Shri Sadhvi Prem baisa Ko mara barnbar pranam Rupa devram Maharaj ke bhajan bhejo acche se achcha bahut meethi kand mein
@rajaramjichaudhary4630Ай бұрын
Shri Sadhvi Prem baisa March mein bhajan aap beche raho bahut achcha laga aur meethi kaun se achcha jaaye
@RadheyMeena-p3cАй бұрын
जयश्री कृष्ण
@Saranfojaram5858Ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@RockyBhai-n2tАй бұрын
😊😊
@KhinvRaj-l8mАй бұрын
❤
@hemaaninama68018 күн бұрын
😅😅😅😅
@hemaaninama68018 күн бұрын
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@annubhaisayedАй бұрын
बिलकुल सही बात कही है आपने बाइसा,यही महानता है सनातन हिंदु धर्म की। सनातन हिंदु धर्म भारतवर्ष का सबसे प्राचीन धर्म हैं और इसके मानने वाले भारत में लगभग 80 प्रतिशत से अधिक लोग हैं। सनातन हिंदु धर्म की महानता और जीवन जीने की विशेष शैली अन्य धर्मों से बेहतर है। सनातन हिंदु धर्म की पुजा पद्धति और गृहस्थ जीवन की मान्यताए जिवन को सकारात्मक दृष्टि प्रदान करती हैं। हिंदु धर्म महान हैं, इस में औरत को लक्ष्मी कहाँ जाता हैं और उसकी पुजा की जाती हैं। हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार विवाह पती-पत्नी के बीच सात जन्मों का अटूट बंधन होता है। हिंदु धर्म में पती का दर्जा ईश्वर के बराबर है, इसलिए पती को परमेश्वर कहाँ जाता है। पती के दीर्घ आयुष्य के लिए पत्नी करवा चौथ का व्रत और वट सावित्री की पुजा करती हैं। सनातन हिंदु धर्म में ट्रिपल तलाक, खुला, विधवा विवाह जैसी कोई ग़लत धार्मिक मान्यताएं नहीं है। हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार विवाह पती-पत्नी के बीच सात जन्मों अटूट बंधन होने सें विधवा विवाह की जैसी निकृट गलिच्छ मान्यता को कोई स्थान नहीं है। इसका अर्थ यह नहीं के स्त्री के साथ जुल्म हुआ है बल्कि हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार विधवा स्त्री को सम्मान देते हुए धर्म नें उसकी पवित्रता और धार्मिक ता को नजर में रखकर नियोग करने की छूट दी है। नियोग क्या है?? नियोग प्रथा का पालन मुख्य रूप से प्राचीन काल से किया जाता आ रहा है। नियोग प्रथा के अनुसार , अगर पति संतान पैदा करने में असमर्थ हो या मर जाए, तो पत्नी परिवार की सहमति से किसी दूसरे पुरुष से संतान पैदा कर सकती हैं। अपने लिए दो बच्चे और अन्य दुसरे लोगों के लिए आठ इस प्रकार दस बच्चों को जन्म दे सकती हैं। नियोग प्रथा के अनुसार , नियुक्त पुरुष उस बच्चे के पिता नहीं माना जाता था और उसे बच्चे से कोई रिश्ता रखने का अधिकार नहीं होता हैं। विधवा स्त्री अपने लिए जो दो संतानों को जन्म देती हैं और उनका पालन पोषण के दाइत्व कुछ अंश तक पुर्न कर लेती तो धर्म उसे इस उत्कृष्ट कार्य को करने की आज्ञा देता है की, विधवा स्त्री देवदासी बनकर ईश्वर की सेवा में अपने आप को पुर्नता समाहित करे और जन सेवा ही ईश्वर सेवा हैं के संकल्पना को सार्थक करते हुए अलग-अलग विधुर पुरुषों और बाबाजी महाराज की वासना को त्रप्त कर स्वर्ग प्राप्ति की और प्रस्थान करे। विधवा स्त्री के लिए यह सर्वोत्तम कर्म है। महाभारत के मुताबिक, धृतराष्ट्र, पांडु, और विदुर का जन्म नियोग विधि से ही हुआ था. सनातन धर्म में स्त्री को जो सम्मान दिया गया है, वह अन्य किसी धर्म में नहीं दिया गया। लेकिन आज हमारी माताएंव बहने सनातन हिंदु धर्म की शिक्षा और दीक्षा को त्याग कर ईस्लाम की मान्यता के अनुसार तीन तलाक, विधवा विवाह जैसी नास्तिकता के शिक्षा का अनुकरण कर रही हैं। जिस दिन सनातनी माता एंव बहने जगेंगी उस दिन हिंदु धर्म को संसार में फैलने से कोई शक्ती रोक नहीं सकेंगी।