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ॐ नमः श्री रामलाल प्रभुजी परब्रह्मणे नमः
जय श्री प्रभुजी की |
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आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
आँखें मेरी तरस गयी हैं, गुरुवर दर्शन पाने को,
आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
जब जब गुरुवर याद हैं आते, आँख मेरी भर आये,
मुख से कुछ न बोल सकूं मैं, दिल रोता ही जाये,
लाख चौरासी रोता आया, भूल गया मुस्काने को,
आँखें मेरी तरस गयी हैं, गुरुवर दर्शन पाने को,
आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
त्रेता में तुम राम बने हो, हर मर्यादा है निभायी,
द्वापर में तुम कृष्ण कन्हैया, प्रेम कि मुरली बजाई,
आप के बाग़ का छोट्टा फूल हूँ, आ जाओ महकाने को,
आँखें मेरी तरस गयी हैं, गुरुवर दर्शन पाने को,
आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
ऐसा लगा गुरु दर पे मैंने, जब गुरु दर्शन पाये,
लाखों बरस के प्यासे को, अमृत सागर मिल जाये,
भटक गया गुरुवर में जग में, रह मिले अनजाने को,
आँखें मेरी तरस गयी हैं, गुरुवर दर्शन पाने को,
आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
कल-कल में मैंने जीवन खोया, जीवन कि हो शाम,
शाम से पहले मुझ को जाना, गुरुवर के निज धाम,
आये हो तो मेरे गुरुवर, न कहना अब जाने को,
आँखें मेरी तरस गयी हैं, गुरुवर दर्शन पाने को,
आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
जिस सरिता से बहता सुधा रस, वोह गुरु अमृत वाणी,
जिस ज्योति से मोह भी नाशे, वोह ज्योति है जगानी,
अँधियारा छाया है गुरुवर, आओ जोत जलाने को,
आँखें मेरी तरस गयी हैं, गुरुवर दर्शन पाने को,
आ जाओ हे दयालु गुरुवर, देर न हो अब आने को,
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जय श्री प्रभुजी की |