आजु केर राती गे धनी, तोंञ लागे हैं हेमा मालिनी, जी चाहे चुइम लेबय नाजुक नाजुक होंठों के, जी चाहे चुइम लेबय गोरे गोरे गालों के चुइले केर गजरा रे धनी, धनीssss गे महको हो तोर तनी तनी । बहुत सुन्दर गीत सतीश दा का। मैंने सतीश दा का पहला यही वाला गाना सुना था।