अन्य ध्यान पद्धतियां कहती हैं-‘पहले ज्ञान, फिर ध्यान’। ध्यान योगी डॉ. शिवाचार्य कहते हैं कि ध्यान के बिना अर्जित ज्ञान मात्र शाब्दिक ज्ञान है, सूचना है। आज हमारा मस्तिष्क सूचनाओं का वैसा ही प्लेटफार्म बन गया है जैसे कम्प्यूटर | गूगल सर्च करो ओर दुनियाभर की शाब्दिक जानकारी प्राप्त कर लो, पर अनुभूति इसमें मिसिंग है। ऐसा ज्ञान शुष्क और मृत होता है। ध्यान योगी डॉ. शिवाचार्यजी ने आत्म ध्यान को ध्यात्मिक बना दिया है। पिछले तीन दशक में उन्होंने हजारों ध्यान शिविरों में लाखों लोगों को आत्म ध्यान करवाया है। डॉ. शिवाचार्यजी कहते हैं-जैसे संगीत की कोई परिभाषा नहीं होती, धर्म नहीं होता वैसे ही ध्यान भी भाषा और धर्म के हर बंधन से मुक्त है।
Connect with us :
🌏 www.jainacharya.org
📧
[email protected]🌎 facebook.com/shivmuni
🌎 instagram.com/acharyashivmuniji
🎥 kzbin.info
🌎 www.blogger.com/acharyashivmuni
📱WhatsApp: whatsapp.jainacharya.org
📱 Contact No : 9350111542
प्रवचन प्रतिदिन
📺पारस चैनल पर रात्री 8.20 से
📺आत्मा चैनल पर रात 9 बजे से।