इंतकाम की आग को ऐसे दिल में समा कर बोलते हैं -2 ऐसे यकीन नहीं आता थोड़े पलके भीगा के बोलते है और मेरी नफरत का अंदाजा लगा लेना इसी बात से तू की हम हर बात में झूठ बोलते है और तेरी कसम खा कर बोलते हैं।
@Raushan99-t5o8 күн бұрын
Nice❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@SunilKol-yr8uh8 күн бұрын
मेरा आपसे निवेदन है कि आपने देखा है कि सभी सनातन हिंदू धर्म की 10 वर्ष की लड़कियो को आपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी की जा रही है ये कैसा प्यार है । जो माँ बाप ने लड़की को जन्म दिया पालन पोषण कर आत्मनिर्भर बनाया आवश्यक्ता पडने पर उसको छोड़कर उसके उपकार भूल गये उस हर त्याग बलिदान को उस माता के प्रेम को विश्वासघात किया अपने स्वार्थ के लिये ये कैसा प्यार है यदि जाति धर्म नही देखता ये प्यार तो फिर दुनियाभर धर्मवाद सामाप्त क्यो नही सामाप्त कर देते दुनियाभर के लोग विश्वासपात्र जानवर होते है तो मनुष्य कैसे विश्वाघाती हो गया है क्या मनुष्य जानवर से गया बीता हो गया है तो बताये कैसा प्यार हो गया है जानवर भी अपने पालने पोषण करने वाले के लिये अपने जान दे देता है लेकिन धोखा नही देता ये कैसा जन्म देकर पालन पोषण करने वाले के साथ धोखेबाज प्यार हो गया है ।
@SaifAli-et6it10 күн бұрын
itna chhubbne lga hub Sbko, khin bin chhilal bans to Nhi 😥😂
@Pra-liszte1312 күн бұрын
I respect you sir
@DEVA_YV18 күн бұрын
Itna chubhne laga hu .....😂😂😂 kahi 🔪
@rafiuddinshah514518 күн бұрын
Besahoora ? Kia hai
@Vishal_Shevale19 күн бұрын
Besahura matlb?
@GAMERRK77Ай бұрын
2 hazar daath 💀💀💀💀
@RahulKumar-sy8qyАй бұрын
Remote hoga
@Prakash-em7ezАй бұрын
कहीं कोई लव जिहाद कि शिकार तो नहीं बने आपसब मे कोई? यही प्रार्थना है सभी बहन बेटियों से आप ऐसा कर के अपने पिता को जीतें जी न मारें। पिता के मर्जी हो ऐसे लड़के से ही सादी करें। उनका दिल न दुखाएं यही विनती है आप सबसे।🙏
@veather4025Ай бұрын
Irshad e alam
@OfficialGames1311Ай бұрын
Itna chubhne lga hu sabko... Itna chubhne lga hu sabko..... Kahi injection to nhi Mai....... ❤❤❤
@Figan_bin_umarАй бұрын
Kahaan per hai bhai ye studio mujhe apni shayeri padna hai
@sunnyavasthi_editsАй бұрын
बहुत सुंदर रचना। ❤❤❤
@DhillonDiagnosticLaboratoryАй бұрын
🥹💔
@swapnilsingh6209Ай бұрын
Greattt
@nehabiradar1049Ай бұрын
😢
@ArnavDebnath-5008Ай бұрын
❤
@MauryaKumari-lb8dcАй бұрын
Love you Bro❤
@MandaviYadav-hb9xtАй бұрын
Very nice 👍
@amritstudio44182 ай бұрын
Kiya salike malike sabt use kar rha he..sudh hindi bol.
wow bhaiya 😊😊❤❤thanks itna achha likhne ke liye❤❤❤
@sanjeedaparveen70923 ай бұрын
Touching 💗💗💗💗
@Talent_duniya_753 ай бұрын
Ganguli
@devakdhun3 ай бұрын
वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- ‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर। दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर। शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र। शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख, यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण, मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, इसमें कहाँ तू है। अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख, मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख। सब जन्म मुझी से पाते हैं, फिर लौट मुझी में आते हैं। जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन, पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर! मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण। बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है? यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन। सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है? हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ। याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा। टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर, फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा। भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा। थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’!