"Samaysaar Gatha"  90 & 91  -Dt 11 -12 -24
49:27
Samaysaar Gatha -69 Dt. 31/07/24
56:51
Пікірлер
@shubhamdubey9477
@shubhamdubey9477 15 күн бұрын
Great information
@manojtiwari5959
@manojtiwari5959 15 күн бұрын
Very nice
@ikihsio1064
@ikihsio1064 15 күн бұрын
Quite insightful! Hope more research is done on this. 🎉
@nikhiltiwari4953
@nikhiltiwari4953 15 күн бұрын
Very nice
@shivamdubey709
@shivamdubey709 15 күн бұрын
Thank you
@juhidubey8626
@juhidubey8626 15 күн бұрын
Very informative
@shivamdubey709
@shivamdubey709 15 күн бұрын
Thank you
@shantisinha5033
@shantisinha5033 15 күн бұрын
nice presentation
@shivamdubey709
@shivamdubey709 15 күн бұрын
Thank you sir
@raishivaji50
@raishivaji50 15 күн бұрын
Very informative❤
@shivamdubey709
@shivamdubey709 15 күн бұрын
Thanks 🎉
@jaysoni2677
@jaysoni2677 17 күн бұрын
A clear and very understandable presentation of a problem that concerns all living beings. The examples from daily life add to the clarity of the enlightening talk. Thank you Dr Dharm Chand Jain Ji.
@vinodkumarjain3957
@vinodkumarjain3957 5 ай бұрын
Amazing content 🌻🌻🌻🌻🌻
@vinodkumarjain3957
@vinodkumarjain3957 6 ай бұрын
Amazing explanation
@sugumaranbharatharaj1163
@sugumaranbharatharaj1163 7 ай бұрын
samyegdhardhan ji
@komalmotta4618
@komalmotta4618 7 ай бұрын
Very good going You should learn about dravya gun paryay Anekantvad Shyadvad Very interesting you will get more knowledge from this siddhants about real Jainism
@DilipJaindjed
@DilipJaindjed 7 ай бұрын
Pls watch and comment. Ab poore vishwa main kyon vyapt nahi hai?
@vikkramkumar9362
@vikkramkumar9362 7 ай бұрын
Jain धर्म एक समय में पूरे विश्व में व्याप्त था ।
@vikkramkumar9362
@vikkramkumar9362 7 ай бұрын
माफ कीजिएगा भाईसाहब आप ऐसा कैसे कंपेयर कर सकते है जैन धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है, आप इस की तुलना बौद्ध धर्म से कैसे कर सकते है ।
@TheNivzPod
@TheNivzPod 8 ай бұрын
Nice work Sir
@rajulgosalia8460
@rajulgosalia8460 8 ай бұрын
Jai jinendra
@vinodkumarjain3957
@vinodkumarjain3957 8 ай бұрын
Superb Great effort to bring d content in organised way Thanks for it ⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️
@msgogate
@msgogate 8 ай бұрын
Nice presentation and content ❤
@veenajain4529
@veenajain4529 8 ай бұрын
देश का सच्चा इतिहास देश के सामने आना चाहिये । चाहे वह किसी भी धर्म और जाति से हो इतिहास पर मिट्टी डालने से बचना सच्चाई ‌ छिपती नहीं किसी के छिपाने से धरती फाड़कर सामने आती है किसी बहाने से।
@veenajain4529
@veenajain4529 8 ай бұрын
Jis din Desh se jain dharam khatam hoga usi din se desh mai hinsa ka tandav shuru hoga Manav manav ko khana shuru ho jayega qyonki ahinsa per😊y bishesh jor sirph Jainism mai hi hai baidikdharm mai ahinsa per koi vishesh bal nahi diya Gaya hai
@jotvakalpesh2968
@jotvakalpesh2968 8 ай бұрын
Juth mat falao lothal me se agni vedikae mili he
@jsg5692
@jsg5692 8 ай бұрын
समण परंपरा ही पुरातन है। वैदिक परंपरा पुरातन है ही नहीं। समण परंपरा गौतम बुद्धके समयसे पहले से ही चली आ रही है लगभग ८ वी सदी तक, और उनकी भाषा पाली प्राकृत थी, जो सम्राटोके शिलालेख, स्थंभलेख, ताम्रपत्र, मुद्राएं आदि पर लिखी मिलती है। सिंधुघाटी सभ्यता शहरी सभ्यता थी वह कौन थे? उनकी कौनसी भाषा/लिपि थी ? वह आजतक कोई पढ़ नहीं पाया है। इसलिए भारतके इतिहासकारों वैदिक परंपराको सिंधुघाटी सभ्यता और गौतम बुद्धके समयके बीच जबरदस्तीसे घुसेड़ रहें हैं। लेकिन वैदिक परंपरा ग्राम्य सभ्यता थी शहरी सभ्यता कभी भी नहीं थी। और वैदिक सभ्यता संस्कृत भाषा ही बोलती थी। वेदों आदि संस्कृत भाषामें ही लिखे गए हैं और उसकी लिपि देवनागरी लिपि है। लेकिन संस्कृत भाषा सिंधुघाटी सभ्यता और गौतम बुद्धके समयके पीरियडमें थी ही नहीं। अगर होती तो बुद्धके समयसे ८ वी सदी तक कहीं भी शिलालेख, स्थंभलेख, ताम्रपत्र, मुद्राएं आदि पर लिखी मिलती लेकिन नही मिलती। सिंधुघाटी सभ्यताकी कौनसी भाषा थी वह आजतक कोई पढ़ नही पाया तो उसके समयमें या उसके समयसे पहले संस्कृत भाषा हो ही नहीं सकती। अगर होती तो सिंधुघाटी सभ्यतामें संस्कृत भाषा लिखी मिलती। पाली प्राकृत भाषासे संस्कारित होके संस्कृत भाषा लगभग ८ वी सदी और १२ वी सदी दरमियान अस्तित्वमें आई है। इसलिए १२ वी सदीके बाद ही सभी वैदिक/ब्राह्मण ग्रंथो लिखे गए हैं वह भी ज्यादातर मुगलकाल और अंग्रेजकालमें। ऋगवेद जो अति प्राचीन माना जाता है उसकी पहली भोजपत्र लिखित प्रत सन १४६४ की मिली जो यूनेस्को में दर्ज की गई है। यूनेस्को ही पुरातन दस्तावेज साइट स्ट्रक्चर्सको वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करती है। इसलिए बाकी के तीन वेद, उपनिषद, पुराण, उपपुराणों, रामायण महाकाव्य, महाभारत आदि बादमें ही लिखे गए होंगे !!! इसलिए सभी ब्राह्मण ग्रंथो मुगलकाल और अंग्रेजकालमें ही लिखे गए हैं। गौतम बुद्धसे पहले २७ बुद्ध हुए हैं,जिसका प्रमाण बौद्ध गुफाओंमें ७ बुध्धोका प्रमाण मिलता है और उत्खननमें भी मिलता है। महावीर स्वामीके पहले २३ तीर्थंकर हुए ऐसा ग्रंथोमें है लेकिन ऐतिहासिक और पुरातात्विक कोई प्रमाण नहीं मिलता। इसलिए मान्यता आधारित मिथक ही है। ऐसा ही वैदिक धर्ममें वेदोंमें प्रमुख देवता इंद्र सूर्य अग्नि वरुण सोम मित्र आदि देवताओं है। ब्रह्मा विष्णु महेश शिव गणेश दुर्गा काली लक्ष्मी सरस्वती आदि देवता है ही नहीं। जो मान्यता आधारित मिथक ही है। बौद्धोंकी महायान और वज्रयान शाखामें बोधिसत्व अवलोकितेश्वरके अनेक स्वरूपों, बोधिसत्व तारादेवी, बोधिसत्व मंजुसरीदेवी, बोधिसत्व महामाया आदिकी अजंता एलोरा, एलिफेंटाकी गुफाओमें प्रमाण मिलता है। ८ वी सदीके बाद आदि शंकराचार्यके समय ब्राह्मणोंने बौद्ध विहारों पर कब्जा करके उन बोधिसत्वोकी मूर्तियांको ब्रह्मा, विष्णु महेश, शिव, गणेश, दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती आदि बनाके पूजने लगे हैं जो वैदिक परंपराके बिलकुल विरुद्ध है। क्योंकि वैदिक धर्ममें मूर्तिपूजा है ही नहीं और वैदिक धर्म में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शिव, गणेश, दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती आदि देवता है ही नहीं।मूर्तिकला सिर्फ महायान और वज्रयान शाखाके बौद्धोकी ही है। भारतके सिवा अन्य देश अफगानिस्तान, तिब्बत, चीन, बर्मा, थाइलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया आदि देशोंमें जहां जहां मूर्तियां मिलती है वह सभी बौद्धोंकी महायान और वज्रयान शाखाके बोधिसत्वोंकी ही मूर्तियां है, जिसे लोग वैदिक/सनातन/हिंदू धर्मके देवता मानते हैं जो झूठ है।
@ramkumar-bb1fq
@ramkumar-bb1fq 8 ай бұрын
@dharmeshshah6137
@dharmeshshah6137 8 ай бұрын
Dhnyawad for pure true knowledge....
@probalghosh8448
@probalghosh8448 9 ай бұрын
Thank you Mahesh, so many new information and very well explained.
@dharmeshshah6137
@dharmeshshah6137 9 ай бұрын
Thanks for the valuable information. Dhnyawad
@waldwassermann
@waldwassermann 9 ай бұрын
love
@amitjain9389
@amitjain9389 9 ай бұрын
🙏
@जैनागमकाखजाना
@जैनागमकाखजाना 9 ай бұрын
जितनी बार सुना, उतनी ज्यादा उपलब्धि हासिल हुई. साध्वी सम्बोधि श्री
@जैनागमकाखजाना
@जैनागमकाखजाना 9 ай бұрын
अत्यंत सरल रूप से गहरी बातें समझाई आप ने!! साध्वी सम्बोधि श्री
@जैनागमकाखजाना
@जैनागमकाखजाना 9 ай бұрын
बहुत ही सुन्दर ! साध्वी सम्बोधि श्री
@जैनागमकाखजाना
@जैनागमकाखजाना 9 ай бұрын
चित्रों से सरसता और अधिक लुभावनी बन गई है. सधन्यवाद ! साध्वी सम्बोधि श्री
@arihantonkivirasat6482
@arihantonkivirasat6482 9 ай бұрын
अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है. धन्यवाद!! साध्वी सम्बोधि श्री
@NETKINGSHUBHO
@NETKINGSHUBHO 10 ай бұрын
LUND RESEARCH BY A CONVERT
@sugumaranbharatharaj1163
@sugumaranbharatharaj1163 10 ай бұрын
jai jinendra
@amitjain9389
@amitjain9389 10 ай бұрын
It is an interesting topic but has flaws in some aspects (like not believing that Lok/Alok exists). Also, it feels Einstein's theories are being used to validate Jain principles. Some of it might be true but if doesn't follow Einstein's model it can't be false. The presentation flow was bit unorganized and was difficult to follow along. Can you pls share the slides ?
@iitiim200
@iitiim200 10 ай бұрын
Very interesting
@amitjain9389
@amitjain9389 10 ай бұрын
Can you pls share the slides for this session. It was an Excellent lecture.
@akashjain1201
@akashjain1201 10 ай бұрын
I had read this document prepared by Dr.aAnekant Jain an year before.
@amitjain9389
@amitjain9389 10 ай бұрын
Excellent presentation. Is it possible to have another session in English. I understood high level but I'm interested in more details.
@amitjain9389
@amitjain9389 11 ай бұрын
Where can I find the article to read more.
@akashjain1201
@akashjain1201 10 ай бұрын
share your email id and I would send the relevant document.
@vinodkumarjain3957
@vinodkumarjain3957 11 ай бұрын
Great content ❤️❤️❤️❤️❤️
@vinodkumarjain3957
@vinodkumarjain3957 11 ай бұрын
⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️
@srebalanandasivam9563
@srebalanandasivam9563 11 ай бұрын
St. Appar went to Madurai only after the victory of boy saint Sambandar in the debate against the Jainas. The chronology and details of several events in the talk are erroneous.
@manishjain113
@manishjain113 11 ай бұрын
Appar happened (born) in 570 AD and died in 650 AD, whereas Sambandhar happened in time of King Arikesari (Koon) Pandian whose ruling time is between 670 to 700 AD, so Sambandar was invited in that time frame only, and because Sambandar lived only for 16 years of age, so, there is no possibility that Appar and Sambandar were happened in same time or met with each other or even invited at same time by anyone.
@srebalanandasivam9563
@srebalanandasivam9563 11 ай бұрын
Appar lived for 81 years and was born circa 590ad and passed away in 671ad. Sambandar lived for only 16 years but he ended both the Mathiri and Mylapuri sanghas of digmabaras and yapaniyas respectively by 650ad. He converted many feudal lords and kings back to Saivism. Ninraseera Pandiya (formerly Koona Pandiya) ruled between 640ad and retired in 670ad. His son Ranadhira Kochadaiyaan takes over in 670ad as evidenced by the battle of Mangalpura in 674ad and related inscriptions. All these personalities met each other else Tamil history won't move forward. I'm in Shailendra ji WhatsApp group. I'll contact you sir
@srebalanandasivam9563
@srebalanandasivam9563 11 ай бұрын
Not all pandya kings were jainas. Only the Kalabhra kings were atheists with jaina or ajivika persuasions
@manishjain113
@manishjain113 11 ай бұрын
As per inscriptions found in all the caves and also confirmed with various literary sources of different sects - Pandyas were either Jains or patronized Jainism until Cholas influence. Only Arikesari (Koon) Pandian had persecuted Jains, but, later (in 9th century), Jain Acharya Ajjanandi again revamped jainism there just like earlier, and have created all Jain Tirthankara Scluptures in more than 10 jain caves in and around Madurai, inscriptions prove that fact, too.
@srebalanandasivam9563
@srebalanandasivam9563 11 ай бұрын
Pandyas were tolerant towards jaina religion ofcourse. But kings between Kochadaiyaan 670ad and Nedunchadaiyaan 767ad were staunch Saivas. Saint Ajjanandi, the jaina revivalist worked from arcot to kanniyakumari in the ninth century ad, but he could not restore the old glory again.
@manishjain113
@manishjain113 11 ай бұрын
Yeah, but, kings allowed to create, construct temples/sculptures again and started to patron after serious efforts of Monk Ajjanandi, yeah, I agree, the old glory up to that level could not be achieved, but, he had suceeded to regain from almost zero to at good level.
@srebalanandasivam9563
@srebalanandasivam9563 11 ай бұрын
@@manishjain113 all credit to his holy mother Gunamathiyar who brought up her child Ajjanandi to become a jaina revolutionary. His story is extraordinary especially when he was straddling between the Adi Saivite Pallava and Veera Saiva Pandiya lands.
@vinodkumarjain3957
@vinodkumarjain3957 11 ай бұрын
Super content Thank d speaker ⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️
@VolunteerManishJain
@VolunteerManishJain 11 ай бұрын
Thank you very much sir. I will try the best in future.
@indiraparekh242
@indiraparekh242 Жыл бұрын
Very nicely explained
@akashjain1201
@akashjain1201 Жыл бұрын
A worthwhile presentation about the description, relationship and historic/pre-historic existence of Sraman Dharm in Ayodhya. The antiquity about Jaina Darshan & Aadinath Bhagwan has been stated incorrectly. However, the scholar has the right to express his observation. But should continue to understand Darshan/Philosophy deeply and then interpret the archaeological heritage.
@sachinsaraf250
@sachinsaraf250 Жыл бұрын
सोनवणी सर का इतिहास अभ्यास बहुत गहरा हैं