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#5.1 Core #Court #Cases Pending!
देशभर में वर्तमान में 5.1 करोड मुकदमें लंबित हैं। भारत की न्याय व्यवस्था में मुख्य रूप से तीन स्तर आते जिनमें सप्रीर्म कोर्ट- 82,397 मुकदमें लंबित, हाई कोर्ट और जिला न्यायालय कोर्ट।
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में ही - 70,154 मुकदमें लंबित हैं।
सिविल मुकदमें -
1. 1 वर्ष- से लंबित मुकदमें- 45,86,004
2. 1 से 3 वर्ष लंबित मुकदमे- 22,60,721
3. 3 से 5 वर्ष लंबित मुकदमें- 17,86,8,68
4. 5 से 10 वर्ष लंबित मुकदमें- 17,0150
5. 10 से 20 वर्ष लंबित मुकदमें- 62,43,17
6. 20 से 30 वर्ष लंबित मुकदमें 10, 4,224
क्रिमीनल मुकदमें
1. 1 वर्ष से लंबित मुकदमें- 12824338
2. 1 से 3 वर्ष से लंबित मुकदमें- 66,60,754
3. 3 से 5 वर्ष से लंबित मुकदमें- 7193145
4. 5 से 10 वर्ष से लंबित मुकदमें- 54,16,379
5. 10 से 20 वर्ष से लंबित मुकदमें- 2,65,0014
6. 20 से 30 वर्ष से लंबित मुकदमें- 30,9 357
मेरा मानना है कि न्याय व्यवस्था में सुधार तभी संभव है जो कुछ बिंदुओं पर घ्यान दिया जाए-
1. सुप्रीर्म कोर्ट- स्वयं और सभी प्रकार के कोर्ट में परोपर जजों की भर्ती करे।
2. राज्य सरकारें अधिक से अधिक कानून व्यवस्थाएं बनाकर रखे,ताकि समाज का कानून हैवी ना हो।
3. लोगों में धर्म के अनुसार आचरण शांति पूर्ण होना चाहिए ना कि दूसरे के प्रति हिंसापूर्वक हो
4. लोगों में शिक्षा रूपी आचरण होना चाहिए ताकि जाति और धर्म आधारित ,,,,,
इसके साथ अगर आप बेहतर समझते है तो कुछ पाउंट ओर जोड़ सकते हैं...