गुरु कहें पुकार पुकार I समझ मन कर लो सुमिरनियाँ ॥ १ II स्वाँसो स्वाँस' घटे तेरी पूँजी' । चली जाय यह उमरनियाँ ॥ २ ॥ वक्त मिला यह तख्तनशीनी । छोड़ बान" अब घुरविनियाँ ॥ ३ ॥ यह मारग अब गुरू बतावें । पकड़ गहो तुम उर धुनियाँ ॥ ४ ॥ शब्द संग तुम सुरत लगाओ । रहो नित्त गुरु मुजरनियाँ ४ ॥ ५ ॥ दया लेव तुम हर दम उनकी । सरन पड़ो उन चरननियाँ ॥ ६ ॥ वह तो भेद बतावें घट का । पकड़ शब्द भौ तरननियाँ ॥ ७ ॥ लागी लगन बहुर नहिं सूझे । सुरत अजर में जरननियाँ ॥ ८ ॥ जिन जिन संग करा गुरु पूरे । छुटा जन्म और मरननियाँ ॥ ६ ॥ जगत जार तज सार समझ तू । मिटे चौरासी भरमनियाँ ॥१०॥ सतसँग करो प्रीति घट धारो । देख रूप चढ़ दर्पनियाँ ॥११॥ गगन गिरा परखो धुन बानी । यही कमाई करननियाँ ॥१२॥ पहुँचो जाय अधर में प्यारी । गाँठ खुले तब तन मनियाँ ॥१३॥ या जग में कोइ सुखी न देखो । गहो गुरू के बचननियाँ ॥१४॥ दुख के जाल फँसे सब मूरख । तू क्यों उन सँग फँसननियाँ ॥१५॥ मैं तू' मोर तोर सब त्यागो । गहो राधास्वामी सरननियाँ ॥१६॥ R.S.
@mpheonarayanareddy520812 сағат бұрын
खोज री पिया' को निज घट में ॥ टेक ॥ जो तुम पिया से मिलना चाहो । तो भटको मत जग में ॥ १ ॥ तीरथ बर्त कर्म आचारा । यह अटकावें मग में ॥ २ ॥ जब लग सतगुरु मिलें न पूरे । पड़े रहोगे अघ में ॥ ३ ॥ नाम सुधारस कभी न पाओ । भरमो जोनी खग में ॥४॥ पंडित क़ाज़ी भेष शेख्न सब । अटक रहे डग डग में ॥ ५ ॥ इनके संग पिया नहिं मिलना । पिया मिलें कोइ साध समग में ॥ ६ ॥ यह तो भूले विषयबास में । भर्म धसे इनकी रग रग में ॥ ७ ॥ बिना संत, कोइ भेद न पावे । वे तोहि कहें अलग में ॥ ८ II जब लग संत मिलें नहिं तुमको । खाय ठगौरी तू इन ठग में ॥ ६ ॥ राधास्वामी सरन गहो तो । रलो जोति जगमग में ॥१०॥ R.S
@mpheonarayanareddy520812 сағат бұрын
सोता मन कस जागे भाई । सो उपाव में करूँ बखान ॥ १ ॥ तीरथ करे बर्त भी राखे । विद्या पढ़ के हुए सुजान ॥ २ ॥ जप तप संजम बहु बिधि धारे । मौनी हुए निदान ॥ ३ ॥ अस उपाव हम बहुतक कीन्हे । तौ भी यह मन जगा न आन ॥ ४ ॥ खोजत खोजत सतगुरु पाये । उन यह जुक्ति कही परमान ॥ ५ ॥ सतसँग कसे संत को सेवो । तन मन करो कुरबान ॥ ६ ॥ सतगुरु शब्द सुनो गगना चढ़ ।. चेतं लगाओ अपना ध्यान ॥ ७ ॥ जागत जागत अब मन जागा । झूठा लगा जहान ॥ ८ ॥ मन की मदद मिली सूरत को । दोनों अपने महल समान ॥ ६ ॥ बिना शब्द यह मन नहिं जागे । करो चाहे कोइ अनेक विधान ॥१०॥ यही उपाव छाँट कर गाया। और उपाव न कर परमान ॥११॥ विरथा बैस' बितावें अपनी । लगे न कभी ठिकान ॥१२॥ संत बिना सब भटके डोलें । बिना संत नहिं शब्द पिछान ॥१३॥ शब्द शब्द मैं शब्दहि गाऊँ। तू भी सुरत लगा दे तानं ॥१४॥ घर पावे चौरासी छूटे । जन्म मरन की होवे हान ॥१५॥ राधास्वामी कहें बुझाई । बिना संत सब भटके खान ॥१६॥ R.S
@mpheonarayanareddy520812 сағат бұрын
कुमतिया बैरन पीछे पड़ी । मैं कैसे हटाऊँ जान ॥ १ ॥ सतगुरु बचन न माने कबही । उन सँग धरे गुमान ॥ २ ॥ काम क्रोध की सनी बुद्धि से । परखा चाहे उनका ज्ञान ॥ ३ ॥ सेवा करे न सरधा लावे । उलट करावे उनसे मान ॥ ४ ॥ अपनी गति' हालत नहिं बुझे । कैसे लगे ठिकान ॥ ५ ॥ लोभ मोह की सूखी नदियाँ । तामें निस दिन रहे भरमान ॥ ६ ॥ संतमता कहो कैसे बूझे । अपनी मति के दे परमान ॥ ७ ॥ तिन से संत मौन होय बैठे । सो जिव करते अपनी हान॥ ८ ॥ कुमति अधीन हुए सब प्रानी । क्या क्या उनका करूँ बखान ॥ ६ ॥ जिन पर मेहर पड़े आ सरना । वह पावें सतगुरु पहिचान ॥१०॥ अपनी उक्ति चतुरता छोड़ें । देवें पता निशान ॥१२॥ कुमति हटाय छुड़ावें पीछा । सुरत लगावें शब्द धियान ॥१३॥ विना शब्द उद्धार न होगा । सब संतन यह किया बखान ॥१४॥ सोई गावें राधास्वामी । जो कोइ माने सोई सुजान ॥१५॥ R.S अपने को जानें अनजान ॥११॥ तब सतगुरु परसन्न होय कर ।
@mpheonarayanareddy520813 сағат бұрын
जक्त से चेतन किस बिधि होय । मोह ने बाँध लिया अब मोहि ॥ १ ॥ बेड़ियाँ भारी पड़ती जायँ । फाँसियाँ करड़ी लागीं आय ॥ २ ॥ जाल अब चौड़े बिछ गये आय । चाट अब सुख की कुछ कुछ पाय ॥३॥ दुक्ख अब पीछे होगा आय । ख़बर नहिं उसकी कौन बताय ॥४॥ पड़ेगी भारी एक दिन भीड़ । सहेगा नाना विधि की पीड़ ॥ ५ ॥ करेगा पछतावा जब बहुत । अभी तो सुनता नहिं दिन खोत ॥ ६ ॥ याद नहिं लाता अपनी मौत । रात दिन ग़फ़लत में पड़ा सोत ॥ ७ ॥ कहे में मन के चलता बहुत । भरे है दिन भर जग का पोत ॥ ८ ॥ रात को सोता खाट बिछाय० । होश नहिं कल को क्या हो जाय ॥ ६ ॥ काल ने मारा कर कर जेर । कर्म ने खूँदा धर धर पैर ॥१०॥ तमोगुन छाय गया घट माहिं । नबर सब भूल गया यहाँ आय ॥११॥ संत और सतगुरु रहे चिताय । बचन उन" मन में नहीं समाय ॥१२॥ भजन और सुमिरन दिया बिसराय । प्रीति भी उन चरनन नहिं लाय ॥१३॥ कहो कस' छूटे जम की घात । भोग' और सोग लगे दिन रात ॥१४॥ गुरू बिन कौन छुड़ावे ताय । हुआ यह कैदी बहु विधि आय ॥१५॥ बिना सतसंग और बिन नाम । न पावे कबही अपना धाम° ॥१६॥ कही राधास्वामी यह गति गाय । सरन ले संत की तू जाय ॥१७॥ R.S
@lalitalambat910813 сағат бұрын
राधास्वामी 🙏🌺🙏🌺
@sureshthakkar886515 сағат бұрын
Radhasoami. S. J. Thakkar. Radhasoami. Vadodara
@mpheonarayanareddy520816 сағат бұрын
मिली नर देह यह तुमको । बनाओ काज कुछ अपना ॥ १ ॥ पचो मत आय इस जग में । जानियो रैन' का सुपना ॥ २ ॥ देह और ग्रेह सब झूठा । भर्म में काहे को खपना ॥ ३ ॥ जीव सब लोभ में भूले । काल से कोइ नहीं बचना ॥ ४ ॥ तृष्णा अग्नि जग जारा । पड़ा सब जीव को तपना ॥ ५ ॥ नहीं कोइ राह बचने की। जलें सब नर्क की अगिना ॥ ६ ॥ जलेंगे आग में निस दिन । बहुरि भोगें जनम मरना ॥ ७ ॥ भटकते वे फिरें खानी । नहीं कुछ ठीक उन लगना ॥ ८ ॥ कहूँ क्या दुक्ख वह भोगें । कहन में आ नहीं सकना ॥ ६ ॥ दया कर संत और सतगुरु । बतावें नाम का जपना ॥१०॥ न माने जुक्ति यह उनकी । सुरत और शब्द का गहना ॥११॥ बिना सतगुरु बिना करनी । छुटे नहिं खान का फिरना ॥१२॥ कहाँ लग में कहूँउनको । कोई नहिं मानता कहना ॥१३॥ हुए मनमुख फिरें दुख में। बचन गुरु का नहीं माना ॥१४॥ पुजावें आपको जग में। गुरू की सेव नहिं करना ॥१५॥ फ़िकर नहिं जीव का अपने । पड़ेगा नर्क में फूँकना॥१६॥ समझ कर धार लो मन में । कहें राधास्वामी निज' बचना ॥१७॥ R.S.
@mpheonarayanareddy520816 сағат бұрын
अटक तू क्यों रहा जग में । भटक में क्या मिले भाई ॥ १ ॥ खटक तू धार अब मन में। खोज सतसंग में जाई ॥ २ ॥ बिरह की आग जब भड़के । दूर कर जक्त की काई ॥ ३॥ लगा ले लगन सतगुरु से । मिले फिर शब्द लौ लाई ॥ ४ ॥ छुटेगा जन्म और मरना । अमर पद' जाय तू पाई ॥ ५ ॥ भाग तेरा जगे सोता । नाम और धाम मिल जाई ॥ ६ ॥ कहूँ क्या काल जग मारा । जीव सब घेर भरमाई ॥ ७ ॥ नहीं कोइ मौत से डरता । ख़ौफ़ जम का नहीं लाई ॥ ८ ॥ पड़े सब मोह की फाँसी । लोभ ने मार घर खाई ॥ ६ ॥ चेत कहो होय अब कैसे । गुरू के संग नहिं धाई ॥१०॥ काम और क्रोध बिच बिच में । जीव से भाड़ झोंकवाई० ॥११॥ गुरू बिन कोइ नहीं अपना । जाल यह कौन तुड़वाई ॥१२॥ कुटैब परिवार मतलब का । बिना धन पास नहिं आई ॥१३॥ कहाँ लग' कहूँ इस मन को । उन्हीं से माँस नुचवाई ॥१४॥ गुरू और साध कहें वहु विधि' । कहन उनकी न पतियाई ॥१५॥ मेहर बिन क्या कोई माने । कही राधास्वामी यह गाई ॥१६॥ R.S
@mpheonarayanareddy520816 сағат бұрын
कोई मानो रे कहन हमारी ॥ टेक ॥ जो जो कहूँ सुनो चित देकर । गौ की कहूँ तुम्हारी ॥ १ ॥ जग के बीच बँधे तुम ऐसे । जैसे सुवना नलनी धारी ॥ २ ॥ मरकट सम तुम हुए अनाड़ी । मुट्ठी दीन फँसा री ॥ ३ ॥ और मीना जिह्वारस माती । काँटा जिगर छिदा री ॥४॥ गज सम मूरख हुए इस बन में । झूठी हथिनी देख बँधा री ॥ ५ ॥ क्या क्या कहूँ काल अन्याई । बहु बिधि तुमको फाँस लिया री ॥ ६ ॥ तुम अनजान मर्म नहिं जाना । छल बल कर इन फाँस लिया री ॥ ७ ॥ छूटन की विधि नेक न मानो । क्योंकर छूटन होय तुम्हारी ॥ ८ ॥ सतगुरु संत हुए उपकारी । उनका संग करो न सम्हारी ॥ ६ ॥ वह दयाल अस जुगत लखावें । कर दें तुम छुटकारी ॥१०॥ पाँच तत्त" गुन तीन जेवरी १३ । काटें पल पल बंधन भारी ॥११॥ उनकी संगत करो भर्म तज । पाओ तुम गति न्यारी ॥१२॥ जक्त जाल सत्र धोखा जानो । मन मूरख सँग कीन्हीं यारी ॥१३॥ इसका संग तजो' तुम छिन छिन । नहिं यह लेगा जान तुम्हारी ॥१४॥ अपने घर से दूर पड़ोगे । चौरासी के धक्के खा री ॥१५॥ बड़ी कुगति' में जाय पड़ोगे । वहाँ से तुमको कौन निकारी ॥१६॥ ता ते अब ही कहना मानो । राधास्वामी कहत विचारी ॥१७ R.S.
@mpheonarayanareddy520818 сағат бұрын
तजो मन यह दुख सुख का धाम' । लगो तुम चढ़ कर अब सतनाम ॥ १ ॥ दिना चार तन संग बसेरा । फिर छूटे यह ग्राम ॥ २ ॥ धन दारा सुत नाती कहियन । यह नहिं आवें काम ॥ ३ ॥ स्वाँस दुधारा नित ही जारी । एक दिन नाली चार्म ॥ ४ ॥ बहती आठो जाम ॥ ५ ॥ तू अचेत ग़ाफ़िल हो रहता । मशक समान जान यह देही । बहती आठो जाम ॥ ५ ॥ तू अचेत ग़ाफ़िल हो रहता । सुने न मूल कलाम ॥ ६ ॥ माया नारि पड़ी तेरे पीछेI क्यों नहिं छोड़त काम ॥ ७ ॥ बिन गुरु दया छुटो नहिं या से । भजो गुरू का नाम ॥ ८ ॥ गुरु का ध्यान धरो हिरदे में । मन को राखो थाम ॥ ६ ॥ वे दयाल तेरी दया बिचारें। दम दम करें सहाम' ॥१०॥ छोड़ भोग क्यों रोग विसावे । या में नहिं आराम ॥११॥ गुरु का कहना मान पियारे । तौ पावे विसराम ॥१२॥ दुख तेरा सब दूर करेंगे। देंगे अचल मुक़ाम ॥१३॥ राधास्वामी कहत सुनाई। खोज करो निज नाम ॥१४॥ R.S
@mpheonarayanareddy520818 сағат бұрын
चेत चल जगत से बौरे । कपट तज गहो गुरू सरना ॥ १ ॥ फिरे ग़ाफ़िल तू मदमाता । अन्त सिर पीट कर मरना ॥ २ ॥ लगे नहिं हाथ कुछ तेरे। कुटुंब के साथ क्यों पिलना ॥ ३ ॥ चार दिन के सँगाती यह । बटाऊ फिर नहीं मिलना ॥ ४ ॥ रहो हुशियार जग ठग से । बचा पूँजी कमर कसना ॥ ५ ॥ मुसाफ़िर हो गुरू सँग लो। नाम शमशेर कर गहना ॥ ६ ॥ सुरत को तान गगना १२ में । ११ पकड़ धुन बान घट रहना ॥ ७ ॥ काल की घात से बचकर । गहो राधास्वामी के चरना ॥ ८ ॥ R.S.
@mpheonarayanareddy520818 сағат бұрын
बँधे तुम गाढ़े बंधन आन ॥ टेक ॥ पहले बंधन पड़ा देह का । दूसर तिरिया जान ॥ १ ॥ तीसर बंधन पुत्र बिचारो । चौथा नाती मान ॥ २ ॥ नाती के कहिं नाती होवे । फिर कहो कौन ठिकान ॥ ३ ॥ धन संपति और हाट हवेली" । यह बंधन क्या करूँ बखान ॥ ४ ॥ चौलड़ पचलड़ सतलड़ रसरी । बाँध लिया अब बहु बिधि तान ॥ ५ ॥ कैसे छूटन होय तुम्हारा । गहरे खूँटे गड़े निदान ॥ ६ ॥ मरे बिना तुम छूटो नाहीं । जीते जी तुम सुनो न कान ॥ ७ ॥ जगत लाज' और कुल मरजादा । यह बंधन सब ऊपर ठान ॥ ८ ॥ लीक पुरानी कभी न छोड़ो। जो छोड़ो तो जग की हान ॥ ६ ॥ क्या क्या कहूँ बिपति मैं तुम्हरी । भटको जोनी भूत मसान० ॥१०॥ तुम तो जगत सत्य कर पकड़ा । क्योंकर पावो नाम निशान ॥११॥ बेड़ी तौक़ हथकड़ी बाँधे । काल कोठरी कष्ट समान ॥१२॥ काल दुष्ट तुम बहु विधि बाँधा । तुम खुश होके रहो ग़लतान १ ॥१३॥ ऐसे मूरख दुख सुख जाना । क्या कहूँ अजब सुजान ॥१४॥ शरम करो कुछ लज्जा ठानो । नहिं जमपुर का भोगो डान ॥१५॥ राधास्वामी सरन गहो अब । तौ कुछ पाओ उनसे दान ॥१६॥ R.S.
@mpheonarayanareddy520818 сағат бұрын
मौत से डरत रहो दिन रात ॥ टेक ॥ एक दिन भारी भीड़ पड़ेगी । जम खूँदेंगे धर धर लातं ॥ १ ॥ वा' दिन की तुम याद बिसारी । अब भोगन में रहो भुलात ॥ २ ॥ एक दिन काठी' बने तुम्हारी । चार कहरवा लादे जात ॥ ३ ॥ भाई बंद' कुटॅब परिवारा । सो सब पीछे भागे जात ॥ ४ ॥ आगे मरघट जाय उतारा । तिरिया रोये बिखेरे लाट ॥ ५ ॥ वहाँ जमपुर में नर्क निवासा I यहाँ अग्नी में फेंके जात ॥ ६ ॥ दोनों दीन बिगाड़ें अपने । अब नहिं सुनता सतगुरु बात ॥ ७ ॥ वा दिन बहु पछतावा होगा । अब तुम करते अपनी घात० ॥ ८ ॥ ज्वानी गई बृद्धता आई । अब कै दिन का इनका साथ ॥ ६ ॥ चेत करो मानो यह कहना । गुरु के चरन झुकाओ माथ ॥१०॥ राधास्वामी कहत सुनाई । अब तुमको बहु बिधि' समझात ॥११॥ R.S.
@AmarjeetSingh-ef6wr18 сағат бұрын
🙏🙏 Radhasoami 🙏🙏
@mpheonarayanareddy520818 сағат бұрын
मत देख पराये औगुन । क्यों पाप बढ़ावे दिन दिन ॥ १ ॥ पर' जीव सतावे खिन खिन" । छोड़ अपने औगुन गिन गिन ॥ २ ॥ मक्खी सम मत कर मिन मिन । नहिं खावे चोट तू छिन छिन ॥ ३ ॥ देखा कर सब के तू गुन । सुख मिले बहुत तोहि पुन पुन ॥ ४ ॥ मैं कहूँ तोहि अब गुन गुन । तू मान बचन मेरा सुन सुन ॥ ५ ॥ गति गाई में यह हंसन । यों वर्ण सुनाई संतन ॥ ६॥ अब कान धरो" इन बचनन । नहिं रोवोगे सिर धुन धुन॥ ७ ॥ यह बात कही में चुन चुन। कर राधास्वामी चरन अस्पर्सन ॥
@mpheonarayanareddy520819 сағат бұрын
लाज जग' काज बिगाड़ा री । मोह जग फंदा डारा री ॥ १ ॥ कुटँव की यारी ख़्वारी री । काल सँग ब्याही क्वारी री ॥ २ ॥ कर्म ने फाँसी डारी री। करे जम हाँसी भारी री ॥ ३ ॥ मरन की सुद्धि विसारी री । देह अब लागी प्यारी री ॥ ४ ॥ मान में खप गई सारी री I पोट सिर भारी धारी री ॥ ५ ॥ जीत कर बाज़ी हारी री। चाह जग की नहिं मारी री ॥ ६ ॥ राधास्वामी कहत पुकारी री। करो कोइ जतन बिचारी री ॥ ७ ॥ गुरू सँग करो सुधारी री । नाम रस पियो अपारी री ॥ ८ ॥ R.S
@raniradhaswamiyadav578619 сағат бұрын
Radhasoami.vibhav papa mummy vijay Satish deepti di Sarita di Shorabh bhiya bhabhi Sunil yamuna ki
@Vanshp-wt7qu22420 сағат бұрын
Radha swami ji🙏🙏
@MithuGhosh.20 сағат бұрын
Radhasoami
@MithuGhosh.21 сағат бұрын
Radhasoami🙏🌹Radhasoami🙏🌹
@mpheonarayanareddy520822 сағат бұрын
चेत चलो यह सब जंजाल I काम न आवे कुछ धन माल ॥ १ ॥ गुरु चरन गहो लो नाम सम्हाल । सतसँग करो धरो अब ख्याल ॥ २ ॥ काम क्रोध सँग मन पामाल । भर्म भुलाना कर्मन नाल* ॥ ३ ॥ कहा कहूँ यह मन का हाल । रोग सोग सँग होत बेहाल ॥ ४ ॥ जीव गिरासे जम और काल । देखत जग में यह दुख साल॥ ५ ॥ तौ भी चेत न पकड़े ढाल । छिन छिन मारे काल कराल ॥ ६ ॥ राधास्वामी गुरु जब होयँ दयाल । चरन शरन दे करें निहाल ॥ ७ ॥ R.S
@mpheonarayanareddy520822 сағат бұрын
सुरत तू दुखी रहे हम जानी ॥ टेक ॥ जा दिन से तुम शब्द बिसारा १२ । मन सँग यारी ठानी ॥१ ॥ मन मूरख तन साथ बँधानी । इन्द्री स्वाद लुभानी ॥ २ कुल परिवार सभी दुस्खदाई । इन सँग रहत भुलानी ॥ ३ ॥ तू चेतन यह जड़ सब मिथ्या' । क्योंकर मेल मिलानी ॥ ४ ॥ ताते चेत चलो यह औसर । नहिं भरमो तुम खानी ॥ ५ ॥ सतसँग करो सत्तपद खोजो । सतगुरु प्रीति समानी ॥ ६ ॥ नाम रतन गुरु देयँ बुझाई । उलट चढ़ो असमानी ॥ ७ ॥ इतना काम करो तुम अबके । फिर आगे की सतगुरु जानी ॥ ८ ॥ राधास्वामी कहन सम्हारो । दुख छूटे सुख मिले निशानी ॥ ६ ॥ R.S
@Dash-lf7uo23 сағат бұрын
Radhasoami 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹
@mpheonarayanareddy520823 сағат бұрын
क्यों फिरत भुलानी जक्त में । दिन चार बसेरा ॥ १ ॥ स्वारथ" के संगी सभी । जिन तुझ को घेरा ॥ २ ॥ मात पिता सुत' इस्तिरी । कोई संग न हेरा ॥ ३ ॥ बिन गुरु सतगुरु कौन है। जो करे निबेड़ा ॥ ४ ॥ नाम बिना सब जीव । करें चौरासी फेरा ॥ ५ ॥ मन दुलहा गगना चढ़े । सज सूरत सेहरा ॥ ६ ॥ धुन दुलहिन को पाय कर । बसे जाय त्रिकुटी देहरा ॥ ७ ॥ राधास्वामी ध्यान धर । तू साँझ सवेरा ॥ ८ ॥ R.S.
@mpheonarayanareddy520823 сағат бұрын
हे सहेली अब गुरु के मारग चलना I मन मारग बिन बिन तजना ॥ १ ॥ कामादिक भोग बिसरना । धुन सुन कर नभ पर चढ़ना ॥ २ ॥ जग भट्टी में क्यों जलना I मद मान मोह नहिं पचना ॥ ३ ॥ धीरे धीरे नाम रसायन जरना । भौजल से यों ही तरना ॥ ४॥ राधास्वामी बचन पकड़ना । फिर जम से काहे को डरना ॥ ५ ॥ R.S.
@mpheonarayanareddy520823 сағат бұрын
जाग चल सूरत सोई बहुत । काहे को पूँजी अपनी खोत ॥ १ ॥ पकड़ ले सतगुरु की तू ओट १२ । नाम गह दूर करो सब खोट ॥ २ ॥ काल अब मारे छिन छिन चोट । शब्द सँग डार कर्म की पोट ॥ ३ ॥ मैल मन क्यों नहिं अब तू धोत । शब्द सँग सूरत क्यों नहिं पोत ॥ ४ ॥ निरख ले घट में अद्भुत जोत । खोलिया राधास्वामी भक्ती सोत ॥ ५ ॥ R.S
@mpheonarayanareddy520823 сағат бұрын
सुरत तू क्यों न सुने धुन नाम ॥ टेक ॥ भूलभुलइयाँ' आन फँसानी क्या समझा आराम । भला तू समझ चेत चल धाम ॥ १ ॥ मन इन्द्री सँग भोग बिलासा । यह जमराय बिछाया दाम ॥ २ ॥ इनसे निकर भाग अब प्यारी । सतगुरु मर्म लखावें ताम ॥ ३॥ अब की बार पड़ो गुरु सरना । फिर न बने अस काम ॥ ४ ॥ यहाँ तो चार दिवस' रहे बासा । फिर भटको चौरासी ग्राम ॥ ५ ॥ ता ते बचन हमारा मानो । तजो मोह और काम ॥ ६ ॥ मन बौरा यह कहा न माने । लगा भोग रस खाम० ॥ ७ ॥ जीव निबल क्या करे बिचारा । जब लग राधास्वामी करें न सहाम ॥८॥ R.S.
@savitabhatia953823 сағат бұрын
Radhasoami🙏🌹🙏🌹❤🎉
@mpheonarayanareddy520823 сағат бұрын
धुन से सुरत भई न्यारी रे । मन से बँधी कर यारी रे ॥ १ ॥ भौजाल फँसी झख मारी रे । घर छूटा फिरे उजाड़ी रे ॥ २ ॥ गुरु ज्ञान नहीं चित धारी रे । बिष भोगे बिषय बिकारी रे ॥ ३ ॥ सिर भार उठावत भारी रे । जम दंड सहे सरकारी रे ॥ ४ ॥ दुख विपता बहुत सहारी रे । अब सतगुरु कहत पुकारी रे ॥ ५ ॥ सुन मान बचन मेरा प्यारी रे । घट उलटो लख उजियारी रे ॥ ६ II शब्दा रस पियो अपारी रे । चढ़ खोलो गगन किवाड़ी' रे ॥ ७ ॥ गुरु बिन नहिं और अधारी रे । राधास्वामी काज सुधारी रे ॥ ८ ॥ R.S
@manojkumawat-t4yКүн бұрын
🙏 Radha swami ji🙏
@deendayalpatwa6043Күн бұрын
Radhsoami🙏
@Vanshp-wt7qu224Күн бұрын
Radha swami ji🙏🙏
@Vanshp-wt7qu224Күн бұрын
Radha swami ji🙏🙏
@OmkarShingjolheКүн бұрын
Radhasoami 🙏🌹
@grandmaster3492Күн бұрын
🌹राधास्वामी 🌻 🙏
@drneerajsaxena6435Күн бұрын
Radhasoami
@PratibhaSharma-o1qКүн бұрын
राधा स्वामी सदा सहाय
@chakradharzade7754Күн бұрын
🎉Radhaswami 🎉
@raniradhaswamiyadav5786Күн бұрын
Radhasoami.vibhav
@raniradhaswamiyadav5786Күн бұрын
Radhasoami.dayal ki Daya radhasoami sada sahay
@mpheonarayanareddy5208Күн бұрын
गुरू मोहिं लेव आज अपनाई ॥ टेक ॥ तुम्हरे दर की हूँ में चेरी । निस दिन तुम गुन गाई ॥ १ ॥ नीच ऊँच सब सेवा करती । मन और सुरत लगाई ॥ २ ॥ चरन दबाऊँ बस्तर झाइँ । जो जो तुम बतलाई ॥ ३ ॥ सेवा करनी में नहिं जानूँ । अपनी मेहर से आप कराई ॥ ४ ॥ एक भरोसा तुम्हरे चरना । निस दिन हिरदय छाई ॥ ५ ॥ प्रेम की चिनगी तुम किरपा कर । घट मेरे में आप धराई ॥ ६ ॥ अब तुम या बिचारो ऐसी । हर दम रहे सुलगाई ॥ ७ ॥ अटक भटक और कलमल जग की । जल जल सब जल जाई ॥ ८ ॥ तब मैं समहूँ में भई तुम्हरी । और तुम मुझको लिया अपनाई ॥ ६ ॥ गुरु देई तुम शिक्षा निज अपनी । अब आपहि कार कराई ॥१०॥ एक बात मेरे निश्चय जमती । और समझ सब गइ बिसराई ॥ ११॥ जब लग किरपा गुरु की न होई । कोई न बात बन आई ॥१२॥ दीन दुखी होय मेहर अब माँगें । हे राधास्वामी मेहर कर आई ॥ १३॥ सबकी आशा पूरन करते । मेरी भी आस पुराई ॥ १४॥ राधास्वामी दीन दयाला । जल्दी होवो सहाई ॥१५॥ इस दासी की बिनती मानो । जल्दी लेवो अपनाई ॥ १६॥ R.S