बहुत अच्छा लगा दिव्या प्रसाद बन रहा है मेरे भगवान का और साधु परंपरा को चला रहे हैं क्योंकि हमारे भारत देश की यही परंपरा थी यज्ञ करना यज्ञ करना जगह खान जग खिलाना लेकिन आज बहुत साड़ी बहुत सारे लोगों ने यह सब चीज छोड़ दी है ऐसे तो अन्य का बहुत नुकसान करते हैं लेकिन ऐसा काम करने में किसी को यज्ञ करने में सहयोग नहीं करते और यह साधु सन्यासी ही धर्म की रक्षा कर रहे हैं और बहुत अच्छा लगा मेरे भगवान का प्रसाद मैं विवाह होता तो मैं भी पा लेता