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सद्गुरु रैदास की कविताओं में आजीवक दर्शन के सूत्र दिखाई पड़ते हैं। जैसे- अवर्णवाद, पूर्वजन्म के स्थान पर पूर्वज और पुनर्जन्म के स्थान पर संतान की बात, नियतिवादी सिद्धांत, सदाचारी को पुरष्कार और दुराचारी को दंड, ब्रह्मचारी के स्थान पर सदाचारी का महत्व, भीख मांगने की मनाही, कर्म धर्म के स्थान पर काम धाम, आदि है।
संविधान के मूलाधिकार और नीति निदेशक तत्वों में आजीवक दर्शन और संत परंपरा ही दिखाई पड़ती है।
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