7 साल की नौकरी के बाद निकाला गया, जज साहब का कर्मचारी के हक में बड़ा फैसला | Justice N.K Vyas

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Indian high court

Indian high court

Күн бұрын

Пікірлер: 13
@indianhighcourt
@indianhighcourt 4 күн бұрын
6th Pay Commission: कर्म उन्नति और पे स्केल विवाद, वकील ने कमिश्नर पर झूठ के आरोप लगाए kzbin.info/www/bejne/bJfWdWSgp8iGj8U
@RajenderPrasad-dt4uu
@RajenderPrasad-dt4uu Ай бұрын
कोर्ट की fantastic बात! कि शासन को तो बिना सोचे समझे आदेश करने की आदत होती है, मैं ऐसा थोड़े ही करूगा! बात बहुत गहरी और समझने की है! मेरा मानना है कि कोर्ट का कहना है कि शासन बहुत गैर जिम्मेदार और लापरवाही से आदेश करने का आदी होता है!!और सायद इस से इंकार भी नहीं किया जा सकता है!
@dhirajbahutacchijankaridiy8066
@dhirajbahutacchijankaridiy8066 2 ай бұрын
Respected High court, good design 🎉
@AjitBimarjain
@AjitBimarjain Ай бұрын
❤❤❤❤my words. ❤❤❤❤❤
@kkmix111
@kkmix111 2 ай бұрын
What a knowledge of judge. Without his interest on the case and knowledge dubeyji wouldn't have got relief.
@indianhighcourt
@indianhighcourt 2 ай бұрын
It's true that the judge's knowledge and dedication played a crucial role in providing relief to Dubeyji in this case. A judge's thorough understanding of the case details and genuine interest in justice are essential qualities that strengthen the judiciary. Without the judge's active involvement and expertise, achieving a fair resolution might have been much more challenging. Thank you for sharing your insightful thoughts.
@ibnishaq1988
@ibnishaq1988 2 ай бұрын
Still completly maintain it as indian country landmark high court ( iclhc )
@lrp1168
@lrp1168 Ай бұрын
नमस्ते सर जी मैं राजस्थान सहकारी बैंक कैसे सहकारी समिति में सहायक मैनेजर की पोस्ट पर नोकरी करता था मुझ पर गबन का आरोप लगाकर नौकरी से हटाया गया 10 साल ट्रायल कोर्ट में कैस चला ओर मुझको बरी किया गया डिपार्टमेंट वापस जॉब नहीं दे रहा था मैंने हाई कोर्ट मे रीट पिटीशन फाइल किया तीन बार नोटिस इशू हो गया डिपार्टमेंट रिप्लाई फाइल नहीं कर रहा है पिटीशन फाइल किए हुए 4 साल हो गया है क्या होगा मुझको नोकरी मिलेगा कैसे होगा क्या होगा प्लीज मुझको बताएं धन्यवाद सर
@indianhighcourt
@indianhighcourt Ай бұрын
कानूनी उपाय: हाई कोर्ट में रिट पेंडेंसी: अगर विभाग ने हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं दिया है, तो आप अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में अर्जेंसी एप्लिकेशन (Urgency Application) दायर कर सकते हैं। इस एप्लिकेशन के जरिए कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग करें। आप कोर्ट मोनिटरिंग की भी मांग कर सकते हैं, ताकि विभाग से समय पर जवाब मांगा जा सके। कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट (अवमानना याचिका): हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं देने पर, आप विभाग के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही शुरू कर सकते हैं। कोर्ट नोटिस का जवाब न देना कोर्ट की अवमानना मानी जा सकती है, जिससे अधिकारियों पर कानूनी दबाव बनेगा। नौकरी में पुनर्बहाली (Reinstatement): ट्रायल कोर्ट से बरी होने के बाद आपका नैतिक और कानूनी अधिकार बनता है कि आपको पुनः नौकरी दी जाए। हाई कोर्ट से अपनी रिट के तहत डायरेक्शन (Direction) देने की मांग करें, जिसमें विभाग को आपकी नौकरी पुनः देने का आदेश दिया जाए। समय-सीमा का पालन: 4 साल का समय अधिक हो चुका है। आप अपने वकील से कहें कि हाई कोर्ट से मामले को शीघ्र निपटाने के लिए आग्रह करें। यह सुनिश्चित करें कि सभी दस्तावेज सही और पर्याप्त प्रमाण के साथ प्रस्तुत किए गए हैं। समस्या का हल कैसे होगा? अगर आपकी रिट पर हाई कोर्ट से जल्द सुनवाई होती है और कोर्ट विभाग को आपके पक्ष में निर्देश देता है, तो विभाग को आपकी नौकरी पुनः देनी होगी। अगर विभाग इसके बाद भी आदेश का पालन नहीं करता, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। ध्यान देने योग्य बातें: अपने वकील से सलाह लें कि क्या आप सुप्रीम कोर्ट में भी विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) दायर कर सकते हैं, यदि हाई कोर्ट से समय पर न्याय नहीं मिलता। मानसिक तनाव से बचने के लिए कानूनी प्रक्रिया में धैर्य और अनुशासन बनाए रखें। आपका मामला मजबूत प्रतीत होता है क्योंकि आप ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुके हैं। हाई कोर्ट में उचित दिशा में कार्यवाही कराने से आपको न्याय अवश्य मिलेगा।
@prashantmishra6122
@prashantmishra6122 16 күн бұрын
Sir my father is a Bank employee.My father is absent from duty during prohibition period on medical grounds for 3 years, and after completion of leave period report to Bank with all medical certificate and fitness for join the duty. But bank authority is not allowed to join him.Then my father is filled a writ petition in High court in 2009. The court is directed to bank for reinstatement only. Sir what I can do for Backwages during case pendency since 2009 to 2024??? Please reply sir!
@hemrajhemraj6198
@hemrajhemraj6198 2 ай бұрын
Jab niji hai corporation hai to fir tumhara kya kaam aa jaao na niji cotporation mein hum tum ghumraah karne walo ko sarmaye kyun maanein, aisi koi visheshta to dikhti nhi jo judge ka padh ho, niji karamcharita se sarkaari karamcharita system ka shonk kyun chda tha jab pakka pakka, kacha pakka, karna tha to ye sarkari ka fraud kyun kiya desh se, logo ne jab corporation se nijta se karamcharita karni hai to sarkaar kyun chlaai jaa rhi sarkari police sansad court kyun chlaai jaa rhi
It’s all not real
00:15
V.A. show / Магика
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Collector, Don't Scare a HC Judge, IAS Suspended #lawchakra #law
12:48