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माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जिले का एक छोटा सा गांव है, पहले इसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता था लेकिन अब इसे देश का पहला गांव का दर्जा मिला है
माना इस गांव को लेकर ऐसी मान्यता है कि अगर आप गरीबी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं, तो एक बार यहां जरूर आएं। कहते हैं इस गांव को भगवान शिव का आशीर्वाद मिला है वेसे इस गांव का नाता महाभारत काल से भी जुड़ हुआ है। यह भी कहानी प्रचलित है कि इस गांव से होते हुए ही पांडव स्वर्ग गए थे।
गांव का पौराणिक नाम मणिभद्र है। पर्यटक यहां अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम देखने भी आते हैं। इसके अलावा माना गाँव में गणेश गुफा, व्यास गुफा और भीमपुल भी यहां पर्यटको का आकर्षण का केंद्र है
यहां सरस्वती नदी पर 'भीम पुल' है। कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे, तब उन्होंने सरस्वती नदी से आगे जाने के लिए रास्ता मांगा था। लेकिन जब सरस्वती नदी ने मना कर दिया, तो भीम ने दो बड़ी शिलायें उठाकर इसके ऊपर रख दीं, जिससे पुल का निर्माण हुआ। कहते हैं कि इस पुल से होते हुए पांडव स्वर्ग चले गए। आज भी पुल मौजूद है।
एक और प्रचलित कहानी के मुताबिक, भगवान गणेश जब वेद लिख रहे थे तो सरस्वती नदी की तेज कलकल ध्वनि पर गणेशजी ने उनसे शोर कम करने को कहा था। लेकिन सरस्वती जी के नहीं रुकने पर उन्होंने रुष्ट होकर उन्हें श्राप दे दिया कि आज के बाद इसके बाद आगे किसी को नहीं दिखोगी।
वहीं, व्यास गुफा के बारे में बताया जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने यहां वेद, पुराण और महाभारत की रचना की थी और भगवान गणेश उनके लेखक बने थे। ऐसी मान्यता है कि व्यास जी इसी गुफा में रहते थे। वर्तमान में इस गुफा में व्यास जी का मंदिर बना हुआ है।
/ manishdhadholi
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