Жазылу 9 М.
Narayan Swami Bhajan नारायण स्वामी एक सन्त और भजनीक थे। उनका मूल नाम शक्तिदान महिदान लंगवदरा था जो आत्मिक जागृति के बाद नारायण स्वामी हो गया। उन्होंने मीरा बाई, कबीर, नरसिंह मेहता जैसे संतो की अमृतवाणी को गाया है,और संतवाणी से उन्होंने आध्यात्मिक जगत को ऊर्जा दी है। नारायण स्वामी वर्ष २००० में आत्मा से परमात्मा में लीन हो गए मांडवी आश्रम गुजरात में उनकी समाधि आज भी वहां स्थित है। नारायण स्वामी को भजन के भीष्मपितामह माना जाता है। और मां सरस्वती की परम उपासक श्री लता मंगेशकर जी भी सुबह सबसे पहले नारायण स्वामी के भजन सुनती थीं। नारायण स्वामी एक भजन गायक ही नहीं थे वो एक शुद्ध आत्मा के धनी थे. उनके आखिरी के समय में जब भजन गाते थे तो लोगो के आँखों से आंसू बहने लगते थे। उनके भजनों में द्वैत से अद्वैत की और ले जांने वाले होते थे। वो जब भजन गाते थे तो उनके श्रोता दुनिया भूल कर धन दौलत लुटा देते थे और प्रभु की भक्ति में ऐसे तल्लीन हो जाते थे की नाचने लगते थे। आज भी उनके हिंदी और गुजराती भजन लोगो को बहुत पसंद आते हैं। If you like our work,you can support us. Google Pay - 9411132403 🙏Jay Narayan🙏