Choukra ALLAH merci longue vie à vous tous depuis Mayotte
@sardarfidaullah25872 жыл бұрын
لا اله الا الله
@umairzafar65862 жыл бұрын
💖 لا إله إلا الله 💖 🌴 سبحان الله والحمد لله ولا اله الا الله والله اكبر 🌴
@abduljabbarahmad47373 ай бұрын
MA SHA ALLAH
@naziranj.53572 жыл бұрын
MashaAllah 🤲🏼🌹❤️. Very Beautiful recitation Sheikh Hudhaify. SubhaanAllah 💚
@brightangle86082 жыл бұрын
56:27 *और दायें वाले, क्या (ही भाग्यशाली) हैं दायें वाले!* - 56:28 बिन काँटे की बैरी में होंगे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:29 तथा तह पर तह केलों में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:30 फैली हुई छाया[ में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:31 और प्रवाहित जल में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:32 तथा बहुत-से फलों में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:33 जो न समाप्त होंगे, न रोके जायेंगे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:34 और ऊँचे बिस्तर पर। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:35 हमने बनाया है (उनकी) पत्नियों को एक विशेष रूप से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:36 हमने बनाय है उन्हें कुमारियाँ। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:37 प्रेमिकायें समायु। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:38 दाहिने वालों के लिए। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:39 बहुत-से अगलों में से होंगे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:40 तथा बहुत-से पिछलों में से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:41 और बायें वाले, तो क्या हैं बायें वाले! - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:42 वे गर्म वायु तथा खौलते जल में (होंगे)। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:43 तथा काले धुवें की छाया में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:44 जो न शीतल होगा और न सुखद। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:45 वास्तव में, वे इससे पहले (संसार में) सम्पन्न (सुखी) थे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:46 तथा दुराग्रह करते थे महा पापों पर। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:47 तथा कहा करते थे कि क्या जब हम मर जायेंगे तथा हो जायेंगे धूल और अस्थियाँ, तो क्या हम अवश्य पुनः जीवित होंगे? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:48 और क्या हमारे पूर्वज (भी)? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:49 आप कह दें कि निःसंदेह सब अगले तथा पिछले। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:50 अवश्य एकत्र किये जायेंगे एक निर्धारित दिन के समय। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:51 फिर तुम, हे कुपथो! झुठलाने वालो! - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:52 अवश्य खाने वाले हो ज़क़्क़ूम (थोहड़) के वृक्ष से।[ - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:53 तथा भरने वाले हो उससे (अपने) उदर। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:54 तथा पीने वाले हो उसपर से खौलता जल। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:55 फिर पीने वाले हो प्यासे[ ऊँट के समान। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:56 यही उनका अतिथि सत्कार है, प्रतिकार (प्रलय) के दिन। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:57 हमने ही उत्पन्न किया है तुम्हें, फिर तुम विश्वास क्यों नहीं करते? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:58 क्या तुमने ये विचार किया कि जो वीर्य तुम (गर्भाशयों में) गिराते हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:59 क्या तुम उसे शिशु बनाते हो या हम बनाने वाले हैं? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:60 हमने निर्धारित किया है तुम्हारे बीच मरण को तथा हम विवश होने वाले नहीं हैं। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:61 कि बदल दें तुम्हारे रूप और तुम्हें बना दें उस रूप में, जिसे तुम नहीं जानते। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:62 तथा तुमने तो जान लिया है प्रथम उत्पत्ति को फिर तुम शिक्षा ग्रहण क्यों नहीं करते? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:63 फिर क्या तुमने विचार किया कि उसमें जो तुम बोते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:64 क्या तुम उसे उगाते हो या हम उसे उगाने वाले हैं? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:65 यदि हम चाहें, तो उसे भुस बना दें, फिर तुम बातें बनाते रह जाओ। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:66 वस्तुतः, हम दण्डित कर दिये गये। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:67 बल्कि हम (जीविका से) वंचित कर दिये गये। - Maulana Azizul Haque al-Umari
@brightangle86082 жыл бұрын
56:68 फिर तुमने विचार किया उस पानी में, जो तुम पीते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:69 क्या तुमने उसे बरसाया है बादल से अथवा हम उसे बरसाने वाले हैं।? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:70 यदि हम चाहें, तो उसे खारी कर दें, फिर तुम आभारी (कृतज्ञ) क्यों नहीं होते? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:71 क्या तुमने उस अग्नि को देखा, जिसे तुम सुलगाते हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:72 क्या तुमने उत्पन्न किया है उसके वृक्ष को या हम उत्पन्न करने वाले हैं? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:73 हमने ही बनाया उसे शिक्षाप्रद तथा यात्रियों के लाभदायक। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:74 अतः, (हे नबी!) आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महा पालनहार के नाम की। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:75 मैं शपथ लेता हूँ सितारों के स्थानों की! - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:76 और ये निश्चय एक बड़ी शपथ है, यदि तुम समझो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:77 वास्तव में, ये आदरणीय[ क़ुर्आन है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:78 सुरक्षित[ पुस्तक में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:79 इसे पवित्र लोग ही छूते हैं।[ - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:80 अवतरित किया गया है सर्वलोक के पालनहार की ओर से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:81 फिर क्या तुम इस वाणि (क़ुर्आन) की अपेक्षा करते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:82 तथा बनाते हो अपना भाग कि इसे तुम झुठलाते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:83 फिर क्यों नहीं जब प्राण गले को पहुँचते हैं। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:84 और तुम उस समय देखते रहते हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:85 तथा हम अधिक समीप होते हैं उसके तुमसे, परन्तु तुम नहीं देख सकते। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:86 तो यदि तुम किसी के आधीन न हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:87 तो उस (प्राण) को फेर क्यों नहीं लाते, यदि तुम सच्चे हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:88 फिर यदि वह (प्राणी) समीपवर्तियों में है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:89 तो उसके लिए सुख तथा उत्तम जीविका तथा सुख भरा स्वर्ग है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:90 और यदि वह दायें वालों में से है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:91 तो सलाम है तेरे लिए दायें वालों में होने के कारण।[ - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:92 और यदि वह है झुठलाने वाले कुपथों में से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:93 तो अतिथि सत्कार है खौलते पानी से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:94 तथा नरक में प्रवेश। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:95 वास्तव में, यही निश्चय सत्य है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:96 अतः, (हे नबी!) आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महा पालनहार के नाम की। - Maulana Azizul Haque al-Umari