08. इन्द्रिय ज्ञान अतीन्द्रिय ज्ञान में अंतर

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Baal Br. Pt. Sumat Prakash Ji

Baal Br. Pt. Sumat Prakash Ji

26 күн бұрын

भव-रोग
(तर्ज : ज्ञान ही सुख है राग ही दुख है ...)
ज्ञान में राग ना, ज्ञान में रोग ना,
राग में रोग है, राग ही रोग है।। टेक ।।
ज्ञानमय आत्मा, राग से शून्य है,
ज्ञानमय आत्मा, रोग से है रहित।
जिसको कहता तू मूरख बड़ा रोग है,
वह तो पुद्गल की क्षणवर्ती पर्याय है ।। 1 ।।
उसमें करता अहंकार-ममकार अरु,
अपनी इच्छा के आधीन वर्तन चहे।
किन्तु होती है परिणति तो स्वाधीन ही,
अपने अनुकूल चाहे, यही रोग है।। 2।।
अपनी इच्छा के प्रतिकूल होते अगर,
छटपटाता दुखी होय रोता तभी।
पुण्योदय से हो इच्छा के अनुकूल गर,
कर्त्तापन का तू कर लेता अभिमान है ।। 3 ।।
और अड़ जाता उसमें ही तन्मय हुआ,
मेरे बिन कैसे होगा ये चिन्ता करे।
पर में एकत्व-कर्तृत्व-ममत्व का,
जो है व्यामोह वह ही महा रोग है।। 4 ।।
काया के रोग की बहु चिकित्सा करे,
परिणति का भव रोग जाना नहीं।
इसलिये भव की संतति नहीं कम हुई,
तूने निज को तो निज में पिछाना नहीं ।। 5 ।।
भाग्य से वैद्य सच्चे हैं तुझको मिले,
भेद-विज्ञान बूटी की औषधि है ही।
उसका सेवन करो समता रस साथ में,
रोग के नाश का ये ही शुभ योग है ।। 6।।
रखना परहेज कुगुरु-कुदेवादि का,
संगति करना जिनदेव-गुरु-शास्त्र की।
इनकी आज्ञा के अनुसार निज को लखो,
निज में स्थिर रहो, पर का आश्रय तजो ।। 7 ।।
रचनाकार - आ. बाल ब्रह्मचारी श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्'
source : सहज पाठ संग्रह (पेज - 97)

Пікірлер: 4
@ranishah9318
@ranishah9318 24 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏
@madhusolanki3453
@madhusolanki3453 23 күн бұрын
Jay shachidanad 👏 pandit ji
@rajinibalajain10
@rajinibalajain10 24 күн бұрын
Dhanya bhagya hamare
@RajeshNayak-xr6hy
@RajeshNayak-xr6hy 24 күн бұрын
1:18
Stay on your way 🛤️✨
00:34
A4
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DAD LEFT HIS OLD SOCKS ON THE COUCH…😱😂
00:24
JULI_PROETO
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Женская драка в Кызылорде
00:53
AIRAN
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15. निज में स्थिर रहो, पर का आश्रय तजो
1:00:28
छ: ढाला क्लास 25-5-2024 part 1
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Shri kundkund mahila sabha
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A4
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