श्री महाप्रभुजी की कृपा से,ठाकुर जी की कृपा से...अपन अपने अंदर बिराज रहे अंतर्यामी की सेवा सेव्य स्वरूप की कर रहें हैं ।। वो व्यष्टि स्वरूप हैं। उसे हम स्वार्थ स्वरूप भी कहते हैं।। one to one... Jivatma ane paramatma(Antaryami)जो सत् चित् आनंद रूप पूर्ण पुरुषोत्तम श्री कृष्ण ही हैं.. 🪿🪿🦜🦜शुधाद्वैत साकार ब्रम्हवाद ।।