15th Oct 2022 Madeenah Fajr Sheikh ‘Ali Hudhaify

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تسجيلات الحرمين | Haramain Recordings

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Күн бұрын

Пікірлер
@SuhaibQashmar
@SuhaibQashmar 2 жыл бұрын
‏۞ سورة الواقعة (56) 27 - 96
@SuhaibQashmar
@SuhaibQashmar 2 жыл бұрын
﴿وَأَصحابُ اليَمينِ ما أَصحابُ اليَمينِ ۝ في سِدرٍ مَخضودٍ ۝ وَطَلحٍ مَنضودٍ ۝ وَظِلٍّ مَمدودٍ ۝ وَماءٍ مَسكوبٍ ۝ وَفاكِهَةٍ كَثيرَةٍ ۝ لا مَقطوعَةٍ وَلا مَمنوعَةٍ ۝ وَفُرُشٍ مَرفوعَةٍ ۝ إِنّا أَنشَأناهُنَّ إِنشاءً ۝ فَجَعَلناهُنَّ أَبكارًا ۝ عُرُبًا أَترابًا ۝ لِأَصحابِ اليَمينِ ۝ ثُلَّةٌ مِنَ الأَوَّلينَ ۝ وَثُلَّةٌ مِنَ الآخِرينَ ۝ وَأَصحابُ الشِّمالِ ما أَصحابُ الشِّمالِ ۝ في سَمومٍ وَحَميمٍ ۝ وَظِلٍّ مِن يَحمومٍ ۝ لا بارِدٍ وَلا كَريمٍ ۝ إِنَّهُم كانوا قَبلَ ذلِكَ مُترَفينَ ۝ وَكانوا يُصِرّونَ عَلَى الحِنثِ العَظيمِ ۝ وَكانوا يَقولونَ أَئِذا مِتنا وَكُنّا تُرابًا وَعِظامًا أَإِنّا لَمَبعوثونَ ۝ أَوَآباؤُنَا الأَوَّلونَ ۝ قُل إِنَّ الأَوَّلينَ وَالآخِرينَ ۝ لَمَجموعونَ إِلى ميقاتِ يَومٍ مَعلومٍ ۝ ثُمَّ إِنَّكُم أَيُّهَا الضّالّونَ المُكَذِّبونَ ۝ لَآكِلونَ مِن شَجَرٍ مِن زَقّومٍ ۝ فَمالِئونَ مِنهَا البُطونَ ۝ فَشارِبونَ عَلَيهِ مِنَ الحَميمِ ۝ فَشارِبونَ شُربَ الهيمِ ۝ هذا نُزُلُهُم يَومَ الدّينِ ۝ نَحنُ خَلَقناكُم فَلَولا تُصَدِّقونَ ۝ أَفَرَأَيتُم ما تُمنونَ ۝ أَأَنتُم تَخلُقونَهُ أَم نَحنُ الخالِقونَ ۝ نَحنُ قَدَّرنا بَينَكُمُ المَوتَ وَما نَحنُ بِمَسبوقينَ ۝ عَلى أَن نُبَدِّلَ أَمثالَكُم وَنُنشِئَكُم في ما لا تَعلَمونَ ۝ وَلَقَد عَلِمتُمُ النَّشأَةَ الأولى فَلَولا تَذَكَّرونَ ۝ أَفَرَأَيتُم ما تَحرُثونَ ۝ أَأَنتُم تَزرَعونَهُ أَم نَحنُ الزّارِعونَ ۝ لَو نَشاءُ لَجَعَلناهُ حُطامًا فَظَلتُم تَفَكَّهونَ ۝ إِنّا لَمُغرَمونَ ۝ بَل نَحنُ مَحرومونَ ۝ أَفَرَأَيتُمُ الماءَ الَّذي تَشرَبونَ ۝ أَأَنتُم أَنزَلتُموهُ مِنَ المُزنِ أَم نَحنُ المُنزِلونَ ۝ لَو نَشاءُ جَعَلناهُ أُجاجًا فَلَولا تَشكُرونَ ۝ أَفَرَأَيتُمُ النّارَ الَّتي تورونَ ۝ أَأَنتُم أَنشَأتُم شَجَرَتَها أَم نَحنُ المُنشِئونَ ۝ نَحنُ جَعَلناها تَذكِرَةً وَمَتاعًا لِلمُقوينَ ۝ فَسَبِّح بِاسمِ رَبِّكَ العَظيمِ ۝ فَلا أُقسِمُ بِمَواقِعِ النُّجومِ ۝ وَإِنَّهُ لَقَسَمٌ لَو تَعلَمونَ عَظيمٌ ۝ إِنَّهُ لَقُرآنٌ كَريمٌ ۝ في كِتابٍ مَكنونٍ ۝ لا يَمَسُّهُ إِلَّا المُطَهَّرونَ ۝ تَنزيلٌ مِن رَبِّ العالَمينَ ۝ أَفَبِهذَا الحَديثِ أَنتُم مُدهِنونَ ۝ وَتَجعَلونَ رِزقَكُم أَنَّكُم تُكَذِّبونَ ۝ فَلَولا إِذا بَلَغَتِ الحُلقومَ ۝ وَأَنتُم حينَئِذٍ تَنظُرونَ ۝ وَنَحنُ أَقرَبُ إِلَيهِ مِنكُم وَلكِن لا تُبصِرونَ ۝ فَلَولا إِن كُنتُم غَيرَ مَدينينَ ۝ تَرجِعونَها إِن كُنتُم صادِقينَ ۝ فَأَمّا إِن كانَ مِنَ المُقَرَّبينَ ۝ فَرَوحٌ وَرَيحانٌ وَجَنَّتُ نَعيمٍ ۝ وَأَمّا إِن كانَ مِن أَصحابِ اليَمينِ ۝ فَسَلامٌ لَكَ مِن أَصحابِ اليَمينِ ۝ وَأَمّا إِن كانَ مِنَ المُكَذِّبينَ الضّالّينَ ۝ فَنُزُلٌ مِن حَميمٍ ۝ وَتَصلِيَةُ جَحيمٍ ۝ إِنَّ هذا لَهُوَ حَقُّ اليَقينِ ۝ فَسَبِّح بِاسمِ رَبِّكَ العَظيمِ﴾ [الواقعة:٢٧-٩٦]
@abdallahnaouiroudine600
@abdallahnaouiroudine600 5 ай бұрын
Choukra ALLAH merci longue vie à vous tous depuis Mayotte
@sardarfidaullah2587
@sardarfidaullah2587 2 жыл бұрын
لا اله الا الله
@umairzafar6586
@umairzafar6586 2 жыл бұрын
💖 لا إله إلا الله 💖 🌴 سبحان الله والحمد لله ولا اله الا الله والله اكبر 🌴
@abduljabbarahmad4737
@abduljabbarahmad4737 3 ай бұрын
MA SHA ALLAH
@naziranj.5357
@naziranj.5357 2 жыл бұрын
MashaAllah 🤲🏼🌹❤️. Very Beautiful recitation Sheikh Hudhaify. SubhaanAllah 💚
@brightangle8608
@brightangle8608 2 жыл бұрын
56:27 *और दायें वाले, क्या (ही भाग्यशाली) हैं दायें वाले!* - 56:28 बिन काँटे की बैरी में होंगे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:29 तथा तह पर तह केलों में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:30 फैली हुई छाया[ में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:31 और प्रवाहित जल में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:32 तथा बहुत-से फलों में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:33 जो न समाप्त होंगे, न रोके जायेंगे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:34 और ऊँचे बिस्तर पर। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:35 हमने बनाया है (उनकी) पत्नियों को एक विशेष रूप से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:36 हमने बनाय है उन्हें कुमारियाँ। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:37 प्रेमिकायें समायु। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:38 दाहिने वालों के लिए। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:39 बहुत-से अगलों में से होंगे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:40 तथा बहुत-से पिछलों में से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:41 और बायें वाले, तो क्या हैं बायें वाले! - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:42 वे गर्म वायु तथा खौलते जल में (होंगे)। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:43 तथा काले धुवें की छाया में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:44 जो न शीतल होगा और न सुखद। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:45 वास्तव में, वे इससे पहले (संसार में) सम्पन्न (सुखी) थे। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:46 तथा दुराग्रह करते थे महा पापों पर। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:47 तथा कहा करते थे कि क्या जब हम मर जायेंगे तथा हो जायेंगे धूल और अस्थियाँ, तो क्या हम अवश्य पुनः जीवित होंगे? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:48 और क्या हमारे पूर्वज (भी)? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:49 आप कह दें कि निःसंदेह सब अगले तथा पिछले। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:50 अवश्य एकत्र किये जायेंगे एक निर्धारित दिन के समय। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:51 फिर तुम, हे कुपथो! झुठलाने वालो! - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:52 अवश्य खाने वाले हो ज़क़्क़ूम (थोहड़) के वृक्ष से।[ - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:53 तथा भरने वाले हो उससे (अपने) उदर। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:54 तथा पीने वाले हो उसपर से खौलता जल। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:55 फिर पीने वाले हो प्यासे[ ऊँट के समान। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:56 यही उनका अतिथि सत्कार है, प्रतिकार (प्रलय) के दिन। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:57 हमने ही उत्पन्न किया है तुम्हें, फिर तुम विश्वास क्यों नहीं करते? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:58 क्या तुमने ये विचार किया कि जो वीर्य तुम (गर्भाशयों में) गिराते हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:59 क्या तुम उसे शिशु बनाते हो या हम बनाने वाले हैं? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:60 हमने निर्धारित किया है तुम्हारे बीच मरण को तथा हम विवश होने वाले नहीं हैं। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:61 कि बदल दें तुम्हारे रूप और तुम्हें बना दें उस रूप में, जिसे तुम नहीं जानते। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:62 तथा तुमने तो जान लिया है प्रथम उत्पत्ति को फिर तुम शिक्षा ग्रहण क्यों नहीं करते? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:63 फिर क्या तुमने विचार किया कि उसमें जो तुम बोते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:64 क्या तुम उसे उगाते हो या हम उसे उगाने वाले हैं? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:65 यदि हम चाहें, तो उसे भुस बना दें, फिर तुम बातें बनाते रह जाओ। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:66 वस्तुतः, हम दण्डित कर दिये गये। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:67 बल्कि हम (जीविका से) वंचित कर दिये गये। - Maulana Azizul Haque al-Umari
@brightangle8608
@brightangle8608 2 жыл бұрын
56:68 फिर तुमने विचार किया उस पानी में, जो तुम पीते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:69 क्या तुमने उसे बरसाया है बादल से अथवा हम उसे बरसाने वाले हैं।? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:70 यदि हम चाहें, तो उसे खारी कर दें, फिर तुम आभारी (कृतज्ञ) क्यों नहीं होते? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:71 क्या तुमने उस अग्नि को देखा, जिसे तुम सुलगाते हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:72 क्या तुमने उत्पन्न किया है उसके वृक्ष को या हम उत्पन्न करने वाले हैं? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:73 हमने ही बनाया उसे शिक्षाप्रद तथा यात्रियों के लाभदायक। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:74 अतः, (हे नबी!) आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महा पालनहार के नाम की। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:75 मैं शपथ लेता हूँ सितारों के स्थानों की! - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:76 और ये निश्चय एक बड़ी शपथ है, यदि तुम समझो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:77 वास्तव में, ये आदरणीय[ क़ुर्आन है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:78 सुरक्षित[ पुस्तक में। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:79 इसे पवित्र लोग ही छूते हैं।[ - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:80 अवतरित किया गया है सर्वलोक के पालनहार की ओर से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:81 फिर क्या तुम इस वाणि (क़ुर्आन) की अपेक्षा करते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:82 तथा बनाते हो अपना भाग कि इसे तुम झुठलाते हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:83 फिर क्यों नहीं जब प्राण गले को पहुँचते हैं। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:84 और तुम उस समय देखते रहते हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:85 तथा हम अधिक समीप होते हैं उसके तुमसे, परन्तु तुम नहीं देख सकते। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:86 तो यदि तुम किसी के आधीन न हो। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:87 तो उस (प्राण) को फेर क्यों नहीं लाते, यदि तुम सच्चे हो? - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:88 फिर यदि वह (प्राणी) समीपवर्तियों में है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:89 तो उसके लिए सुख तथा उत्तम जीविका तथा सुख भरा स्वर्ग है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:90 और यदि वह दायें वालों में से है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:91 तो सलाम है तेरे लिए दायें वालों में होने के कारण।[ - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:92 और यदि वह है झुठलाने वाले कुपथों में से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:93 तो अतिथि सत्कार है खौलते पानी से। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:94 तथा नरक में प्रवेश। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:95 वास्तव में, यही निश्चय सत्य है। - Maulana Azizul Haque al-Umari 56:96 अतः, (हे नबी!) आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महा पालनहार के नाम की। - Maulana Azizul Haque al-Umari
@تقي-م2ش
@تقي-م2ش 4 ай бұрын
سَيِّدُ الِاسْتِغْفارِ أنْ تَقُولَ: اللَّهُمَّ أنْتَ رَبِّي لا إلَهَ إلَّا أنْتَ، خَلَقْتَنِي وأنا عَبْدُكَ، وأنا علَى عَهْدِكَ ووَعْدِكَ ما اسْتَطَعْتُ، أعُوذُ بكَ مِن شَرِّ ما صَنَعْتُ، أبُوءُ لكَ بنِعْمَتِكَ عَلَيَّ، وأَبُوءُ لكَ بذَنْبِي فاغْفِرْ لِي؛ فإنَّه لا يَغْفِرُ الذُّنُوبَ إلَّا أنْتَ. قالَ: ومَن قالَها مِنَ النَّهارِ مُوقِنًا بها، فَماتَ مِن يَومِهِ قَبْلَ أنْ يُمْسِيَ، فَهو مِن أهْلِ الجَنَّةِ، ومَن قالَها مِنَ اللَّيْلِ وهو مُوقِنٌ بها، فَماتَ قَبْلَ أنْ يُصْبِحَ، فَهو مِن أهْلِ الجَنَّةِ.
@Easybook109
@Easybook109 2 жыл бұрын
Asalamalykom warahmatullah wabarakatuhu BARAkALLAHOFIKOM Chokran 🤍en ÂLLÂH 🤍💐
@surryiaasghar9189
@surryiaasghar9189 4 ай бұрын
Fa fasabbih bismi Rabbikal azeem masha Allah
@RubaKhadam
@RubaKhadam 7 ай бұрын
تحصنا بلله وبسر ذات الله وبكل اسم لله من عدونا ومن عدو الله الله اكبر لا اله الا الله ولا حول ولا قوة الا بلله العلي العظيم
@abduljabbarahmad4737
@abduljabbarahmad4737 3 ай бұрын
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@ahmadabdlla716
@ahmadabdlla716 7 ай бұрын
لا حول ولا قوة الا با الله
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