Raja Dropat ko bandi nahi Bana paya tha droyodhan ke Saath Karan
@user-hu9ns2gd8m2 күн бұрын
Gau haran me nahi tha kya karn
@nareshkinha19162 күн бұрын
❤❤
@Im_singel_boy2 күн бұрын
❤❤❤❤❤❤
@SunilTanwar-qx9ji3 күн бұрын
🎉❤❤❤
@daued29684 күн бұрын
भले घर की chhorri ग़ज़ब किस्मत से मिलती हँ 😊
@hitendersinghmca5 күн бұрын
Bahut aache bhai
@rishideswal19935 күн бұрын
गजब रागनीयां पेश कर रहे हो भाई साहब मजा आगा और आण दो
@AdmiringCherryBlossoms-bl8og5 күн бұрын
Good jay bhim
@jasbeerkumar5 күн бұрын
Bm
@dilbagsiwach98125 күн бұрын
Good morning jii
@user-cn6li6jf8l6 күн бұрын
❤❤
@daddurecords46786 күн бұрын
❤❤❤❤
@pardeeptanwar26286 күн бұрын
Sat saheb🙏🙏🙏
@dilbagsiwach98127 күн бұрын
Good morning ❤❤❤🎉
@goverdhangopal84947 күн бұрын
Desi ragni gane Wale gayak to bahut hai par K.P.Sharma ki bat hi nirali hai.
@hitragni33817 күн бұрын
Gajab rangkaat
@pardeepgahlawat77567 күн бұрын
No 1 ragni ❤❤
@pinkym44217 күн бұрын
M pinky safidon s hamari Sanskriti es raga ni m
@BhureKashyap-xs1jv8 күн бұрын
Jay Shri radhe Krishna
@SureshKumar-tk7ys8 күн бұрын
इस तरह शादी करने का तरीका अनुचित था। मीराबाई के पिता को कमजोर समझकर उसके घर पटका और कटार भेजना राणा भोजराज की मूर्खता थी अगर शादी ही करनी थी तो मीरा बाई के माता-पिता की इच्छानुसार करनी थी लेकिन महाराणा भोजराज ने कमजोरी का फायदा उठाया और मीराबाई के पिता को बेइज्जत किया जिसके कारण मीराबाई ने बेशक श्रीकृष्ण को पति मानने का बहाना लिया लेकिन उसने सही किया । उसने महाराणा भोजराज के सामने अपना आत्मसमर्पण मरने तक नहीं किया जो । उसने अपने पिता की आदर्श पुत्री के रूप में किया।ये बात तो बेवकूफी की है कि मीराबाई ने रणछोड़ मन्दिर में भगवान की मूर्ति में मिलन कर दिया ।इस तरह की बातें सब झूठी है क्योंकि उस मन्दिर में जो गुप्त द्वार था मीराबाई उस रास्ते से कहीं दूर निकल गई जहां उदय सिंह की पहुंच नहीं थी।
@SureshKumar-tk7ys8 күн бұрын
एक अच्छे राजा का शादी करने का सही तरीका था महाराजा सूरजमल का जिन्होंने जवाहर सिंह की माता के स्वर्गवास के बाद महाराणी किशोरी से शादी की । महाराजा सूरजमल जब शेर का शिकार करने के बाद अपने सैनिकों के साथ जब भरतपुर जाते वक्त होडल से निकले तब सावन के महीने में लड़कियां झूल डालकर झूल रही थी जो कि आम रास्ता था।जब लड़कियों को रास्ते में महाराजा सूरजमल के सैनिक ने देखा तो लड़कियों को कहा कि यहां से रास्ता छोड़कर दूर हो जाओ राजा का साथी तथा सेना की टुकडी आ रही है तब उन लड़कियों में से एक लड़की जिसका नाम किशोरी था उसने कहा कि कह दो राजा से अपने साथी को कहीं और से ले जाओ और यहां मैं जाने नहीं दूंगी और अपने हाथ में रख लेकर खड़ी हो गई जिसे महाराजा सूरजमल ध्यान से देख रहे थे तभी उनके दिमाग में आया कि क्यों ना इसके पिता से इसका हाथ मांग लूं और इसे भरतपुर की महारानी बना दूं जिससे भरतपुर का भविष्य भी उज्जवल हो सके । उसके बाद महाराजा सूरजमल ने गांव इकट्ठा किया और पूछा कि किशोरी किस की लड़की है।गांव के लोगों ने बताया कि किशोरी गांव के एक सामान्य किसान कांशीराम की लड़की है ।तब कांशीराम को बुलवाया गया और उनके सामने प्रस्ताव किया कि आप किशोरी को भरतपुर की महारानी बना दे तब कांशीराम ने कहा कि नहीं हमारा और आपका कोई जोड़ नहीं तब महाराजा सूरजमल ने कहा कि जोड़ की बात ही नहीं किशोरी एक मर्दानी लड़की है और इसे महारानी बनाना बिल्कुल सही होगा ।तब सावन के महीने में ही उसी दिन सामान्य रिती रिवाज से महाराजा सूरजमल और किशोरी की शादी सम्पन्न हुई जो कि आदर्श शादी कहलाती है।
@SureshKumar-tk7ys8 күн бұрын
इस तरह शादी करने का तरीका अनुचित था। मीराबाई के पिता को कमजोर समझकर उसके घर पटका और कटार भेजना राणा भोजराज की मूर्खता थी अगर शादी ही करनी थी तो मीरा बाई के माता-पिता की इच्छानुसार करनी थी लेकिन महाराणा भोजराज ने कमजोरी का फायदा उठाया और मीराबाई के पिता को बेइज्जत किया जिसके कारण मीराबाई ने बेशक श्रीकृष्ण को पति मानने का बहाना लिया लेकिन उसने सही किया । उसने महाराणा भोजराज के सामने अपना आत्मसमर्पण मरने तक नहीं किया जो । उसने अपने पिता की आदर्श पुत्री के रूप में किया।ये बात तो बेवकूफी की है कि मीराबाई ने रणछोड़ मन्दिर में भगवान की मूर्ति में मिलन कर दिया ।इस तरह की बातें सब झूठी है क्योंकि उस मन्दिर में जो गुप्त द्वार था मीराबाई उस रास्ते से कहीं दूर निकल गई जहां उदय सिंह की पहुंच नहीं थी।
@SureshKumar-tk7ys8 күн бұрын
इस तरह शादी करने का तरीका अनुचित था। मीराबाई के पिता को कमजोर समझकर उसके घर पटका और कटार भेजना राणा भोजराज की मूर्खता थी अगर शादी ही करनी थी तो मीरा बाई के माता-पिता की इच्छानुसार करनी थी लेकिन महाराणा भोजराज ने कमजोरी का फायदा उठाया और मीराबाई के पिता को बेइज्जत किया जिसके कारण मीराबाई ने बेशक श्रीकृष्ण को पति मानने का बहाना लिया लेकिन उसने सही किया । उसने महाराणा भोजराज के सामने अपना आत्मसमर्पण मरने तक नहीं किया जो । उसने अपने पिता की आदर्श पुत्री के रूप में किया।ये बात तो बेवकूफी की है कि मीराबाई ने रणछोड़ मन्दिर में भगवान की मूर्ति में मिलन कर दिया ।इस तरह की बातें सब झूठी है क्योंकि उस मन्दिर में जो गुप्त द्वार था मीराबाई उस रास्ते से कहीं दूर निकल गई जहां उदय सिंह की पहुंच नहीं थी।