल और शासन _प्रणाली को #होड़_होपोन (मांझी _परगना ) व्यवस्था है ,, इसलिए भौगोलिक आधार पर #पोनोत दिशोम के लोग वंश से खुद को प्रस्तुत करते हैं #खेरवाल से और #सोनोत दिशोम (तराई _परगना )के लोग अपनी शासन_व्यवस्था #होड़_होपोन (मांझी _परगना ) से खुद को प्रस्तुत करते हैं ...#वंश +शासन (खेरवाल होड़ -होपोन )... .....देखिये कैसे #खेरवाल_होड़-होपोन समुदाय को आज #सावता_रेन से >>सावतार>>संतार>>संताल >>संथाल किया गया .और अभी वर्तमान परिवेश में ,इतिहास के साथ .. #जाहेर -खोंड को #कुकुड़ा तो मुगलों ने #सोनोत दिशोम को #तराई _परगना का नाम दिया और #पोनोत दिशोम को #मुगलबंदी कहा ,और ब्रिटिश ने #तराई _परगना का नाम #संताल_परगना दे दिया 1855-56 की होड़ _होपोन हूल के बाद ,और वर्तमान में #partial_excluded_area (schedule 5 ) कर के #schedule tribe (educational_backward) कह कर #संताल शब्द को #उप_जाति किया हुआ है ...... संताल शब्द का कोई सार्थक अर्थ है ? संताल कोई समाज है ,समुदाय है ? ये प्रश्न का उत्तर अपने गाँव में सुनने को मिलेगा , #होड़_होपोन या खेरवाल .मतलब #शासन प्रणाली या बंश से खुद को #जाहेर_थान और #मांझी _थान में आस्था रखने वाले खुद को दर्शाएंगे .........ब्रिटिश ने कितनी चालाकी और धूर्त से एक spiritual समुदाय को एक ताख पर रखे हैं .....और स्कूली छात्र जैसे लेखक, लेख लिखकर खुद को #लेखक समझते हैं ,,,,,आज #मांझी _परगना को सर्वोपरि मानने वाले लोग इतिहास का पन्ना पलट कर खुद से पूछे खुद क्या है ? एक और शहर का नाम है #calcutta जो की अब #kolkata हो चुकी है ,, कटा हुआ
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
इतिहास झूट नहीं बोलता है ...., 1763 के बाद #संताल शब्द का निदान किया गया , जो की बंकुरा (पश्चिम बंगाल ) में ब्रिटिश द्वारा #जाहेर_खोंड के लोग से पूछा गया , तो उनलोग ने उत्तर दिया "#सावता_रेन ' होड़ -होपोन ,वहीं से #सावता_रेन >>फिर sound का खेल ने #सावतार #संतार फिर #संताल >संथाल आदि में बोला जाने लगा ,जो की भौगोलिक आधार पर अलग अलग ध्वनि के साथ शब्द निदान हुआ ..और आज कोई इसी को #समाज और कोई #समुदाय कह के प्रस्तुत करता है ..फिर ब्रिटिश ने 1855_1856 के #होड़_होपोन_हूल ने ....संताल_हूल का संज्ञा दिया ,,और #संताल_परगना बना , इतिहास गवाह है इसी क्षेत्र को मुगलोंके द्वारा #तराई_परगना कहा जाता था , लेकिन ब्रिटिश आने के बाद #संताल शब्द का निदान हुआ और अभी भी #संताल को कोई जाति नहीं ,#उपजाति कर अंकित किया गया है .....अभी भी वर्तमान परोक्ष गवाह है की , #जाहेर_थान और #मांझी_थान में विधिवत परम्परिक सम्पूर्ण करने वाले समुदाय खुद को गांव में #होड़_होपोन कह के एक दुसरे को जानने और पहचानते हैं ,,जो #होड़_होपोन उनकी social और civil administration को दर्शाता है ., प्राचीन इतिहास #जाहेर_खोंड (महाजनपद ) को #कुकुड़ा के नाम जाना जाता था .......#जाहेर_खोंड के mythology में #हास_हसी चिड़िया से इन समुदाय का आस्तित्व है इसलिए वंश के नाम पर #खेरवाल और शासन _प्रणाली को #होड़_होपोन (मांझी _परगना ) व्यवस्था है ,, इसलिए भौगोलिक आधार पर #पोनोत दिशोम के लोग वंश से खुद को प्रस्तुत करते हैं #खेरवाल से और #सोनोत दिशोम (तराई _परगना )के लोग अपनी शासन_व्यवस्था #होड़_होपोन (मांझी _परगना ) से खुद को प्रस्तुत करते हैं ...#वंश +शासन (खेरवाल होड़ -होपोन )... .....देखिये कैसे #खेरवाल_होड़-होपोन समुदाय को आज #सावता_रेन से >>सावतार>>संतार>>संताल >>संथाल किया गया .और अभी वर्तमान परिवेश में ,इतिहास के साथ .. #जाहेर -खोंड को #कुकुड़ा तो मुगलों ने #सोनोत दिशोम को #तराई _परगना का नाम दिया और #पोनोत दिशोम को #मुगलबंदी कहा ,और ब्रिटिश ने #तराई _परगना का नाम #संताल_परगना दे दिया 1855-56 की होड़ _होपोन हूल के बाद ,और वर्तमान में #partial_excluded_area (schedule 5 ) कर के #schedule tribe (educational_backward) कह कर #संताल शब्द को #उप_जाति किया हुआ है ...... संताल शब्द का कोई सार्थक अर्थ है ? संताल कोई समाज है ,समुदाय है ? ये प्रश्न का उत्तर अपने गाँव में सुनने को मिलेगा , #होड़_होपोन या खेरवाल .मतलब #शासन प्रणाली या बंश से खुद को #जाहेर_थान और #मांझी _थान में आस्था रखने वाले खुद को दर्शाएंगे .........ब्रिटिश ने कितनी चालाकी और धूर्त से एक spiritual समुदाय को एक ताख पर रखे हैं .....और स्कूली छात्र जैसे लेखक, लेख लिखकर खुद को #लेखक समझते हैं ,,,,,आज #मांझी _परगना को सर्वोपरि मानने वाले लोग इतिहास का पन्ना पलट कर खुद से पूछे खुद क्या है ? एक और शहर का नाम है #calcutta जो की अब #kolkata हो चुकी है ,, कटा हुआ
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
संताली रंगमंच ---- In the Guise of SANTALI... हिंदुस्तान में ना जाने कितने आक्रमणकारी आये और सदियों तक तलवार /बंदूक़ की नोक पर शोषण किया , ना की शासन , लेकिन इतिहासकार हमेसा शासन का ज़िक्र करते हैं । शोषण के नाम पर सांस्कृतिक /पारंपरिक और आर्थिक रूप से दोहन किया गया , और जो मानसिक/शारीरिक शोषण हुआ वो अलग है । लेकिन हर तूफ़ान में कचरा बन के कुछ गंदगी भी साफ़ हुआ है । लेकिन , जो रोचक बात है वो है , भाषा के रूप में कभी किसी आक्रमणकारी ने , लंबे समय तक शोषण करने के बावजूद भी , भाषा के धनिता के को रुचि नही दिखाया । गीत -संगीत में उछाल आया लेकिन समांतर भाषा में उदंडता भी हावी होते गया , जो शब्द पर खूँटा गाढ़ नही सका , जो वर्तमान संवैधानिक भारत में भी भाषा को हमेशा एक प्रश्नचिन्ह बना रहा । भारतीय संविधान के आठवीं सूची में भारतीय भाषाओं को जगह दिया गया , लेकिन ये कौन बताये की , आख़िर भाषा और बोली क्या ज़मीनी अंतर के साथ इसके अंतर्द्वंद को । भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343- 351 ,120,210 ..में भाषा संबंधित अनुच्छेद विचाराधीन है । 2003 में भारतीय संविधान के 92वें संशोधन में संताली भाषा को भारतीय संविधान के अनुसूची 8 में शामिल किया गया ,भारतीय भाषाओं के सूची में , जो की अब इसको किसी जातीय या regional अथवा किसी संप्रदाय विशेष का कहना उचित नहीं है । लेकिन ,29 Oct 2004 को अनुच्छेद 350-B के हवाले से राष्ट्रीय आयोग धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों (National commision for religious and linguistics minority ) के लिये न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा के अगुवाई में गठित होता है , जिसमें संताली भाषा को धार्मिक और भाषायिक दोनों तौर से अल्पसंख्यक भाषा के लिए रूप में दिखाने का प्रयास किया गया ।मैसूर में हुए संगोष्ठी में राम दयाल मुंडा जी को संताली भाषा के तरफ़ से वक्तव्य रखने के लिये आमंत्रित किया गया , जो राँची विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति के सेवा दे चुके थे । रामदयाल मुंडा जी ने , संताली भाषा के तरफ़ से ज़ोरदार वक्तव्य रखे - अनुसूचि 8 में शामिल भाषा को आप ऐसे अल्पसंख्यक भाषा कैसे बता सकते हो , ! ऐसे ऐसे ज़ोरदार तर्क दिये और सभी को derail कर दिये जिस मंशा से संताली भाषा को अल्पसंख्यक करने का सोच लिये आयोग आगे बढ़ रहा था । और 21 may 2007 में रिपोर्ट सबमिट किया गया और संताली भाषा को धार्मिक /भासायिक अल्पसंख्यक करने का मंशा पूरा नहीं हो पाता है । एक भाषा को धार्मिकता के साथ जोड़ना , ऊपर से भाषायिक पिछड़ापन , आख़िर किस आधार पर ,, और इसका मानक क्या था ? - भारतीय भाषा का खेल आख़िर इतना गंभीर क्यूँ बना हुआ है। संताली के आढ़ में । संताली भाषा ,ओल चिकी लिपि के साथ उस राजकीय भाषा का इतिहास को जानना चाहते हैं ताकि संताली भाषा को linguistics minority करने का तुच्छ ज्ञान में वृद्धि हो जाये । डोमिनियन सेंट्रल govt के मध्यवधि में ,31 December-1948 को , Extra-Provincial jurisdiction act 1947 (XLVII of 1947) के तहत , मयूरभंज State को डोमिनियन सेंट्रल govt ने , अपने अधीन लिये , और Section -3 के तहत ओड़िसा को अस्थायी रूप से Mayurbhanj (administration)Order-1949 जारी कर के , मयूरभंज राज्य को अपने अधीन किया गया और Administration of Mayurbnaj state order ,1949 ओड़िसा सरकार द्वारा , मयूरभांज राज्य को , ओड़िसा के जिम्मे में सिर्फ़ एक आदेश मे रखा गया , और सेंट्रल govt, जब चाहेगा , आदेश को वापस लेसकता है और उस पर ओड़िसा सरकार कोई अवरोध नही कर सकता है । Dominion central Govt , 26 jan 1950 के बाद Republic central Govt कार्यरत के पश्चात , आख़िर अब तक संताली भाषा जो राजकीय भाषा है , इसको दुनिया से छुपा के क्यूँ रखा गया है , और हर दिन संताली भाषा के साथ एक भारतीय राज्य को आँखों से ओझल का ड्रामा किया हुआ है , जिसमे भारतीय संस्कृति की संप्रभुता का मजबूत स्तंभ है । , भारतीय भाषाओं में संताली भाषा भी , बाक़ी राजकीय भाषा के समतुल्य है , आख़िर क्यूँ संताली भाषायीकि समूहों को अन्य राज्य की संप्रभुता की भाँति से मरहूम किया गया है , ।। अब ज़रूरत है , ब्रिटिश के उस एक्ट के आदेश को ख़त्म कर के पूर्ण भारत करने का । और कितने दिन , संवैधानिक भारत में dominion central govt के करतूतें में , सभी ग़लतफ़हमी में रास्ते से , भटकते जा रहे हैं, एक राजकीय भाषा , कैसे बाक़ी राजकीय समतुल्य नही हो सकता है , । भाषा -बोली (language -dialect ) में विच्छेद अभी बाक़ी है , ।
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
संताली रंगमंच ---- In the Guise of SANTALI... हिंदुस्तान में ना जाने कितने आक्रमणकारी आये और सदियों तक तलवार /बंदूक़ की नोक पर शोषण किया , ना की शासन , लेकिन इतिहासकार हमेसा शासन का ज़िक्र करते हैं । शोषण के नाम पर सांस्कृतिक /पारंपरिक और आर्थिक रूप से दोहन किया गया , और जो मानसिक/शारीरिक शोषण हुआ वो अलग है । लेकिन हर तूफ़ान में कचरा बन के कुछ गंदगी भी साफ़ हुआ है । लेकिन , जो रोचक बात है वो है , भाषा के रूप में कभी किसी आक्रमणकारी ने , लंबे समय तक शोषण करने के बावजूद भी , भाषा के धनिता के को रुचि नही दिखाया । गीत -संगीत में उछाल आया लेकिन समांतर भाषा में उदंडता भी हावी होते गया , जो शब्द पर खूँटा गाढ़ नही सका , जो वर्तमान संवैधानिक भारत में भी भाषा को हमेशा एक प्रश्नचिन्ह बना रहा । भारतीय संविधान के आठवीं सूची में भारतीय भाषाओं को जगह दिया गया , लेकिन ये कौन बताये की , आख़िर भाषा और बोली क्या ज़मीनी अंतर के साथ इसके अंतर्द्वंद को । भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343- 351 ,120,210 ..में भाषा संबंधित अनुच्छेद विचाराधीन है । 2003 में भारतीय संविधान के 92वें संशोधन में संताली भाषा को भारतीय संविधान के अनुसूची 8 में शामिल किया गया ,भारतीय भाषाओं के सूची में , जो की अब इसको किसी जातीय या regional अथवा किसी संप्रदाय विशेष का कहना उचित नहीं है । लेकिन ,29 Oct 2004 को अनुच्छेद 350-B के हवाले से राष्ट्रीय आयोग धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों (National commision for religious and linguistics minority ) के लिये न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा के अगुवाई में गठित होता है , जिसमें संताली भाषा को धार्मिक और भाषायिक दोनों तौर से अल्पसंख्यक भाषा के लिए रूप में दिखाने का प्रयास किया गया ।मैसूर में हुए संगोष्ठी में राम दयाल मुंडा जी को संताली भाषा के तरफ़ से वक्तव्य रखने के लिये आमंत्रित किया गया , जो राँची विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति के सेवा दे चुके थे । रामदयाल मुंडा जी ने , संताली भाषा के तरफ़ से ज़ोरदार वक्तव्य रखे - अनुसूचि 8 में शामिल भाषा को आप ऐसे अल्पसंख्यक भाषा कैसे बता सकते हो , ! ऐसे ऐसे ज़ोरदार तर्क दिये और सभी को derail कर दिये जिस मंशा से संताली भाषा को अल्पसंख्यक करने का सोच लिये आयोग आगे बढ़ रहा था । और 21 may 2007 में रिपोर्ट सबमिट किया गया और संताली भाषा को धार्मिक /भासायिक अल्पसंख्यक करने का मंशा पूरा नहीं हो पाता है । एक भाषा को धार्मिकता के साथ जोड़ना , ऊपर से भाषायिक पिछड़ापन , आख़िर किस आधार पर ,, और इसका मानक क्या था ? - भारतीय भाषा का खेल आख़िर इतना गंभीर क्यूँ बना हुआ है। संताली के आढ़ में । संताली भाषा ,ओल चिकी लिपि के साथ उस राजकीय भाषा का इतिहास को जानना चाहते हैं ताकि संताली भाषा को linguistics minority करने का तुच्छ ज्ञान में वृद्धि हो जाये । डोमिनियन सेंट्रल govt के मध्यवधि में ,31 December-1948 को , Extra-Provincial jurisdiction act 1947 (XLVII of 1947) के तहत , मयूरभंज State को डोमिनियन सेंट्रल govt ने , अपने अधीन लिये , और Section -3 के तहत ओड़िसा को अस्थायी रूप से Mayurbhanj (administration)Order-1949 जारी कर के , मयूरभंज राज्य को अपने अधीन किया गया और Administration of Mayurbnaj state order ,1949 ओड़िसा सरकार द्वारा , मयूरभांज राज्य को , ओड़िसा के जिम्मे में सिर्फ़ एक आदेश मे रखा गया , और सेंट्रल govt, जब चाहेगा , आदेश को वापस लेसकता है और उस पर ओड़िसा सरकार कोई अवरोध नही कर सकता है । Dominion central Govt , 26 jan 1950 के बाद Republic central Govt कार्यरत के पश्चात , आख़िर अब तक संताली भाषा जो राजकीय भाषा है , इसको दुनिया से छुपा के क्यूँ रखा गया है , और हर दिन संताली भाषा के साथ एक भारतीय राज्य को आँखों से ओझल का ड्रामा किया हुआ है , जिसमे भारतीय संस्कृति की संप्रभुता का मजबूत स्तंभ है । , भारतीय भाषाओं में संताली भाषा भी , बाक़ी राजकीय भाषा के समतुल्य है , आख़िर क्यूँ संताली भाषायीकि समूहों को अन्य राज्य की संप्रभुता की भाँति से मरहूम किया गया है , ।। अब ज़रूरत है , ब्रिटिश के उस एक्ट के आदेश को ख़त्म कर के पूर्ण भारत करने का । और कितने दिन , संवैधानिक भारत में dominion central govt के करतूतें में , सभी ग़लतफ़हमी में रास्ते से , भटकते जा रहे हैं, एक राजकीय भाषा , कैसे बाक़ी राजकीय समतुल्य नही हो सकता है , । भाषा -बोली (language -dialect ) में विच्छेद अभी बाक़ी है , ।
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
ᱦᱩᱞᱜᱟᱹᱨᱤᱭᱟᱹ ᱞᱟᱠᱪᱟᱨ ᱵᱟᱹᱭᱥᱤ ᱑᱕ ᱟᱥᱟᱲ ᱕᱑᱒᱒ 30 June 2021 ᱥᱟᱭ_ᱜᱩᱱ_ᱫᱟᱨᱟᱢ ᱟᱵᱩᱣᱟᱜ ᱫᱤᱥᱚᱢ ᱟᱵᱩᱣᱟᱜ ᱨᱟᱡᱽ... (ᱥᱚᱣᱨᱟᱡᱽ) ᱡᱟᱦᱮᱨ_ᱠᱷᱚᱸᱰ ᱯᱟᱨᱜᱟᱱᱟ ᱥᱟᱥᱚᱱ ᱫᱚ, ᱦᱚᱲ ᱛᱮ _ᱦᱚᱲ_ᱦᱚᱯᱚᱱ ᱛᱮ... SPT /CNT /कोलहान /मयूरभंज और सूंदरगड़ ...ये पूरी तरह से स्व-राज्य क्षेत्र है "मेरा गांव मेरा राज " | भारतीय संविधान का पटल मे आने के पहले से ही मौजुद है ,ये ना कभी ब्रिटिश के अधिन था और ना मुगल काल के और ना ही दिल्ली सल्तनत के अधिन हुआ था ..अब आधुनिक भारतीय संविधान में special -status में scheudle 5 और scheudle 9 में अस्थायी रूप मे रखा गया ... संविधान बना है लागु होने के लिए "राष्ट्र निर्माण हेतु " अब जब "स्वराज्य " लागु होगा "मेरा गांव मेरा राज " लागु होगा तो ये क्या ये अस्थायी scheudle 5 और scheudle 9 में रखे गये अस्थायी रुप से ...क्या ये सब रहेगा ना ... "स्वराज्य " आयेगा .... अब जितने समुहों को संवैधानिक schedule tribe category status मे रखा गाया है ये तो 1950 के बाद , राष्ट्रपति आदेश 1950 में बनाया गय़ा है ..अब ये समुह इसी अस्थायी को आत्म-सम्मान समझ लेते हैं ... माँझी-परगाना , मानकी -मुंडा , परहा प्रजा -परहा राजा ...इत्यादि ये लोग scheudle tribe नहीं है ... ये लोग "स्वराज्य " मेरा गाँव मेरा राज " का सुप्रीमो है ....परगाना, स्वराज्य system of four tier Governence है ... इसको किसी जाति /धर्म /क्षेत्र विशेष के तिरछी नजरो से ना देखे और ना जोड़े .. हिन्दुस्तान में स्वतंत्र आंदोलन "स्वराज्य " नाम से शुरू हुआ वो भी खादी पहन के लंगोट बांध के ठेवना के उपर ..ना जाने कितने बैरिस्टर को खादी को झोला टंगवा दिया "स्वराज्य " ने . स्वराज्य "आधुनिक भारतीय संविधान " का बीज है , मूल मंत्र है जिसके लिए संविधान सभा 2 साल 11 महीना 18 दिन तक समय लिया गय़ा आधुनिक भारत को ..स्वराज्य में गढ़ने के लिए .. क्या स्वराज्य है और लागु हुआ है अभी ...? धन्यवाद करते हैं उन परगनाओ का और आभारी हैं उन परगानाओं को ज़िन्होने "मयूरभंज " राज्य को "स्वराज्य " के रुप में आधुनिक भारतीय संविधान में ज़िवित रखा हुआ हुआ है ज़िसमे SPT /CNT /कोलहान को स्वराज्य तले छाँव दिया है ... ..ये एक ऐसा दिया है जो कभी बुझेगा नहीं बल्की भारत संघ को राष्ट्रनिर्माण में संविधाब सभा के सभी बुधिजीवीयों के उनके अथक प्रयास "राष्ट्र निर्माण " सार्तक करेगा ...वो "परगाणा" है .. पढ़े लिखे लोग संविधान का हल का बात करेगा ...य़ा अस्थायी प्रवधान को स्थायी होने का बात ना कर के , जाति /धर्म /क्षेत्र व्यक्ती विसेष के साथ जोड़ कर कुतर्क करेगा .....कुतर्क करना ही so called है ... :स्वराज्य ही परगाना है .... परगणा ही देश -दिशोम है परगणा ही ज़न -गण है परगणा ही होड़ -होपोन है परगाणा ही राष्ट्र है ....... स्वराज्य में जीने वाला आदमी स्वराज्य का बात ना करके कुतर्क करते दिखते हैं जब की "स्वराज्य " स्वभिमानी भारत का नारा है ... यही तो "आत्मनिर्भर है " यही तो "भारतवर्ष " है ... मगर रोजी -रोटी का जरिया को लोग आत्म निर्भर समझ लेते हैं ...जब की भारतवर्ष "आत्मनिर्भर " का बात करता है स्वराज्य का बात करता है ....मेरा गाँव मेरा राज का बात करता है .... जय हो परगणा बाबा ...
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
ᱦᱩᱞᱜᱟᱹᱨᱤᱭᱟᱹ ᱞᱟᱠᱪᱟᱨ ᱵᱟᱹᱭᱥᱤ ᱑᱕ ᱟᱥᱟᱲ ᱕᱑᱒᱒ 30 June 2021 ᱥᱟᱭ_ᱜᱩᱱ_ᱫᱟᱨᱟᱢ ᱟᱵᱩᱣᱟᱜ ᱫᱤᱥᱚᱢ ᱟᱵᱩᱣᱟᱜ ᱨᱟᱡᱽ... (ᱥᱚᱣᱨᱟᱡᱽ) ᱡᱟᱦᱮᱨ_ᱠᱷᱚᱸᱰ ᱯᱟᱨᱜᱟᱱᱟ ᱥᱟᱥᱚᱱ ᱫᱚ, ᱦᱚᱲ ᱛᱮ _ᱦᱚᱲ_ᱦᱚᱯᱚᱱ ᱛᱮ... SPT /CNT /कोलहान /मयूरभंज और सूंदरगड़ ...ये पूरी तरह से स्व-राज्य क्षेत्र है "मेरा गांव मेरा राज " | भारतीय संविधान का पटल मे आने के पहले से ही मौजुद है ,ये ना कभी ब्रिटिश के अधिन था और ना मुगल काल के और ना ही दिल्ली सल्तनत के अधिन हुआ था ..अब आधुनिक भारतीय संविधान में special -status में scheudle 5 और scheudle 9 में अस्थायी रूप मे रखा गया ... संविधान बना है लागु होने के लिए "राष्ट्र निर्माण हेतु " अब जब "स्वराज्य " लागु होगा "मेरा गांव मेरा राज " लागु होगा तो ये क्या ये अस्थायी scheudle 5 और scheudle 9 में रखे गये अस्थायी रुप से ...क्या ये सब रहेगा ना ... "स्वराज्य " आयेगा .... अब जितने समुहों को संवैधानिक schedule tribe category status मे रखा गाया है ये तो 1950 के बाद , राष्ट्रपति आदेश 1950 में बनाया गय़ा है ..अब ये समुह इसी अस्थायी को आत्म-सम्मान समझ लेते हैं ... माँझी-परगाना , मानकी -मुंडा , परहा प्रजा -परहा राजा ...इत्यादि ये लोग scheudle tribe नहीं है ... ये लोग "स्वराज्य " मेरा गाँव मेरा राज " का सुप्रीमो है ....परगाना, स्वराज्य system of four tier Governence है ... इसको किसी जाति /धर्म /क्षेत्र विशेष के तिरछी नजरो से ना देखे और ना जोड़े .. हिन्दुस्तान में स्वतंत्र आंदोलन "स्वराज्य " नाम से शुरू हुआ वो भी खादी पहन के लंगोट बांध के ठेवना के उपर ..ना जाने कितने बैरिस्टर को खादी को झोला टंगवा दिया "स्वराज्य " ने . स्वराज्य "आधुनिक भारतीय संविधान " का बीज है , मूल मंत्र है जिसके लिए संविधान सभा 2 साल 11 महीना 18 दिन तक समय लिया गय़ा आधुनिक भारत को ..स्वराज्य में गढ़ने के लिए .. क्या स्वराज्य है और लागु हुआ है अभी ...? धन्यवाद करते हैं उन परगनाओ का और आभारी हैं उन परगानाओं को ज़िन्होने "मयूरभंज " राज्य को "स्वराज्य " के रुप में आधुनिक भारतीय संविधान में ज़िवित रखा हुआ हुआ है ज़िसमे SPT /CNT /कोलहान को स्वराज्य तले छाँव दिया है ... ..ये एक ऐसा दिया है जो कभी बुझेगा नहीं बल्की भारत संघ को राष्ट्रनिर्माण में संविधाब सभा के सभी बुधिजीवीयों के उनके अथक प्रयास "राष्ट्र निर्माण " सार्तक करेगा ...वो "परगाणा" है .. पढ़े लिखे लोग संविधान का हल का बात करेगा ...य़ा अस्थायी प्रवधान को स्थायी होने का बात ना कर के , जाति /धर्म /क्षेत्र व्यक्ती विसेष के साथ जोड़ कर कुतर्क करेगा .....कुतर्क करना ही so called है ... :स्वराज्य ही परगाना है .... परगणा ही देश -दिशोम है परगणा ही ज़न -गण है परगणा ही होड़ -होपोन है परगाणा ही राष्ट्र है ....... स्वराज्य में जीने वाला आदमी स्वराज्य का बात ना करके कुतर्क करते दिखते हैं जब की "स्वराज्य " स्वभिमानी भारत का नारा है ... यही तो "आत्मनिर्भर है " यही तो "भारतवर्ष " है ... मगर रोजी -रोटी का जरिया को लोग आत्म निर्भर समझ लेते हैं ...जब की भारतवर्ष "आत्मनिर्भर " का बात करता है स्वराज्य का बात करता है ....मेरा गाँव मेरा राज का बात करता है .... जय हो परगणा बाबा ...
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
Sawnta>santar>santhal
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
Santhal is not caste its a community
@wantedkoda1744
@wantedkoda1744 Күн бұрын
Wrong history
@SaritaBesra-zy7hd
@SaritaBesra-zy7hd Күн бұрын
❤ 2:51
@lawhembrom
@lawhembrom Күн бұрын
Ạḍi mo̠ńj jiwir judạsi sereń, Lantiti mại.
@user-fv1sk7qv6i
@user-fv1sk7qv6i Күн бұрын
Jharkhand saraikela jila khon🎉 .ye aakhra se bahaut kuch sikhne ko milate hai
@BiswanathtuduBiswanathtudu-i8t
@BiswanathtuduBiswanathtudu-i8t Күн бұрын
ଇଂ ଦ ଟୁଡୁ ରୁଷିକା ଭଞ୍ଜ ଖାନେନିଙ୍ଗ ଲାଇ ଏ ଦା ଭଂଜରୁଷିକା
@sunilkumarhembram631
@sunilkumarhembram631 Күн бұрын
MAI LANTITI ADI ADI. SARHAW. ,
@DebilalMarandi-le1jx
@DebilalMarandi-le1jx 2 күн бұрын
Chedak tobe am30 june re arkestra lekan program huyuk kana ar dj chalak kana
@samsunkisku576
@samsunkisku576 2 күн бұрын
Adi monj sereñ didi R ape joto sanam members ko in sec khon adi ayma sarhaw
@nehamurmu3859
@nehamurmu3859 2 күн бұрын
👌👌👌👌👌👌🌹🌕✨💫
@kaleramsoren7310
@kaleramsoren7310 2 күн бұрын
Rathin kisku kaha ka bhaiya
@sunilkumarhembram631
@sunilkumarhembram631 2 күн бұрын
ADI. ADI SARHAW. RATHIN. BABU. ,
@user-pn5zp5sc5q
@user-pn5zp5sc5q 2 күн бұрын
ᱥᱟᱨᱱᱟ ᱫᱷᱚᱨᱚᱢ ᱦᱩᱭᱩᱜ ᱢᱟ
@LakshmanHembram-yo8ix
@LakshmanHembram-yo8ix 2 күн бұрын
Rathin dada adi adi sarhaw
@molinamurmu9832
@molinamurmu9832 2 күн бұрын
Kantiyi and lanti difference .not in santhali like rastrapati. Sense of gender.
@NunuwaTudu-xq7qf
@NunuwaTudu-xq7qf 2 күн бұрын
💯💯💯
@rajendrasoren6048
@rajendrasoren6048 2 күн бұрын
Addi Addi Sarhaw Sereng.. Ex silent song
@suniltudu3558
@suniltudu3558 2 күн бұрын
Ok hai
@user-ne2zz2vj8q
@user-ne2zz2vj8q 2 күн бұрын
Aadi Aadi sarhaw
@user-mb9pk4ki9u
@user-mb9pk4ki9u 2 күн бұрын
Langtit is best singer
@devilalsoren9684
@devilalsoren9684 2 күн бұрын
Top musicians.
@jagumandi4837
@jagumandi4837 2 күн бұрын
Dubbing kamire vocal Dubbing re alinj interested menah linja
@user-un6no1xq2u
@user-un6no1xq2u 3 күн бұрын
Langtiti biti am do sarige adi genius giam biti . Olok parhak saon saon te nonkan activity adi Soros Katha kana.
@user-fr1bu2et9b
@user-fr1bu2et9b 3 күн бұрын
Adi napay ge biti
@tapasranjan7886
@tapasranjan7886 3 күн бұрын
adi napay sandes saonta lahay lagid anate adi sarhao lantiti biti.
@BabudhanHembram-lp1oi
@BabudhanHembram-lp1oi 3 күн бұрын
adi adi sarhaw rothan kisku da❤❤❤
@mamatahansda1717
@mamatahansda1717 3 күн бұрын
Adi napai...❤
@rajibtudu878
@rajibtudu878 3 күн бұрын
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@khokanhembram2550
@khokanhembram2550 3 күн бұрын
Nice ❤❤