जब हिंदू है तो दलित नहीं होना चाहिए और दलित है तो हिंदू नहीं होना चाहिए अपने ही भाई बेटी को कमजोर अपने भाई बेटे को सजोर ऐसी व्यवस्था का विरोध करता हूं मैं उससे अच्छे तो जानवर पैदा होना चाहिए लोगों को जो कम से कम यह तो ना कहे कि भाई भाई नहीं है
@पुष्पेन्द्र-द5ङ3 жыл бұрын
साहित्य का काम सोए लोगों को जगाना है प्रेमचन्द
@rameshsagathiya90392 жыл бұрын
बहुत खूब मार्मिक और सटिक बात कही ! अभिनंदन
@villegelife3240 Жыл бұрын
बहुत अच्छा पढ़ाया आपने ,मैने aj pahli baar apki class dekhi hai , bahut bahut dhanyabad gyrudev
@PANKAJKUMAR-br1um2 жыл бұрын
बहुत ही सुन्दर तरीके से व्याख्या किया है सर आपने🙏
@bramhananddas4668 Жыл бұрын
आज तक हीरा डोम के समुदाय समाज से गुहार ही लगाया है लेकिन उनकी गुहार राजनीतिक सत्ता धारी और समाजिक सत्ताधारी ने कभी नहीं सुना मैं तो समझता हूं आजाद देश के हम आज के गुलाम के रुप समझते हैं 🙏🏻
@bramhananddas4668 Жыл бұрын
मल्लिक विकास केन्द्र बेगूसराय बिहार की ओर से आपके दलित साहित्य और कविता पर आपकी बेहतर सोच को धन्यवाद ब्रम्हानन्द दास अध्यक्ष
@hiralalsolanki76393 ай бұрын
आदरणीय महोदय जी, आपने बहुत ही अच्छी तरह से व्याख्या की समझाया/ आपको बार- बार धन्यवाद/ महोदय जी आपकी सोच महान है, मानवता को समान करने की बात महान है/ " हीरा जी - डोम की कविता में , अमानवीय व्यथा का चित्रण हुआ है; अबकी दलित कविताओं में समस्या का मुकाबला करने की बात आई है या आऐगी/ " मानवता - समानता और सत्य- न्याय तथा भ्रातृत्व प्रेम की बात तो महान है/ चारों बातें गुरु- रविदासजी और साहेब कबीर दास जी के सोचे लोक, अमर- देशवा और बेगम पूरा में समाहित हैं/ यही बातें तथागत बुद्ध ने कालांतर - काल में बताई थी/ आदरणीय बाबा जी - साहब ने सारे जीवन भर,हमें बताई थी/ वही सारी बाते समय- शीर प्रस्फुटित हो रही है/ हर आदमी बंधन से मुक्ति चाहता है/ मजबूर है, मजदुरी करता है/ अपनी कालांतर काल से आई व्यथा की कथा का बखान कविता से करता है/ " नमस्कार आपको और उन सारे दलित मनीषी, विचारक और महान क्रांतिकारी कारी महा- पुरुषों को जिन्हौने, दबे - कुचले मजबुर मानवों के मनो - भावों (मनोविचारों) को रचनाओं के माध्यम से शब्द दिऐ/ " उन शब्दों के भावों में भार है, समझ गये तो महोदय जी सार है ; अन्यथा क्या बेकार है? महोदय जी, हम जानतें है, बाबाजी- साहेब पढ़नें के लिए विदेश गये; ज्ञान का भण्डार लाऐ, मानवता- समानता और सत्य- न्याय का विचार लाऐ/ उन विचारों पर अमल किया, संविधान के रुप में कमाल किया/आशा की किरण जगी/ पर सदियों से घायल, कमजोर विचारों के कायल ; मजबूर मानव में आजादी से आश जगी है/ धन्य है वे मानव, जिन्हौनें मनीषी बनकर इनकी व्यथा को शब्दों में भर कर कविताओं के रुप में बताई हैं/ अब प्रतिक्रिया की बारी आई है/ बहुत- बहुत- नमन/ मा0 लाल0❤🙏
@DHARMENDRAKUMAR-qt5vy Жыл бұрын
सुंदर प्रस्तुति ❤
@हिन्दीसाहित्यसुधा3 жыл бұрын
वाह क्या व्याख्या की है आपने दलित साहित्य की।🙏🙏🙏🙏🙏🙏👍
@VinodBhaiMBBS Жыл бұрын
उत्तम चर्चा
@ritadharkar7250 Жыл бұрын
Bahut bahut dhanyawad deti sir es vyakhya ke liye
@indri_reena84092 жыл бұрын
Nice 👍👍👍 aabhar sir
@santoshmamkar82452 жыл бұрын
त्ते जाति व्यवस्था भारत का सत्यनाs
@reshmamohanty79623 жыл бұрын
बहत बहत धन्यवाद गुरुजी
@ashmitashah6912 жыл бұрын
Bhut khub sir
@jiyadhami9143 жыл бұрын
Bhut behtrin vishleshn sir ji 🙏🙏
@umeshsharma790543 жыл бұрын
बहुत बहुत आभार सर आपका
@mundushkumar77002 жыл бұрын
Very nice Sir 🙏
@nishantbhushan1412 жыл бұрын
👍👍
@garimapandey5419 Жыл бұрын
सर का परिचय मिल सकेगा क्या ? सर ने बहुत अच्छा पढ़ाया है।