Пікірлер
@DebikaShrestha-xb5rz
@DebikaShrestha-xb5rz 21 сағат бұрын
जय सत् नाम साहेब जि प्रणाम 🙏🙏👍
@rekhasahni4946
@rekhasahni4946 Күн бұрын
Koti koti pranam guruji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@UKCcharan
@UKCcharan Күн бұрын
🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@AnshSahu-zk7ye
@AnshSahu-zk7ye Күн бұрын
Saty gyan bataya ji jisamo pata he bohi samjhega sat sabad ji
@AmritsariRahulvlogs
@AmritsariRahulvlogs Күн бұрын
Satnam waheguruji 🙏🙏🙏
@nageshwarpaswan7960
@nageshwarpaswan7960 2 күн бұрын
Aap.kiya.h.gru.ya Sant
@UKCcharan
@UKCcharan 3 күн бұрын
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@DebikaShrestha-xb5rz
@DebikaShrestha-xb5rz 3 күн бұрын
कोटि कोटि प्रणाम साहेब जि प्रणाम 🙏🥛🥛
@KusumDevi-vq3pv
@KusumDevi-vq3pv 4 күн бұрын
🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤
@rahultalwar4884
@rahultalwar4884 4 күн бұрын
Ye naam japne se kuch nhi hota bas ache karm karo kisi ka mann na dukhao, har jeev ki sewa karo apne aap parmatma mil jayenge ye 5 naam japne se kuch nhi hota
@rahultalwar4884
@rahultalwar4884 4 күн бұрын
Waise baat to sahi hai maine 18 saal se naam le rkha hai ye 5 naamo se mujhe aaj tak koi fayeda ni hua ulta kismat tabse kharab hi hogyi hai sukh to sala jindagi mei dekha hi nhi hai
@DebikaShrestha-xb5rz
@DebikaShrestha-xb5rz 4 күн бұрын
जि प्रणाम 🙏🙏👍👌🌷🌷🌹🌹🥰🥰
@GorakhdasMahant
@GorakhdasMahant 5 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏सतनाम 🙏🙏
@GorakhdasMahant
@GorakhdasMahant 5 күн бұрын
साहेब बंदगी सतनाम 🙏🙏🌸🌸
@rekhapanchal1593
@rekhapanchal1593 5 күн бұрын
आपने भी कौन सी असली बात बता दी अनदर की बात तो आप भी नही बताते हो
@safarinetwork79
@safarinetwork79 5 күн бұрын
अकथ कहा ना जाय।
@PardeepKumar-qn3yv
@PardeepKumar-qn3yv 5 күн бұрын
Jai satnaam
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹 सम्यक समाधि🌹🙏 इसके अंतर्गत साधक को चार ध्यानों की अवस्थाएं प्राप्त होता हैं , प्रथम ध्यान, व्दितीय ध्यान ,तृतीय ध्यान और चतुर्थ ध्यान । प्रथम ध्यान की अवस्था प्राप्त करने के लिए ये पांच बातें जरूर हैं काम संबंधी ( अथवा कामनाओं के )बार बार उठने वाले विचारों से दूर होना इसी प्रकार अकुशल धर्मों से दूर होना , वितर्क का रहना ,विचार का रहना ,और विवेक से उत्पन्न होने वाले प्रीति सुख का होना । (इस ध्यान में वितर्क अथवा विचार ऐसे नहीं होते जो काम वासनाओं, अथवा कामनाओं,से जुड़े हों,क्रोध से जुड़े हों,अकुशल धर्म वाले हों । इनसे दूर होने की वजह से भीतर जागने वाले प्रीति सुख को विवेक से उत्पन्न होने वाला कहा गया हैं ।) व्दितीय ध्यान की अवस्था में सभी वितर्क,विचार बंद हो जाते हैं।इसका उपशमन हो जाता हैं । अब जो प्रीति सुख अनुभूति पर उतरता है वह वितर्क विचार के न होने का प्रीति सुख होता हैं । वितर्क विचार का न होना ही अपने आप में बहुत प्रीति सुख जागता है । यह प्रीति सुख समाधि से उत्पन्न हुआ प्रीति सुख होता हैं । तृतीय ध्यान की अवस्था में प्रीति दूर हो जाती हैं । प्रीति से तात्पर्य शरीर पर जागने वाली आनंद की लहरों से हैं । यह दूर हुईं,तो उपेक्षा का भाव जागता है । अब रह जाते हैं स्मृति और संप्रज्ञान ,और शरीर पर सुखद वेदना का अनुभव। आर्य अवस्था पर पहुंचे हुए लोग ऐसे व्यक्ति के लिए कहते हैं उपेक्षक, स्मृतिमान ,सुखविहारी (उपेक्षा के प्रति स्मृति रख कर सुख का विहार करते वाला )। चतुर्थ ध्यान की अवस्था में काया के सुख और दुख ये दोनों निकल जाते हैं ।मन को सुमन और दुर्मन बनाने वाली बातें पहले ही खत्म हो गयी होती हैं ,जैसे कि कामनाओं के प्रति चिंतन चलना और अकुशल धर्मों के प्रति चिंतन चलना इन्हें प्रथम ध्यान की अवस्था में ही छोड़ दिया जाता है । इन सबके हट जाने पर रह जाते हैं उपेक्षा और स्मृति की परिशुद्धता। भगवान बुद्ध के समय से पहले ही अनेक प्रकार की समाधियां चली आ रही थीं । इन्हें लोकिय समाधियां कहते थे । यह लोकीय इस माने में थीं कि इसमें शरीर के भीतर संप्रज्ञान जागने का काम नहीं होता था । शरीर के भीतर वेदनाओं के स्तर पर होने वाले उत्पाद, व्यय की जानकारी नहीं की जाती थी ।इन समाधियों का अभ्यास करने वाले लोग किसी आलंबन को लेकर घ्यान करते चले जाते थे ,बार बार ध्यान करते थे और ऊंची अवस्ताओ को प्राप्त कर लेते थे। उन समाधियों में भी प्रथम ध्यान में वितर्क,विचार,प्रीति,सुख,एकाग्रता ये पांच अंग बने रहते थे । व्दितीय ध्यान में वितर्क और विचार समाप्त हो जाने से प्रीति ,सुख , एकाग्रता ये तीन अंग बने रहते थे । तृतीय ध्यान में प्रीति समाप्त हो जाता थी ,और चतुर्थ ध्यान में सुख के भी समाप्त हो जाने पर शेष रह जाती थी ।एकाग्रता। इन चारों ध्यानों। में संप्रज्ञान कहीं नहीं था ।और संप्रज्ञान न होने से मुक्त अवस्था कैसे प्राप्त होती? जड़ों से विकार निकाले बिना मुक्त अवस्था प्राप्त करना असंभव हैं । अपने भीतर संप्रज्ञान जागये बिना यह काम हो नहीं सकता । अतः लोकीय समाधियों को सम्यक समाधि की संज्ञा नही दी जा सकती । सम्यक समाधि का संप्रज्ञान से युक्त होना एक अनिवार्यता हैं । इस प्रकार दुखनिरोध की और ले जाने वाली प्रतिपदा का आर्यसत्य था ,यह आर्य अष्टांगिक मार्ग मार्ग, जिसके प्रत्येक अंग की समीक्षा ऊपर की गयी है।इनकी भी धर्मानुपश्यना करते हुए साधक पहले की तरह उन्ही स्टेशनों में से गुजरता हैं और चार आर्यसत्यों में धर्मानुपश्यी होकर विहार करता हैं । 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🌹🙏सम्यक स्मृति 🙏🌹 स्मृति सम्यक तब होती हैं जब कोई साधक राग और द्वेष को दूर कर श्रमशील ,स्मृतिमान और संप्रज्ञानी बन ,काया में कायानुपश्यना , वेदनाओं में वेदनानुपश्यना ,चित्त में चित्तानुपश्यना और धर्मों में धर्मानुपश्यना करे । यदि केवल स्मृति की बात हो ,तो उसका इससे कुछ लेना देना नहीं होगा । उसमें तो केवर जागरूकता होता हैं ।जिसके प्रति जागरूकता होता है ? जैसे सर्कस की लड़की अपना संतुलन बनाये रखने के लिए बड़ी जागरूक होती है ,अथवा कोई नर्तकी अपने शरीर की भाव भंगिका के प्रति बड़ी जागरूक होती हैं । यह सम्यक स्मृति नहीं होती । सम्यक स्मृति तो तब होता हैं जब साधक की सजगता उसकी अपनी काया पर होने वाली वेदनाओं और चित्त पर होने वाले धर्मों के प्रति होती है । और यह सजगता भी ऐसी की जिसमें साधक हो आतापी, सम्पजानो , सतिमा ( उधोगशील ,संप्रज्ञानी और स्मृतिमान )और यही नहीं ,वह अपने आप को राग और द्वेष से दूर रखे हुए केवल दृष्टा हो । इस प्रकार सम्यक स्मृति के साथ संप्रज्ञान का जुड़ा होना ,और ऐसे ही रागविहीनता तथा द्वेषविहीनता का जुड़ा होना अनिवार्य है । 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹सम्यक व्यायाम🌹 🙏 यह चार प्रकार के प्रयत्नों का समुच्चय हैं 1. जो पाप अभी तक मन में जागा नहीं हैं ,वह जाग न जाय,इसके लिए प्रयत्न 2. जो पाप मन में जाग गया है ,उसे दूर करने का प्रयत्न 3. जो अच्छे कुशल धर्म अभी तक मन में न जागे हों, उसको जागने का प्रयत्न, और 4. जो अच्छे कुशल धर्म मन में जाग गये हों, उनको बनाये रखने व बढ़ाने का प्रयत्न। इन प्रयत्नों के अंतर्गत एक ही काम करना होता हैं ,और वह यह है कि जिस क्षण चित्त की जैसी भी स्थिति हो ,उसकी यथाभूत जानकारी बना कर रखी जाय। यदि साधक ऐसा करता चला जायगा तो मन में कोई पाप जाग जाने पर स्वत: ही दूर हो जायगा और न जगा होने पर जाग नही पाएगा। , क्योंकि सारा काम बिना राग, बिना द्वेष ,समता से करना होता है । क्षण प्रति क्षण चित्त की यथाभूत जानकारी बनाये रखने से चित्त के विकार अपने आप दूर होते जाते हैं और इसमें सध्दर्म अपने आप जागने लगते हैं और उनका संवध्र्दन होने लगता है। यह प्रकृति का नियम हैं । 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹 सम्यक आजीविका 🌹🙏 मिथ्या आजीविका के अंतर्गत जो बातें समझायी गईं । उससे विरमण । तब जो कुछ बच जाता हैं वही होता है सम्यक आजीविका । 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹 सम्यक कर्मांत 🌹🙏 इसके लिए इन तीन का दर्शन करना होता है । मेरे शरीर का ऐसा कोई कर्म नही हैं जिससे औरों की हत्या हो जाय, चोरी हो जाय, व्यभिचार हो जाय । इससे विरमण है, विरति , इस सच्चाई का साक्षात्कार हो। 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹 सम्यक वचन 🌹🙏 यह होता हैं झूठ बोलने से दूर रहना ,चुगली खाने से दूर रहना , कटु वचन बोलने से दूर रहना , निकम्मी फजूल बातों से दूर रहना । इसे मात्र बुद्धि के स्तर पर जान लेने से कुछ मिलता मिलता नहीं हैं ।साधक सचमुच जानने लगे कि ऐसा हैं न? मैं जो कुछ बोल रहा हूं उसमें झूठ का अंश नही है । ऐसा साक्षात्कार कर देखने लगे ,तभी बात बनती हैं । ऐसे ही चुगली ,कटु वचन तथा निकम्मी फिजूल बातो के बारे में भी । 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹सम्यक संकल्प🌹🙏 काम शुरू करते करते समय सकल्प विकल्प चाहते हैं। आरंभ में ये विविध प्रकार की कामनाओं , तृष्णाओं ,द्वेष, विहिंसा आदि से संबंधित होते हैं ।पर ये सम्यक कैसे हो । अतः नैष्क्रम्य कनिष्कमता अथवा निष्क्रमण ),द्वेषविहीनता तथा अविहिंसा से संबंधित संकल्पों का होना आवश्यक हो जाता हैं ।इसके लिए चित में जैसे भी संकल्प जागे उसे केवल जानना होता है ,उसे दूर करने की जरा सी भी कोशिश नहीं करनी होती हैं । यदि कोई ऐसा उपक्रम करने लगे कि ये विचार तो निकलने चाहिएं ,ये विचार दूर होने चाहिएं ,तो यह सम्यक संकल्प नही कहलाया। इस प्रकार के कलुषित विचारों को जानते रहना से जब मन इनसे रिक्त हो जाता हैं ,तब होता हैं सम्यक संकल्प। 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹सम्यक दृष्टि🌹🙏 प्रत्यक्ष अनुभूति वाला सम्यक ज्ञान ।कैसे हैं यह ज्ञान ?दुख का दर्शन करते करते ,दुख के दर्शन को सम्यक दर्शन बनाते बनाते जो ज्ञान जागता हैं ,वह सम्यक ज्ञान । दुख के कारण का दर्शन करते करते जो दर्शन सम्यक बनता है, उस सम्यक दर्शन से जो ज्ञान जागता हैं ,वह सम्यक ज्ञान । ऐसे ही निरोध की अवस्था का साक्षात्कार करते करते जो सम्यक दर्शन बनता हैं । उससे जो ज्ञान जागता है, वह सम्यक ज्ञान । ऐसे ही आर्य अष्टांगिक मार्ग का दर्शन करते करते जो सम्यक दर्शन बनता हैं ,अपनी अनुभूतियों पर सच्चाई उतरती है,उससे जो ज्ञान जागता हैं वह सम्यक दृष्टि होती हैं ।यदि सचाई अपनी अनुभूति पर उतरे,तभी दृष्टि सम्यक होती हैं, अन्येथा मिथ्या ही मिथ्या। तृष्णा से दुख जागता है , इसमें दो मत नहीं ।राग और व्देष से दुख जागता हैं , इसमे भी दो मत नहीं ।लेकिन जब तक किसी व्यक्ति को इसकी अनुभूति नहीं होता ,इसे साक्षात्कार कर प्रज्ञा से देख नही लेता है और इसे केवल मानता रहता है,तब तक उसकी दृष्टि मिथ्या ही रहती हैं,सम्यक नहीं होती ।यह सम्यक तभी होता हैं जब वह इसे यथाभूत (जैसा हैं वैसा)जानने लगता हैं । सम्यक दर्शन के लिए पूर्व वर्णित चारों सच्चाईयों को यथाभूत जानना होता हैं ।इससे स्पष्ट होगा की परंपरागत मान्यताएं सम्यक दर्शन की श्रेणी में नहीं आती हैं ,क्योंकि ये महज मान्यताएं होती हैं ,इनको मानने वाला इनकी यथाभुत जानकारी नहीं करता है । 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
@nikhilkumar1889
@nikhilkumar1889 6 күн бұрын
🙏🌹भगवान बुद्ध का आर्य अष्टांगिक मार्ग 🌹🙏 🙏🌹मार्ग सत्य 🌹🙏 🙏🌹मार्ग क्या हैं ? दुखनिरोध की और ले जाने वाली प्रतिपदा । इसका आर्यसत्य क्या हैं । यही आर्य अष्टांगिक मार्ग हैं,अर्थात 🌹1 .सम्यक दृष्टि,🌹 🌹2 .सम्यक संकल्प,🌹 🌹3 .सम्यक वचन,🌹 🌹4 .सम्यक कर्मांत ,🌹 🌹5 .सम्यक आजीविका,🌹 🌹6 .सम्यक व्यायाम,🌹 🌹7 .सम्यक स्मृति ,🌹 🌹8 .सम्यक समाधि ।🌹 आठ पैहर 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 नमो बुद्ध शिव 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 जय सतगुरु जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 सबका मंगल हो! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 साधु! साधु! साधु! 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
@adcraft5828
@adcraft5828 6 күн бұрын
चंगे मंदे सब तेरे बंदे सबका कल्याण करना ।
@RoshanLal-fo1lw
@RoshanLal-fo1lw 6 күн бұрын
Sahib bandhi satnam ram ram ji dhanyabad ji
@RinkalParmar-t8s
@RinkalParmar-t8s 6 күн бұрын
Sahib Bandagi satnam ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙇‍♀️🙇‍♀️🙇‍♀️🙇‍♀️🙇‍♀️🙇‍♀️🙇‍♀️💐💐💐💐💐🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌷🌷🌷🌷🌷🌷
@क्रांतिविर
@क्रांतिविर 6 күн бұрын
जय सत नाम साहेबजी अंड पिंड ब्राह्मड किसे कहते है शंका का समाधान किजिये साहेब बंदगी
@keshavparmar5981
@keshavparmar5981 6 күн бұрын
सतनाम साहेब बंदगी साहेब जी 🌹🤲🌹
@tecnicaldevanda9649
@tecnicaldevanda9649 6 күн бұрын
साहेब बन्दगी सतनाम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
@purnanandatri4112
@purnanandatri4112 6 күн бұрын
मुक्तामणि महाशय बंदी छोड़ सतगुरु नितिन साहब की सदा ही जय हो साहिब बंदगी सतनाम जय सतनाम❤❤❤❤❤❤❤
@ushasharma2068
@ushasharma2068 6 күн бұрын
🌺🌺🤲🤲🙏🙏❤️😇👌
@UKCcharan
@UKCcharan 6 күн бұрын
🌹🙏🌹🙏🌹🙏
@LalChand-vi6sg
@LalChand-vi6sg 6 күн бұрын
Sahib Bandagi Satnam 🌹🙏🌹 साहिब जी
@shashibenparmar6611
@shashibenparmar6611 6 күн бұрын
Jay satnam saheb bandagi ji।
@RameshKumar-mb9kq
@RameshKumar-mb9kq 6 күн бұрын
जय सतनाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@bhagatsinghrathor8050
@bhagatsinghrathor8050 6 күн бұрын
सत साहेब साहेब बंदगी सतनाम जी गुरु भाई को ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@bhagatsinghrathor8050
@bhagatsinghrathor8050 6 күн бұрын
सत साहेब साहेब बंदगी सतनाम जी गुरु भाई को ❤❤❤❤❤❤❤❤
@samadhansakhare4130
@samadhansakhare4130 6 күн бұрын
साहेब बंदगी सतनाम जी🙏🙏🙏🙏🙏
@NareshKumar-u5z
@NareshKumar-u5z 6 күн бұрын
❤ साहिब बंदगी सतनाम जी जय हरियाणा
@tarachandparsoya5517
@tarachandparsoya5517 6 күн бұрын
👍👍👍👍🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@प्रदिपपांडुरंगडांगे
@प्रदिपपांडुरंगडांगे 6 күн бұрын
साहेब बंदगी सतनाम साहेब जी 🌹🤲🌹🙏🙇❤️💯✔️
@Atma_pramatma
@Atma_pramatma 6 күн бұрын
Bhai ji sahib bandgi sat Nam ji 🙏
@AmrendraMaurya-zv4hy
@AmrendraMaurya-zv4hy 7 күн бұрын
अरे मूर्ख अपना चेहरा तो दिखा देता
@UKCcharan
@UKCcharan 7 күн бұрын
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
@rekhasahni4946
@rekhasahni4946 7 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@hiteshpundir6503
@hiteshpundir6503 7 күн бұрын
Saheb bandagi satnam guruji koti koti pranam 🙏🌹🙏💐🙏🌹🙏💐