मानव की सेवा ही वास्तविक अर्थ में ईश्वर की सच्ची पूजा है। सेवा और परोपकार ही मानव जीवन का असली सौंदर्य, जीवन की सार्थकता व सेवा ही जीवन का आधार है l मनुष्य जीवन का लक्ष्य सेवा कार्य ही है। स्मरण रहे कि मानवता की सेवा करने से बेहतर कोई दूसरा कार्य नही हैं। हमें समाज के कल्याण के लिए सेवा कार्य अवश्य करने चाहिए। सेवा और परोपकार मानव जीवन की असल शोभा और शृंगार है। दूसरों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे तो जीवन में सुख-शांति सकून जरूर मिलती रहेगी दूसरों की भलाई करके देखें सकून और खुशी जरूर मिलेंगी I किसी ने खूब कहा है- भलाई करते रहिए बहते पानी की तरह, बुराई खुद ही किनारे लग जायेगी कचरे की तरह। भारतीय संस्कृति में विश्वास करने वाले बहुत से लोग कहते है कि जो 100% सत्य भी है कि सिर्फ अच्छाई और भलाई ऐसी इनवेस्टमेंट है, जो कभी बेकार नहीं जाती हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथ गीता और रामायण प्रेरित करती हैं कि दूसरों का भला करो, ये भलाई कभी न कभी, किसी न किसी रूप में, लौट कर वापस ज़रूर आएगी I भारतीय संस्कृति का मूल आधार ही दूसरों की भलाई है। आओ मिलकर खुशियाँ बांटते हैं एक स्वेटर पहना देते हैं उसे भी जिनके शरीर ठंड से कांपते हैं एक जोड़ी जूते दे देते हैं उनको जो ठंड में नंगे पैर सड़क नापते हैं I दोस्तों,अपनी नेक कमाई से इस सर्दी में अपने आस पास जरूरतमंदों को स्वेटर, शाल या जूते जरूर दान करे अगर मैं किसी के दुःख को मिटा नहीं सकता या हल्का नहीं कर सकता या मेरी मौजूदगी किसी के लिए राहत का सबब नहीं बनती तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता मैं कितना गुणी या महान हूँ I स्वामी विवेकानंद का मानना था कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। इसलिए हमें जरूरतमंद मनुष्यों की सेवा और सहायता करनी चाहिए, जिससे समाज और राष्ट्र का कल्याण हो सके। दूसरों की मदद करके जो खुशी और शुकून मिलता है ना वो अद्भुत और असीम होता है। जीना और जिंदगी इसी का नाम हैं। दोस्तों, जब आप किसी की मदद करते हैं तो ईश्वर आपकी मदद करता है। हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहो। 'कर'भला तो, हो भला,अंत भले का भला 21बार रक्तदान कर चुके युद्धवीर सिंह लांबा,अध्यक्ष“मां-मातृभूमि सेवा समिति”वीरों की देवभूमि धारौली कोसली-झज्जर रोड़, हरियाणा 9466676211