Bhai mike se voice clear kijiye ga jor se aaye voice from gujrat khambhat❤
@RahulMountAbu7 ай бұрын
Thank You for suggestions
@SushilSharma-wj4tm7 ай бұрын
Aaya hi kyu tu ghr hi rha kar
@tejpalkaran31157 ай бұрын
यह मन्दिर मां आदिशक्ति (माता पार्वती जी) के अनेकों रूपों में एक रूप है मगर वैश्णव पंथ वाले इस मन्दिर की दिवारो के पीछे राधेकृष्ण लिख दिया और राधेकृष्ण के भक्त और सन्त तो शिवशक्ति का अपमान करते है और कहते है कि सबसे ऊपर राधा जी उनके नीचे कृष्ण जी उनके नीचे विष्णु जी और मां लक्ष्मी जी उनके नीचे महादेव जी ब्रह्मा जी , मां सरस्वती जी, मां आदिशक्ति (परमेश्वरी) उनके नीचे दुसरे देवी देवता अर्थात राधा कृष्ण जी के सेवक है त्रिदेव और त्रिदेवी वहां रे फर्जी सेकुलर हिन्दू सनातन संस्कृति का सत्यनाश कर दिया 17 वी सदी भक्ति आंदोलन वैश्णव पंथ ने शुरू किया उसके बाद शैव पंथ ,शाक्त पंथ को गायब कर दिया और वैश्णम पंथ में भगवान विष्णु जी को छोटा बताकर भक्ति आन्दोलन के 3 संगठन अर्थात 3 अलग-अलग सन्त हुए 1 संगठन राम जी को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लगे थे कर्ई किताबें लिखी गई 2. संगठन कृष्ण जी को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लगा था ,3 संगठन राधा जी को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लगा था तीनों के सन्तों ने वैश्णव पंथ द्वारा अपने अपने आराध्य की क़िताबें लिखी मगर धरती पर 1000 साल प्राचीन जितने भी मन्दिर टूटी अवस्था में है यहा सही अवस्था में सभी के गर्भगृह में शिवलिंग मिलेंगे यहां मां आदिशक्ति के अलग-अलग रूप के स्थान मिलेंगे यहां भगवान विष्णु जी के मन्दिर मिलेंगे और गणेशजी , कार्तिकेय जी , सुर्य देव आदि के मन्दिर मिलेंगे सबूत भी दिख जाएंगे पर राम जी, कृष्ण जी की कथाएं सभी मन्दिरों की दिवारो पर रामायण और महाभारत बनाई जाती थीं मगर 800 साल के अंदर धीरे धीरे त्रिदेव और त्रिदेवी लुप्त होते गये अब्राहम मजहब के कारण उसके बाद 17 वी सदी में भक्ति आंदोलन शुरू हुआ तब वैश्णव पंथ के सन्तों ने बड़ा खेल खेला अपने आराध्य को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए प्राचीन सनातन संस्कृति की नींव ही बदल दी