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Lyrics :
Written By : Janab Nazeer Baqri
Reciters : Anjuman Aarfi Baghra
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अपना भी अगर है वफादार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(1)
तौहीन समझता है जो परचम का उठाना
तौहीन समझता है जो परचम का उठाना
कौसर को उठाने का भी हक़दार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(2)
इस्लाम के कब्ज़े में जिसे दे गए अब्बास
इस्लाम के कब्ज़े में जिसे दे गए अब्बास
दरया कभी लश्करे कुफ्फार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(3)
मातम की सदा सुनके भी जो आंख न खोले
मातम की सदा सुनके भी जो आंख न खोले
वो शख्स अज़ानों से भी बेदार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(4)
अब्बास ने तलवार से एक हद जो बना दी
अब्बास ने तलवार से एक हद जो बना दी
उस हद से कभी दुश्मने हक़ पार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(5)
जा तुझमे कदम रख दिए अब्बास ज़री ने
जा तुझमे कदम रख दिए अब्बास ज़री ने
दरया तेरा पानी कभी बेकार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(6)
बेहुब्बे अलीलाज नमाज़े हो किसी की
बेहुब्बे अलीलाज नमाज़े हो किसी की
महशर में खुदा उनका खरीदार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(7)
जिसने ने सुनी अहमदे मुरसल की कोई बात
जिसने ने सुनी अहमदे मुरसल की कोई बात
उसकी भी खुदा सुनने को तैयार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(8)
तुम सानिये हैदर से यही से यही सोचके लड़ना
तुम सानिये हैदर से यही से यही सोचके लड़ना
काम बाप से बेटे का कोई वार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(9)
सीने में बसा लेगा जो अब्बास अली को
सीने में बसा लेगा जो अब्बास अली को
वो शख्स बालाओ में गिरफ्तार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(10)
सर काट लो या काट लो अब्बास के बाज़ू
सर काट लो या काट लो अब्बास के बाज़ू
इंकार किसी हाल में इक़रार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
मसायब :
(11)
कहती सकीना के चले आइये अम्मू
कहती सकीना के चले आइये अम्मू
अब मुझसे कभी प्यास का इज़हार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
अब्बास के परचम से जिसे प्यार न होगा
(12)
जिस तरह से शब्बीर थे बादे अली असगर
ऐसा कोई बे यारो मददगार न होगा