कबीर साहिब ने अपनी रचनाओं में कहा है न हम रहले मात गर्भ में न हमरे ग्रही और दासी नीरू के घर नाम धराया जग में होगई हांसी सात द्वीप नो खंड में गुरु से बड़ा न कोई करता करे न कर सके गुरु करे सो होय सन 1400 में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का किसी को पता ही नहीं था शून्य में रचो संसारा शून्य का है खेल सारा,और संतमत स्थापित किया गुरु नानक देव जी को अमरलोक ले गए 52 लाख लोगो को नाम दान दिया जिनमे मुख्य काशी का हिन्दू राजा वीर सिंह भगेल,17अवध के जिलों का नवाब बिजली खान पठान, उनका शिष्य था और सिकंदर लोधी दिल्ली का सुलतान और शेख ताकि को भी नामदान दिया जिसने 52 बार उनको मृत्यु दंड दिया क्योंकि कबीर साहिब पांच तत्वों से नहीं बने थे इसलिए उनको कुछ भी नहीं हुआ शेख तकि की मृत लड़की को जिन्दा किया उसका नाम कमाली हुआ गंगा में तैरते मुर्दे को जिन्दा किया उसका नाम कमाल हुआ काशी के प्रकांड पंडित सर्वदानंद को भी आत्मज्ञान दिया और आखिर में मगहर में गायब हो गए उनके शरीर की जगह फूल मिले मुसलमानो ने मजार बनाई हिन्दुओं ने समाधी बनाई कोई अपने गुरु के टुकड़े करके समाधी या मजार नहीं बनाएगा चौथे लोक का सन्देश दिया यह देश काल का देश है यहाँ कर्म का जाल पसारा है चल हंसा सतलोक (जहाँ से सभी आत्माये अनंत समय पूर्व आयी है) और बताया की ३ करोड़ वर्षों बाद लगभग १०० वर्षो के लिए मनुष्य का शरीर मिलता है इससे पहिले मृत्यु होने पर बाकी बची उम्र भोगने के लिए फिर मनुष्य देह मिलती है और बताया तेरा बैरी कोई नहीं तेरा बैरी मन, मन इंसान का दिमाग है यह सिर्फ इस शरीर और इस संसार के बारे में ही सोचेगा आत्मा के नहीं