आनी मानी, देखने का अवसर मिला, स्क्रिप्ट दमदार है, छोटी छोटी बहुत सी बातों का ध्यान रखा गया, इस फिल्म में मुस्लिम माशरे की अक्कासी बहुत असरदार रही, जितनी अच्छी स्क्रिप्ट है उतनी ही खूबसूरत डायरेक्शन है, किसी मंझे हुए डायरेक्टर की तरह बहुत सी महीन और नाज़ुक बातों पर नज़र रखी गई, ऐलान करने वाली बात बड़ी ग़ज़ब की रही । शमीम साहब ने बहुत दमदार अदाकारी की अशआर की अदायगी भी पुर असर है। बच्ची , मां,और बहू ने खूब मुतासिर किया, मुस्लिम घराने की छोटी छोटी बातें, अंगिया को कपड़े सुखाते वक़्त छिपाना, कपड़ों के साथ लोक गीत, तलफ़्फ़ुज़, घर में तलाक़ शुदा बहन का बोझ , बाप का बुढ़ापे में भी दो पैसे कमाने के लिए हाथ पैर मारना, आखरी जुमले पर फिल्म का इख्तेताम हिंदुस्तान के मरने की बात, bck grnd में बजने वाला नोहा तो रोंगटे खड़े कर देता है। डायरेक्टर,और पूरी टीम को बहुत बहुत मुबारकबाद। मुख्तार ख़ान
@vimalkant15323 жыл бұрын
सरल ढंग से बनाई गयी दमदार फिल्म.
@vibhanshuchauhan33282 жыл бұрын
Well the truth is those were illegal slaughter house but yes gov should have helped them to get license
@ishafatima48894 жыл бұрын
All the best , and jamia rocks 👍🏻👍🏻
@WaseemKhan-rc4er4 жыл бұрын
Well going faheem khan ...all the best..
@shaktikumarlyrics3 жыл бұрын
जानदार फिल्म बनायी है आपने; कुछ भी नकली नहीं लगता, सच, और सिर्फ सच। बरसों पहले "निशांत" फिल्म का जो अकृत्रिम परिवेश देखने में आया था, उसकी याद हो आयी। हर अख़लाक़ और जुनैद के साथ मेरे भीतर भी कुछ मरता रहा है। यही दुआ है कि "खलों की वक्रता दूर हो और उनकी सत्कर्मों में रुचि बढ़े", जैसा कि ज्ञानेश्वर माता ने कहा है।