Hori hori jay sri krishna jay jaganath..provu Kripa koro
@premapadmanabhan841Күн бұрын
Hate krishna🙏thank u for posting d lyrics in hindi n english. Was easy to learn🙌
@kartikabhokta46542 күн бұрын
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
@umeshone472 күн бұрын
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालम्। नभोनीलकायं दुरावारमायं सुपद्मासहायं भजेऽहं भजेऽहम्॥ अर्थ: मैं उस भगवान विष्णु की भक्ति करता हूँ, जो सम्पूर्ण जगत के पालनहार हैं। उनके गले में मनोहर हार शोभायमान है, उनके मस्तक पर शरद ऋतु के चंद्रमा जैसा तेजस्वी प्रकाश है। वे असुरों के संहारक हैं और उनके शरीर का रंग आकाश के समान गहरा नीला है। उनकी माया अपरिमित और असीम है। वे माता लक्ष्मी के साथ सदा विराजमान रहते हैं। श्लोक २: सदाम्बोधिवासं गळन्मुक्ताहारं शुभद्रीतिहारं धराभारहारम्। चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहम्॥ अर्थ: मैं भगवान विष्णु की भक्ति करता हूँ, जो क्षीरसागर (दूध के समुद्र) में निवास करते हैं। उनके गले में मोतियों की माला झिलमिलाती रहती है। वे शुभता प्रदान करने वाले हैं और संसार के भार को हरने वाले हैं। उनका स्वरूप सच्चिदानंद (सत्, चित् और आनंद से परिपूर्ण) है। वे अत्यंत मनोहर और अनेक रूप धारण करने में सक्षम हैं। श्लोक ३: जराजन्महीनं परानन्दपीनं समाधानलीनं सदा योगधीनम्। परब्रह्मभूतं त्रिकालानवद्यात् सदावर्तमानं भजेऽहं भजेऽहम्॥ अर्थ: मैं उन भगवान विष्णु की भक्ति करता हूँ, जो न तो जन्म लेते हैं और न ही वृद्ध होते हैं। वे परमानंद से पूर्ण हैं और समाधि में लीन रहते हैं। वे सदा योगियों के ध्यान में रहते हैं। वे ही परम ब्रह्म हैं और तीनों काल (भूत, भविष्य और वर्तमान) में अचल हैं। श्लोक ४: सुरालीविलासं समस्तेन्द्रियासं सदैव प्रकालं जितानीककालम्। निरस्तेभकालं धराभारशालं नमस्यामहेशं भजेऽहं भजेऽहम्॥ अर्थ: मैं उन भगवान विष्णु की वंदना करता हूँ, जो समस्त देवताओं के आराध्य हैं। वे इंद्रियों के स्वामी हैं और सदा कालचक्र से परे रहते हैं। वे अपने शत्रुओं को पराजित करने वाले और संसार के समस्त संकटों को हरने वाले हैं। वे ही इस धरती के भार को कम करने वाले हैं। श्लोक ५: गदाचक्रशङ्खं श्रियं कैटभारिं लसत्पीतवस्त्रं श्रियासं नमामि। हरिं सर्वजन्यं नमस्यामहेयं गुणौघस्वरूपं भजेऽहं भजेऽहम्॥ अर्थ: मैं उन श्री हरि की भक्ति करता हूँ, जो अपने हाथों में गदा, चक्र और शंख धारण करते हैं। वे असुर कैटभ के संहारक हैं और पीतांबर वस्त्र धारण करते हैं। वे सदा देवी लक्ष्मी के साथ विराजमान रहते हैं। वे सभी जीवों के उद्धारक हैं और अनंत गुणों से युक्त हैं। श्लोक ६: रामं रमेणं भजे श्यामलाङ्गं गुणौघस्वरूपं धृतानेकरूपम्। जराजन्महीनं परानन्दपीनं समाधानलीनं भजेऽहं भजेऽहम्॥ अर्थ: मैं श्री विष्णु की भक्ति करता हूँ, जो श्रीराम के रूप में अवतरित हुए। उनका शरीर श्यामवर्ण (नील कमल के समान कांतिमय) है और वे अनंत गुणों से भरपूर हैं। वे अनेक रूप धारण कर सकते हैं, जन्म और मृत्यु से परे हैं, तथा परमानंद स्वरूप हैं।
@kunalbansal15502 күн бұрын
Radhe radhe ❤
@kunalbansal15502 күн бұрын
❤
@sunny-janjua212 күн бұрын
Jai shree krishna ❤❤radhe radhe ❤❤
@ridergirl27012 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏
@pujamondal25072 күн бұрын
Hare Krishna ❤️😌🙏
@RajniKumari-ms9tj2 күн бұрын
Jai shree laxmi narayan ❤❤🙏🙏
@SanjyNayky3 күн бұрын
Jai shree Krishna
@pandusurya28173 күн бұрын
Jairadha❤krishna❤❤❤❤❤
@ashishraina-xp8ux3 күн бұрын
😂😂😂😂😂😂
@RashmiVerma-ll8lp3 күн бұрын
😊😊😊😊😊😊❤❤❤❤❤❤
@gudiyadevi49363 күн бұрын
😮😮😊😊 Radhe Shyam.. radha rani ki jay ho 😊😊
@RanveerThakur-w7v3 күн бұрын
राधे राधे 🙏
@RanveerThakur-w7v3 күн бұрын
जय श्री कृष्ण 🙏
@DinabandhuJagat-t1y3 күн бұрын
Radhe Radhe
@ekanshsingh5343 күн бұрын
Jai shree Radhey Shyam ❤️❤️❤️🙏🙏🙏
@madhusmitabiswal17693 күн бұрын
Radhe radhe 🙏
@PearlMittal-o2k3 күн бұрын
Can anyone define lord Vishnu in a word
@bpumesha46533 күн бұрын
🕉🙏💐🙏🕉🙏💐🙏🕉
@AnuradhaSutradhar-u8q4 күн бұрын
This stotram was using on my wedding day ! I'm really blessed to grow up as hindu ! 😊who's agree with me?
Jai shree Ram jai shree ram jai shree hunuman Om namah shivaya
@BollamMohan-w9v6 күн бұрын
🕉🕉🕉
@bharathgoud12896 күн бұрын
Jay shree Ram 🚩 jay shre krishna jay hanuman 🚩 radhe dadhe om namah shivaya ❤ swamy sharanam jay hugra narsimha❤
@sunandamondal10206 күн бұрын
Hare Krishna 🙏
@AbhishekKumar-c4u7y6 күн бұрын
Jai Shree Krishna
@mohithswetha6 күн бұрын
🙏
@MunaPradhan-yv9fx7 күн бұрын
Jay shree Krishna ❤❤❤❤😊😊
@AmanSharma-g2w7 күн бұрын
JAY SHREE RADHE KRISHNA JI 🥰❤️🙏
@gaganveersingh52677 күн бұрын
श्री हरि स्तोत्र जगज्जालपालं कचतकण्ठमालं, शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालम्। नभोनीलकायं दुरावारमायं, सुपद्मासहायं भजेहं भजेहम्॥1॥ अर्थ: जो समस्त जगत के रक्षक हैं, जो गले में चमकता हार पहने हुए है, जिनका मस्तक शरद ऋतु में चमकते चन्द्रमा की तरह है और जो महादैत्यों के काल हैं। आकाश के समान जिनका रंग नीला है, जो अजय मायावी शक्तियों के स्वामी हैं, देवी लक्ष्मी जिनकी साथी हैं उन भगवान विष्णु को मैं बारंबार भजता हूँ। सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं, जगत्संनिवासं शतादित्यभासम्। गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं, हसच्चारुवक्रं भजेहं भजेहम्॥2॥ अर्थ: जो सदा समुद्र में वास करते हैं,जिनकी मुस्कान खिले हुए पुष्प की भांति है, जिनका वास पूरे जगत में है,जो सौ सूर्यों के समान प्रतीत होते हैं। जो गदा,चक्र और शस्त्र अपने हाथों में धारण करते हैं, जो पीले वस्त्रों में सुशोभित हैं और जिनके सुंदर चेहरे पर प्यारी मुस्कान हैं, उन भगवान विष्णु को मैं बारंबार भजता हूँ। रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं, जलांतर्विहारं धराभारहारम्। चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं, धृतानेकरूपं भजेहं भजेहम्॥3। अर्थ: जिनके गले के हार में देवी लक्ष्मी का चिन्ह बना हुआ है, जो वेद वाणी के सार हैं, जो जल में विहार करते हैं और पृथ्वी के भार को धारण करते हैं। जिनका सदा आनंदमय रूप रहता है और मन को आकर्षित करता है, जिन्होंने अनेकों रूप धारण किये हैं, उन भगवान विष्णु को मैं बारम्बार भजता हूँ। जराजन्महीनं परानंदपीनं, समाधानलीनं सदैवानवीनं। जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं, त्रिलोकैकसेतुं भजेहं भजेहम्॥4॥ अर्थ: जो जन्म और मृत्यु से मुक्त हैं, जो परमानन्द से भरे हुए हैं, जिनका मन हमेशा स्थिर और शांत रहता है, जो हमेशा नूतन प्रतीत होते हैं। जो इस जगत के जन्म के कारक हैं। जो देवताओं की सेना के रक्षक हैं और जो तीनों लोकों के बीच सेतु हैं। उन भगवान विष्णु को मैं बारंबार भजता हूँ। कृताम्नायगानं खगाधीशयानं, विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानम्। स्वभक्तानुकूलं जगद्दृक्षमूलं, निरस्तार्तशूलं भजेहं भजेहम्॥5॥ अर्थ: जो वेदों के गायक हैं। पक्षीराज गरुड़ की जो सवारी करते हैं। जो मुक्तिदाता हैं और शत्रुओं का जो मान हारते हैं। जो भक्तों के प्रिय हैं, जो जगत रूपी वृक्ष की जड़ हैं और जो सभी दुखों को निरस्त कर देते हैं। मैं उन भगवान विष्णु को बारम्बार भजता हूँ। समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं, जगद्विम्बलेशं ह्रदाकाशदेशम्। सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं, सुवैकुंठगेहं भजेहं भजेहम्॥6॥ अर्थ: जो सभी देवताओं के स्वामी हैं, काली मधुमक्खी के समान जिनके केश का रंग है, पृथ्वी जिनके शरीर का हिस्सा है और जिनका शरीर आकाश के समान स्पष्ट है। जिनका शरीर सदा दिव्य है, जो संसार के बंधनों से मुक्त हैं, बैकुंठ जिनका निवास है, मैं उन भगवान विष्णु को बारम्बार भजता हूँ। सुरालीबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं, गुरुणां गरिष्ठं स्वरुपैकनिष्ठम्। सदा युद्धधीरं महावीरवीरं, भवांभोधितीरं भजेहं भजेहम्॥7॥ अर्थ: जो देवताओं में सबसे बलशाली हैं, त्रिलोकों में सबसे श्रेष्ठ हैं, जिनका एक ही स्वरूप है, जो युद्ध में सदा विजय हैं, जो वीरों में वीर हैं, जो सागर के किनारे पर वास करते हैं, उन भगवान विष्णु को मैं बारंबार भजता हूँ। रमावामभागं तलानग्ननागं, कृताधीनयागं गतारागरागम्। मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं, गुणौघैरतीतं भजेहं भजेहम्॥8॥ अर्थ: जिनके बाईं ओर लक्ष्मी विराजित होती हैं। जो शेषनाग पर विराजित हैं। जो राग-रंग से मुक्त हैं। ऋषि-मुनि जिनके गीत गाते हैं। देवता जिनकी सेवा करते हैं और जो गुणों से परे हैं। मैं उन भगवान विष्णु को बारम्बार भजता हूँ। ॥ फलश्रुति॥ इदं यस्तु नित्यं समाधाय, चित्तं पठेदष्टकं कष्टहारं मुरारेः। स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं, जराजन्मशोकं पुनरविंदते नो॥ अर्थ: भगवान हरि का यह अष्टक जो कि मुरारी के कंठ की माला के समान है,जो भी इसे सच्चे मन से पढ़ता है वह वैकुण्ठ लोक को प्राप्त होता है। वह दुख, शोक, जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।