पागल लोग है क्या इस्लाम अंदर दिमाग़ बाहर सुना है पर पागलपन की इतनी हद नही देखी हमारे धर्मग्रंथो लाखो साल पुराने है राम को हुवे 10000 साल हुवे.... ये गंदे लोग कहा हमारे सात्विक लाखो साल पुराने ग्रंथो मे घुसे जा रहे है खुद का कुरान यहां वहां से ज्ञान ले के बनाया गया है
@surajprakash-vj7xbМинут бұрын
Waqt bahut Teji se Badalta Hai Aur Sach Ek Din Sham Naha kar raha tha Sach Kabhi chhupaya Nahin Chhup Sakta
@hamidasallu67524 минут бұрын
Hampebi bhot loghone ghar valone bhot julam kiye lekin takdir pe raji rehna chahiye
@hamidasallu67526 минут бұрын
Allah ki ummid se mayus nahi hona chahiye
@גביצאולקרСағат бұрын
मै मराठी हिन्दी अंग्रेजी ( हिब्रु और अरमिक भाषा जो यहुदीओ की है ) जानता हूॅ । और कुरान छोडकर किसी भी भाषा के पुराने किताबो मे ना अल्लाह इस्लाम मुसलमान मुहम्मद का उल्लेख है ही नही
@bashirahmedbhati477Сағат бұрын
राम कृष्ण , ब्रह्मा विष्णु , महेश , परशुराम , चाणक्य का आज तक कोई सबूत नहीं मिला है ? ये सब काल्पनिक पात्र है ?
@budhprakash92002 сағат бұрын
शिक्षित होकर व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच रखकर निकृष्ट स्तर की व्याख्यान करना पोस्ट करना नासमझी कर्म करना है। अपने बात को प्रकटीकल रूप से विश्लेषण कर सिद्ध कर सत्य शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर सही सभ्य भाषा के साथ लिखनी चाहिए। चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय को जानकर समझकर ही अपनी बातचीत करनी चाहिए। जैसे कि पौराणिक वैदिक स्मृति धर्मशास्त्र अनुसार जन्म से हरएक मानव जन को शूद्रन माना है और शूद्रन के शिक्षित होने पर वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण होना माना है । फिर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य को अपने अपने कार्य बदलने पर को शूद्रन होना कहा गया है। इस प्रकार हरएक मानव जन को समान अवसर उपलब्ध कराया गया है। एक विचार अनुसार हरएक मानव जन को मुख समान ब्रह्मण , बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य माना है , लेकिन कुछ लेखक चरण समान शूद्रण और पेट समान वैश्य प्रिंट करते हैं जबकि चरण चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य आढ़त क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग है और पेटउदर समान शूद्रम वर्ण है । आजकल भी जैसे जन्म से बच्चे अशिक्षित रहते हैं और कुछ शिक्षित शिक्षित होकर शूद्रन (उत्पादक), वैश्य (व्यापारी), क्षत्रिय (सुरक्षक) और ब्राह्मण (अध्यापक) हो जाते हैं लेकिन अपने अपने कार्य शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म छोड़कर उत्पाद निर्माण ( शूद्रम वर्ण) कर्म करने लगते हैं। शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है। शिक्षित विद्वान मानव जनो को चार वर्ण कर्म विभाग विषय विधि-विधान को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना और करवाना चाहिए।
@budhprakash92002 сағат бұрын
राष्ट्र राज धर्म- सनातन दक्षधर्म। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। भगवान विष्णु के चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय विधि-विधान नियम अनुसार - अध्यापक ( ब्रह्मण) का काम अध्यापन शिक्षण, क्षत्रिय का काम राष्ट्र पृथ्वी जन की सुरक्षा , शूद्रण का काम तपसेवा शिल्पोद्योग और वैश्य का काम कृषि पशुपालन वाणिज्य व्यापार। मेरे ( बुद्ध प्रकाश ) विचार अनुसार- अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाला आचार्य गुरूजन ब्रह्मण , सुरक्षा चौकीदार न्याय करने वाला क्षत्रिय, उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण और वितरण वाणिज्य व्यापार ट्रांसपोर्ट करने वाला वैश्य तथा इन चारो वर्ण में पांचवेजन सहयोग करने वाले वेतनमान पर कार्यरत राजसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन । संस्कृत श्लोक विधिनियम- अथैतेशां वृत्तय: ब्राह्मसय याजनप्रतिग्रहौ क्षत्रियस्य क्षितित्राणं कृषिगोरक्षवाणिज्यकुसीदबोनिपोषणानि वैशस्य: सरवशिल्पानि। ॐ ।। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
@budhprakash92002 сағат бұрын
सनातन वैदिक दक्ष धर्म - अनुसार - शूद्रन भी अपने कार्य बढ़ाने पर नौकर (दास) को रखता है l शूद्रण जन द्वारा दासी (नौकरानी) या दास (नौकर) की स्त्री में यदि संतान उत्पन्न की जाती है, तो वह पिता की औरस (अपनी पत्नी से उत्पन्न ) संतान के बराबर धन भाग लेगी, यही सनातन वैदिक धर्म व्यवस्था है l सनातन धर्म संस्कृति श्लोक - ॐ दास्यां वा दासदास्यां वा य: शूद्रस्य सुतो भवेत् l सोअनुज्ञातो हरेदंशमिति धर्मो व्यवस्थित: ll (वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र) l यंहा यह जानना चाहिए कि शूद्रम वर्ण एक उद्योग उत्पादन विभाग होता है और इस विभाग में कार्य करने वाले मानव जन शूद्रन (उत्पादक /शिल्पकार/उद्योगपति) होते हैँ l शूद्रन अपना उत्पादन उद्योग निर्माण कार्य बढ़ाने पर वेतन भोगी दासों (नौकरों /सेवकों) को रखते हैँ l शूद्रन जन को अपने पास रखे गए नौकरो/सेवको (दासों) के साथ मर्यादा पूर्ण व्यवहार आचरण करना चाहिए और दासी (सेविका/नौकरानी) के साथ योंन सम्बंध नहीँ बनाना चाहिए l चारो वर्णों (विभागों) के कार्य जैसे कि शिक्षन, शासन, उत्पादन और वितरन कर्म करने के लिए वेतन भोगी दासो (नौकरों /सेवकों) को रखना होता है l पेशाजाति कार्यों को करने वाले इंसानो के लिए पेशापदवि होती हैं l जो पेशाजाति कर्म करते हैं वो असली पेशाजाति वाले होते हैं लेकिन जो बिना पेशाजाति कर्म किए भी किसी पेशाजाति को मानते हैं तो वो मात्र नामधारी पेशाजाति वाले बने रहते हैं l सभी पेशाजाति को चार विभागों (वर्णों) में बांटकर कर चार वर्णिय कार्मिक वर्णाश्रम व्यवसायिक व्यव्स्था प्रबन्धन किया गया है l वर्ण वाला कर्म जो भी करते हैं वो असली वर्ण वाले होते हैं और जो बिना वर्ण कर्म किए किसी वर्ण को मानते हैं वो मात्र नामधारी वर्ण वाले बने रहते हैं l वंशज्ञातियों गोत्रों को विवाह सम्बन्ध बनाए रखने के लिए ऋषि संसद द्वारा निर्मित किया गया है l चार वर्ण विभाग व्यवस्था प्रबंधन अनुसार - 1. अध्यापक चिकित्सक संगीतज्ञ = ब्रह्मण 2. शासन रक्षक न्याय कर्ता = क्षत्रिय 3. उत्पादक निर्माता उद्योगण = शूद्रण 4. वितरण व्यापार कर्ता = वैश्य l चरण चलने से स्थान बदलने से ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य आढ़त वित्त वैश्य वर्ण कार्य होता है इसलिए चरण समान वैश्य वर्ण विभाग होता है। 5 . पांचवे वेतन भोगी नौकर = दासजन /सेवकज़न चारो वर्ण (विभागों) में कार्यरत हैं l सरकार भी वेतन भोगी जन जनसेवक नौकर रूप में कार्यरत है। व्रात्य = अशिक्षित ज़न को कहा गया है I
@budhprakash92002 сағат бұрын
महर्षि वसिष्ठ के विचार अनुसार आतातयी? 1- आग लगाकर नुकसान करने वाला, 2- विष देने वाला मिलावटखोर, 3- अनुचित हथियार रखने वाला, 4- धन का अपहरण करने वाला, 5- खेत खलिहान हरण करने वाला, 6- स्त्री का हरण करने वाला। इन छः आतातयी को दण्ड देने से दण्डाधिकारी को पाप नहीं लगता है । संस्कृत श्लोक विधिनियम- अग्नीदो गरदश्चव शस्त्राणिधनापह: क्षेत्रदारहश्चैव षडेते ह्याततायिन: ।। वसिष्ठ स्मृति धर्मनिति शास्त्र। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम्। जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
@budhprakash92002 сағат бұрын
चंद्रायण व्रत का भाग है करवाचौथ व्रत है । यह व्रत अनुष्ठान करना आचरण व्यवहार निर्माण करने में लाभदायक सहयोगी है, विवाद कम करने में सहायक है, फलस्वरूप आयु बढने में सहयोगी है। विवाद में तनाव में असमय जान चली जाती है विवाद रूकने में उसको रोकने में मदद करता है। व्यभिचार कम होता है। एक माह का चंद्रायण व्रत उपवास ही इस्लामिक मुस्लिम मत पन्थ वालो के रोजे रमजान व्रत-उपवास हैं।
@budhprakash92002 сағат бұрын
सनातन दक्ष धर्म - जनसंख्या संतुलन। औसतन प्रति दम्पति दो बच्चे l A - कुछ दम्पति के कोई सन्तान नहीं होती है = 0 B - कुछ दम्पति तो एक ही संतान पैदा करते हैं = 1 C - ज्यादा तर दम्पति दो संतान पैदा करते हैं = 2 D - कुछ ही दम्पति तीन संतान पैदा करते हैं = 3 E - बहुत कम दम्पति चार संतान पैदा करते हैं = 4 इन सबका औसत निकालते हैं तो प्रति दम्पत्ति दो बच्चे ही आता है l औसत = 0 +1 +2 +3 +4 =10/5 = 2 औसत दो बच्चे ही आता है लेकिन अब लोकतंत्र विधान युग में पंथ दीन सम्प्रदाय को बढ़ाने के नाम पर जनसंख्या बढ़ाना उचित सोच नहीं कही जा सकती है l किसी मध्य कालीन साम्प्रदायिक गुरु की किताब पढ़कर माइंड सेटिंग्स करवाते हुए अपने ऊपर वाले इश्वर अल्लाह गॉड के नाम पर अब लॉकतन्त्र विज्ञान युग में जनसंख्या बढ़ाना उचित सोच नहीं कही जा सकती है l अब हर दम्पत्ति को जनसंख्या संतुलन का ध्यान अवश्य रखना चाहिए l वेद ऋषि ज्ञान अनुसार एक स्त्री से दस बच्चे तक पैदा करना कहा गया था कियोंकि उस समय काल में जनसंख्या संतुलन की मांग थी । सत्ता परिवर्तन के लिए युद्घ होते थे और कुछ ज्यादा बीमारी होती थी l लेकिन आजकल लोकतंत्र विधान युग में दो बच्चो के औसत के साथ ही अच्छा जीवन जिया जा सकता है l चार कर्म = चार वर्ण । करने वाले पांचजन l जय विश्व राष्ट्र सनातन वेद दक्ष प्रजापत्य धर्म l जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम ।।ॐ l।
@budhprakash92002 сағат бұрын
पूर्वजो ऋषिओ देवताओ के चेहरे चरित्र बिगाङ कर मूर्ती चित्र बनाकर देखना दिखाना अनुचित सोच रखकर जीना होता है देखा देखी। जब खुद के परिवार के सदस्यों के चेहरे चरित्र सही देखना दिखाना चाहते हैं तो फिर अपने पूर्वजो ऋषिओ बहुदेवताओ के चेहरे चरित्र बिगाङ बिगाङ कर अनुचित कर्म क्यों करते हैं। शिक्षित विद्वान द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को मूर्ती चित्र चलचित्र में सही चेहरे चरित्र देखने दिखाने चाहिए।
@budhprakash92002 сағат бұрын
सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म - हे सूर्यअग्नि देव l राष्ट्र हित में लोकतंत्र युग में विश्वजन हित में हमारे राष्ट्र देश के सभी मनुष्यों में तेज जोश शौर्य उत्पन्न करें l जिससे हमारा राष्ट्र देश उन्नती विकास करे और विश्व में श्रेष्ठ देश बने l 1- जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शिक्षा/ चिकित्सा/ संस्कार/संगीत सेवा विभाग (ब्रहम् वर्ण) में शिक्षक वैद्यन पुरोहित ज्ञान दाता सेवा कर्मी हैं उनमें जोश तेज स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से सबजन को शिक्षण स्वास्थ्य संगीत संस्कार सेवा प्रदान करें l 2 - जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शासन रक्षा न्याय पत्राचार विभाग (क्षत्रम् वर्ण) में सुरक्षा न्याय कर्मी हैं उनमें तेज/ शौर्य स्थापित करें ताकि वेसब ईमानदारी से सबजन की सुरक्षा करते हुए न्याय ईमानदार होकर रक्षा न्याय सेवा प्रदान करें l 3 - जो द्विज़न ( महिला-पुरुष) उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग विभाग (शूद्रम् वर्ण) में उद्योगण उत्पादक शिल्पकार कर्मिक हैं उनमें भी तेज जोश स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से तपश्रम करके अच्छे गुणवत्तापूर्ण उत्पादित निर्माण कर सबजन को तपसेवी उद्योग सेवा प्रदान करें l 4- जो द्विजन ( स्त्री-पुरुष) वितरण ट्रांसपोर्ट वित्त व्यापार वाणिज्य विभाग (वैशम् वर्ण) में वित्त/ क्रय विक्रय वितरक /व्यापारी कर्मी हैं उनमें तेज जोश स्थापित करें ताकी वे ईमानदारी से जनहित में वित्त ट्रांसपोर्ट व्यापार वितरन वैशमवर्ण सेवा कार्य प्रदान करें l चारो वर्ण (विभाग) में सहयोग हेतू - मेरे जैसे दासजन ( जनसेवक) के अन्दर भी तेज/ शौर्य उत्पन्न करें ताकि बेहतर समाज प्रबंधन कर चारो वर्णो के लिए सहयोग सेवा करता रहूँ और हमारा राष्ट्र विकसित होता रहे और विश्वजन का कल्याण होता रहे। यजुर्वेद मंत्र संहिता - ॐ रूचन्नो धेही ब्रह्मनेषु रूचनंराजसु नस्कृधि l रूचं विश्येषु शूद्रेषु मयि धेही रूचा रूचम् l l यजुर्वेद संहिता l चार वर्ण। पांचजन। जय सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म l जय आखण्ड भारत l जय वसुधैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
@budhprakash92002 сағат бұрын
सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म - हे सूर्यअग्नि देव l राष्ट्र हित में लोकतंत्र युग में विश्वजन हित में हमारे राष्ट्र देश के सभी मनुष्यों में तेज जोश शौर्य उत्पन्न करें l जिससे हमारा राष्ट्र देश उन्नती विकास करे और विश्व में श्रेष्ठ देश बने l 1- जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शिक्षा/ चिकित्सा/ संस्कार/संगीत सेवा विभाग (ब्रहम् वर्ण) में शिक्षक वैद्यन पुरोहित ज्ञान दाता सेवा कर्मी हैं उनमें जोश तेज स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से सबजन को शिक्षण स्वास्थ्य संगीत संस्कार सेवा प्रदान करें l 2 - जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शासन रक्षा न्याय पत्राचार विभाग (क्षत्रम् वर्ण) में सुरक्षा न्याय कर्मी हैं उनमें तेज/ शौर्य स्थापित करें ताकि वेसब ईमानदारी से सबजन की सुरक्षा करते हुए न्याय ईमानदार होकर रक्षा न्याय सेवा प्रदान करें l 3 - जो द्विज़न ( महिला-पुरुष) उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग विभाग (शूद्रम् वर्ण) में उद्योगण उत्पादक शिल्पकार कर्मिक हैं उनमें भी तेज जोश स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से तपश्रम करके अच्छे गुणवत्तापूर्ण उत्पादित निर्माण कर सबजन को तपसेवी उद्योग सेवा प्रदान करें l 4- जो द्विजन ( स्त्री-पुरुष) वितरण ट्रांसपोर्ट वित्त व्यापार वाणिज्य विभाग (वैशम् वर्ण) में वित्त/ क्रय विक्रय वितरक /व्यापारी कर्मी हैं उनमें तेज जोश स्थापित करें ताकी वे ईमानदारी से जनहित में वित्त ट्रांसपोर्ट व्यापार वितरन वैशमवर्ण सेवा कार्य प्रदान करें l चारो वर्ण (विभाग) में सहयोग हेतू - मेरे जैसे दासजन ( जनसेवक) के अन्दर भी तेज/ शौर्य उत्पन्न करें ताकि बेहतर समाज प्रबंधन कर चारो वर्णो के लिए सहयोग सेवा करता रहूँ और हमारा राष्ट्र विकसित होता रहे और विश्वजन का कल्याण होता रहे। यजुर्वेद मंत्र संहिता - ॐ रूचन्नो धेही ब्रह्मनेषु रूचनंराजसु नस्कृधि l रूचं विश्येषु शूद्रेषु मयि धेही रूचा रूचम् l l यजुर्वेद संहिता l चार वर्ण। पांचजन। जय सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म l जय आखण्ड भारत l जय वसुधैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
@budhprakash92002 сағат бұрын
पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार। विषय: विवाह सम्बंध प्राणिग्रहण संस्कार में वर्ण/जाति बाधा नहीं है। विवाह प्राणिग्रहण संस्कार के लिए जो जन माता पिता के सपिण्ड सात पीढ़ी के नहीं हों और माता पिता के गोत्र के नही हो, ऐसे स्त्री पुरूष दोजन (द्विजन) की अग्नी फेरे विवाह कर्म के बाद पत्नी से श्रेष्ठ संतान होती है l संस्कृत संस्कार श्लोक नियम- ॐ असपिण्डा च या मातुरसगोत्रा च या पितुः l सा प्रशस्ता द्विजातीनां दारकर्माणि मैथुने l l जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष सनातन धर्म l जय अखण्ड भारत l जय वसुद्धैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
@budhprakash92002 сағат бұрын
सभी सनातन दक्ष धर्माचार्य, पन्थाचार्य, हिंदुआचार्य, बौद्धाचार्य, जैनाचार्य, मौलाचार्य, बिशपाचार्य से मेरा सवाल यह है कि बताएं चार वर्ण कर्म विभाग जलाने से या नहीं मानने से खत्म हो सकते हैं क्या ? समाजिक जीविकोपार्जन प्रबंधन संचालित करने के लिए बने हुए हैं ये शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म करने खत्म हो सकते हैं क्या ? हरएक मानव जन अपने मुख से ज्ञान शिक्षण आदान-प्रदान करते हैं यह ज्ञान शिक्षण प्रशिक्षण कर्म आदान-प्रदान मुख से करना खत्म हो सकता है क्या ? मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्म विभाग विषय कर्म (शिक्षण वैद्यन पुरोहित कर्म) खत्म हो सकता है क्या? बांह से सुरक्षा होती है, बांह से कर्म किये बिना सुरक्षा प्रबंधन हो सकता है क्या ? बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्म विभाग है इस ब्रह्म वर्ण कर्म विभाग में सरकार के क्षत्रम वर्ण कर्म ( शासम रक्षण न्याय चौकीदारी ) कर्म किये बिना समाज में जन, धन और जमीन सुरक्षित रह सकते हैं क्या ? पेट में ही बल्ड वीर्य संतान का निर्माण उत्पादन होता है, पेटउदर समान शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में प्रोडक्ट समान निर्माण उत्पादन उद्योग कर्म खत्म हो सकता है क्या ? चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण सेवाकार्य होता है यह कार्य खत्म हो सकता है क्या? हरएक मानव जन के शरीर के चार अंग समान समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ( शिक्षण ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम ) हैं । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर दासजन जनसेवक नौकरजन कार्यरत हैं। सरकारी और प्राइवेट वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन चारवर्ण कर्म विभाग में कार्यरत नहीं है क्या? पोस्ट निर्माता बुद्ध प्रकाश । वैदिक ऋषि विचार पांचजन्य चारवर्णिय कर्मचार विभाग विषय पर ऊच नीच करने वाले जो मानव जन हैं वे मेरे प्रश्नो के जवाब दाखिल करें।
@budhprakash92002 сағат бұрын
मेरे प्रश्न के उत्तर दो। निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर - बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ? बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं? बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या? बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या? बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या? बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या? बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या? बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या? सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं? धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) ! धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए। पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए। समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
@budhprakash92002 сағат бұрын
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार। धर्मगुरु /पुरोहित/ पन्थगुरु/ अध्यापक/ चिकित्सक/धर्माचार्य/ कविजन/ विप्रजन/ शिक्षक ( ब्रह्मण ) का सदाचार आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जाने ! इस पोस्ट के विषय ज्ञान अनुसार उचित विचार संस्कार नियम पालन करते हुए अन्य सबजन को मानवीय मूल्य वाले संस्कार प्राप्त करवाते हुए अपराध मुक्त वातावरण बनवाते रहें। अध्यापक/ धर्माचार्य को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2 - शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3 - सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4 - नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5 - शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8 - चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9 - प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10 - अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13 - अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14 - माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15 - गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16 - वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18ङ- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19 - वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) मानवीय गुणों को विप्रजन/अध्यापक/ गुरूजन/ पुरोहित/ चिकित्सक /पन्थगुरु/अभिनयी/द्विजोत्तम/शिक्षक (ब्रह्मण) को अपनाकर जीना चाहिए ताकि इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर इनसे प्रेरित होकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीने में लाभ मिलता रहना चाहिए। पौराणिक वैदिक सतयुग संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियमो को पोस्ट करना चाहिए, ताकि सबजन के विचार को तुलनात्मक रूप से विश्लेषण कर अध्ययन करना चाहिए और एक समान अवसर देने वाले मानवीय गुण क्रियावान कर संस्कार सुधार किये जाने चाहिएं । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या सुधार और क्या क्या बिगाङ किया है ? वह सबजन जानकर समझकर सुधार करना चाहिए सकें और अपने पूर्वजो बहुदेवो ऋषिओ की पौराणिक वैदिक श्रेष्ठ सनातन धर्म संस्कार विधि पहचान कर श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
@budhprakash92002 сағат бұрын
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार । चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
@budhprakash92002 сағат бұрын
खुद की सुधार करें अगर खुद को शिक्षित मानते जानते हैं तो । साफ-सफाई का काम वैशम वर्ण कर्म विभाग में आता है। साफ-सफाई कर्म में किसी तरह का उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म नहीं होता है बल्कि पुराने समान प्रोडक्ट को एक स्थान से उठाकर ट्रांसपोर्ट कर दूसरे स्थान पर पंहुचाया जाता है यह ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण कार्य चरण पांव चलाकर होता है । इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है और इस वैशम वर्ण कर्म विभाग में साफ-सफाई कर्म आता है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैशम वर्ण है। शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म आता है । संतान बल्ड रूपी निर्माण उत्पादन पेट द्वारा होता है इसलिए पेटउदर समान शूद्रम वर्ण कर्म विभाग है इस शूद्रम वर्ण कर्म विभाग में तपस्वी उद्योगण शिल्पकार निर्माता कार्यरत हैं । 1- शिक्षा में ज्ञान का महत्व है 2- सुरक्षा में ध्यान का महत्व है 3- उद्योग में उत्पादन का महत्व है 4- व्यापार में वितरण का महत्व है और चतुरवर्ण सेवा में राजसेवक दासजन जनसेवक का बडा महत्व होता है । जीविकोपार्जन में चारो वर्ण कर्म का और आयु में चारो आश्रम का बडा महत्व होता है। नंगेजिन्न गुरुओ की तरह नंगा रहना अज्ञानता पूर्ण सोच रखकर अनुचित कर्म करना होता है। सार्वजनिक रूप से गुप्तांग शिश्न गुदा अंगो को ढककर ही रखना चाहिए। क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर रहती है इसलिए मूर्ती चित्र में बनाते हुए अंदर जीभ रखकर बनानी चाहिए। इंसानी देवो के सिर पर पशुओ के सिर लगाकर चित्र मूर्ती नहीं बनानी चाहिए। जब खुद के परिवार के सदस्य के रूप सुंदर देखना पसंद करते हैं तो फिर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषि मुनी के चेहरे चरित्र बिगाङ कर पूर्वज को बदनाम न।क्यों करते हैं? शिक्षित विद्वान मानव द्विजनो रहन-सहन और सोच में ( स्त्री-पुरुष ) को सुधार करना चाहिए।
@budhprakash92002 сағат бұрын
लोकतांत्रिक युग में मुस्लिम ईसाई मत हासिल करने वाले सोच सुधार करवाएं। मुस्लिम मत परिवर्तन करने वाले कुरान कुराह के विचारो पर चलकर जीवनयापन करने वालो को सुधार करना करवाना चाहिए । शिक्षित मुस्लिमो को अपने मत परिवर्तन कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ के पौराणिक वैदिक सनातन सोलह संस्कार अनुसार जीने की कोशिश कर सुधार करना करवाना चाहिए। 1- खतना कुकर्म बंद करना चाहिए मासूम बच्चो के गुप्तांग को काटना बंद करवाएं लोकतंत्र विधान युग में वेवजह हिंसात्मक कुकर्म करना अपराध है । 2- हलाला कुकर्म करवाना बंद करवाना चाहिए मात्र वाद विवाद होने पर औरतो को गैर मर्दो के साथ सुलाना बेइज्जत करवाना बंद करवाएं। 3- मस्जिदो मे औरतो को भी साथ लेकर जाना शुरुआत करवाएं । 4- चचेरी, ममेरी, फुफेरी और मौसेरी बहनो को घर में बीबी बनाकर पाप कर्म करना बंद करवाएं एसी सोच होना सेटिंग बचपन से ही कन्याओ के साथ व्यभीचार होने लगता है उस व्यभीचार कुकर्म को बंद करवाएं। 5- पुत्र वधुओ को घर मे कुकर्म कर बीबी बनाकर पुत्रो से अलग करवाना परिवार तोडना पाप कर्म करना बंद करवाएं। 6- मस्जिदो में हरएक हफ्ते अस्पताल जांच शुरुआत करवाना चाहिए। अपने पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म सोलह संस्कार अनुसार फिर से श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करने की शुरूआत करनी चाहिए। अब लोकतंत्र विधान युग में खलिपाओ के आतंक का विरोध करना चाहिए। मुस्लिम इस्लाम पन्थ सम्प्रदाय अनुसार मत परिवर्तन कर अपनी संस्कृति बिगाङ कर जीने वालो के पूर्वज भी बहुदेव वादी वाले मानव जनो के पूर्वज ही हैं। गुरू बदल जाते हैं मत परिवर्तन हो जाते हैं लेकिन पूर्वज नहीं बदलते हैं।
@budhprakash92002 сағат бұрын
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम- ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) । भावार्थ हिंदी भाषा - नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
@budhprakash92002 сағат бұрын
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम- ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) । भावार्थ हिंदी भाषा - नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)! ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें । ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
@neerajneeraj83592 сағат бұрын
Jitani tarif ki jaye vo kam aapaki Quran Wale sir 🎉🎉🎉❤❤❤
@OneGoalTV3 сағат бұрын
❤❤❤
@aftabaftab56984 сағат бұрын
तुम पुष्पक विमान से उड़ते फिरो
@aftabaftab56984 сағат бұрын
प्यारे नबी का नाम सभी जगह मौजूद और और हमेशा रहेगा भी l
@thanveer_sait4 сағат бұрын
Hindus he is Atheist why ur happy if Any one challenge islam...will open your books that's you want?
@Satishsokhal5 сағат бұрын
भोले भाले लोगों को ये मल्ला मौलाना इतना बहकाता है कि सारी उम्र अंधेरे में रखते हैं और जकात के पैसे से मौज काटते हैं। ऐसे पागल लोग इनको और कहां मिल सकते हैं?
🍇🍎🌺🌄🔐🔐sir kaafi gairaise aayehe yahaa mera pujaniye sir taarak guru najar aaye aavar naman...
@DebabrataMoulick11 сағат бұрын
Jhuta Majhab Must Be Destroyed .🐀🪱🦎🦠☠️👺
@mansingh99111 сағат бұрын
है एक महा मद नाम के राक्षस का जिक्र। जिसका मतलब है सुपर ego।। काम क्रोध लोभ मोह मद मात्सर्य ये 6 शैतान हैं।
@aftabaftab56984 сағат бұрын
गोबर बुद्धि....
@jayho27111 сағат бұрын
महम्मद था ही नही तो उसका जिक्र कहा से होगा.. किसी ने बताया हो तो वो झूठ ही हो सकता है बोगी है
@ManishKumar-rd2iy11 сағат бұрын
Musalman log sanskrit mein bhi galat meaning nikalte hai 😂😂😂😂😂
@guddugawarn12898 сағат бұрын
बाबा राम रहीम का उदाहरण सामने है!
@ManishKumar-rd2iy7 сағат бұрын
@guddugawarn1289 baba ram rahim kon hai
@jayho2714 минут бұрын
@@guddugawarn1289 राम रहीम ये हिन्दू मुस्लिम भाई भाई है ये कहने के लिये एक जुमला है पागल इतनी भी समझ नही है
@PremSingh-be3hl11 сағат бұрын
Dada pranam Dr hamid sab all capacity sadar pran
@kotamrajuprasad274212 сағат бұрын
Padhe likhe Hindu apne aap ko bahut superior samajhthe hai... unpad ko apne saath leke nahi chalthe, abhi bhi seculiarism pe lecture dete hai.. ..neeche level pe conversion ko koi weighate nahi dete hai...Ab bhugat rahe hai.. .
@ravirasalkar919612 сағат бұрын
Throw away digits 785 in your cell number
@rajeshbhaomick913012 сағат бұрын
👍
@bhutuhansdak771213 сағат бұрын
Sabhi muslim hakikat Ko sune or Jane
@satyadixit568613 сағат бұрын
कुरान एक है आपने तीन बता दिए
@satyadixit568614 сағат бұрын
एक मौलाना साहब के कहने पर सूर्य चांद निकलते थे, ऐसा मैने एक किस्सा वाटसप पर या कहीं और सुना है किसी और ने भी सुना
@tradesecret930818 сағат бұрын
Fact baat karo takreer nahi Study kar ke bolo..you have poor knowledge and biased Just speech