किसान जब तक खेती को उद्योग की तरह नहीं लेंगे, खुद मार्केटिंग नहीं करेंगे तबतक हालत नहीं सुधरेंगे. रोज आठ घंटे खेती को देने होंगे. उत्पादन करना आसान है मगर मंडी में भाव नहीं मिलता. सभी किसान मार्केटिंग नहीं कर सकते इसलिए आम किसान की स्थिति सुधरने की संभावना कम है. उद्योग मानकर खेती करने पर खेती की लागत बहुत आती है जो सामान्य किसान नहीं कर पाता. तकनीकी जानकारी अपनाना आसान नहीं है.
@sandeepmaan4145Күн бұрын
Meetha tota h ye net aur polyhouse
@preet_farm_9211Күн бұрын
Mandi me javga to pata lag ja ga or tara kya jata h be khatmal tu video bana ke v vives le ke nikal le ga 😂😂