🙏🏻🌼Shree Sadgurudev Bhagwan aapki Sadaa hee Jai ho🌼🙏🏻🙂
@rajivpradhan921836 минут бұрын
🙏🏻🌼Shree Sadgurudev Bhagwan aapki Sadaa hee Jai ho🌼🙏🏻🙂
@Undertaker-qi1lc6 сағат бұрын
पार होके कहा जाना है l नदी समुद्र मिल कर भी क्या नदी अपना अंत कर देती नहीं वो तो नदी का पुनः प्राम्भ है अंत नहीं
@sureshdalvi56896 сағат бұрын
thank you 🙏
@lalitendubihari36327 сағат бұрын
🙏🙏🙏
@parasbarot60397 сағат бұрын
Achcha guruji ek aur baat hai Mera teesra prashn hai main apna guruji se nahin kripya pa raha hun isliye aapse baat kar raha hun main jo Guru Mantra ka Jaap karta hun chalte sote waqt jab bhi jis tarah mauka milta hai main job karta rahata hun main Dil se Tan man dhan se Jaap karta hun pata nahin uska jo prabhav hona chahie vah prabhav nahin ho raha hai uska kya Karan hai
@sharayupatil73768 сағат бұрын
Jai Sairam ❤️🪔🪔🌿🌹🌿🌹🪔🌹
@ashamandave57718 сағат бұрын
🌼🌼🌼🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@omprakashsharma85128 сағат бұрын
बहुत ही सुन्दर व्याख्या की है महर्षि रमण द्वारा समाधि लगने के विषय में। मैं परम पूज्य गुरुदेव को नमन करता हूं और उनका आभार प्रकट करता हूं। हरिओम तत् सत्
@RamanaMaharshiChannel8 сағат бұрын
नमन 🙏 हरि ॐ तत् सत् ❤️🌺
@user-lt9ys3sn3q12 сағат бұрын
वा बहुत ही सुंदर अनुभव हैं आपके
@RamanaMaharshiChannel9 сағат бұрын
आभार 🙏 हरि ॐ ❤️🌺
@ajitraonimbalkar376713 сағат бұрын
यह सत्य कितने जल्दी समज आ जाये अच्छा है ❤
@RamanaMaharshiChannel13 сағат бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@parasbarot603916 сағат бұрын
Guruji Sadar pranam mein Dhyan karta hun pahle jyada kar sakta tha lekin abhi sharir ki vajah se aadha ghanta kar pa raha hun mujhe samadhi ling hona hai uske liye main kya Karun
@RamanaMaharshiChannel15 сағат бұрын
प्रणाम 🙏 देखिए समाधि कोई ऐसी अवस्था नहीं हैं जिसे कोशिश कर के लाया जा सके। समाधि तो चित्त की एसी अवस्था हैं । जो कुछ न करने पर ही घटित होती हैं। जब चित्त अपने आप में लीन होना शुरू कर दे। जब हम बाहर और भीतर से सभी क्रिया बंद करते हैं। ध्यान करते करते एक दिन वह क्षण आता हैं जब मन अपने श्रोत में पूर्ण लीन हों जाता हैं। तब समाधि घटित होती हैं। आप बस कोशिश करों की कुछ भी न करने की। कुछ भी न सोचने की। क्योंकि आपकी कोशिश ही तो समाधि में बाधा हैं। कोशिश छोड़ दो। समाधि लगना शुरू हों जाएगी। आपकों आत्मा का सच्चा आनंद होगा। आशिर्वाद हैं। हरि ॐ 🙏❤️
@parasbarot60399 сағат бұрын
@@RamanaMaharshiChannel 🙏🙏🙏
@parasbarot60397 сағат бұрын
Guruji Sadar pranam mera naam Paras hai main Gujarat Rajkot se hun pata nahin guruji aapse baat karne ki ichcha ho rahi hai aapse baat karna bahut achcha lagta hai ek prashn hai mere ham ek shant jagah per baithkar main apne Guru Mantra ka Jaap karta hun man hi man mein tab aisa lagta hai ki mere man mein kuchh log baithe Hain aur sath mein kuchh baten kar rahe ho dusra awaaz bhi a raha hai Jaise ham koi jagah per baithkar koi mala karte baju mein baithe do char log batchit karte hain aur hamen sunai deta hai vaise hi mujhe sunai deta hai
@parasbarot60397 сағат бұрын
Guruji Sadar pranam Mera dusra prashn hai main aise hi shant baithata hun jab bhi koi vichar nahin kuchh nahin koi Mantra nahin koi jawab nahin to Aisa lagta hai ki mere andar baithe baithe kuchh log charcha kar rahe hain jaise ki maine agale din kuchh socha ho ya bola ho ya usi din Maine kuchh bola hun yah socha Ho vah andar hi andar kuchh log baithkar repeat kar rahe hain kripya guruji Samadhan kijiye mujhe thoda samjhaie mere samasya ka nikal kijiye Sagar praman chyawanprash
@parmjeetsingh726618 сағат бұрын
Jai Gurudev Ji
@RamanaMaharshiChannel17 сағат бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@ATech51520 сағат бұрын
Jai Gurudev Ji 🙏🇮🇳🙏
@RamanaMaharshiChannel19 сағат бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@Thar63222 сағат бұрын
🕉 🙏
@RamanaMaharshiChannel22 сағат бұрын
🙏🌺🌹❤️🌹🌺🙏
@laxmansen19823 сағат бұрын
🕉️🕉️❤️❤️🚩🚩👏👏
@RamanaMaharshiChannel23 сағат бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@p.b.panchal8475Күн бұрын
*जय हो पुज्य गुरुदेव् जी ,Ramanmaharshi नमस्कार* *जय गुरुदेव 🙏 *ૐ नमो भगवते वासुदेवाय।*🙏
@RamanaMaharshiChannel23 сағат бұрын
नमस्कार 🙏 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ❤️🌺
@ATech515Күн бұрын
Jai Gurudev Ji 🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@JaiChandwani-jm1kqКүн бұрын
So much beautiful really by honesty Jai Chandwani 🙏🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️🌹🌺🙏
@surendrsingh3532Күн бұрын
गुरु जी मैं राम राम कापी में लिख रहा हूं यह सच्चाई है बताए गलत या सही
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
यह भक्ति रस हैं। इसे बढ़ा लो। कापी के साथ साथ अपने हृदय में भी उतार लो। क्योंकि जो परमात्मा की शरण में हैं उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। परमात्मा के विभिन्न रुप हैं। फिर चाहें राम कहो या कृष्ण, शिव कहो या शक्ति सब एक हैं। मार्ग अलग अलग हैं जैसे ज्ञान मार्ग, भक्ती मार्ग, ध्यान मार्ग और कर्म मार्ग। लेकिन सबकी मंजिल एक ही हैं। स्वयं को जानना मात्र। इसलिए बस हमें कैसे भी कर के स्वयं तक पहुंचना हैं। जय श्री राम 🙏❤️ अंत में सभी कर्मो से हमें खाली होना ही होगा। यह शुरूआत में मन को एकाग्र रखने में पूर्ण सहायक हैं। इसी प्रकार माला, नाम जप, ध्यान आदि भी सहायक हैं। लेकिन आत्मबोध के लिए बाहर और भीतर से सभी यात्राएं हमे बंद करनी ही होगी। तभी हमारा मन पूर्ण शांति का अनुभव कराता हैं। इस मार्ग में पहले साधक बाहर से सीखता हैं जिसमें वह आध्यात्मिक ग्रंथो, गुरुओं, वेदों, आदि से ब्रह्म का ज्ञान प्राप्त करता हैं। इससे लाभ होने के उपरांत वह अपनी दुसरी यात्रा की ओर मुड़ जाता हैं। यह भीतर की यात्रा हैं। यह भी साधक के लिए बहुत जरूरी हैं। इसमें बहार से ज्ञान लेना छोड़ कर साधक भीतर से ध्यान और चिंतन द्वारा ज्ञान प्राप्त करता हैं। और फिर अंत में दोनों यात्रा बंद कर साधक पूर्ण होश में वर्तमान में ठहर कर समर्पण कर देता हैं और बाहर और भीतर की यात्राएं बंद करता हैं। अब उसे इस खालीपन में पूर्ण ज्ञान होता हैं। ये ज्ञान कोई वस्तु व्यक्ति का नहीं बल्कि स्वयं आत्मा द्वारा ही होता हैं। इस कारण इसे आत्मज्ञान कहते हैं। लेकिन पहले साधक के लिए ये सभी यात्राएं भी बहुत जरूरी हैं। तभी वह स्वयं तक पहुंचने में सक्षम हों पाता हैं।
@rajeshbarot618Күн бұрын
🙏⚘
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️🌹🌺🙏
@KartikPatel-nt4ffКүн бұрын
😅😅😅Jay guru ji 😅😅😅
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️🌹🌺🙏
@Yoga-MeditationКүн бұрын
Yes🙏🕉️🧘❤️
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@sunilsachdeva7793Күн бұрын
❤❤🌹🌹🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️🌹🌺🙏
@rajendraprasadshukla232Күн бұрын
Sadar sabhar namam maharishi.
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
नमन 🙏 हरि ॐ ❤️🌺
@PoornimaKunduКүн бұрын
आपको कोटि कोटि प्रणाम आपका प्रवचन मुझे बेहद पसंद हैं बिल्कुल अमृत वर्षा है हरि ॐ।
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
आपका भी बहुत बहुत आभार 🌺🙏 हमें भी बहुत प्रशंसा हैं की आप इतने ध्यान मग्न होकर इन प्रवचनो का लाभ लें रहे हों। आपके प्रेम और स्नेह से हम जन कल्याण के लिए ऐसे ही सेवा को आगे जारी रखेंगे। हरि ॐ तत् सत् ❤️🙏
@avnipandey3315Күн бұрын
Ji ye kartavyakarm me kaun lagata ya yuu kahe karm kaun karta ya karta pan kisme hai,aur purna samarpan ke bad kya hota hai?
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
जब हम कोई भी कार्य अहंकार भाव में करते हैं तो वह कर्म बंधन है। वह स्वार्थ भाव से किया जाता हैं। इसमें मैं और मेरा पन का भार रहता हैं। इस कर्म से व्यक्ती कर्मों के जाल से बंधा रहता हैं। और सुख दुःख भोगता रहता हैं। लेकिन जब कोई कर्म निस्वार्थ भाव से किया जाता हैं तो ऐसा कर्म बंधन नहीं हैं। अपितु मोक्ष प्रदान करने वाला हैं। में और मेरा भाव से मुक्त होने के लिए पहले हमें स्वयं को जानना चाहिए। जब तक व्यक्ती आत्माज्ञान को प्राप्त नहीं होता तब तक वह कर्मों के जाल को नहीं तोड़ सकता। इसलिए पहले स्वयं की खोज करों। भीतर की यात्रा करों। हरि ॐ तत् सत् 🙏❤️ पूर्ण समर्पण जब होता हैं जब हम बाहर और भीतर की दोनों खोज बंद कर दे। तब हम शून्य में उतर जाते हैं। यही पूर्ण समर्पण हैं की अब जो भी करने वाला हैं वो स्वम ईश्वर हैं। पूर्ण समर्पण आत्मबोध में सहायक हैं। इससे हमें स्वयं का ज्ञान होता हैं।
@devram6765Күн бұрын
🌹🌹 🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌹🌺❤️🌺🌹🙏
@PoornimaKunduКүн бұрын
महर्षि आपको कोटि कोटि प्रणाम बहुत महत्वपूर्ण मूल्यवान प्रवचन अपार शांति मिलि वाकई हरि ॐ तत् सत्।
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
आपकों भी प्रणाम 🙏 हरि ॐ ❤️🌺
@jaydeepsinhdabhi5678Күн бұрын
🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️🌹🌺🙏
@upsc_unnatiКүн бұрын
🙏🙏❤🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️ ॐ ❤️🌹🌺🙏
@kabirajjena5120Күн бұрын
🕉️🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌺🌹❤️ ॐ ❤️🌹🌺🙏
@BhagatSingh-q8xКүн бұрын
Pranam🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
प्रणाम 🙏❤️
@Archanakumari-bu7pc2 күн бұрын
🍇🍎🍅🌽🫒🍏🍈🍉🍐🥥🫑🥒🍋🟩🍑🍊🍋🍒🥑🥬🥦🍓🍌🫐🍍🫐🥭
@lalitendubihari36322 күн бұрын
🙏🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌹🌺❤️🌺🌹🙏
@ATech5152 күн бұрын
Jai Gurudev Ji 🙏🇮🇳🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
🙏🌹🌺❤️ हरि ॐ ❤️🌺🌹🙏
@lalitendubihari36322 күн бұрын
🙏🙏🙏
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
हरि ॐ 🙏❤️
@shashisharma-uj1ki2 күн бұрын
Kya ye संभव है
@RamanaMaharshiChannelКүн бұрын
सब कुछ संभव हैं 🙏 हरि ॐ ❤️🌺 भारत में ऐसे कई संत हुए हैं जो समाज में रहते हुए भी समाधि लगाते थे। तीन चीजे मुख्य हैं - राग द्वेष, काम वासना और नशा। अगर कोई भी व्यक्ती इन तीनों से ऊपर उठ जाता हैं तो चित्त निराधार हों जाता हैं। राग द्वेष बंद होने पर चित्त अपने आप में स्थिर हों जाता हैं। फिर ये किसी और की कोई कल्पना नहीं करता। नशा केवल शराब का नहीं होता। नशा मान समान का, नशा पद प्रतिष्ठा का, नशा भौतिक सुख सुविधा का आदि। साधक को सभी प्रकार का नशा छोड़ना होता हैं और होश में आना होता हैं। पूर्ण होश में। भगवान की कृपा और गुरू का आशीर्वाद हों तो साधक के जीवन में यह घटना बहुत जल्दी घटित होती हैं। हरि ॐ तत् सत् 🌺🙏
@yashodaamin75952 күн бұрын
Very nice 👍 Hare Krishna 🌹🙏
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
आभार 🙏 हरे कृष्णा ❤️🌺
@jaydeepsinhdabhi56782 күн бұрын
🙏🙏
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
🙏🌹🌺❤️ हरि ॐ ❤️🌺🌹🙏
@PoornimaKundu2 күн бұрын
अमूल्य वाणी बिल्कुल सही मन एक फोड़ा है अगर शांति से परमात्मा रुपि मरहम से लेप करते रहना चाहिए सब कुछ ठीक हो जाता है अमृत वर्षा हरे कृष्ण बोलो।
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
🙏🌹🌺❤️ हरे कृष्णा ❤️🌺🌹🙏
@rajeshri12342 күн бұрын
Atmabodh hi samadhi...🙏
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
🙏🌹🌺❤️ हरि ॐ ❤️🌺🌹🙏
@sumitabairwal37552 күн бұрын
Thank you ji ♥️
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
Welcome 🙏 Hari Om ❤️🌺
@madanbaranwal15312 күн бұрын
श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को गीता ज्ञान देते समय स्वयं को मैं कहा था। मैं का दो अर्थों में प्रयुक्त होता है। एक अहंकारी स्वयं को मैं हूं हीं कहता है। अहंकार को पकड़ने वाला अहंकारी नहीं अहंकार का साक्षी होगा। जिसने अपना तादात्म्य अपने इंद्रियां अंतःकरण से तोड़ दिया वह अहंकारी नहीं रहा। ऐसा व्यक्ति अपना प्रारब्ध कर्म पूरा कर लिया उसके कर्म बंधन बचा नहीं तो वह संसार मुक्त हो गया। कृपया मार्गदर्शन कीजिए।
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
पहली बात तो यह हैं की हमें यह जान लेना चाहिए की श्री कृष्ण कोई शरीर नहीं हैं। न ही गुरू शरीर होता हैं। श्री कृष्ण आत्मा ही हैं। या यू कहे की परमात्मा ही हैं। इसलिए जब श्री कृष्ण, श्री राम या अष्टावक्र जैसे महापुरुष कह रहे हैं की "में हूं"। तो इसका मतलब की वो स्वयं को "आत्मा" मानकर ही "में हूं" कह रहें हैं। वह शरीर नहीं हैं। साधारण व्यक्ति के लिए "में हूं" बोलना मतलब शरीर भाव ही हैं। इसलिए बहुत से व्यक्ती कहते हैं की श्री कृष्ण ने ऐसा क्यों कहा की में न जन्म लेता हूं। न मेरी मृत्यु होती हैं। बल्की उन्होने तो जन्म भी लिया और मृत्यु भी हुई। लेकिन भगवान ने उस समय आत्मभाव से कहा था। शरीर भाव से नहीं। हमारे भीतर दो मैं हैं। एक तो जिसे समाज और संस्कारो ने निर्मित किया हैं। और एक जो हम स्वयं हैं। जब हम कहते हैं की "में नहीं हूं" केवल "वहीं हैं" तो हम उस "आत्मा" के बारे में कहते हैं। जो हम स्वयं ही हैं। हमें मिथ्या "मैं" को छोड़ कर सच्चे "मैं" को जानना होगा। और यह तभी सम्भव हैं जब हम मिथ्या "में हूं" को छोड़ देते हैं। हरि ॐ तत् सत् 🙏❤️
@madanbaranwal15312 күн бұрын
@@RamanaMaharshiChannel इस विडियो से दो जानकारी मिली है पहला कृष्ण शंकराचार्य अष्टावक्र या एक गुरु को व्यक्ति समझना गलत है ये महापुरुष आत्मस्थ हैं। आत्मसाक्षात्कार तब तक सम्पूर्ण नहीं है जब तक बीज नष्ट हो कर वृक्ष नहीं बनता है। शरीर छुटने पर परिणाम हासिल होता है। मार्गदर्शन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
आपका भी बहुत बहुत आभार 🙏 हरि ॐ ❤️🌺
@rashmitiwari23682 күн бұрын
Radha Radha
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
जय श्री राधे राधे!! 🙏❤️
@Jangu17962 күн бұрын
Because Vasudevah sarvam.
@RamanaMaharshiChannel2 күн бұрын
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
@indypatel50443 күн бұрын
प्रणाम! ख़ुदके अस्तित्वसे अतिरिक्त कोई भगवान है ऐसा मानना मनवाना भ्रांति है! जीवमात्र सत्तास्वरूपसे अतींद्रिय शाश्वत भगवान ही है ऐसी ज्ञानी महात्माओंने जीतेजी ही ख़ुद देहातित दशा पाकर घोषित किया है! अरूपी आत्मा चर्मचक्षु गोचर नहीं है इसलिए उसे अनुभव करना होता है लेकिन जो तत्वलोचन चाहिये उसे पाने जीवंत महात्माको खोजकर ‘मैं कुछ भी नहीं जानता’ ऐसा सद्गुरूके प्रति परम विनयात्वित होकर बैठना अनिवार्य है! जो जीव अनादिके जन्ममरणके अनंत दुःखोंसे सहीमें उब चुका हो वे उस दशा पाने योग्य जीव है!