Пікірлер
@mevinsahu
@mevinsahu 15 сағат бұрын
Bahut sunder vichaar saheb ji Sadar saprem Saheb bandagi 🌹🌹🌹
@mevinsahu
@mevinsahu Күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@kabirashramcg
@kabirashramcg Күн бұрын
साहेब बंदगी
@neeta5561
@neeta5561 Күн бұрын
SAHEB.BANDGI..❤ ..APKA.SEWA..NAHI.KAR.SAKA........... ..Dasn..ke...Das ..,.Chintamani😊
@kabirashramcg
@kabirashramcg Күн бұрын
साहेब बंदगी भैया
@mevinsahu
@mevinsahu Күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji 💐💐 Bharat mata ki jay 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 2 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-दोहा::-"क"क केवल नाम है, "ब"ब ब्रम्ह शरीर। "र"र सबमें रम रहा, ताका नाम कबीर।।संत घासीदास जी।।00।।::-सत साहेब कबीर सुजान परमात्मा के पर्यायवाची संबोधित शब्द::-सत सुकृत, सतनाम, परमात्माराम नाम, आदि, अदली, अजर, अमर,अविनाशी, अचिन्त्य, सत सनातन पुरुष, मुनिन्द्र, करुणांमय, सत कबीर, सुरति योग विहंगम चाल सन्तायन, धनी धर्मदास, वचन बंश, चूरामनी नाम, मुक्तामणी नाम, सुदर्शन नाम, केवल नाम, अमोल नाम, अबोल नाम, सुरति स्नेही नाम, अखण्ड सारशबद झनकार, हक्का नाम, कृष्ण करीम, राम रहीम, अल्लाह रसूल, पाक नाम, प्रगट प्रत्यक्ष अनुभूति निरंतर नाम, धीरज धैर्य नाम, उग्र नाम, दयाल दया नाम, दीन दयालु, गृन्धमुनि नाम, स्वप्रकाश मुनि नाम, सत साहेब नाम, उदित मुनि नाम, चार गुरु बंश बयालीस साहेब, गुरु गोस्वामी, बंदी छोड़ , सत स्वयंभू सुजान, सर्वाधारी, सर्वव्यापक, विभू-प्रभू, परमपिता, परमपितामह, परमात्माराम,आदि नाम, आदि राम, आदि पुरुष, परमेश्वर, सतधामी, सतलोकी, रमणीकम्, सबका मालिक एक, अभयदाता, सर्वाधार, सर्वलोकीय, अमृत, अमरपुरीवासी, अजन्मा, नाथों के नाथ, गुरुओं के सतगुरु, संतो के स्वामी, अन्तर्यामी, अलख अल्लाह, अभेद करतार, तारणहार,मुक्तिदाता, परममोक्ष प्रदाता,सबके प्राण पति,सृष्टिकर्ता, सर्वश्रेष्ठ, सर्वनियंता, पारब्रम्ह, परमेश्वर, घट घट वासी, परम प्रकाशी प्रभू, आभामय प्रभू, अकाट्य शक्ती, अविरलसुधा आदि आदि।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र समय के परम भेदी नांद गुरु नौतम सुरति धारक और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@satgurustudio1992
@satgurustudio1992 3 күн бұрын
साहेब बंदगी जी
@user-kl1jk3md9k
@user-kl1jk3md9k 3 күн бұрын
Sabhi😮manchan😮le😮tapko😢chaahe😮koi😅ho😮kya😮farak😅padega
@ishwarsahu12
@ishwarsahu12 3 күн бұрын
Saprem saheb bandgi saheb 3🎉🎉🎉
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 4 күн бұрын
[11/8, 3:52 PM] Shalekh Gram Soni: ।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।सत्य वचन।।:-तुझे है शौक मिलने का, तो हर दम लौ लगाता जा। जला कर खुशनुमाई को, रहम मन पर लगाता जा।।01।।तोड़ कर फेंक दे तसबी, किताबें डाल पानी में। गुनाह जो किया तूने, वो दिल से भुलाता जा।।02।।ना मर भूखा ना रख रोजा ना जा मस्जिद में करने सजदा। गलूफा तोड़ कर झूठा, हौजे कौशर पीता जा।।03।।मुर्शिदे कामिल से मिल सिदक सबूरी से तकी। वो देगा फहम तुझे, अल्लाहो अकबरु पे जाने के लिए।।04।।कुदरते मस्जिद की मेहराप में, सुन जरा गौर से। आ रही है धुर से सदा आवाज गैबी तुझे बुलाने के लिए।।05।।।।हक्का करीम कबीर तू बेऐब परवर दिगार।।।।मोहम्मद हजरत पैगम्बर साहब के उदगार।।।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।सत साहेब गुरुजी मेरी ओर से जबाव।।00।। [11/8, 4:01 PM] Shalekh Gram Soni: परबर दिगार का पाक नाम हमारे जिगर में हाजिर नाजिर अल्लाह रसूल की सक्ल में हर दम मौजूद है।।00।।सालिकराम सोनी।।00।। [11/8, 4:14 PM] Shalekh Gram Soni: इसीप्रकार स्वामी विवेकानंद जी ने भी एक बहुत अच्छी बात कही है ""केवल प्राण निकलने से ही मृत्यु नहीं होती। मरा हुआ तो वह भी है जो अपने देश धर्म और संस्कृति पर आघात होते हुए देख कर भी मौन रहता है और अहिंसा के उदाहरण प्रस्तुत करते रहता है।।00।।अरे बाबाजी मानुष्य की जिन्दगी तो जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं।।00।। [11/8, 4:50 PM] Shalekh Gram Soni: ।।असली गीता सार की जबावी जानकारी।।::-अध्याय/श्लोक नंबर::-11/32-मैं काल ब्रम्ह निरंजन हूँ। 11/46-मैं 1000-हाथों वाला हूँ। 07/24-मेरा अनुत्तम भाव है। 07/25-मेरी भक्ति भी अनुत्तम है। 04/05-मेरा भी जन्म मरण होता है। 07/25-मैं मेरे ब्रम्ह लोक में गुप्त छुपा रहता हूँ। 11/48-मुझे तेरे अतिरिक्त कोई नहीं देखा। 11/53-मुझे दान तप जप तीरथ कर्म काण्डों से भी नहीं देख सकते हैं। 07/13-मैं तीन गुणों और त्रिदेव से भी अलग हूँ। 07/10-सबके बुध्दि व तेज मेरे हाथों में हैं। 08/16-मेरा ब्रम्ह लोक भी नाशवान है। 08/13-मेरा सिर्फ एक ही ओम मंत्र है। 10/25-ओम मेरा ही मंत्र है। 14/04-मैं जीव के बीज स्थापन का पिता हूँ। 07/05-दो प्रकृति-कुदरत और देवी अष्टांगी। 14/13-प्रकृति मेरी गर्भ धारक पत्नी है। 14/04-वो (रज, सत,तमस)गुणों की माता है। 07/13-मैं तो तीनों गुणों से भी अलग हूँ। 14/05-त्रिदेव सब जीवों को शरीर में बांधते हैं। 07/15-तीन गुणों त्रिदेव को पूजने वाले असुर हैं।।00।।दोहा:-एक विदेही परमपितामह परमेश्वर ही निर्दोष रहा। वाकी सबमें कोई ना कोई दोष रहा।।00।।ओर से:-सालिकराम सोनी।।सत साहेब गुरुजी सादर प्रणाम साहेब कबीर सुजान बंदगी सारशब्द अखण्ड सुमिरण चित्त में पाकर संवर गई हम सभी हंस संतों की मानव जिन्दगी।।सत साहेब बंदगी।।00।।
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 5 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-दोहा::-अनहोनी होती नहीं, तू क्यों हुआ उदास। होनी भी टल जायेगी, रख परमपिता पर विश्वास।।01।।जितना भी आये कष्ट तुझ पर, सब करलेना मंजूर। लेकिन सारशब्दी सतगुरु वचन से, मत रहना तू दूर।।02।।बिना परम भेद साँई अरुण जी से जाने कोई तर ना सका, हुआ ना ऐसा शूर। फैला हुआ है चारों ओर, उस सर्व व्यापक शब्द गुरु का नूर।।03।।अपने शब्द गुरु परमात्मा से, जो करता है प्रीत निष्काम।शब्द गुरु पर किये गये विश्वास में, उसके पूरण हो सब काम।।04।।सतगुरु के सद् वचन से, सारे दुख कट जाते आपों आप। पास ना उसके आ सके, मन माया के संताप।।05।।::-कहने का तात्पर्य यह है कि:-परिवार के साथ विश्वास प्रेम कहलाता है। दूसरों के साथ विश्वास सम्मान कहलाता है। स्वयं के साथ विश्वास आत्मविश्वास कहलाता है। परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द सुमिरण पर विश्वास परममोक्ष दिलाता है।।06।।किन्तु यह सब तभी सम्भव हो सकता है जब हम समय के परम भेदी सच्चे गुरु साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र वाले जैसा हमे मिल जाय, तो कल्याण भी हो जाए।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@ravik62205
@ravik62205 5 күн бұрын
बहुत ही सुंदर विचार ✍️🙏🙏🙏
@kabirashramcg
@kabirashramcg 5 күн бұрын
लगता है सुने नहीं हो बबुवा
@surendratak6536
@surendratak6536 5 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@civilwala02
@civilwala02 6 күн бұрын
काट छांट कर के कोई धर्म बनता है क्या ? महिला को बुर्का में डाल के, बड़े भाई का कुर्ता और छोटे भाई का पजामा पहन के जोकर लगता है। बच्चे सूअर के तरह पैदा कर के बोल देता है अल्लाह का देन है। और देश की डेमोग्राफी बदल के बांग्लादेश बना रहा है, जो साला अपने मामा चाची के बेटी से निकाह का ले, वो साला जानवर ही हो सकता है। बाबा, सनातन को मजबूत कीजिए, मांस मछली बाद में छुड़वा दीजिएगा। हमला करेगा तो sakahari सुन के पहले marega।
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 6 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-दोहा::-अनहोनी होती नहीं, तू क्यों हुआ उदास। होनी भी टल जायेगी, रख परमपिता पर विश्वास।।01।।जितना भी आये कष्ट तुझ पर, सब करलेना मंजूर। लेकिन सारशब्दी सतगुरु वचन से, मत रहना तू दूर।।02।।बिना परम भेद साँई अरुण जी से जाने कोई तर ना सका, हुआ ना ऐसा शूर। फैला हुआ है चारों ओर, उस सर्व व्यापक शब्द गुरु का नूर।।03।।अपने शब्द गुरु परमात्मा से, जो करता है प्रीत निष्काम।शब्द गुरु पर किये गये विश्वास में, उसके पूरण हो सब काम।।04।।सतगुरु के सद् वचन से, सारे दुख कट जाते आपों आप। पास ना उसके आ सके, मन माया के संताप।।05।।::-कहने का तात्पर्य यह है कि:-परिवार के साथ विश्वास प्रेम कहलाता है। दूसरों के साथ विश्वास सम्मान कहलाता है। स्वयं के साथ विश्वास आत्मविश्वास कहलाता है। परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द सुमिरण पर विश्वास परममोक्ष दिलाता है।।06।।किन्तु यह सब तभी सम्भव हो सकता है जब हम समय के परम भेदी सच्चे गुरु साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र वाले जैसा हमे मिल जाय, तो कल्याण भी हो जाए।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 7 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ:-कविता:-संतन चित्त झनकारा सारशबद अखण्ड धुन का जी, संतन चित्त झनकारा ""परममोक्ष का दुआरा जी।।00।।सारशब्दी सतगुरु परमात्मा नियारा जगत से, सारशब्दानंद अति पियारा जी। सदा चले झनकारा चित्त में, सदा रहे चमत्कारा जी।।जिसने सृष्टी निर्माया है, वो शब्द गुरु विदेही करतारा जी ""वोही खोले परममोक्ष का ताला जी-बोलो सारशब्दानंद जयकारा जी--।।01।।हर घड़ी धुर की धुन चित्त समाये, जब आत्मा परमात्मा की संगत पाये। साँई अरुण जी जब सतसंग सुनाये, विदेही सत स्वयंभू जी सारशब्द अखण्ड लखाये ""तब प्राणी निज धाम को जाये।।परममोक्ष का खोले ताला जी, बोलो सारशब्दानंद जयकारा जी।।02।।जनम जनम से भटका प्राणी, सारशब्द की महिमा का अज्ञानी। अब लखचौरासी के चक्कर लगानी, जैसे कोल्हू का बैल चलावे घानी।।अब भी जाग जाओ नर प्राणी, परमेश्वर की पहचानो अमर कहानी। जो परममोक्ष का खोले ताला जी ""बोलो सारशब्दानंद जयकारा जी।।03।।संतन चित्त झनकारा सारशब्द अखण्ड धुन का चित्त में, संतन चित्त चमत्कारा जी।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 7 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ:-कविता:-संतन चित्त झनकारा सारशबद अखण्ड धुन का जी, संतन चित्त झनकारा ""परममोक्ष का दुआरा जी।।00।।सारशब्दी सतगुरु परमात्मा नियारा जगत से, सारशब्दानंद अति पियारा जी। सदा चले झनकारा चित्त में, सदा रहे चमत्कारा जी।।जिसने सृष्टी निर्माया है, वो शब्द गुरु विदेही करतारा जी ""वोही खोले परममोक्ष का ताला जी-बोलो सारशब्दानंद जयकारा जी--।।01।।हर घड़ी धुर की धुन चित्त समाये, जब आत्मा परमात्मा की संगत पाये। साँई अरुण जी जब सतसंग सुनाये, विदेही सत स्वयंभू जी सारशब्द अखण्ड लखाये ""तब प्राणी निज धाम को जाये।।परममोक्ष का खोले ताला जी, बोलो सारशब्दानंद जयकारा जी।।02।।जनम जनम से भटका प्राणी, सारशब्द की महिमा का अज्ञानी। अब लखचौरासी के चक्कर लगानी, जैसे कोल्हू का बैल चलावे घानी।।अब भी जाग जाओ नर प्राणी, परमेश्वर की पहचानो अमर कहानी। जो परममोक्ष का खोले ताला जी ""बोलो सारशब्दानंद जयकारा जी।।03।।संतन चित्त झनकारा सारशब्द अखण्ड धुन का चित्त में, संतन चित्त चमत्कारा जी।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@VivekanandYadav-ny3vs
@VivekanandYadav-ny3vs 7 күн бұрын
Bahut sundar saheb
@surendratak6536
@surendratak6536 7 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 8 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ::-कविता::-सत सनातन का राम रंग लागा विदेही कबीर जी का, सारशब्दी राम रंग पाया सत साहेब जी का। सोने में लागा सुहागा साँई अरुण जी का, जनम जनम का सोया मेरा मनवा जागा हमहुं जी का-सारशब्दी राम रंग लागा--।।00।।साँई अरुण जी ने भेद बताया जी भेद बताया। परमपितामह जी से भेंट कराया जी भेंट कराया।।भेदी गुरुजी ने कमाल दिखाया जी कमाल दिखाया। सारे जगत में टेर लगाया जी टेर लगाया:-इन्टरनेट पे सतसंग सुनाया रे दादा--सतगुरु जी का राम रंग लागा--।।01।।साल बीसम बीसा से विदेही कबीर जी धरा पर आए जी पलट फिर आए। घर घर जाकर जिज्ञासु सुपात्र जगाये जी मुमुक्षु जगाए।।साँई अरुण जी ने सतसंग सुनाए जी बातचीत सुनाए। विदेही परमपिताजी ने परममोक्ष की राह लखाए जी राह लखाए:-अंत समय सीधा निज धाम ले जाए रे दादा--शब्द गुरुजी का राम रंग लागा--।।02।।जनम जनम की पूंजी पाई जी पूंजी पाई। काल जाल से मुक्ति पाई जी अब मुक्ति पाई।।संतों ने मिल कर खुशियाँ मनाई जी दीवाली रोज मनाई। विश्व कल्याण की सुमधुर अविरल धुन धारा में जी विशुद्ध आभा में।।सतगुरु पारब्रम्ह ने पहचान कराई जी लीला दिखाई। सारशब्दी परिवार ने साँई अरुण जी के गुण गाई जी, गुरु पूजन हेतु पूना में जाकर दर्शन पाई जी शीश झुकाई:-पिता-पुत्र का नाता जागा जी नाता जागा-सत स्वयंभू का राम रंग लागा--।।03।।धुर धाम की धुन चित्त में झंकार रही जी, झंकार रही। मानव मात्र का जीवन संवार रही जी संवार रही।।सत सनातन की रमज भी राम नाम अखण्ड समाय रही जी, जगाय रही। मन माया का पाखंड गुरुडम को हराय रही जी हराय रही:-सत्य वचनों की जीत सुनिश्चित होय रही जी होय रही--विदेही गुरुजी का राम रंग लागा रे दादा--।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@user-rm8rz9zo4j
@user-rm8rz9zo4j 9 күн бұрын
Saheb bandgi saheb🙏🌹🙏
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 10 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ::-दोहा::-"क"क केवल नाम है, "ब"ब ब्रम्ह शरीर। "र"र सबमें रम रहा, ताका नाम कबीर।।00।।:-कबीर बीजक:-अवधू अविगत से चलि आया, कोई भेद मरम नहीं पाया। ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा,बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पे डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया। मात पिता मेरे कछु नाहीं, ना मेरे घर दासी। जुलाहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी। हाड चाम लहू ना मेरे, कोई जाने सारशब्द उपासी। तारण तरण अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।01।।अरबों तो ब्रम्हा गए, ऊंन्चास कोटि कन्हैया। सात करोड़ तेरे शंभू मर गए, मेरी एक नहीं पलैया। हम हैं सतलोक के वासी, दास कहाए, प्रगट भये काशी। धरि देह भवसागर आये, धरमदास तोही नाम सुनाये। कलियुग में काशी चले आये, जब हमारे तुम दर्शन पाये। तब हम नाम कबीर धराये, काल देख तब रहे मुरझाए।।02।।देह नहीं और दरसे देही, जग ना चीन्हे पुरुष विदेही। नहीं बाप ना मात जाये, अविगत से हम चले आये। चारों युग भवसागर आये, आदि नाम जग टेर सुनाये।नाम सुने शरणागत आवे, तिन्हीं के हम बंध छुड़ावे। सतयुग सत सुकृत कहाये, त्रेता नाम मुनिन्द्र धराये। द्वापर में करुणांमय कहाये, कलियुग नाम कबीर रखाये।।03।।साल बीसम बीसा से फिर, विदेही रूप धर हम आये, घर घर जाकर सारशब्द अखण्ड सुमिरण चित्त में सुपात्रों को लखाये। साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र वाले को पहले पठाये। नौतम सुरति धारक भेदी नांद गुरु, उसपर छाप लगाये। वही सबको मेरा भेदी सतसंग रोज बखानें, विरले हंस समझेगे इसके मायनें।।:-अस्ति आत्माराम है, मन माया कृत नास्ति। याकी पारख लहै यथा, बीजक गुरु मुख आस्ति।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@surendratak6536
@surendratak6536 12 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@surendratak6536
@surendratak6536 12 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@VivekanandYadav-ny3vs
@VivekanandYadav-ny3vs 13 күн бұрын
💐💐💐🙏
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 13 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ::-ओहं सोहं सत कबीरा केवल देही प्रयास है भाई, जो काल निरंजन तक की पहुंच तक ले जाई। काल ब्रम्ह निरंजन ने नकली देही गुरुआ बनाकर, अपनी लखचौरासी में घुमाने की राह बनाई।।कलिकाल में कालदूत बन आए ढोंगी गुरुआ, जगत में नौटंकी रचाई। साहेब कबीर जी का दूत हूँ कहकर, जनमानस को झूठे स्वपन दिखाई:-इन पर सारशब्द अखण्ड सुमिरण चित्त में नहीं है भाई।।00।।बारहों पंथ कबीर जी के नाम से, कलियुग में काल निरंजन चलाये। ना ये योगी ना संन्यासी ना अविनाशी, चेला सहित जायेगे दोनों लखचौरासी।।साँच कहो तो मारन धावे, झूठम झूठ के करम अभागे। दान दक्षिणा के सब लोभी, धन दौलत के महाभोगी:-हाड़मांस रक्त चाम के मनमौजी।।01।।बिना टैक्स का रोजगार चलाते, भोली जनता को ठगने का खेल रचाते। शिष्यों को झूठा सारशब्द पकड़ाते, नाभि में नकली ध्यान लगवाते।।जपा अजपा अनहद को सिखलाकर, त्रिकुटि में पारब्रम्ह पूर्ण बतलाते। सफेद वस्त्र और भगुआ वस्त्र धारण कर, परमपिता बन खुद को पुजवाते:-अपने आप को कल्की का अवतार बतलाते।।02।।अब इनका हो गया खेल खतम, जब शब्द गुरु आ गए इनके खसम। साल बीसम बीसा से नूरी रूप धर, विदेही सत कबीर जी घर घर जावे, और अखंड सारशब्द का सुपात्रों के चित्त में खुद प्रबोध करावे।।तब मानव प्राणी सच्चा परमानंद सुख चित्त में पावे। खत्म देही गुरुओ की झूठी कहानी, जो स्वारथ बस्स होकर कही जुबानी:-शर्म से हो जाओ पानी पानी।।03।।साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र के सतसंग रोज ही सुनलो। परमपितामह परमेश्वर से निःसंकोच घर बैठे मिल लो, ढोंगी पाखण्डी गुरुओ से निजात पा लो।।सारशब्दी सतगुरु विदेही हर समय, हर देश काल परिस्थियों में उपलब्ध है। निज अनुभूति करके पाओ खुद अखण्ड सारशब्द धुन है:-सारशब्द ही सबका तारणहार, ना मानो तो आजमाइश करलो एकबार।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@surendratak6536
@surendratak6536 13 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 13 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ::-ओहं सोहं सत कबीरा केवल देही प्रयास है भाई, जो काल निरंजन तक की पहुंच तक ले जाई। काल ब्रम्ह निरंजन ने नकली देही गुरुआ बनाकर, अपनी लखचौरासी में घुमाने की राह बनाई।।कलिकाल में कालदूत बन आए ढोंगी गुरुआ, जगत में नौटंकी रचाई। साहेब कबीर जी का दूत हूँ कहकर, जनमानस को झूठे स्वपन दिखाई:-इन पर सारशब्द अखण्ड सुमिरण चित्त में नहीं है भाई।।00।।बारहों पंथ कबीर जी के नाम से, कलियुग में काल निरंजन चलाये। ना ये योगी ना संन्यासी ना अविनाशी, चेला सहित जायेगे दोनों लखचौरासी।।साँच कहो तो मारन धावे, झूठम झूठ के करम अभागे। दान दक्षिणा के सब लोभी, धन दौलत के महाभोगी:-हाड़मांस रक्त चाम के मनमौजी।।01।।बिना टैक्स का रोजगार चलाते, भोली जनता को ठगने का खेल रचाते। शिष्यों को झूठा सारशब्द पकड़ाते, नाभि में नकली ध्यान लगवाते।।जपा अजपा अनहद को सिखलाकर, त्रिकुटि में पारब्रम्ह पूर्ण बतलाते। सफेद वस्त्र और भगुआ वस्त्र धारण कर, परमपिता बन खुद को पुजवाते:-अपने आप को कल्की का अवतार बतलाते।।02।।अब इनका हो गया खेल खतम, जब शब्द गुरु आ गए इनके खसम। साल बीसम बीसा से नूरी रूप धर, विदेही सत कबीर जी घर घर जावे, और अखंड सारशब्द का सुपात्रों के चित्त में खुद प्रबोध करावे।।तब मानव प्राणी सच्चा परमानंद सुख चित्त में पावे। खत्म देही गुरुओ की झूठी कहानी, जो स्वारथ बस्स होकर कही जुबानी:-शर्म से हो जाओ पानी पानी।।03।।साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र के सतसंग रोज ही सुनलो। परमपितामह परमेश्वर से निःसंकोच घर बैठे मिल लो, ढोंगी पाखण्डी गुरुओ से निजात पा लो।।सारशब्दी सतगुरु विदेही हर समय, हर देश काल परिस्थियों में उपलब्ध है। निज अनुभूति करके पाओ खुद अखण्ड सारशब्द धुन है:-सारशब्द ही सबका तारणहार, ना मानो तो आजमाइश करलो एकबार।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@surendratak6536
@surendratak6536 13 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@shivbahadurverma6240
@shivbahadurverma6240 14 күн бұрын
Param pujya saheb ji apke pawan shree charno me meri koti koti Sader saprem saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi with respectfully and with honour 💐💐🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹
@komalsinghbihari8030
@komalsinghbihari8030 14 күн бұрын
🙏 sat saheb 🙏
@shivbahadurverma6240
@shivbahadurverma6240 15 күн бұрын
Param pujya saheb ji bahut hi sundar satsang, apke pawan shree charno me meri koti koti Sader saprem saheb bandagi saheb ji with respectfully and with honour 💐💐🙏🙏🌹🌹🌹
@hoshkumari1551
@hoshkumari1551 15 күн бұрын
साहेब बंदगी साहेब❤❤❤
@surendratak6536
@surendratak6536 16 күн бұрын
Saheb bandagi.saheb ji
@anojkumari8178
@anojkumari8178 16 күн бұрын
🌹🌹🌹🙏🙏🙏
@mevinsahu
@mevinsahu 17 күн бұрын
Param pujya gurudev ji ke charon tray bar saheb bandag 🌹🌹🌹
@VivekanandYadav-ny3vs
@VivekanandYadav-ny3vs 18 күн бұрын
Saheb bandagi
@rajeshbhagat3092
@rajeshbhagat3092 19 күн бұрын
GURDEVJI KE CHARNO ME KoTI KoTI NAMAN 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
@sudhasaheb6135
@sudhasaheb6135 19 күн бұрын
Pujy gurudev ji ke me triybar saheb bandgi🙏🙏🙏
@user-be2zr7zi1c
@user-be2zr7zi1c 19 күн бұрын
आप का मन अभी संसार में है
@ninama.sureshbhai.virajibh1335
@ninama.sureshbhai.virajibh1335 19 күн бұрын
સાહેબ બંદગી
@surendratak6536
@surendratak6536 19 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@saisai2493
@saisai2493 20 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏♥️♥️♥️♥️✨✨✨
@saisai2493
@saisai2493 20 күн бұрын
Saheb Bandagi Saheb Ji
@saisai2493
@saisai2493 20 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏✨✨✨✨
@saisai2493
@saisai2493 20 күн бұрын
Saheb Bandagi Saheb Ji ❤❤❤
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 20 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-दोहा:-सुख के संगी स्वार्थी, दुख में रहते दूर। कहे कबीर परमार्थी, दुख-सुख सदा हजूर।।00।।:-कविता:-दुनियाँ से ठुकराया हूँ मैं, दर पे साँई अरुण जी महाराज के आया हूँ। मैं तो परम भेद पाने के लिए, यही आशा लगाए आया हूँ। परमभेद सिखाकर मुझको गुरुजी, महाउपकार आप कर देना। मेरे जीवन की नैया को भवसागर पार करा देना।।00।।सिवाय आपके इस दुनियाँ में दूजा परम भेदी गुरु दिखता ही नहीं, जो परमभेद परमेश्वर प्रेम लखावनहारा। एक तरफ मैं खड़ा हूँ अकेला, दूजे ओर मन माया का संसारा। अब ऐसा लगता है मुझको बुला रही है, सारशब्दानंदी अविरल धारा।।01।।सारशब्दी सतगुरु विदेही परमपिताजी की शरण में, मुझको भी पहुंचा दो गुरुजी। मांग रहा हूँ भिक्षा आपसे, करना ना निराश मुझको गुरुजी। सुमिरण करुंगा निरंतर तह दिल से, हो जाऊँगा भवसागर के उस पार गुरुजी।।02।।यूट्यूब और फैश बुक पर सुनता सतसंग सातो दिन वार। सुनते समझते चित्त में आया, आपसे निवेदन करुं एक बार। मुझे विश्वास है आप पर पूरा पूरा, नमन करता हूँ शत बार।।03।।काबा फिर काशी लगेगा, राम लगेगा रहीम। मोहम्मद फिर महादेव लगेगा, कृष्ण लगेगा करीम। अवसर ऐसा फिर मानुष जनम का मिलता ना बारम्बार। साँई अरुण जी महाराज का सतसंग सुनकर, फ्री फोकट में हो जाओ भवसागर पार।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@yashbhaisahu6737
@yashbhaisahu6737 20 күн бұрын
साहेब बंदगी साहेब जी
@VivekanandYadav-ny3vs
@VivekanandYadav-ny3vs 21 күн бұрын
Saheb bandagi
@salikramsoni4560
@salikramsoni4560 22 күн бұрын
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।::-पद्य पाठ-संतों की वाणी::-कृपया नीचे लिखी संतों की वाणीयों पर विचार करें और अपने मानव जीवन के लक्ष्य को हासिल करें::-पद्य:-शबद गुरु बिन माला फेरता, शब्द गुरु बिन करता दान। शब्द गुरु बिन सब निष्फल गया, बूझो वेद पुराण।।01।।शब्द गुरु से बड़ा कोई नहीं, मन माहि कर देख विचार। शब्द गुरु का सारशब्द चित्त में सुमिरे एक बार भी, तो हो जाए भव से बेडा पार।।02।।राम कृष्ण से कौन बड़ा, तिनहुं तो गुरु कीन्ह। तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।।03।।गुरु गुरु में भेद है गुरु गुरु में भाव। गुरु सुमरे एक बार भी, हरि सुमरे सौ बार।।04।।गुरु मेरे सबहीं बड़े, अपनी अपनी ठौर। शब्द विवेकी पारखी, सो माथे का मौर।।05।।सतगुरु बिन भवनिधि तरहिं ना कोई, जो विरंचि शंकर सम होई:-अर्थात:-सतगुरु परमात्माराम की कृपा के बिना कोई भी इस भवसागर से पार नहीं हो सकता, चाहे वह ब्रम्हाजी, शंकर जी के समान सिध्दियां क्यों ना हासिल कर ले।।06।।संत तुलसीदास जी ने भी गुरु वंदना पहले इस प्रकार की है:-बंदहुं गुरु पद कंज, कृपा सिन्धू नर रुप हरि। महा मोह तम पुंज, जासु वचन रवि करनि करि।।07।।बंदऊं नाम राम रघुवर को, हेतु कृषानु भानु हिमकर को। विधि हरि हर मय वेद प्राण सो, अगुन अनूपम गुन निधान सो।।अर्थात।।मैं परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द सुमिरण की चित्त में वंदना करता हूँ। जो अग्नि सूर्य, चंद्रमा, का कारक है मूल रुप बीजक है। वह परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द सुमिरण ही ब्रम्हा विष्णु शिव वेदों का प्राण स्वरूप है। उपमा रहित और सद्गुणों का भंडार है।।08।।नाम राम को कल्प तरु करि कल्याण निवास, जेहि सुमिरत भयो भांग ते, तुलसी तुलसीदास।।09।।सुमिरि पवन सुत पावन नामु, अपने बस्स कर राखेऊं रामू।।और।।सहस्र नाम सम सुनि शिव वाणी, जपिहिं शिव संग नाम भवानी।।10।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
@surendratak6536
@surendratak6536 22 күн бұрын
Saheb bandagi saheb ji
@VeljiBunkar-qm5sv
@VeljiBunkar-qm5sv 22 күн бұрын
सा है ब सा है ब सा है ब