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Aasman Gira,आसमान गिरा ,CLASSIC yado ke jhrokhe
जंगल में एक डरपोक खरगोश रहता था. एक दिन वह देवदार के पेड़ के नीचे मज़े से सो रहा था, कि अचानक एक फल उसके सिर पर आ गिरा. डरपोक खरगोश की नींद खुल गई. वह सोचने लगा ,कि ये क्या हुआ? क्या गिरा मेरे सिर पर? कहीं आसमान तो नहीं गिर रहा?
दिमाग में ये सोच आते ही वह डर गया और फिर क्या? वह भागने लगा. वह बेतहाशा भागा चला जा रहा था. उसे इस तरह भागते हुए जब हाथी ने देखा, तो पूछने लगा, “अरे भाई खरगोश क्या हुआ? क्यों ऐसे भागे जा जा रहे हो?”
खरगोश हांफते हुए बोला, “भागो भागो…आसमान गिर रहा है.”
खरगोश की बात सुनकर हाथी भी डर गया. वह भी उसके पीछे-पीछे भागने लगा. कुछ देर बाद उनकी मुलाकात गेंडे से हुई. गेंडे ने भागने का कारण पूछा, तो हाथी ने खरगोश से सुनी बात दोहरा दी, “भागो भागो….आसमान गिर रहा है.”
ये सुनकर गेंडा भी डर गया और उनके पीछे हो लिया. अब जो भी उन्हें मिलता “आसमान गिर रहा है” सुनकर उनके पीछे भागने लगता. खरगोश ने पीछे हाथी, हाथी के पीछे गेंडा, गेंडे के पीछे भालू, भालू ने पीछे चीता और ऐसे ही जंगल के ढेर सारे जानवरों की कतार लग गई. सब बेतहाशा भागे जा रहे थे.
इतने सारे जानवरों को इस तरह भागते हुए जब जंगल में टहल रही लोमड़ी ने देखा, तो चकित रह गई. उसने कतार ने लगे भालू से पूछा, “क्या हुआ भाई, तुम सब लोग ऐसे कहाँ भागे चले जा रहे हो?”
“भागो भागो आसमान गिर रहा है.” भालू चिल्लाया.
ये सुनकर लोमड़ी अचरज में पड़ गई कि ऐसा भी कहीं होता है. उसने सारे जानवरों को रोका और बोली, “इस तरह भागने से किसी समस्या का हल नहीं निकलेगा. चलो जंगल के राजा शेर के पास चलते हैं.”
सब लोमड़ी के पीछे हो लिए. थोड़ी ही देर में सारे जानवर शेर के सामने खड़े थे. लोमड़ी ने शेर को सारी बात बताई.
ध्यान से सारी बात सुनने के बाद शेर ने पूछा, “सबसे पहले किसने आसमान गिरते हुए देखा?”
सबने खरगोश की तरफ़ इशारा किया. शेर ने खरगोश से पूछा, “तुमने कहाँ देखा कि आसमान गिर रहा है?”
“वनराज, मैं देवदार ने पेड़ ने नीचे सो रहा था कि तभी मेरे ऊपर आसमान का एक छोटा टुकड़ा गिरा और मैं भागने लगा और सबको बताने लगा. वनराज हम सबको भागना चाहिए कहीं पूरा आसमान गिर गया, तो हम सबका क्या होगा?”
खरगोश की बात सुनकर शेर को कुछ संदेह हुआ. उसने लोमड़ी से कुछ चर्चा की, फिर सारे जानवरों को लेकर उसी देवदार ने पेड़ के पास आया, जहाँ खरगोश सोया था. वहाँ देवदार का फल गिरा देख उसे सारा माज़रा समझ आ गया.
वह फल उठाकर शेर बोला, “तो ये है आसमान”
सारे जानवर समझ गए कि डरपोक खरगोश देवदार का फल गिरने पर सोचने लगा कि आसमान गिर रहा है. सब हँसने लगे. खरगोश बहुत शर्मिंदा हुआ. शेर ने खरगोश को समझाया कि इस तरह की अफ़वाह न फैलाए. उसने सारे जानवरों को भी समझाया कि बिना सोचे-समझे किसी की बात का यकीन न करें.