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ऐसा भजन जो आपके मन को वृन्दावन धाम ले जाएगा - #Krishna_Radha_Bhajan - Radha Krishna Bhajan 2025
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राधा को कृष्ण की सर्वोच्च देवी माना जाता है. कहा जाता है कि राधा ने कृष्ण को मोहित कर लिया है, इसलिए वे सभी देवी में सर्वोच्च हैं.
राधा को महालक्ष्मी का पूर्ण अवतार माना जाता है. कई वैष्णव वर्गों में, राधा-कृष्ण को लक्ष्मी नारायण का अवतार माना जाता है.
राधा और कृष्ण के बीच दैहिक संबंधों की कोई अवधारणा नहीं है. इस प्रेम को अध्यात्मिक प्रेम की श्रेणी में रखा जाता है.
राधा के बारे में कुछ और मान्यताएं:
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा कृष्ण से चार साल बड़ी थीं और उनकी मित्र थीं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, राधा का विवाह रापाण, रायाण या अयनघोष नाम के व्यक्ति से हुआ था.
पद्म पुराण के मुताबिक, राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थीं.
राधा-कृष्ण की कहानी से जुड़ी कुछ और बातें:
राधा-कृष्ण की दूसरी मुलाकात अलौकिक थी.
भांडीर वन में आज भी वह जगह है जहां राधा-कृष्ण का विवाह ब्रह्मा जी ने करवाया था.
राधा की मृत्यु के बाद, कृष्ण ने बांसुरी तोड़कर झाड़ी में फेंक दी.
कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी या कोई अन्य वादक यंत्र नहीं बजाया.
एक कहानी के मुताबिक, राधा ने पहली बार कृष्ण को तब देखा था जब मां यशोदा ने उन्हें ओखल से बांधकर रखा था. राधा को कृष्ण को देखते ही उनसे प्रेम हो गया था.
एक और कहानी के मुताबिक, राधा और कृष्ण ने युवावस्था में एक साथ नृत्य किया और प्रेम में पड़ गए.
ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, राधा कृष्ण से चार साल बड़ी थीं और उनकी मित्र थीं.
एक और कहानी के मुताबिक, राधा का विवाह रायाण नाम के व्यक्ति से हुआ था, जो कि माता यशोदा के भाई थे. यानी रिश्ते में राधा कृष्ण की मामी लगती थीं.
एक मत के मुताबिक, श्रीकृष्ण ने राधा से इसलिए विवाह नहीं किया ताकि मानव जाति को बेशर्त और आंतरिक प्रेम को सिखाया जा सके.
राधा-कृष्ण के प्रेम की कितनी भी व्याख्याएं क्यों न कर ली जाए, सब कम ही है. उनका प्रेम हमेशा मानव जाति के लिए आध्यात्मिक प्रकाश की तरह जीवित रहेगा.
राधा-कृष्ण के बीच प्रेम का रिश्ता शारीरिक नहीं था, बल्कि ये भक्ति का एक शुद्ध रूप था.