खींवादास जी जैसे संत सौ 200 वर्ष में एक बार आते हैं। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। बाबा जी अपने खुद के बनाए भजन ही ज्यादा गाते थे। बहुत कम स्कूली शिक्षा के बावजूद उनकी समझ, विवेक बुद्धि, और ब्रह्म ज्ञान बड़ा ऊंचे दर्जे का था। उनका शरीर बहुत ही देदिव्यमान था। बड़े उदार और क्षमाशील थे। बजरंग बलाई, जितेंद्र बलाई, भवानी सिंह और प्रह्लाद सिंह के टेलीफोन नंबर लिखो।