सर हम जिस ब्रह्माण्ड में रहते है और ब्रह्माण्ड जिस स्पेस में है और जिसमें ब्रह्मांडो का जन्म होता है वो इतनी सारी स्पेस किस चीज के अंदर है या बाहर है आप कुछ जानकारी उसपे दे सकते है🙏🙏🙏
@chunnulalsahu2695 сағат бұрын
माया से बद्ध मनुष्य कितना ही अपनी बुद्धि द्वारा व्याख्या करे होना कुछ नही। जगत मिथ्या का अनुभव सिर्फ आत्म विज्ञानी को ही होता है बाकि सब लोगों के लिए बुद्धि का विलास मात्र है ।क्या चित्र के भोजन से भूख मिट सकती है?
@santkumar-qb7nr6 сағат бұрын
Illuion is fifty one ,forty nine is planned by natural phenomena qualities seems like when observing deeply. 😅 natural
@Kojagariblog6 сағат бұрын
@@santkumar-qb7nr Thanks for watching and sharing your thoughts!
@laxmangaikwad78599 сағат бұрын
🙏
@Kojagariblog9 сағат бұрын
@@laxmangaikwad7859 Thanks for watching and sharing your thoughts!
@jayatewari127216 сағат бұрын
देखिए माया, माया, माया क्या है माया। माया दिवानी,तेरी जवानी पूछे हैं ज्ञानी। कलयुग में आना,तेरा कैसे हुआ। राजा रंक और भिखारी, नेता और बढ़े व्यापारी , क्या है तेरी ऐसी लाचारी कैसे पड़े तेरे पीछे अंजानी पूछे है ज्ञानी कलयुग में आना तेरा कैसे हुआ।
@Kojagariblog9 сағат бұрын
@@jayatewari1272 Thanks for watching and sharing your thoughts!
@kks840817 сағат бұрын
अरे भाई तु हिंदु हिन्दू कों बाटने की कोशिश मत कर बुद्ध कों हमारे देश-के पीएम भी मानते जानते हैं जनता भी मानती हैं कोई राम कोई कृष्ण कोई बूधधको अवतार भी मानते हैं ,, डोफे
@uઆર18 сағат бұрын
Bodha kohi bhagvan bhim juth bhik ram ko lakho varsh hu bhsgvan kisna 6000 varsh hu tere budha 800 sak ak sadhu tha kohi bhsgvan tha
@jainshalabh20 сағат бұрын
Thumbail is misleading. It says आत्मा नहीं, तो पुनर्जन्म किसका? But nowhere in the video, you talked abt it.
@ManKash-mkКүн бұрын
World real hai...
@KojagariblogКүн бұрын
@@ManKash-mk Thanks for watching and sharing your thoughts!
@LalitKishore-ym5qpКүн бұрын
आपने सही बताया लेकिन ये भ्रम अभी भी बना हुआ है कि सामने जो कूलर है वो एक कूलर है या भ्रम है.
@KojagariblogКүн бұрын
@@LalitKishore-ym5qp Thanks for watching and sharing your thoughts!
@bhupeshpathak9967Күн бұрын
मुंह में पानी आ गया भाई 😊.
@ChekrajsinghКүн бұрын
वेज वीडियो बनाइये सर, नॉनवेज…
@ChekrajsinghКүн бұрын
Lucknow ख़ान पान तहज़ीब
@ChekrajsinghКүн бұрын
क्या बात है
@anahatyatraКүн бұрын
❤
@ridima2591Күн бұрын
🎉
@ProfDilipYDhaleКүн бұрын
At the time of Buddha there is no any scientific archeologic evidence of vedas
@GhoomantooКүн бұрын
Then how Budhha disavowal Vedas and studied Sankhya darshan.😂
@Istories568Күн бұрын
Yahi baat mai sochta hu,, jab budh nastik hai,,, ye punar jaman me kyo uljhe hai,,, Aur to aur unke punar janm ke kahaniyan bhi hai,,, Jatak kahaniya😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅 Fir sochta hu,, shayad yahi vajah hai unka naam gautam se budh ho gya 😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅
@tushargoyal450Күн бұрын
India startup is just a copy paste models of foreign business 😂
@BhupeshPathak-y7tКүн бұрын
Sundar vyakhya
@bhupeshpathak9967Күн бұрын
अद्भुत ❤
@sushmamalviya-b2h2 күн бұрын
Unique presentation
@Kojagariblog2 күн бұрын
@@sushmamalviya-b2h Thanks for watching and sharing your thoughts!
@ShrawanSaazOfficial2 күн бұрын
मुझे लगता धर्म पर आप का अध्ययन है लेकिन गलत इतिहास पढ लिए। बुद्ध से पहले वेद का प्रमाण दे दीजिए। किस लिपि में वेद की रचना हुई? वेद की रचना किस सदी में हुई? ऐतिहासिक प्रमाण क्या है?
@Kojagariblog2 күн бұрын
@@ShrawanSaazOfficial आपकी असहमति का स्वागत है मित्र । संवाद की सदैव गुंजाइश है । thanks for watching.
@GhoomantooКүн бұрын
बुद्ध ने अंबेडकर के साथ बैठकर संविधान लिखा था 😂
@ShrawanSaazOfficialКүн бұрын
@@Ghoomantoo अंग्रेजों ने कहा था संविधान लिखिए तो सांवर और तिलक लिख लिख कर फाड़ क्यों देते थे। लिखते थे ब्रह्मण के एक वोट 100 वोट के बराबर,क्षत्री का एक वोट 50 वोट के बराबर वैश्य के एक बराबर 25 शूद्र को तो अधिकार ही नहीं। तब अंग्रेज बोलते थे ये क्या लिखा है आप ने ? फिर फाड देते।यानी मनु महाराज पीछे नहीं छोडते थे। तब बाबा साहब ने लिखा।
@vilasgatkal26742 күн бұрын
कुशाणानी 4 थ्या बुद्ध संगतीत महासंघिक या शाखेला बरोबर घेवून महायान ही एक नवीन बुद्ध शाखा अस्तित्वात आणली. या शाखेने सर्व विदेशी समुदायाच्या देव/देवी/देवता यांनाही मान्यता दिली. सर्वात महत्वाचे बोधीसत्व हे अवलोकितेश्र्वर बुद्ध (पद्-म पाणी) , स्त्री आणि पुरुष या दोन्ही रुपात, यांना 108 नावे होती, यांच्या शरीरातील विविध अवयावतून या सर्व देव/देवी/देवता यांचा जन्म झाला अशी मान्यता होती, उदा. ब्रम्हा, विष्णू, महेश, शिव, नीळकंठेश्र्वर, अर्धनारेश्र्वर, भोलेनाथ, रुद्र, नारायण, इंद्र, वरुण, कालीमाता, महालक्ष्मी व लक्ष्मी ई. हे सर्व इसवी सणाच्या पहिल्या शतकात व त्या आधी घडलेल्या घटना आहेत. याच काळात या विदेशी मंडळीच्या भाषेचा प्रभाव पडून पाली भाषेचे रूपांतर हायब्रीड बुद्धिस्ट संस्कृत भाषेत झाले. (आजची क्लासिकल संस्कृत हिचेच अद्यावत रूप) याच महायान शाखेतून पुढे वज्रयान-तंत्रयान या शाखा उभ्या ठाकल्या. पूर्व-ईशान्य-आग्नेय कडील बहुतांश देशांत जसे चीन-तिबेट-कोरिया-जपान-मंगोल- इंडोेनेशिया- मलेशिया- फिलिपाईन्स ई. बुध धर्माचा प्रसार केला गेला. गणेश म्हणून ज्या देवतेची अर्चना आपण करतो त्या देवतेला तेथील लोक एलिफंटा हेडेड बुद्ध असे संबोधतात.
@vilasgatkal26742 күн бұрын
भारताचा (जम्बुदीप) ज्ञात इतिहास कळतो तो ई. सण पूर्व 6व्या शतकापासून; सम्यक संस्कृती मानणारा वर्ग; मुख्यत्वाने सांख्य (कपिल), चार्वाक/लोकायण (कांबळी), बुद्ध, बुद्धिस्ट-जैन व आजीवक(गोशाल) ई. दर्शण, जी की प्रकृती-प्रती कृतज्ञता व्यक्त करणारी, ईश्वर-आत्मा तत्वांना न मानणारे. (बुद्ध टिप्पणी करीत नाहीत तर जैन फक्त आत्मा मानत) वैज्ञानिक अधिष्ठान असल्यामुळे बुद्ध-धम्माचे चलन अधिक होते. पाली व अर्ध मागधी भाषा आणि धम्म(बंभी/ब्राम्ही) व अन्य काही लिपी अस्तित्वात होत्या. धम्म (नीती-नियमानुसार आचार विचार) आणि धर्म यांची परिभाषा वेगळी आहे. धम्म जाणून घेणे यावर भर देतो तर धर्म मानणे यावर.. समाज मुख्यतः 3 भागात विभागलेला: कृषक, पशुपालक व कारागीर, या समाज घटकामधून तत्वज्ञानी, निरीक्षक-गुप्तचर, प्रशासक व सैनिक निवडले जात. तत्वज्ञानी हे दोन भागात विभागलेले, एक बमण(विद्वान) आणि दुसरा समण(भिक्षू), हे देशोदेशी भ्रमण करत, समाजाला आचार विचारांचे महत्त्व पटवून देत असत; समण यांची उर्ध्व-अवस्था म्हणजे बमण. ई. सण पूर्व काळात साधारणतः 6 व्या शतकात प्रथमतः आपल्या शेजारी असलेल्या पर्शियन साम्राज्याने (सायरस द्वितीय) भारताच्या सीमांत भागात अतीक्रमन केले.. ई. सण पूर्व 4थ्या शतकात बुधधम्म दोन शाखेत विभागाला, एक हियान (थेरवाद) की जे गोतम बुध यांच्या आचार-विचारावर अंमल करीत, अरिहंत यांनाही मानाचे स्थान जसे जैन धम्मात आहे. तर दुसरी महसंघिक-चैत्यवादी शाखा, परिवर्तनीय आचार - विचार सरणी. बुद्धा प्रमाणेच बोधीसत्व यांनाही मानाचे स्थान, परंतु अरिहंत यांना विशेष दर्जा नव्हता. याच शतकात, अलेक्झांडर (सिंकदर) या ग्रीक राजाने भारतावर आक्रमण करण्याचा अयशस्वी प्रयत्न केला, सीमांत प्रदेशातूनच त्याला पाठी फिरावे लागले. असे असले तरी पर्शियन साम्राज्य आणि भारताच्या काही सीमांत प्रदेशावर ग्रीक यांचेच अधिपत्य होते. अलेक्झांडर यांच्या पश्चात सेनापती सेल्युकस निकेटर यांनी या भागाचा राज्य कारभार हाती घेतला. युद्धात चंद्रगुप्त मौर्य यांनी राजा सेलुकस यांना परास्त केले, राजकीय समीकरण यास्तव सेलुकस कन्या व चंद्रगुप्त मौर्य विवाहबद्ध झाले, यानंतर रोटी- बेटी व्यवहार या दोन्ही संस्कृतीत सुरू झाले, या समुदायालाच आपण इंडो-ग्रीक असे संबोधतो. असोक या मौर्य चक्रवर्ती सम्राटाने तर इराणचा काही भाग या इंडो-ग्रीकाकडून युद्धात जिंकून घेतला, या काळात इराण, इराक, इजिप्त, तुर्कस्थान, श्रीलंका, म्यानमार ई. देशात बुद्धधम्म पोहचला होता. मौर्य सम्राट बृहद्रथ यांच्या आकस्मित निधनानंतर इंडो-ग्रीकांनी उत्तर भारतावर आक्रमण केले व त्यांचे साम्राज्य प्रस्थापित केले. युरेशिया येथून आलेल्या सिथिअन(शक) यांनी या इंडो-ग्रीकांना परास्त करत पर्शिया व उत्तर भारत त्यांच्या अधिपत्याखाली आणला, तदनंतर आलेल्या पर्थियन(शक यांचीच 2री शाखा) यांनी या सिथिअन समुदायाचा बऱ्याच ठिकाणी बीमोड केला. यानंतर आलेल्या कुशाण यांनी सीथियन व पर्थीयन समुदायाला परास्त करत भव्य साम्राज्य प्रस्थापित केले, चीनचाही काही भाग अधिपत्याखाली आणला होता. कनिष्क हा कुशाण राजा प्रसिद्ध आहे. नंतर आले ते हूण, ते काही भागा पुरतेच मर्यादित राहिले. हे आक्रमणकारी व यांच्याबरोबर आलेले अन्य समुदाय जसे सुमेरियन, इजीप्तशियन, इराणी, तुर्की, ज्यू ई. यातील बहुतेक इथेच स्थायिक झाले, बहुतेकांनी बुधधम्म स्वीकारला.
@ShrawanSaazOfficial2 күн бұрын
very informative video.लेकिन वेद में भी चारवाक हैं बताया तो please किस वेद के किस page में है। वेद तो 9वीं शताब्दी बाद की रचना है।क्योंकि न ही वेद न ही वैदिक काल का कोई ऐतिहासिक प्रमाण मिला है । अगर मिला है तो बताइए ।
@Kojagariblog2 күн бұрын
Thanks for watching and sharing your thoughts!
@visfot15 сағат бұрын
नौंवी नहीं उन्नीसवीं सदी कहिए। या फिर 2014 भी कह सकते हैं। मोदी के आने के बाद वेद लिखे गये हैं।
@HarrisNepali2 күн бұрын
❤
@Kojagariblog2 күн бұрын
@@HarrisNepali Thanks for watching and sharing your thoughts!
@anahatyatra2 күн бұрын
🎉
@Kojagariblog2 күн бұрын
@@anahatyatra Thanks for watching and sharing your thoughts!
@P.K.B-u7g2 күн бұрын
Pahle aachhe taara se pad lo fir baat karna
@ashishkumar-ml3dc2 күн бұрын
तथागत बौद्ध के बाद ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। ये धरती सूरज और चांद तारों का निर्माण हुआ😅😅😅😅😅
@arjunPandit-gk7kk2 күн бұрын
Bahut sundar prastutikaran
@Kojagariblog2 күн бұрын
@@arjunPandit-gk7kk thanks for watching.
@anujkishor90332 күн бұрын
Har ek system important hai aur dharm bhi ek system hai.
@Kojagariblog2 күн бұрын
Thanks for watching and sharing your thoughts!
@rakeshbharti54852 күн бұрын
(यह कविता किसी भी कवि का हो, मग़र बहुत ही श़ानदार एवं ज़ानदार है, आदरणीय कवि Sir को बहुत-बहुत साधूवाद् हो) जी करता है दिखा दूँ, सीना चीर के! कलेज़ा छलनी हुआ पड़ा है, मनुवाद के तीर से !! हमारे पूर्वज राक्षस और राक्षसों के, अवतार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से, काछी-कुर्मी और कुम्हार हो गये !!!!✍️ ये यूरेशियन भारत में शरणार्थी बन कर आये थे! रोटी भी हम लोगों से माँग कर खाये थे !! फिर धीरे-धीरे वो हमारे, कबीलों के सरदार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से पाल और कलार हो गये !!!!✍️ हमारी संस्कृति और सभ्यता को मिटाया था ! जान ना लें हक़ीक़त इसलिए, हमारा इतिहास भी जलाया था !! रहते थे जो फ़िरंगी मेहमान् बन कर वो राजा, वज़ीर और सूबेदार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से कहार हो गये !!!!✍️ वैदिक सभ्यता थी, इनकी सनातन धर्म था ! जो इंसान को इंसान ना समझे, वो धर्म नहीं ऐसा अधर्म था !! वर्णवाद और जातिवाद के कारण, समाज के टुकड़े हजार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से तेली, नाई, लोधी और महार हो गये !!!!✍️ सरेआम बहन-बेटियों की इज्ज़त को, नीलाम करवा दिया ! बांध कर गले में हांड़ी और पीछे झाड़ू, आत्मसम्मान् भी हमारा ख़त्म करवा दिया !! देख-देख हाल अपने समाज का, हम शर्मसार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से अहिरवार हो गये !!!!✍️ जिह्वा कटवाते थे, कानों में शीशा डलवाते थे ! मर जाता था प्यासा एक अछूत, मगर ना उसको पानी पिलाते थे !! ऐसा गुलामी भरा जीवन पाकर, हम कुत्तों से भी बेकार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से रावत, कोरी और बरार हो गये !!!!✍️ "अपना दीपक् स्वयं बनो" तथागत् बुद्ध ने, सत्य की राह दिखाई थी ! क्या होती है तर्क़ और विवेक की शक्ति, हम सब को बतलायी थी !! लेकर बुद्ध की शिक्षा "सम्राट् असोक", अरब देशों के पार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती राजा से, केवल मौर्य हो गये !!!!✍️ कह गये गुरु रविदास "मन चंगा तो कठौती में गंगा" ! पढ़े हमारे समाज का हर एक बंदा !! मधुमक्खियों की तरह रहो मिलकर ताकि, ले ना सके कोई तुमसे पंगा !!! पाकर ऐसा रहबर, पाकर ऐसा गुरु परमात्मा के भी साक्षात्कार हो गये ! इस तरह हम चक्रवर्ती से अहीर और लुहार हो गये !!✍️ "बाबा साहेब" ने शिक्षा, संघर्ष और संगठन का गहरा नाता बताया था ! लिखकर संविधान हर गुलाम को, गुलामी से मुक्त कराया था !! पर अब भूलकर "बाबा साहेब" को, देवी-देवता तुम्हारे अपार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से बाल्मिकी, खटीक, गड़रिया, कुम्हार और चमार हो गये !!!!✍️ ✍️मिशन जयभीम!,नमो बुद्धाय!!,जय भारत!!!,जय संविधान!,जय सम्राट् असोक महान् !!✍️ 🙏इस पोस्ट को हर बहुजन, SC, ST, OBC ग्रुपों में श़ेयर अवश्य करें🙏✍️✍️✍️✍️✍️✍️💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
@rakeshbharti54852 күн бұрын
(यह कविता किसी भी कवि का हो, मग़र बहुत ही श़ानदार एवं ज़ानदार है, आदरणीय कवि Sir को बहुत-बहुत साधूवाद् हो) जी करता है दिखा दूँ, सीना चीर के! कलेज़ा छलनी हुआ पड़ा है, मनुवाद के तीर से !! हमारे पूर्वज राक्षस और राक्षसों के, अवतार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से, काछी-कुर्मी और कुम्हार हो गये !!!!✍️ ये यूरेशियन भारत में शरणार्थी बन कर आये थे! रोटी भी हम लोगों से माँग कर खाये थे !! फिर धीरे-धीरे वो हमारे, कबीलों के सरदार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से पाल और कलार हो गये !!!!✍️ हमारी संस्कृति और सभ्यता को मिटाया था ! जान ना लें हक़ीक़त इसलिए, हमारा इतिहास भी जलाया था !! रहते थे जो फ़िरंगी मेहमान् बन कर वो राजा, वज़ीर और सूबेदार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से कहार हो गये !!!!✍️ वैदिक सभ्यता थी, इनकी सनातन धर्म था ! जो इंसान को इंसान ना समझे, वो धर्म नहीं ऐसा अधर्म था !! वर्णवाद और जातिवाद के कारण, समाज के टुकड़े हजार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से तेली, नाई, लोधी और महार हो गये !!!!✍️ सरेआम बहन-बेटियों की इज्ज़त को, नीलाम करवा दिया ! बांध कर गले में हांड़ी और पीछे झाड़ू, आत्मसम्मान् भी हमारा ख़त्म करवा दिया !! देख-देख हाल अपने समाज का, हम शर्मसार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से अहिरवार हो गये !!!!✍️ जिह्वा कटवाते थे, कानों में शीशा डलवाते थे ! मर जाता था प्यासा एक अछूत, मगर ना उसको पानी पिलाते थे !! ऐसा गुलामी भरा जीवन पाकर, हम कुत्तों से भी बेकार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से रावत, कोरी और बरार हो गये !!!!✍️ "अपना दीपक् स्वयं बनो" तथागत् बुद्ध ने, सत्य की राह दिखाई थी ! क्या होती है तर्क़ और विवेक की शक्ति, हम सब को बतलायी थी !! लेकर बुद्ध की शिक्षा "सम्राट् असोक", अरब देशों के पार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती राजा से, केवल मौर्य हो गये !!!!✍️ कह गये गुरु रविदास "मन चंगा तो कठौती में गंगा" ! पढ़े हमारे समाज का हर एक बंदा !! मधुमक्खियों की तरह रहो मिलकर ताकि, ले ना सके कोई तुमसे पंगा !!! पाकर ऐसा रहबर, पाकर ऐसा गुरु परमात्मा के भी साक्षात्कार हो गये ! इस तरह हम चक्रवर्ती से अहीर और लुहार हो गये !!✍️ "बाबा साहेब" ने शिक्षा, संघर्ष और संगठन का गहरा नाता बताया था ! लिखकर संविधान हर गुलाम को, गुलामी से मुक्त कराया था !! पर अब भूलकर "बाबा साहेब" को, देवी-देवता तुम्हारे अपार हो गये !!! इस तरह हम चक्रवर्ती से बाल्मिकी, खटीक, गड़रिया, कुम्हार और चमार हो गये !!!!✍️ ✍️मिशन जयभीम!,नमो बुद्धाय!!,जय भारत!!!,जय संविधान!,जय सम्राट् असोक महान् !!✍️ 🙏इस पोस्ट को हर बहुजन, SC, ST, OBC ग्रुपों में श़ेयर अवश्य करें🙏✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
@ThePhenom-j8u2 күн бұрын
एकदम घटिया कविता। पूरी तरह प्रोपगेंडा से ओत-प्रोत
@sellingmarketingguru74472 күн бұрын
सराहनीय 🙏🙏🙏🙏
@Kojagariblog2 күн бұрын
Thanks for watching and sharing your thoughts!
@kalpanapandey60882 күн бұрын
अद्भुत और रोचक तथ्य 👍
@Kojagariblog2 күн бұрын
Thanks for watching and sharing your thoughts!
@ramjivantiwari52912 күн бұрын
आपने जो समझाया वह बहुत सराहनीय है। आप को मेरा प्रणाम🙏💕
@Kojagariblog2 күн бұрын
@@ramjivantiwari5291 बहुत-बहुत आभार व नमन ।
@Vinusahu64163 күн бұрын
Satya Dharm nahin ho sakta Dharm Satya nahin ho sakta
@Kojagariblog3 күн бұрын
@@Vinusahu6416 I appreciate the constructive feedback! I’m always looking to learn, thanks for watching.
@BhupeshPathak-y7t3 күн бұрын
अनन्त विषय की सहजता से प्रस्तुतीकरण❤
@Kojagariblog3 күн бұрын
@@BhupeshPathak-y7t Thanks for watching and sharing your thoughts!
@bhupeshpathak99673 күн бұрын
क्लिष्ट विषय, परंतु सरलता से प्रस्तुतीकरण किया गया l अद्भुत व प्रशंसनीय। ❤
@Kojagariblog3 күн бұрын
@@bhupeshpathak9967 Thanks for watching and sharing your thoughts!
@HKS-m7w3 күн бұрын
ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या। Wrong।। जगत सत्य ब्रह्म मिथ्या right।।
@Kojagariblog3 күн бұрын
@@HKS-m7w स्वागत!
@RajeshSrivastava-fr7qz2 күн бұрын
MUGHAL ANGREJ GHULAMI DAASTA BRAHMANWAD MANUWAD VISWAYUDH 1 VISWAYUDH 2 BANTWARA DANGA VISTHAPAN ALGAOWAD AATANKWAD AZAADI LOKTANTRA JATIWAD VANSWAD PARIVARWAD BHAGYAWAD JUGADWAD PALAYANWAD GARIBI MEHGAI BEROJGARI BHRSTACHAR RAJNAITIK ARAJAKTA TUSTIKARAN DHRUVIKARAN JEHAAD FASAD TANAAV DABAAV ABHAAV GHUTAN BECHAINI AWSHAD VISHAD JUMLAWAD HINDU MUSLIM MANDIR MASJID SECULAR LIBERAL DALIT SAVARN YUDDH BAADH BHOOKAMP MAHAMARI GHAATA MANDEE NASHA PORN ITEM SONG BHOGWAD BAZARWAD SUVIDHAWAD VYAKTIWAD....YOGMAYA KA MANORANJAN HAI...MUKT PURUSH ISKA ANANAD LETE HAI..ASHAKT PURUSH MAYAJAAL ME FANS KAR MAARE JAATE HAI...
@jayatewari12723 күн бұрын
मनुष्य को स्वयं में स्वतन्त्र रहकर स्वयं को जानने की कोशिश करनी चाहिए। स्वयं की कमियों को समझना चाहिए। वास्तविकता सामने होगी। हम दार्शनिकों का भी सम्मान करते हैं लेकिन हम समय आने पर वार्तालाप करेंगे कैसा भी दर्शन हो। हमने ज्यादा धार्मिक ग्रंथ नहीं पड़े हैं।एक भगवत गीता का पठन-पाठन करते हैं।
@Kojagariblog3 күн бұрын
Thanks for watching. आपके विचारों का सदैव स्वागत है । आपकी आध्यात्मिक यात्रा का लाभ सभी को उपलब्ध हो , ऐसी मंगलकामना!
@jayatewari12723 күн бұрын
देखिए चार्वाक धर्म को पाखंड मानते थे तो क्या उनका मानना था कि अधर्म सत्य है। देखिए मनुष्य को किसी जीव को पालने की इच्छा होनी चाहिए मारने की नहीं बल्कि स्वयं को भी नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। क्योंकि मनुष्य ने स्वयं की इच्छा से जन्म नहीं लिया है। देखिए जो सामने है वह पूर्ण सत्य नहीं है जो आज है वैसा ही कल नहीं है।जो विषय परिवर्तन हो रहा वह सत्य नहीं है। देखिए जब तक मनुष्य स्वयं को नहीं जानेगा तो वह कितना घी पिए या पिलाए कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। वास्तविकता कुछ अलग है देखिए दर्शन बुद्धि द्वारा उच्च विचारों की साखा है लेकिन बुद्धि से ऊपर भी और बहुत कुछ है। इत्यादि
@Kojagariblog3 күн бұрын
@@jayatewari1272 I appreciate the constructive feedback! I’m always looking to learn, so thanks for watching.
@DnyaneshwarViru-bl9jp3 күн бұрын
आत्मा नही परमात्मा नही मोक्षनही यह सब जब नही तो घरद्वार छोडकर पीपलके झाडके नीचे दीव्य दृष्टि प्राप्त कीया याने क्या खोजा,निर्वाण क्या है जब कुछ नही खावो पीयो मजा करो जंगल जानेकी क्या जरूरत,कहते है बुध्दने संसार ईसलीये त्यागा जब गरीबदेखा झुरी पडा ईन्सान देखा ईसका प्रभाव होकर वह संसार त्यागकर क्या खोजने गये,,मृत्युपर उम्र पर विजय कर पाये ऊत्तर अ पेक्षीत की बुध्दने क्या खोजा वह कौनसा दीव्य ज्ञान
@mesg57io3 күн бұрын
plz study proper source there was no veda or any hindu scriptures during buddha. Your source is misleading books written by hindus to display them as earlier than buddha which is absolutely no evidence. His orginal tripitak dont mention any hindu scriptures. Please watch science journey channel for authentic sources
@Kojagariblog2 күн бұрын
I appreciate the constructive feedback! I’m always looking to learn, thanks for watching.
@purushottamyadav18413 күн бұрын
बहुत हो गई चापलूसी ।
@vyalokpathak3 күн бұрын
बहुत गहन बात को आपने बहुत आसानी से समझाया है। लगे रहिए। साधुवाद, शुभकामनाएँ।