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चंडीगढ़।जोश और मस्ती के साथ थिरकते बॉलीवुड स्टार रणदीप हुड्डा,पंजाबी गायक पम्मी बाई और हरियाणवी कलाकार गजेंद्र फौगाट की धमाल मचाती अदाकारी के बीच पांचवें चित्र भारती फिल्मोत्सव की ट्रॉफी को यहां लांच किया गया।
यह फिल्मोत्सव 23 फरवरी से 25 फरवरी तक पंचकूला में आयोजित किया गया है।खचाखच भरे टैगौर थिएटर में रणदीप हुड्डा ने जब हरियाणवी मूड में दर्शकों को सबनै राम राम भाई कहा तो माहौल बन गया।फिल्में मनोरंजन के लिए बनें या समाज को संदेश देने के लिए हों पर चल रही बहस को आगे बढ़ाते हुए हुड्डा ने कहा कि फिल्मों में एक संदेश तो होना ही चाहिए पर दर्शकों को एंगेज करने के लिए वह बात मनोरंजक ढंग से कही जानी चाहिए ताकि फ़िल्म देखने के बाद जब वे बाहर आएं तो सोचें कि यार बात तो उसने सही कही थी।उन्होंने कहा कि फिल्में ऐसी हों कि एक राज्य की फ़िल्म दूसरे राज्य के लोग भी देखें।हरियाणा के लोग मणिपुर की फ़िल्म देखें,मणिपुर के पंजाब की देखें।इस पर हाल में हंसी के ठहाके गूंजने लगे।उल्लेखनीय है कि रणदीप हुड्डा की हाल ही में एक मणिपुरी लड़की से मणिपुरी रीति रिवाज से हुई शादी की पूरे देश में चर्चा है।एक दर्शक ने चिल्लाकर कहा कि उसनै (पत्नी को)बी ले आंदा।उसी हरियाणवी स्टाइल में बॉलीवुड एक्टर ने जवाब दिया कि लाऊं था पर वा घर मैं धार काढ़ री थी। पूरा हाल तालियों से गूंज उठा।हुड्डा बोले यही दर्शकों को एंगेज करना है।उन्होंने बताया कि उनकी वीर सावरकर फ़िल्म रिलीज़ के लिए तैयार है।इसमें एक्टिंग,निर्देशन, प्रोडक्शन सब उनका ही है और यह एक बड़ा चुनौती पूर्ण काम था।इस पिक्चर पर खूब मेहनत की है।जब फ़िल्म हाथ में ली तो यही डर लगता था कि इतने बड़े व्यक्तित्व पर फ़िल्म बना तो रहे हैं कहीं यह हल्की ना रह जाये।
इस अवसर पर हरियाणवी कलाकार गजेंद्र फौगाट और प्रसिद्ध पंजाबी गायक पम्मी बाई की स्टेज तोड़ परफॉर्मेंस ने हाल में जबरदस्त जोश भर दिया।
।पांचवें चित्र भारती फिल्मोत्सव के ट्राफी लांच एवं स्मारिका विमोचन समारोह दीप प्रज्वलन और वंदे मातरम से हुआ। । इस अवसर पर स्मारिका विमोचन और आयोजन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश कुमार ने अतिथियों का धन्यवाद किया।समारोह में विशेष अतिथि के रुप में हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता,
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर,पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल,भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो.बृजकिशोर कुठियाला,आयोजन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश कुमार एवं अनेक गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।
श्री नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि सिनेमा में भारतीय दर्शन,सामाजिक सरोकार,चेतना एवं प्रेरणा के साथ धर्म संस्कृति और नैतिक मूल्यों की झलक होनी चाहिए।भारतीय चित्र साधना इसी उद्देश्य को लेकर इस तरह के आयोन कर रही है।वे टैगोर थिएटर चंडीगढ़ में आयोजित पांचवें चित्र भारती फिल्म समारोह की ट्राफी लांच एवं स्मारिका विमोचन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल को भारतीय सिनेमा 111 वर्ष का होगा। इन वर्षों में भारतीय सिनेमा ने अनेक करवट ली। भारत का जो सिनेमा सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र नाम पहली फिल्म से शुरु हुआ था,वह आज आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता परोसने और नैतिक मूल्यों के ह्रास तक पहुंचा है।यह भी स्वीकार है कि बीच बीच में कई प्रेरक और अच्छी फिल्में बनती रही हैं और उन्हें खूब पसंद भी किया गया,मगर संख्या कम है।पिछले दशकों में भारतीय सिनेमा के माध्यम से भारतीय दर्शन पर प्रहार के लिए एक नैरेटिव भी खड़ा किया गया।इसी सोच के साथ भारतीय परंपराओं से पाश्चात्य संस्कृति और बाजारवाद को बढ़ावा दिया गया।एक खास वर्ग को आकर्षित करने के लिए निम्न स्तर के कंटेंट वाली फिल्में और गीत संगीत परोसा गया। इसका सीधा दुष्प्रभाव पूरे समाज विशेषकर युवा शक्ति पर पड़ा है। उन्होंने भारतीय चित्र साधना का लक्ष्य है कि भारत में एक उच्च स्तरीय सिनेमा का दर्शन हो,जिसमें महिला सशक्तिकरण,रोजगार सृजन,समरसता,पर्यावरण के प्रति जागरूकता,भविष्य का भारत,जनजातीय समाज,ग्राम विकास,नवाचार,नैतिक शिक्षा की झलक हो।अगर भारत में मनोरंजन के लिए ही सिनेमा होता तो फिल्म उद्योग के पितामह कहे जाने वाले दादा साहब फालके इसकी नींव राजा हरिश्चंद्र जैसी फिल्म फिल्म से ना रखते।उन्होंने भारतीय चित्र साधना की टीम को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें समाज को साथ लेकर इस विषय को आगे बढ़ाने का प्रयास निरंतर जारी रखना चाहिए।
भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने 23 से 25 फरवरी 2024 को होने वाले पांचवें फिल्म फेस्टिवल और इससे पूर्व में भारत के अलग अलग राज्यों में हुए फिल्म समारोह की जानकारी दी।शिक्षा नीति विशेषज्ञ व भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि चित्र साधना का उद्देश्य है कि भारत के नवोत्थान के लिए युवा वर्ग फ़िल्मों के माध्यम से भी योगदान कर। फ़िल्में न केवल समाज का दर्पण होती है बल्कि फ़िल्मों के माध्यम से सपनों के बनाने व साकार करने की प्रेरणा भी दी जा सकती है। प्रो. कुठियाला ने बताया कि भारतीय चित्र साधना के तत्वावधान मे सभी प्रांतों में फ़िल्म निर्माण की कार्यशालाएं की जाती हैं जहां युवाओं को अभिनय, कैमरा, प्रकाश, साउंड, पटकथा लेखन आदि के अतिरिक्त फ़िल्मों के वितरण व प्रदर्शन प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है। साधना के सभी कार्यों मे मुम्बई के अतिरिक्त अन्य फ़िल्म निर्माण के केंद्रों से भी कलाकार व फ़िल्मकार सक्रिय हैं।