अक्षर ब्रह्म

  Рет қаралды 77,731

Nijdham

Nijdham

Күн бұрын

अक्षर ब्रह्म की लीला योगमाया के ब्रह्माण्ड योगमाया में होती हैं --पारब्रह्म अक्षरातीत के सत् अंग-अक्षर ब्रह्म के चार अंतः करण (मन, चित्, बुद्धि, अहंकार) हैं
अक्षर ब्रह्म के मन (अव्याकृत )के स्वप्न में मोह सागर में नारायण का स्वरूप प्रगट होता हैं जिन्हे क्षर पुरुष कहते हैं ।चौदह लोक ,आठ आवरण ,आदि नारायण महाशून्य सभी क्षर पुरुष के अंतर्गत हैं -जिस प्रकार नींद टूटने पर सपना टूट जाता हैं उसी प्रकार से अक्षर ब्रह्म के मन का स्वप्न टूटते ही सम्पूर्ण जगत महाप्रलय में लीन हो जाता हैं --अक्षर ब्रह्म के इसी अन्तः करण में ही आख़िरत की तीन बहिश्ते होंगी --
सबलिक ब्रह्म (चित्)-यहीं पर अव्वल की ब्रज व रास लीला व् महमदी बहिश्ते अखण्ड है
केवल ब्रह्म (बुद्धि)- केवल ब्रह्म बुद्धि का स्वरूप है। यहाँ पर अखण्ड रास खेली गई थी परन्तु सबलिकब्रह्म में अखण्ड हुई
सत् स्वरूप(अहंकार )- यह उनके अहंकार का स्वरूप है-आख़िरत की पहली दूसरी बहिश्त यहाँ होंगी उन जीवों की जिनपर ब्रह्म सृष्टियों और ईश्वर सृष्टि की सुरता आयीं
साभार ---श्री प्राणनाथ ज्ञानपीठ
सच्चिदानंद स्वरूप
क्षर ब्रह्मांड
• क्षर ब्रह्मांड

Пікірлер: 405
@jhabarsinghrawat1356
@jhabarsinghrawat1356 11 ай бұрын
अक्षरधाम, अक्षर ब्रर्मवादिनी को सादर नमन, सादर संस्टांग,,❤
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 11 ай бұрын
SADAR NAMAN
@anilkumartripathi7082
@anilkumartripathi7082 4 ай бұрын
Jaishriradhekrishnaradheradhe 🙏 Jaishriradhekrishnaradheradhe kunjbiharishriharidas Jaishriradhekrishnaradheradhe
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 4 ай бұрын
Prem pranam ji
@sandeepsihare8230
@sandeepsihare8230 3 жыл бұрын
महेश्वर तंत्र के अनुसार श्री कृष्ण ही दिव्य ब्रह्मपुर वासी हैं,उनका यह लोक अमृत सागर के मध्य रत्न द्वीप में स्थित माना जाता है। यही श्री कृष्ण वृंदावन में स्थित हैं। गोलोक अधिपति श्री कृष्ण ही पूर्ण ब्रह्म हैं। ऐसा ही सनातन ग्रंथ महेश्वर तंत्र व गर्ग संहिता,ब्रह्म संहिता आदि से स्पष्ट होता है।।
@educationadda4811
@educationadda4811 2 жыл бұрын
Brahm samhita se ye siddh nahi hota h ... Krishna akele poorn brahm nahi he ..
@kamalkishoregupta1155
@kamalkishoregupta1155 3 жыл бұрын
Shree Raj Shyama Ji Sda Shay🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
@cbchidarjaihind5659
@cbchidarjaihind5659 5 жыл бұрын
श्रीकृष्ण ही सर्वोपरि हैं ।
@ywz3714
@ywz3714 5 жыл бұрын
Bhai... Jai Hind... Ve Bhagwan Vishnu ke 8th avtar the, as we know so how can it said???.
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 5 жыл бұрын
@@ywz3714 सत्य स्वयं प्रकट है पुराणों उपनिषद में । जो आपने तत्व ज्ञान बताया यही सत्य है जो सप्रद्गाय वादी कभी नहीं मानते बल्कि सत्य तो यह है परमात्मा ही विष्णु शक्ति और शिव रूप से प्रकट हुए हैं इनमें कोई बड़ा छोटा मुख्य प्रमुख नहीं मगर परमात्मा ना तो पुरुष है और ना ही स्त्री । वेद तो कोई ही पूरी तरह ना समझ पाया है ना समझ पाएगा उसी वेद से शिव को नासदीय सूक्त में सर्वोपरि कहा गया है उसी वेद में पुरुष सूक्त में नारायण को परमपुरुष परब्रह्म कहा गया है जिसके धाम को ही परमधाम परमधाम कहा गया है तद विष्णो परमपद सदा पश्यन्ती सुरायाह यह ऋग्वेद का उद्घोष है । उसी वेद में गणेश और शक्ति की उपासना भी मूल कारण के रूप में हुई है । सत्य ना वेदों से पूरी तरह ज्ञात होता है और ना पुराणों से सभी ऋषियों ने अपने २ इष्ट देव और देवी के भक्ति के लिए रचे थे किन्तु उपनिषद और संहिताओं भगवदगीता से सत्य का ज्ञान हो जाता है । कि परब्रह्म परमात्मा ही प्रकृति अर्थात शक्ति, पुरुष अर्थात विराट और काल के रूप में सृष्टि का निर्माण करता है । और इस सत्य को कोई नहीं झुठला सकता । शक्ति भी परमात्मा का अभिन्न अंग है यह बात भी सत्य है किन्तु परमात्मा की अनंत शक्तियां हैं वो सभी वर्णन से परे है उसको वेद भी नेती नेती अर्थात वेद भी पूरी तरह नहीं जान सकते । वो अव्यक्त है । अलग २ संप्रदाय चाहे शैवी हो शाक्त हो वैष्णव हो या सौर हो या गणपत्य सभी एक सत्य को स्वीकार करते हैं कि पंच परमेश्वर यानी विष्णु सूर्य शक्ति शिव और गणेश उसी अव्यक्त परब्रह्म परमात्मा का व्यक्त रूप हैं। और यही बात आदिशंकर ने भी कहीं है । सदाशिव और शिव अलग नहीं हैं शिव एक ब्रह्मांड के स्वामी हैं और सदाशिव अनगिनत ब्रह्मांडो के स्वामी हैं। किन्तु शिव भी सदाशिव जो शिव लोक के ईश्वर हैं उनके ही रूप हैं । हर ब्रह्मांड के अलग २ विष्णु ,शिव और दुर्गा हैं और इनके त्रिगुणा तीत रूप भी हैं जो समस्त ब्रह्मांडो से परे नित्य धाम में स्थित है जैसे शिव लोक में सदाशिव के रूप में मनिद्वीप में भ्वनेश्वरी के रूप में और महावैकुंथ में महाविष्णु के रूप में । यह तीनों ही समान हैं इनमें कोई तुलना नहीं । आप ब्रह्मांड पुराण देखो या वैवर्त पुराण या देवी भागवत उसमे साफ वर्णन है कि सृष्टि के महाकल्प के अंत में यह त्रिगुणायत रूप महाविष्णु सदाशिव और भुवनेश्वरी भी परमात्मा में विलीन हो जाते हैं और केवल परमात्मा ही रह जाते हैं अर्थात परमात्मा ही सभी स्वरूपों में विभक्त होके सृष्टि का विस्तार करते हैं यही गोलोकीनाथ समस्त कारणों के कारण पुराण पुरुषोततम हैं ।जब यह मूल और पूर्णपुरुष बनके लीला करते हैं तब यह अक्षर ब्रह्म , राधागोविंद, कारण ब्रह्म कहे गए हैं और जब यह अखंड निर्गुण निराकार एकरस एकस्वरूप हो जाए तो यही परब्रह्म राम,वासुदेव ,साहेब ,अकाल पुरुष कहे गए हैं । जब सृष्टि को निर्माण हेतु विभक्त होते हैं तब यही आदिशक्ति , सदाशिव और महाविष्णु और हिरण्यगर्भ हो जाते हैं और जब सृष्टि का संचालन करना हो तो यही त्रिदेव और त्रिदेवी का रूप लेते हैं ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
@ywz3714
@ywz3714 5 жыл бұрын
@@सत्यसनातन369 Your quots from Vedas r absolutely true, but y r assumption is absolutely, completly wrong.....
@NocSin
@NocSin 4 жыл бұрын
Sarvopari is lord swaminarayan and aksharbrahm is Gunatitanand swami 🙏
@tarantuteja5903
@tarantuteja5903 4 жыл бұрын
@@सत्यसनातन369 ji...plz plz aap apna fon de dijiye ...mujhe aur bhi questions puchne hai aapse🙏
@ashutoshkafle555
@ashutoshkafle555 2 жыл бұрын
सबसे ऊपर विराजमान श्री गोलोक धाम है। श्रीब्रह्माजी देवीधामके अन्तर्गत ब्रह्मलोक या सत्यलोकसे ऊपरकी ओर देखकर ही पहले देवीधाम और तदनन्तर क्रमशः महेश आदि धामोंमें विराजित भगवन्महिमा ओंका वर्णन कर रहे हैं। पहले देवीधाम अर्थात् यह जड़ जगत है, इसके अन्तर्गत - भूः, भूवः, स्वः, महः, जनः, तपः और सत्य - ये सात ऊपरके लोक है एवं अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, महातल और पाताल - ये सात नीचेके लोक हैं। अतः देवीधामके अन्तर्गत उक्त चौदह लोक हैं । इस देवीधामके ऊपर शिवधाम है, उस धामका एक भाग अन्धकारमय तथा दूसरा भाग प्रकाशमय है। उसमेंसे वह अन्धकारमय लोक महाकाल-धाम नामसे और प्रकाशमय-धाम सदाशिव लोक नामसे प्रसिद्ध है। उसके ऊपरमें हरिधाम या चित्-जगत वैकुण्ठ लोक अवस्थित है। देवी धाममें मायाका वैभवरूप प्रभाव एवं शिवधाममें काल और द्रव्यमय वैभवरूप व्यूह-प्रभाव तथा विभिन्नांशगत स्वांश - आभासमय प्रभाव हैं। किन्तु हरिधाम - वैकुण्ठमें चिद् ऐश्वर्यमय प्रभाव है। इसी प्रकार गोलोकमें सर्वैश्वर्यका निराशकारी महामाधुर्यमय प्रभाव है। ऐसे-ऐसे प्रभाव समूहका नियमन उन-उन धामोंमें जिन्होंने साक्षात् और गौणरूपसे किया है, वे आदिपुरुष गोविन्द देव हैं ॥४३॥ #Brahma_Sahitaa श्लोक 43/44 आथात: गोलोके उपर कोहि धाम नहि हे तुम चाहे परमधाम कहो, ब्रज धाम कहो, गोलोक धाम कहो, वृन्दाबन धाम कहो , कृष्ण धाम कहो, गोलोका वृन्दाबन कहो , गोविन्द धाम कहो सब एक हि हे ।। गिता मे भगवान केहेते हे ।। न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः। यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम ('परम धाम' का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।) है अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्। यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है #Bhagwat_geeta श्री कृष्ण प्रनामी जो ए गोलोक के उपर परमधाम बताते हे येसा बेद से लेकर गीता तक किसि ग्रन्थ मे बर्णन नहि हे आर्थात गोलोक और परमधाम ब्रज धाम वृन्दाबन धाम सब एक हि हे ।। proof: Vedas, upanisadh,brahma sahita, shreemad bhagbatam, bhagwat geetaa सबमे सबसे उपर गोलोक हि बताया गया हे ....
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
आप जो गोलोक धाम की बात कर रहे हे वह कहा आया हे!?? जिस परमधाम को आप गोलोक कह रहे हे वह पूर्ण ब्रह्म का दिव्य ब्रह्मपुर धाम हे। अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। आप की तरह 2 साल पहले में भी गोलोक को ही सर्व श्रेष्ठ मानता था। पर जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रणाम और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा । तो आप हमसे बात कर सकते हे whatsapp पर 8460712173 आप हमेशा आगे बढ़े और सत्य को जाने अपने मूल स्वरूप को जाने ओर आनंद मंगल में रहिए। 🥰🙏🏻
@siksharthakam7077
@siksharthakam7077 Ай бұрын
Jay Shree Radhekrushna ❤️ Book name please 🙏🏻🙏🏻
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Ай бұрын
Prem pranam ji
@dilipzala3347
@dilipzala3347 5 жыл бұрын
Radhe.radhe🙏
@bhaveshpatel3101
@bhaveshpatel3101 6 ай бұрын
પ્રણામજી🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 6 ай бұрын
प्रेम प्रणाम जी 🙏
@kamalmagar5924
@kamalmagar5924 10 ай бұрын
Pranamji
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 10 ай бұрын
Pranam ji
@mayankpanchal25
@mayankpanchal25 5 жыл бұрын
Gunatitanand swami aksharbrahm hai ....aur bhagwan Swaminarayan Param bhrahm hai ..
@er.nitish7052
@er.nitish7052 5 ай бұрын
Jai Shree Krishna
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 ай бұрын
🙏Jai Shri Krishna
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 ай бұрын
🙏Jai Shri Krishna
@vijenderkumargaur9202
@vijenderkumargaur9202 Жыл бұрын
Narayan hi sarvopari hain
@brajeshprajapati1727
@brajeshprajapati1727 3 жыл бұрын
गीता जी में छर और अक्षर दो प्रकार के ब्राह्म के बारे में बताया गया है जो अक्षर ब्रह्म है वही अविनाशी परम ब्रह्म परमात्मा है इसके अलावा और कोई सा दूसरा ब्रह्म नहीं है आपने इस वीडियो में उत्तम पुरुष को दूसरा तीसरा परब्रह्म बताया है वह आपको गीता जी का ज्ञान समझ में नहीं आया है वह उत्तम पुरुष और कोई नहीं है बहुत उत्तम पुरुष स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ही है जो ब्रह्मा विष्णु महेश इन तीनों में भेद करता है वह कल्पों तक नर को में वास करता है गीता जी में जो उपदेश दिया गया है उसको छोड़ कर जो व्यक्ति शास्त्र विरुद्ध भक्ति करता है वह भूत पिशाच ओ की योनि में ही जाता है भगवान श्री कृष्ण ने गीता जी में कहां है जो व्यक्ति मुझे जन्म जन्म हुआ मानते हैं वह मूर्ख और अज्ञानी ही है जो भी व्यक्ति भगवान को छोड़कर अन्य किसी की साधना बताता है वह स्वयं तो नर्क में ही जाएगा ही और दूसरों को भी नर्क में साथ में ले जाएगा इसलिए जिनको भगवान की प्राप्ति करना है वह गीता जी का अध्ययन करें और भगवान श्री कृष्ण को पूर्ण रूप से समर्पण करें तभी भगवान की प्राप्ति हो सकती है और कोई मौका दे सकते हैं उनके अलावा कोई भी शक्ति ऐसी नहीं है जो मोक्ष प्रदान कर सकें मनुष्य को चाहिए कि गीता जी में जो उपदेश दिया है स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अविनाशी परम अक्षर ब्रह्म है उन्होंने जो उपदेश दिया है उनकी बातों को धारण करना चाहिए यदि जो व्यक्ति उनकी बातों को उदाहरण नहीं करता है स्वयं भगवान की बातों को नहीं मानता है तो मनुष्यों की बातों में क्या विश्वास करना है
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 3 жыл бұрын
आप मुझे या बातें मेरे वोट्सअप पर बता सकें तो बहुत आभार । मेरा नम्बर है 9825245937 । मुझसे संपर्क कीजिये । प्रणामजी
@brajeshprajapati1727
@brajeshprajapati1727 3 жыл бұрын
@@pallavipandya8568 ji
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रमाण और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा ।
@AnoopKhetani
@AnoopKhetani 4 жыл бұрын
Agreed. The Vachanamrut confirms this.
@swaminarayansarvopari
@swaminarayansarvopari 4 жыл бұрын
Yes and the AksharBrahm is Gunatitanand Swami and Sarva Avtari Sarvopari Parabrahm purn Purushottam Swaminarayan bhagwan hai 🙏 Jay Swaminarayan 🙏 and yes vachnamrut confirms more about Akshar as Swaminarayan bhagwan has declared more mahima of Akshar
@AnoopKhetani
@AnoopKhetani 4 жыл бұрын
@@swaminarayansarvopari I heard the story where Gunatitanand Swami was given Diksha in Dabhan and where Maharaj supposedly said he was Akshar. Do you have any other scriptural reference apart from the Harileela Kalpataru. As I have been told that Gunatitanand Swami was given Diksh in Gadhpur. In Haricharitramrut Sagar, Pur 15, Tarang 33 Line 27.
@swaminarayansarvopari
@swaminarayansarvopari 4 жыл бұрын
@@AnoopKhetani This are fake news which some people are saying that Gunatitanand Swami is not Akshar, do one thing go in my channel and go in my playlist section and there is a playlist called AksharBrahm Gunatitanand Swami and there are 2 videos watch that and then reply back 👍
@AnoopKhetani
@AnoopKhetani 4 жыл бұрын
@@swaminarayansarvopari But I check the Scripture right now and I found it was there. Haricharitramrut Sagar Pur 15, Tarang 33, Kadi 27.
@swaminarayansarvopari
@swaminarayansarvopari 4 жыл бұрын
@@AnoopKhetani all scriptures covered in video 👍
@ADITYAKUMAR-bu3gi
@ADITYAKUMAR-bu3gi 3 жыл бұрын
Jai sri krishna 🕉️🕉️🕉️🕉️
@nareshsharma5310
@nareshsharma5310 Жыл бұрын
प्रेम प्रणाम जी
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
Jo Krishna ki puja krte hue aage badega Wahi unke Param akshar purush Ko paryapt karega
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 жыл бұрын
श्री कृष्ण की त्रिधा लीला श्री कृष्ण जी के वास्तविक स्वरूप का बोध विरले लोगों को ही है । बहुत कम लोग जानते हैं कि श्री कृष्ण नाम तो एक ही रहा है, किन्तु उसमें लीला करने वाली तीन शक्तियां अलग-अलग समय पर कार्य करती रही हैं । 1. अक्षरातीत की लीला- 2. गोलोकी लीला- 3. विष्णु लीला- विस्तार से जानने के लिए यह लिंक देखे *श्री कृष्ण की त्रिधा लीला* www.spjin.org/nijanand.html
@rkbaba5644
@rkbaba5644 4 жыл бұрын
According to brham sahinta- ishwara param krishna sachchidannad vigarahe anaadiraadi govinda sarv krane karanam....iska mtlb h parameshwar bhagwan shri krishna h Sachchidanand h sabhi karano k karan h mool h vo anaadi h unka koi aadi nhi h..... Or poorn.moksh (yani mukti) b bhagwan shri Krishna prdaan krte h....janne k liye Shrimadbhagwat geeta yatha roop pde ..adhyay 8va shlok 16....isme bhagwan krishna bol re h ki hey- Arjun jo poorn trh meri sharan m ata h or sb kuch mujhe samrapit krke meri pooja krta h schchi bhakti krta h ...fir vo kbhi lotakar is sansar m ni ata ..m use poorn moksh prdaan krta hu....Hare krishna
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 жыл бұрын
प्रणाम जी ,यह हद बेहद से परे दिव्य परमधाम का ज्ञान है --इससे पहले के वीडियो में क्षर का वर्णन है इन वीडियो में अक्षर का और आगे की वीडियो में दिव्य परमधाम का वर्णन हैं ।जैसा कि गिरधर गोपाल ने भी कमेंट किया है कि कबीर दास जी अक्षर ब्रह्म की 5 वासनाओं में है ।जिनका ज्ञान अक्षर ब्रह्म के धाम तक का है। पूर्ण ब्रह्म परमात्मा अक्षरातीत की उन्हें पहचान पूरी तरह से नहीं है।28 वे कलयुग में पूर्ण ब्रह्म परमात्मा अपनी आत्माओ संग आकर सम्पूर्ण जीव जगत को निज जागृत बुद्धि का ज्ञान प्रदान कर अखंड मुक्ति प्रदान करेंगे। ।ये वह़ी समय है। कुलजम स्वरूप में उनके जागृत इलम ने सभी भेद खोल दिए हैं --परमधाम के द्वार खोल दिए है ।कुलजम स्वरूप /तारतम्य वाणी यह बेशक इलम -ज्ञान समस्त शास्त्रों वेदों और पुराणों और कुरान बाइबिल में पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के आने की सभी सक्षिया भी प्रमाणित करता है।
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
Nijdham iska pramaan saastron me dikhao
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 жыл бұрын
माहेश्वर तंत्र -२०/२७ पुराण संहिता -२४/२८.२९ गीता -१५-१ गीता ९/२५ में कहा गया हैं की जिस लोक की उपासना करोगे उसी लोक में जाओगे ।उत्तम पुरुष पारब्रह्म के चरणों में जाने के लिए क्षर अक्षर से परे अक्षरातीत पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की उपासना करनी चाहिए
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
Aur wo pram Akshar Brahm Sri Krishna hai
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
Apke pramaan se ye siddh bhi ho Raha hai ki Krishna se upar koi Brahm hai
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 жыл бұрын
तीन पुरुष, तीन ब्रह्माण्ड, और तीन सृष्टियाँ गीता में कहा गया है कि दो पुरुष हैं- क्षर एवं अक्षर । सभी प्राणी एवं पंचभूत आदि क्षर हैं तथा इनसे परे कूटस्थ अक्षर ब्रह्म कहे जाते हैं । इनसे भी परे जो उत्तम पुरुष अक्षरातीत हैं, एकमात्र वे ही परब्रह्म की शोभा को धारण करते हैं । (गीता १५/१६,१७) कुछ लोग भ्रमवश प्रकृति को अक्षर कहते हैं । इस सम्पूर्ण सृष्टि में व्याप्त कारण प्रकृति तो जड़ तथा नश्वर है, तो उसे अक्षर कैसे कह सकते हैं ? इसके अतिरिक्त, यदि प्रकृति अक्षर है, तो उसे पुरुष के रूप में वर्णित क्यों नहीं किया गया ? कुछ लोग अज्ञानता के कारण जीव तथा नारायण को ही अक्षर कहते हैं । नारायण और जीव एक ही स्वरूप हैं तथा दोनों महाप्रलय में अपने मूल स्वरूप में लीन हो जाते हैं । तारतम ज्ञान की दृष्टि में- 1. यह सम्पूर्ण साकार-निराकार जगत (प्रकृति, नारायण सहित) क्षर है । 2. इससे परे तेजमयी, अविनाशी ब्रह्म अक्षर हैं । 3. उनसे भी परे सच्चिदानन्द स्वरूप अक्षरातीत हैं ।
@debarpanroygupta5185
@debarpanroygupta5185 2 жыл бұрын
have any source or link or any kind of book on this beautiful tropic? If there is, please mention 🙏
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@debrajmahanta8576
@debrajmahanta8576 3 жыл бұрын
Jay shree ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@Saurabh-yadav995
@Saurabh-yadav995 3 жыл бұрын
Akshara brhm bhi shree hari vishnu hi hai or pram akshar brhm vo v vishnu hi hai sb kuch wahi hai
@statusguru8483
@statusguru8483 3 жыл бұрын
Yash narayan ka vistaar akshar dhaam se start hota h jo chir sagar ke patan lok tak jata h
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रमाण और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा। ब्रह्मा विष्णु और महेश तो अनंत कोटि कोटि हे जो देवी भागवत में कहा गया हे की यह ब्रह्माण्ड के सूक्ष्म से सूक्ष्म रज कण की गणना हो सकती हे पर ब्रह्मा विष्णु और महेश की गणना नही हो सकती ओर विष्णु और महा विष्णु (आदिनारायण) तो क्षर जगत के हे तो मिट जाएंगे परमात्मा अक्षरातित तो अक्षर ब्रह्म से भी परे है
@kamalkishoregupta1155
@kamalkishoregupta1155 3 жыл бұрын
Pranam Ji🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
@ramkisandas9126
@ramkisandas9126 5 жыл бұрын
सत्य को जानना अति आवश्यक है 12 पंथ काल के हैं
@Shivam_Gupte
@Shivam_Gupte 3 жыл бұрын
Pranam ji
@taniataniadignium4260
@taniataniadignium4260 4 жыл бұрын
Jo Admi kudko nhi samj pate bo ishwar ko Kya smj paye ga
@kuldeepmewada819
@kuldeepmewada819 4 жыл бұрын
Radhe Krishna Radhe Krishna
@vishwajeetmukharjee6949
@vishwajeetmukharjee6949 5 жыл бұрын
Jai shri mahakal
@pankajpatil3788
@pankajpatil3788 2 жыл бұрын
Tumhne jana hai kya
@subtv1043
@subtv1043 4 жыл бұрын
वारी माया तेरी लीला गजव है
@vishwajeetmukharjee6949
@vishwajeetmukharjee6949 5 жыл бұрын
Jai ho
@LAW_OF_ONE
@LAW_OF_ONE 6 жыл бұрын
Parnam ji
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 6 жыл бұрын
Parnam ji
@सुर्यभण्डारीप्रणामी
@सुर्यभण्डारीप्रणामी 3 жыл бұрын
प्रणाम जी🙏🌻🙏 बहुत सुन्दर सम्झाया है🚩🇳🇵🚩बहुत बहुत आभार्🙏🙏
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@randibajmohammed6329
@randibajmohammed6329 6 жыл бұрын
Jai shree hari
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 9 ай бұрын
प्रणाम जी
@jaikrishnanijanandi1009
@jaikrishnanijanandi1009 4 жыл бұрын
Pranamji Sundar sath ji Bahut Aachi hi
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 4 жыл бұрын
प्रणाम जी सुन्दरसाथ जी ए सुख बिसरे धनीय के, इन सुपन भोममें आए । सो फेर फेर याद देत हों, जो गयो तुमें भुलाए ।। 3/प्रकरण 4 कीजे याद मिलाप धनीय को, और सखियों के सनेह । रात दिन रंग प्रेममें, विलास किए हैं जेह ।।4 /प्रकरण ४ सुन्दरसाथ जी -श्री परिक्रमा ग्रन्थ के चौथे प्रकरण में श्री महामति जी फरमा रहे हैं - जिस प्रकार से आपके धाम ह्रदय में प्रेम उपजे मैं वह उपाय करूँगा -इन स्वप्न भूमि में आकर आप परमधाम ,धाम धनी के अखंड सुखों को भूल गए हैं ,सखियों के स्नेह को भुला बैठे हो और यह भी याद नहीं किन प्रकार से परमधाम के पच्चीस पक्षों में धाम धनी संग लीला बिहार करते हैं --हृदय में प्रेम उपजे इसके लिए फेर फेर धाम धनी के स्वरूप को ह्रदय में लीजिए -श्री राज श्यामा और धाम की सखियों के स्नेह को महसूस कीजिए -परमधाम के पच्चीस पक्षों में रमन कीजिए - श्री राज श्यामा जी के हुकम से -उनकी अपार मेहर निजधाम you tube चैनल में पच्चीस पक्ष का वर्णन छोटी वृति और बड़ी वृति दोनों में हो चूका हैं -फेर से इन शोभा को बेहद ही सरल शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं -अक्टूबर माह के महीने प्रत्येक रात्रि में 9 PM परमधाम की शोभा देखेंगे -कमेंट अवश्य करियेगा -जो भी शोभा क्लियर नहीं होगी नेक्स्ट विडिओ में उन शोभा को क्लियर करेंगे -चैनल का लिंक निचे दिया गया PLZ SUBSCRIBE करे ताकि विडिओ अपलोड होते ही आपको नोटिफिकेशन मिल जाए kzbin.info/door/eU00VdpnzyASvWurcR1f1w?view_as=subscriber
@niranjanchauhan2732
@niranjanchauhan2732 5 жыл бұрын
Muje bataye ki ye bhagvan Swaminarayan kon he jo vo kehte he ki me purn bhram parmatma purn pursottam hu....ve sarv avtaro ke avtar he aur sarv Karan ke Karan he...kya ap muje ye bata sakte he... please.
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
निरंजन चौहानजी भगवान स्वामीनारायण ने कभी नही कहा कि में पुरुषोत्तम हु । वचनामृत का अभ्यास कीजिये । इसमे उन्होंने खुद बताया है जब उनको प्रश्न किया गया कि परमात्मा भगवान कौन है ? तब उन्होंने अपने स्व मुख से बताया है कि वो अक्षर थकी परे है । अक्षरातीत है । उन्होंने भी अक्षरातीत का जिक्र किया है । बस उन बातों को समझना है । और उस रास्ते पर चलना है जिस रास्ते पर अक्षरातीत मिल सके ।
@NocSin
@NocSin 4 жыл бұрын
@Niranjan Chauhan Yes it's true I'm Swaminarayan satsangi. Lord swaminarayan is sarvopari parabhrama Purn Purushottam Narayan. If u need proof then u can message me on Instagram [ mr.gun.gaming ] and also if u want proof then read VACHNAMRUT
@bibhutirabha4540
@bibhutirabha4540 4 жыл бұрын
Kaliyug me isko samajhna asambhav hain
@shankar.pandit6438
@shankar.pandit6438 2 жыл бұрын
Aapka. Lakho. Lakh. Sukriya. Dhanaybad
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 2 жыл бұрын
prem pranamji
@chandrashekarkashyap8709
@chandrashekarkashyap8709 5 жыл бұрын
Charbharm our achar bharm se bhi utam parm achar bharma hai Jo bhagwan Krishna hai bhagwan Krishna purna bharma hai mahavishnu unake karodo anso me she ek hai
@sunny9846
@sunny9846 5 жыл бұрын
True
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 5 жыл бұрын
Satya
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रमाण और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा
@pathofpeace
@pathofpeace 6 жыл бұрын
Sundersaathji
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
To phir thik hai mujhe Param akshar Brahm kinpraapti Kara de aur wiswaroop parmata kaun hai nirakaar kaun hai
@omendrsingh5885
@omendrsingh5885 3 жыл бұрын
कोटि-कोटि प्रणाम जी
@harshalichavan6865
@harshalichavan6865 Жыл бұрын
Shivkalayani shakti matlab lalita tripursudnari kya? Ya phir sumangala shakti?
@RadhaKrishna-rb2tz
@RadhaKrishna-rb2tz 2 жыл бұрын
Purn parmatma narayan bhagavan hai govind hai 😮😮😮😮😮😮😮
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 2 жыл бұрын
pranamji
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रमाण और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा । आप कुछ जानना चाहते हे तो आप हमसे बात कर सकते हे whatsapp पर 8460712173 आप हमेशा आगे बढ़े और सत्य को जाने अपने मूल स्वरूप को जाने ओर आनंद मंगल में रहिए। 🥰🙏🏻
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
क्षर से परे जो अविनाशी, अखण्ड, नूरमयी तत्व है, उसे अक्षर कहा जाता है । अछर सरूप के पल में , ऐसे कई कोट इंड उपजे । पल में पैदा करके , फेर वाही पल में खपे ।। (किरन्तन ७४/२६) अक्षर ब्रह्म के एक पल में करोड़ों ब्रह्माण्ड बनते और नष्ट हो जाते हैं । उस सर्वोत्पादक ब्रह्म (अक्षर ब्रह्म) ने द्यौ और पृथ्वी को दृढ़ता से स्थिर किया । उसने ही आनन्दमय लोक और उसने ही प्रकाशमय मोक्षधाम (योगमाया) धारण कर रखा है । उसने ही अन्तरिक्ष और लोक-लोकान्तरों को बनाया है । उसकी कृपा से विद्वान मोक्ष को प्राप्त करते हैं। (अथर्ववेद १३/१/७) जो उत्पन्न हुआ, जो उत्पन्न होने वाला है, और जो यह वर्तमान जगत है, इस सबके प्रति पुरुष (अक्षर ब्रह्म) ही अपना विक्रम दर्शा रहा है । सभी चराचर प्राणी तथा प्राकृतिक लोक इस पुरुष के एक पाद (चतुर्थ पाद मनस्वरूप अव्याकृत) के संकल्प से निर्मित हैं और इस पुरुष के तीन पाद (सबलिक, केवल, सत्स्वरूप) उत्पत्ति तथा विनाश से रहित अपने अखण्ड प्रकाशमय स्वरूप में विद्यमान रहते हैं । (ऋग्वेद १०/९०/२, यजुर्वेद ३१/२, सामवेद आरण्यक ६/४/५) अक्षर ब्रह्म जो इच्छा करते हैं, वही इच्छा सत् स्वरूप में आ जाती है । वही इच्छा केवल, सबलिक होते हुए मन के स्वरूप अव्याकृत में आ जाती है । उसी से सृष्टि की रचना होती है। अक्षर ब्रह्म का चौथा पाद अव्याकृत, इस प्राकृतिक जगत की उत्पत्ति का निमित्त कारण है । उसके संकल्प मात्र से उत्पन्न प्रकृति असंख्यों लोक-लोकान्तरों का निर्माण करती है । निमित्त कारण होने के कारण अव्याकृत ब्रह्म इस जगत से परे है । इस जड़ जगत में केवल उनकी सत्ता है, उनका स्वरूप नहीं । अतः अव्याकृत भी अखण्ड हैं। अव्याकृत से परे अक्षर ब्रह्म के तीन पाद इस प्रकार हैं - सबलिक ब्रह्म (चित्त स्वरूप), केवल ब्रह्म (बुद्धि स्वरूप), सत्स्वरूप ब्रह्म (वास्तविक स्वरूप) । सबलिक ब्रह्म के सूक्ष्म में चिदानन्द लहरी नामक शक्ति विराजमान है, जो माया और त्रिगुण (आदिनारायण) का मूल स्थान है । शंकराचार्य जी ने सबलिक ब्रह्म को ही पूर्ण ब्रह्म मानते हुए चिदानन्द लहरी को उनकी महारानी माना है (सौन्दर्य लहरी ग्रन्थ- श्लोक ९८) । सबलिक से परे केवल ब्रह्म की नौ रसों वाली आनन्दमयी भूमि है (तैतरीयोपनिषद्) । इससे परे अक्षर ब्रह्म के अहं का स्वरूप सत्स्वरूप ब्रह्म है । यह तीनों पाद अखण्ड, प्रकाशमय, और सुखमय हैं । इन्हें ही वेद में त्रिपाद अमृत कहा गया है । अक्षर ब्रह्म की लीला के इस अखण्ड ब्रह्माण्ड को अक्षर ब्रह्माण्ड या बेहद या योगमाया कहते हैं । यह ब्रह्माण्ड चैतन्य, अविनाशी है तथा इसके कण-कण में करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमय ब्रह्म का स्वरूप विद्यमान है । यहाँ अक्षर ब्रह्म के अन्तःकरण की अद्वैत लीला अखण्ड रूप से होती है । अक्षर ब्रह्म अपनी अभिन्न शक्ति स्वरूपा अखण्ड चैतन्य माया के साथ लीला करते हैं । अक्षर ब्रह्म की आत्माओं को ईश्वरी सृष्टि कहते हैं, जिनका निवास सत्स्वरूप ब्रह्म में है । परमधाम की आत्माओं के साथ ये भी इस नश्वर जगत् में आयी हैं । अक्षर ब्रह्म का मूल स्वरूप इन चारों अखण्ड पादों से ऊपर है । वह सच्चिदानन्द परब्रह्म के सत् स्वरूप हैं तथा योगमाया से परे अखण्ड परमधाम में रहते हैं । अक्षर ब्रह्म का स्वरूप अखण्ड व एकरस है । वह अनादि काल से जैसा था, वैसा ही अब भी है, और अनन्त काल के पश्चात् भी वैसा ही रहेगा । उसके अनन्त ज्ञान, अनन्त शक्ति में कभी भी कमी नहीं आ सकती । उसकी उपासना करके, साक्षात्कार करने वाले अविनाशी धाम को प्राप्त होते हैं ।
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
प्रमाण:* ज्योति: अजस्रं, यस्मिन लोके स्वहितम्। तस्मिन मां धेहि पवमान अमृते लोके अक्षित इन्द्राय इन्दो परिस्रव ।। ऋग्वेद ९/११३/७ न तत्र भासयते सूर्यो न शशांको न पावक:। गीता यद् गत्वा न निवर्तन्ते तद् धाम परमं मम्।। वेदाहमेतम् पुरुषं महान्तं अआदित्य वर्ण तमस: परस्तात्। तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्य: पन्था विद्यतेऽयनाय।। यजुर्वेद ३१/१८ असतो मा सद गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमयेति। शतपथ ब्राह्मण १४/३/१/३० दिव्ये ब्रह्मपुरे होेष: व्यो्नि आत्मा प्रतिष्ठित: । मुण्डकोपनिषद २/२/७ चतुष्पाद् भूत्वा भोग्य: सर्वमादत् भोजनम्। अथवेद १०/८/२१ पुरुष एवेदं सर्व यद् भूतं यच्च भाव्यम्। पादोस्य सर्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि।। ऋ्वेद १०/९०/२ त्रिपादूर्व उदैत्पुरूष: पादोऽस्थेहाभवत् पुनः । यजुर्वेद ३१/४ शुक्रोडडसि भ्राजोडडसि। रुचिरसि रोचोsऽसि। अथर्ववेद १७ /१/२० अथर्ववेद १७/৭/२१ एथोऽस्येथिषीय समिदासिसमेधिषीय। तेजोऽसि तेजोमयि धेहि।। अथर्ववेद ७/८९/४ शुक्रज्योतिक्ष चित्रज्योतिश्व सत्यज्योतिश्व ज्योतिष्माश्च । तमेव विद्वान न विभाय मृत्योरात्मानं धीरमजरं युवानम्। अथववेद १०/८/४४
@radhasakhi7371
@radhasakhi7371 5 жыл бұрын
प्रणाम जि बोहोत सुन्दर येसे दिबे ग्यान सदा बना कर देखाना
@darshankarki9452
@darshankarki9452 2 жыл бұрын
pranam
@DipakRoy-op8rg
@DipakRoy-op8rg 2 жыл бұрын
Didi pls purna brhom parm atma sarup ka vdo link pls
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रमाण और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा । आप कुछ जानना चाहते हे तो आप हमसे बात कर सकते हे whatsapp पर 8460712173 आप हमेशा आगे बढ़े और सत्य को जाने अपने मूल स्वरूप को जाने ओर आनंद मंगल में रहिए। 🥰🙏🏻
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
pranam ji in youtube link me shri paramadham ka bhut hi vistar se bar bar varnan hua hai kzbin.info/www/bejne/r4G6hGxsqcl6adU is link me shri paramadham ke pachchis paksh ki disha sthan bhr varnan hua vistar se bhut link mil jayenge kzbin.info/aero/PLwLI7JR4kmDCA0q-6KF5vlaV5TLWutTyY is link me sampurn parmdham ka vistar se varnan hai
@sayakdeb755
@sayakdeb755 2 жыл бұрын
TO KNOW MORE ABOUT PURN BRAHM LISTEN TO SANT RAMPALJI MAHARAJ'S AMRIT SATSANG TO GET THE KNOWLEDGE OF THE COMPLETE SUPREME LORD KABIR!!!
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@anilgrover9031
@anilgrover9031 4 жыл бұрын
Prem parnam ji
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 4 жыл бұрын
PRANAMJI
@sapna069
@sapna069 6 жыл бұрын
Pranaam ji
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 9 ай бұрын
प्रणाम जी
@lifeisart287
@lifeisart287 4 жыл бұрын
Prem pranam ji 🙏🙏🙏🙏🙏
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 4 жыл бұрын
प्रणामजी
@mayurgoral7791
@mayurgoral7791 5 жыл бұрын
अक्षर ब्रम्ह भगवान श्रीकृष्ण है
@ywz3714
@ywz3714 5 жыл бұрын
Bro, unka separate astitva nahi he, vo sirf Bhagwan Vishnu ke 8th avtar the nothing else..... So this is not true....
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 5 жыл бұрын
@@ywz3714 Krishna ek nhi teen Hain ek Vishnu k avtar Hain ek akshar brahm ke avatar Hain ek Parm aksharateet brahm ke avtar Hain .yeh alag 2 kalpo me alag Krishna rup me Aaye Hain .. sarasvat kalp me swayam akshar brahm Krishna banke aate Hain aur rathantar kalp me swayam aksharateet brahm Krishna banke aate Hain aur Baki kalpon me Vishnu ke avtar Krishna aate Hain .. scripture padhiye khud samjh me aa Jayega ..
@sunny9846
@sunny9846 5 жыл бұрын
@@सत्यसनातन369 good
@ywz3714
@ywz3714 5 жыл бұрын
@@सत्यसनातन369 Ohoooooo, script aapne likhi lagta he..... Hi hi
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 5 жыл бұрын
@@ywz3714 nhi Bhai main to vedvyas ji ki script ko hi padh k bata rha hu .. itna gyan mujhme Kahan Jo brahmand k paramsatya ko khoj sakun .. 😎
@user-yg5pr4pc7l
@user-yg5pr4pc7l Ай бұрын
अक्सर brambha konse bhagwan he ye to bstau thik se
@Toplaughts
@Toplaughts 4 жыл бұрын
Akshar purush ek ped h, Niranjan vaki dar tino Devo Shaka h pat rup sansar,,,,,
@anirbannath6358
@anirbannath6358 4 жыл бұрын
Sahi bola bhai aur iss ped(Akshar Purush) ke mool me Param Akshar Purush hai jo Avinashi PurnaBrahma Parmatma hai jiska asli naam Kabir Sahib(Kavir Dev). Kabir Sahib Sab Ka Malik hai jo Satlok me rahte hai. Kabir Sahib Aksharateet hai matlab Akshar aur Kshar dono se pare hai. Paramdham me uska leela roop rahte hai but Paramdham kaha hai ? Paramdham us Parmatma(Kabir Sahib or Kavir Dev) ka asli roop ke peechhe gupt hai. Toh pehle hum sabko uss Purna Parmatma ka asli roop ke bare me janna hoga uske bat uska leela roop ke bare me janna hoga. Purna Parmatma Kabir Sahib ke bare me dekho iss link me : www.jagatgururampalji.org/
@niaroy1839
@niaroy1839 4 жыл бұрын
@@anirbannath6358 jahil gawar anpadh
@anirbannath6358
@anirbannath6358 4 жыл бұрын
@@niaroy1839 Bhagvad Gita me ulta peepal tree ke bare me tum jante ho? Bhagvad Gita Chapter 15: Akshar Purush ek ped hai, Niranjan vaki dar teeno Devo Shaka hai pat rup sansar... Link me dekho: hindi.speakingtree.in/blog/content-207971
@keshubhaisavaliya8282
@keshubhaisavaliya8282 6 жыл бұрын
bum bum bhole
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 9 ай бұрын
प्रणाम जी
@satguruprem5021
@satguruprem5021 5 жыл бұрын
परमातमा न तो निराकार है न ही साकार है जैसे मिटि पङि हुई है तो उनहे निराकार समझलो जब मिटि को मनुषय मुरति आकार मिलता है तब उसे साकार कहते है सब मनुषय आकार मे दिखने वाला नषट होने वाला है चाहे वो भगवान हो या देवता हो 84 लाख शरीरो का नाश होता ही आतमाए सबकी अमर शरीरो की आयु कम जयादा है
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
वेदाहमेतम पुरुसम महांतम आदित्यम वर्ण तमस परस्तात। त्वमेव विदित्वा मृत्युमेती नाम्यम पंथ विदियतेयनाय।। ऋग्वेद का मंत्र हे। जो परमात्मा हे वह साकार ओर निराकार दोनो से परे अनंत तेजोमय प्रकार वाला शुद्ध साकार रूप वाला हे ओर वह त्रिगुणातित माया से परे है। उसे जाने बीना मृत्यु से जन्म मरण के चक्कर से छुड़ाने वाला कोई भी नही हे यह वेद स्वयं कह रहे हे
@jaikarankumar9150
@jaikarankumar9150 5 жыл бұрын
सत गुरु देव की जय हो आप सै नेबैदन h ki इस किताब जानकारी देय यह किताब मुझे जरोरत hai
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 5 жыл бұрын
*Kuljam swroop* Aap mail address d dijie PDF share kr denge Shri mukh Vani shri kuljam swroop ki
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 4 жыл бұрын
@@nijdhamparamadham mujhe BHI send kr dijiye is mail p mukeshmoral5@gmail.com
@nksupremeverse8124
@nksupremeverse8124 4 жыл бұрын
अक्षर ब्रह्म के सत स्वरूप को अहंकार कहाँ गया क्या अक्षरातीत के सत स्वरूप को क्या कहाँ जाएगा
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 4 жыл бұрын
प्रणाम जी -अक्षर ब्रह्म अक्षरातीत श्री राज जी के सत अंग है और श्री श्यामा जी आनंद अंग --अधिक जानकारी के लिए मेरे वोट्सअप नम्बर 9825245937 पर सम्पर्क करें । प्रणामजी
@bikasholi1025
@bikasholi1025 3 жыл бұрын
Akxeyratet puran bramha
@nksupremeverse8124
@nksupremeverse8124 3 жыл бұрын
@@nijdhamparamadham क्या आप अक्षर ब्रह्म के सुक्ष्म शरीर का विस्तारपूर्वक वर्णन कर सकते हैं
@bikasholi1025
@bikasholi1025 3 жыл бұрын
@@nksupremeverse8124 please provide me your wtsap number.. में आपको ज्ञान चर्चा group ma join karunga
@pujaagarwal44
@pujaagarwal44 4 жыл бұрын
Kya Radha Krishna pram bhram para parkriti Jin mahalaxmi janam hua
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 4 жыл бұрын
लक्ष्मीजी का जन्म क्षीरसागर से समुद्रमंथन हुआ तब बताया गया है ।
@ItishreebeheraBs--
@ItishreebeheraBs-- 3 жыл бұрын
Ea kaun sa book he,please koi iska pdf dijiye
@comedydhamal3022
@comedydhamal3022 2 жыл бұрын
Dhanth khatha
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रमाण और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा । आप कुछ जानना चाहते हे तो आप हमसे बात कर सकते हे whatsapp पर 8460712173 आप हमेशा आगे बढ़े और सत्य को जाने अपने मूल स्वरूप को जाने ओर आनंद मंगल में रहिए। 🥰🙏🏻
@dipyendraray9667
@dipyendraray9667 3 жыл бұрын
Now a new concept of god has come
@vinaypatel2689
@vinaypatel2689 3 жыл бұрын
This one is only truth. Everything is written in four vedas only..
@dipakmahato1387
@dipakmahato1387 5 жыл бұрын
Who is the all mighty God????
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 5 жыл бұрын
Lord vasudev
@NocSin
@NocSin 4 жыл бұрын
LORD SWAMINARAYAN
@dipyendraray9667
@dipyendraray9667 3 жыл бұрын
No one knows , there are many .krishna , vishnu now swaminarayan . its ur choice
@vikashsinghchauhan2686
@vikashsinghchauhan2686 6 жыл бұрын
Pranaam guru ji
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 9 ай бұрын
प्रणाम जी
@nimratknave7330
@nimratknave7330 3 жыл бұрын
Thanks mam
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@surajsmadiya1492
@surajsmadiya1492 4 жыл бұрын
पावस देखि रहीम मन, कोयल साधै मौन। अब दादुर वक्ता भये, हम कहं पूंछत कौन।
@rajkumargaikwad4630
@rajkumargaikwad4630 4 жыл бұрын
Parampita paramatma shiv hi kshar aur akshar brahm hai wahi nirakar Jyoti swarup hai
@anirbannath6358
@anirbannath6358 4 жыл бұрын
kshar Purush Jyoti Niranjan or Kaal or Brahm hai jo iss 21 Brahmand( jaha hum sab rahte hai) ka raja hai. Jyoti Niranjan Brahm lok me 3 alag alag roop me rahte hai- MahaBrahma, MahaVishnu aur MahaShiva(SadaShiva). Jyoti Niranjan(Kaal or Brahm) ka asli roop Yogmaya me gupt(Avaykt) rahte hai. Yogamaya Akshar Purush( ParaBrahm) ke andar ki shakti hai. ParaBrahm ka do roop hai ek hai asli roop jo avaykt(gupt) rahte hai Yogmaya me aur dusra leela roop jo Shri Krishna hai. Shri Krishna(or Narayan) ka dusra roop Balaram(Sat) hai. Shri Krishna aur Balaram ek hai. Balaram swayam Sakshat Shiva( Akshar Brahm or Narayan or Shri Krishna) hai. Sakshat Shiva Akshar Brahm ka roop hai aur SadaShiva(MahaShiva) Jyoti Niranjan or Kaal or Kshar Brahm ka roop hai . Yaad rakho ki yeh do roop ko ek nahi samajna chahiye kyun ki Akshar aur Kshar ek nahi hai. Akshar Brahm 7 sankh brahmand(Yogamaya brahmand) ka Prabhu hai aur Kshar Brahm 21 brahmand( Mahamaya brahmand) ka Prabhu hai.
@_Cutejutsu
@_Cutejutsu 3 жыл бұрын
@@anirbannath6358 ishwarah param krishna sachitanand vigraha. Anadir adi govindam sarwakarnam karanah. Krishnastu bhagwan swayam
@anirbannath6358
@anirbannath6358 3 жыл бұрын
@@_Cutejutsu Jo Adi aur Anadi ka rahasya ko sahi tarah se samajh sakte hai wohi Shri Krishna ka mool roop(Satchitananda swaroop)ko pehchan sakte hai.Shri Krishna ka mool roop Paramdham me hai. Shri Krishna ka mool roop Anadi Aksharateet Parbrahma hai. Tartam Gyan ke bina hum Shri Krishna ka asli roop ko nahi samajh payenge. Kya aap jante ho Shri Krishna ke sarir me 3 alag alag Shakti pravesh karke leela kiya tha? Pehla Shakti hai Parmatma ki Shakti. Brij leela me Parmatma ki Shakti Shri Krishna ke sarir me tha 11 years 52 days tak. Uske baat Rash leela me Goloki Shakti Shri Krishna ke sarir me pravesh kiya tha. Uske baat lord Vishnu ki Shakti Shri Krishna ke sarir me pravesh kiya tha isiliye hum sab Shri Krishna ko lord Vishnu ke avatar mante hai. Parmatma ka dham Shri Krishna ke yogamaya brahmand se bhi pare uss Divya BrahmaPur (Paramdham) hai jaha jakar Atma kabhi iss maya jagat me wapas nahi aate. Purna Moksh ka dham hai Paramdham.
@_Cutejutsu
@_Cutejutsu 3 жыл бұрын
@@anirbannath6358 krishna sarwashaktiman hai. Krishna se upar koi nahi. Jo param dham hai usko naam Golok Vrindavan hai. Usme swayam param ishwar bhagwan shri RadhaKrishna virajte hai. Kewal yahi wo sthan hai jaha se moksh paane ke baad jiv ko kabhi wapas ye bhautik jagat me nahi aana padta, ye param shanti aur param anand ka dham hai. Uss param dham se upar koi dham nahi. Yahi wo krishna hai jinko ham swayam bhagwan bhi bolte hai yaani yahi purn aur param bhagwan hai, baaki har koi inse aaya hai aur inse hi avatar paaya hai. Krishna basically 2 prakar ke hote hai. Ek swayam bhagwan krishna jo bramha ke 1 din me dharti par sirf ek baar prakat hote hai. Yahi wo krishna hai jinke baare me maine bataya tha, inse hi mahavishnu, sadashiv, shiv, vishnu sabhi vistar lete hai, inse hi sab avatar hota hai, yahi param purn adi parmeshwar hai. Hal hi me bite dwapar me yahi param bhagwan shri krishna dharti par parakat hue the. Aur dusre krishna wo hai jo Har Dwaparyug me aate hai, ye krishna swayam bhagwan param krishna ke ansh matra hai. Swayam bhagwan param krishna har anant aur sarwa shaktiyo ke swami hai. Inme koi shakti pravesh nahi karti, balki inme hi sabhi shaktiya samai hui hai, inse hi sabhi shakti vistaar paati hai, ye sabhi shaktiyo ke swami hai. Srimati Radha Rani param purn parmeshwari hai. Srimati Radha rana se hi asankhya mahalakshmi nikalti hai.
@_Cutejutsu
@_Cutejutsu 3 жыл бұрын
@@anirbannath6358 Bhai apne jo sabse upar ye sab jo bhi bataya tha. Wo sab aapne kaha se padha hai???
@ts0076
@ts0076 5 жыл бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@pujaagarwal44
@pujaagarwal44 4 жыл бұрын
Karna Kya matalab HOTA hai
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
Ok g to hame prapti karaye
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
निशांतजी क्या आप हमसे वोट्सअप या फोन से बात कर सकते हो ? मेरा नम्बर 9825245937 पर बात कीजिये । या वोट्सअप पर मैसेज कीजिये । प्रणामजी
@nishantnishanikhil1592
@nishantnishanikhil1592 5 жыл бұрын
Rajshyamaji Pandya ok g
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। पर जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रणाम और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा । तो आप हमसे बात कर सकते हे whatsapp पर 8460712173 आप हमेशा आगे बढ़े और सत्य को जाने अपने मूल स्वरूप को जाने ओर आनंद मंगल में रहिए। 🥰🙏🏻
@prempanchal3756
@prempanchal3756 5 жыл бұрын
पूर्ण परमात्मा की जानकारी के लिए देखना ना भूलें शाम 7 30 से 8 30 प्रमाणित सत्संग तत्वदर्शी महापुरुष के मुख कमल से
@nitishsingh0100
@nitishsingh0100 5 жыл бұрын
Ishka proof Kaha se mila bataye
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
बिना प्रूफ कुछ नही बताया जा सकता । पूर्णब्रम्ह कि ही पूर्ण बेशक ब्रम्हबानी से ही हमको मिला है और वही बताया जाता है ताकि दुनिया भी उस परम सत्य को जाने समझे और उस सत्य को पा सके ।
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 5 жыл бұрын
@@pallavipandya8568 brahm vaivart puran Devi bhagvat puran brahmand puran padhiye
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 4 жыл бұрын
@@सत्यसनातन369 भाई इन पुराणों के लिखने वाले वेदव्यास जी है और व्यासजी के गुरु नारदजी है । जब नारदजी ने व्यासजी रचित पुराण शास्र देखे तो उन्हें कहा कि इससे तो लोग उलझ जाएंगे तब उन्होंने सबका सार श्री मद भागवत ग्रन्थ की रचना की । जिसमे सभी बातें लिखी हुई है ।
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 4 жыл бұрын
सारे शास्त्रो में परमात्मा के आने के निशान लिखे है । भागवत हो या गीता सबमें पूर्णब्रम्ह के बारे में बताया गया है । गीता में कृष्ण खुद कहते है कि अर्जुन तेरे ओर मेरे अनेक जन्म हुए । मुझे वो सारे जन्म याद है तुझे याद नही है । यहां कृष्ण भी स्वीकारते है कि हम जन्ममरण के चक्कर मे है । उनसे मुक्त नही है । ये सब बातों को हमें तटस्थ ओर निखलसता के साथ देखना और समझना होगा । तब हम परमसत्य तक पहुच पाएंगे ।
@सत्यसनातन369
@सत्यसनातन369 4 жыл бұрын
@@pallavipandya8568 aapki bat Sahi hai lekin Krishna yeh BHI to kah rhe Hain ki main hi sristi ko beej dene wala pita Hun aur prakriti Mata Hain aur Krishna yeh BHI kah rahe Hain jab main avinashi parmatma apni yogmaya se prakat hota Hun to alpgyani mujhe janm lene aur Marne wala sadharan manushya mante Hain ASE logo ki buddhi meri maya har leti hai . Darsal ek Shree Krishna Ka avtaar teen shaktiyon k Milne se hua tha unke bahari shareer Ka nirman rishi narayan se hua tha Jo nar narayan the unhi Ka bahari shareer Arjun aur Krishna k rup me avtarit hua Mahabharata me inko nar narayan Ka avtar Kaha gya hai aur usi Mahabharata me Krishna ko Vishnu Ka purnavtar BHI Kaha gya hai kyuki dusri Shakti jisse Krishna avtar Ka nirman hua wo vaikunth k adhipati Vishnu the aur teesri paramshakti Jo ki parmatma the unse Krishna swarup Ka nirman hua . Isliye ek hi Granth unko Kahi nar narayan k rup me varnit krta hai kahin Vishnu k purn avtar k rup me aur kahin parambrahm parmatma k purnavtar k rup me BHI . Isliye Puri Bhagvat Geeta ko jab guru rup se gyan de rhe the Krishna Arjun ko to us samay Narayan rishi hi wo brahm gyan de rahe the jab Apne purv avtaron aur vibhutiyon Ka varnan Kar rhe the to vishnu swrup me sthit hokar Kar rhe the kyuki sabhi avtar aur vibhutiyon Vishnu Bhagvan ki hi Hain lekin jab Apne avinashi paramsatya paramtatva Ka nirupan Kar rhe the to Akshar brahm ya parambrahm swarup me sthit hokar Kar rhe the . Is Leela ko aatmgyani hi Dekh paye the . 👌👌👌🙏🙏🙏🙏
@sangamnijanandi5313
@sangamnijanandi5313 2 жыл бұрын
Needs easier explanation
@jon3161
@jon3161 3 жыл бұрын
साउंड सिस्टम shi नहीं है बुडे लोगो को समझ नहीं आता समझें
@comedydhamal3022
@comedydhamal3022 2 жыл бұрын
भाई उलझा हुआ ज्ञान है और उलझ जाओगे
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham Жыл бұрын
🙏आइये क्षर पुरुष का सूक्ष्म दिग्दर्शन करे। प्रथम मायाशक्ति से उतपन्न चौदह लोक का वर्णन ,पाताल से लेकर आदिनारायण तथा महाशून्य तक संक्षेप में विस्तार देखे 🙏 kzbin.info/www/bejne/b3PJm6OlmblleJo
@SanjayKumar-xf2db
@SanjayKumar-xf2db 5 жыл бұрын
परम अक्षर ब्रह्म साहब कबीर ही है
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
अक्षर ब्रम्ह से परे अक्षरातीत है जिसे पूर्णब्रम्ह परमात्मा भी कहा है ।
@Nitingaming108
@Nitingaming108 4 жыл бұрын
तुमको रानपेल ने बताया होगा
@supravadas2619
@supravadas2619 4 жыл бұрын
Ye kaun sa kitab mein hai kripya mujhe batayen .9031306700
@supravadas2619
@supravadas2619 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 yehi to kuch samajh nahi aata.18 puran,4 ved,upnishads,ramayan,mahabharat,ramcharitmanas,gita,kuran,bible,gurugranthsahib aur bhi jitne granth Hain sab ka Gyan alag alag hai.kahin kuch kahin kuch.yahan alag alag namdan centres Hain Jo alag alag Nam pradan pradan karte Hain moksh prapti ke liye jaise rampal kabirpanthi,nitin dash kabirpanthi,shaktiputra ji,radhaswami ji,etc etc.pranami dharm mein hai shriraj ji ko purn parmatma kehtr Hain phir aap kaise keh sakte Hain Kabir hi purn parmatma hai.hum log kuch nahi karsakte yahan to pehle se hi sab alag alag hai.
@supravadas2619
@supravadas2619 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 Inka kehna hi ki shriraj ji purn parmatma Hain aap keh rahe Hain ki Kabir sahab purn parmatma Hain Kal ko koi aur kahega ki ye purn parmatma Hain hum kiski kiski bat sunenge.bhai Kya aapne rampal ji se diksha le rakhi hai ya phir kisi aur se.aap kin kitabon kin pramanon ke aadhar par keh rahe Hain ki kibar hi purn parmatma hain.bataiye.aapka no mil sakta hai kya
@supravadas2619
@supravadas2619 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 Bhai mein kisi sampradaya see nahi Hoon lekin aapne mere sawalon ka jawab nahi Diya aur Kya aap Kabir panthi Hain Kya aapne rampal ji see diksha li hai.aap kin pramanon ke aadhar par keh rahe Hain ki Kabir purn parmatma Hain aur wo aksharateet Shri Raj ji se bhi upar hain.aur Bhai sahab main postman nahi hoon.
@supravadas2619
@supravadas2619 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 bhaisahab ye sahib parmatma kaun Hain Kya aap kabit ji ko sahab parmatma bol rahe hain.aapne Kahan se namdan liya hai ye bataiye mujhe.aapke pas subut hai ki Kabir hi purn parmatma Hain.kya aapne sahibbandegi see diksha liya hai
@supravadas2619
@supravadas2619 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 aap ko to bat karne ki tamez nahi hai.aap sadguru aur purn parmatma ki bat Kar rahe hain.kya yehi aapka acharan hai?aap bar bar mujhe dakiye kyon bol rahe hain.aapse jitna sawal Puch rahe Hain aap jawab to de nahi rahe Hain aur idhar udhar ki bat Kar rahe hain.kya pata zindegi aise Kat Jaye sadguru aur purn parmatma ke chakkar.aap apni bhasa acharan thik kijiye phir bad mein purn sadguru aur purn parmatma dhund lena.aapko to bat karne ki tamez nahi hai aap itni itni badi badi bat Kar rahe hain
@dineshkajla0957
@dineshkajla0957 4 жыл бұрын
स्वासो का जाप करे झुट सो बखानिए, अक्षर पार नि, अक्षर भरपूर है सोई सत्य कर मानिए। पांच शब्द पांच मुद्रा लोक दीवप यम जाला, अक्षर के आगे नी अक्षर उजियाला। बानी कबीर साहिब जी में अक्षर ब्रह्म के पार जाने के लिए बताया गया है साहिब बंदगी जी सत साहिब जी
@samanderkarsoliya4725
@samanderkarsoliya4725 5 жыл бұрын
अक्षर ब्रह्म श्रीकृष्ण जी नही है क्षर , अक्षर ,परम अक्षर को जानने के लिऐ देखे साधना टीवी चैनल 7.30 शाम पुस्तक गीता तेरा ज्ञान अमृत
@_oO00o_
@_oO00o_ 5 жыл бұрын
इनको कहां से मिला ये map bhai, sat Saheb।
@niteshkhatri6212
@niteshkhatri6212 4 жыл бұрын
Shree krishna akshyar brahmha nahi Akshyaratit hai kshyer aur akshyer se praeee akshyeratit purna brahma paramatma
@KailashChand-ge8fx
@KailashChand-ge8fx 3 жыл бұрын
Morkh
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
@@_oO00o_ अगर आप वास्तव में सत्य से जुड़ना चाहते हे तो यह सारी बातें सब और से समझनी पड़ती हे। पर जो वेद शास्त्रों में सारी निशानिया लिखी हे उस से स्पर्स्ट हो जाता हे। उस परमधम को जानना हे आप वास्तव में आध्यात्म की वह गहन बात और शाष्ट्रो की संकेत को जानना चाहते हे। तो यह जानना बहोत जरूरी हे की जो परमात्मा हे वह सब का एक ही हे कोई भी धर्म हो उसमे एक की ही बात की हुई हे। जेसे आज हमारा जीव इस तन में आया हे तो हम हिंदू कहते हे दूसरे धर्मो में आता तो हम वह कहेंगे पर हम बाहरी दृष्टि छोड़ उस आत्म दृष्टि से देखे की वास्तव में वह अक्षर ब्रह्म से भी पार हे वह जो अनादि काल से हे ओर जो अनंत हे वह परब्रह्म का धाम परमधान हे। उसे नाही मन, चित, बुद्धि और अहंकार से जाना जा सकता हे मात्र जागृत बुद्धि का ज्ञान चाहिए जिस तरह जब हम निद्रा अवस्था में होते हे तब हमारे अंतःकरण स्वपन चलता हे उसमे हमारे जैसा ही रूप होता हे पर वह हम नही होते पर हमे उस समय हम खुद का वास्तविक रूप जो हकीकत में हे वह नही जानते होते तब बस हम केवल स्वपन की स्वप्न बुद्धि से ही सोचते हे। हमे हमारे मूल स्वरूप का भी भान नहीं रहता। इसे ही यह माया हे जिसकी पूर्ण पहचान हो जाए तो यह माया के पार वह अखंड की बाते जानी जा सकती है। यह 28 मा कलयुग चल रहा हे जो सभी शास्त्रों में कहा हे की इस कलयुग में वह पूर्णब्रह्म आने वाले हे जो आज तक कभी नही आए हे। महेश्वर तंत्र, पुराण संहिता, हरिवंश पुराण, सदाशिव संहिता, भविष्य पुराण मेतो सारे प्रमुख राजा के नाम लेके कहा गया हे की कब वह आएंगे और उनकी पहचान क्या होगी.... वेद और उपनिषद में भी बाते लिखी हे। जो स्पर्श करती हे सब काच जैसा पारदरसित बाते हे जिसे जानने के बाद कुछ जानना बाकी नही रह जाता। यह मनुष्य तन भारत खंड और यह 28 वा कलयुग और सबसे महत्व यह अक्षरातित पूर्ण ब्रह्म का ज्ञान यह चार बहोत दुर्लब हे। यह जानना बहोत आवश्यक हे की हम कोन हे वास्तव में??? कहा से आए हे??? हमारा भरतार (मालिक) वह परमात्मा कोन हे?? जब यह सृष्टि थी ही नहीं ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति पुरुष ओर माया थी ही नहीं तो हम कहा थे??? ओर परब्रह्म जो कभी आज तक नही आए इस जगत में वह क्यो आए हे किसके लिए आए हे??? यह प्रश्न आध्यात्मिक जगत में मूल प्रश्न हे। इसे केवल अक्षरातित की कृपा से ही उनके वचनों से ही जानी जा सकती हे। जिसका प्रणाम और साक्षी सारे धर्म ग्रन्थ पुरते हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा।
@rjdeepsingh4878
@rjdeepsingh4878 3 жыл бұрын
Logan ram khilona jana😂😂😂
@naturalsanskrit4068
@naturalsanskrit4068 5 жыл бұрын
Na koi utpan he or nahi koi nast he kyuki sab kuch bhram he
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 5 жыл бұрын
वाह कल्कि जी आपके घर मे आज तक कोई नष्ट नही हुआ होगा ! और आप भी नष्ट नही होंगे कभी ?
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
सब कुछ ब्रह्म ही हे तो जन्म मृत्यु क्यो हे दुख ही दुख क्यो हे सब कुछ ब्रह्ममई क्यो नही हे?? वेदों में तो ब्रह्म को सत चित आनन्द वाला कहा हे। उल्टा यहां तो जूठ जड़ और दुख ही दुख हे। अगर सब ब्रह्ममई होता तो यह प्रश्न के जवाब दीजिए। १. यह संपूर्ण जगत चेतन अखंड और अविनाशी होना चाहिए । २. जगत के कण-कण से लौह अग्निवत ब्रह्मरूपता की झलक मिलनी चाहिये । ३. प्रत्येक प्राणी पूर्ण ज्ञानवान होना चाहिए । न तो धर्मशास्त्रों की आवश्यकता होनी चाहिए और न पढ़ने- पढ़ाने की। ४. प्रत्येक प्राणी तथा प्रत्येक कण आनन्द से परिपूर्ण होना चाहिये, जबकि व्यवहार में तो यही दिखता है कि प्रत्येक प्राणी किसी न किसी रूप में दुःखी है। ५. स्वर्ग, वैकुण्ठ, तथा नर्क में किसी भी प्रकार का अन्तर नहीं होना चाहिए, क्योंकि ब्रह्म अखण्ड और एकरस है। ६. किसी भी प्राणी के अन्दर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि दुर्गुण नही होने चाहिए। ७. अविनाशी परब्रह्म के कण-कण में व्यापक होने पर इस दुनिया में जन्म तथा मृत्यु का चक्र नहीं चलना चाहिये। ८. मल-मूत्र जैसी वस्तुओं से भी हमें घृणा के स्थान पर ब्रह्मरूपता की अनुभूति होनी चाहिए। ९. जगत के ब्रह्मरूप होने पर भक्ति और मुक्ति जैसे शब्दों की आवश्यकता भी नहीं होनी चाहिये । १०. ब्रह्मरूपता वाली सृष्टि में जगत की उत्पत्ति एवं प्रलय की बात मात्र काल्पनिक होनी चाहिये । जिस प्रकार अन्धेरे के कण-कण में सूर्य व्यापक नहीं हो सकता, उसी प्रकार इस मायावी जगत के कण-कण में सच्चिदानन्द परब्रह्म का वह अखण्ड प्रकाशमान स्वरूप व्यापक नहीं हो सकता। इस जगत के कण-कण में उसकी सत्ता अवश्य है, किन्तु स्वरूप नहीं। परब्रह्म सर्वव्यापक अवश्य है, किन्तु अपने निजधाम में, जहाँ के कण-कण में अनन्त सूर्यों का प्रकाश है जहाँ अनन्त आनन्द है। इस प्रकार का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है। गीता में भी कहा गया है कि उस ब्रह्मधाम में न तो सूर्य प्रकाशित होता है, न चन्द्रमा, और न ही अग्नि। जहाँ जाने पर पुन: लौटना नहीं पड़ता, वह मेरा परमधाम है। यजुर्वेद का कथन है कि प्रकृति के अन्धकार से सर्वथा परे सूर्य के समान प्रकाशमान स्वरूप वाले परमात्मा को मैं जानता हूँ, जिसको जाने बिना मृत्यु से छुटकारा पाने का अन्य कोई भी उपाय नहीं है। इस कथन से जहाँ परब्रह्म का स्वरूप मायावी जगत से सर्वथा परे सिद्ध होता है, वहीं परमात्मा के रूप से रहित कहे जाने की बात भी खंडन होता हे। *प्रमाण:* ज्योति: अजस्रं, यस्मिन लोके स्वहितम्। तस्मिन मां धेहि पवमान अमृते लोके अक्षित इन्द्राय इन्दो परिस्रव ।। ऋग्वेद ९/११३/७ न तत्र भासयते सूर्यो न शशांको न पावक:। गीता यद् गत्वा न निवर्तन्ते तद् धाम परमं मम्।। वेदाहमेतम् पुरुषं महान्तं अआदित्य वर्ण तमस: परस्तात्। तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्य: पन्था विद्यतेऽयनाय।। यजुर्वेद ३१/१८ असतो मा सद गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमयेति। शतपथ ब्राह्मण १४/३/१/३० दिव्ये ब्रह्मपुरे होेष: व्यो्नि आत्मा प्रतिष्ठित: । मुण्डकोपनिषद २/२/७ चतुष्पाद् भूत्वा भोग्य: सर्वमादत् भोजनम्। अथवेद १०/८/२१ पुरुष एवेदं सर्व यद् भूतं यच्च भाव्यम्। पादोस्य सर्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि।। ऋ्वेद १०/९०/२ त्रिपादूर्व उदैत्पुरूष: पादोऽस्थेहाभवत् पुनः । यजुर्वेद ३१/४ शुक्रोडडसि भ्राजोडडसि। रुचिरसि रोचोsऽसि। अथर्ववेद १७ /१/२० अथर्ववेद १७/৭/२१ एथोऽस्येथिषीय समिदासिसमेधिषीय। तेजोऽसि तेजोमयि धेहि।। अथर्ववेद ७/८९/४ शुक्रज्योतिक्ष चित्रज्योतिश्व सत्यज्योतिश्व ज्योतिष्माश्च । तमेव विद्वान न विभाय मृत्योरात्मानं धीरमजरं युवानम्। अथववेद १०/८/४४ इस प्रमाण से स्पर्स्ट होता हे ब्रह्म ना ही यहा से और यह ब्रह्म अपने ब्रह्मपुर धाम में विराजमान हे अनादि काल से और आंनद की लीला कर्ता हे अपने ही निज स्वरुप से जो अद्वेत हे। अगर आप को ज्यादा जानना हो वास्तव में आप आध्यात्म से और उस परमात्मा और खुद को जानना चाहते हे वह परमधाम को जानना चाहते हे जिसे वेदों शास्त्रों में दिव्य ब्रह्मपुर धाम कहा । तो आप हमसे बात कर सकते हे whatsapp पर 8460712173 आप हमेशा आगे बढ़े और सत्य को जाने अपने मूल स्वरूप को जाने ओर आनंद मंगल में रहिए। 🥰🙏🏻
@satguruprem5021
@satguruprem5021 5 жыл бұрын
नूर ततव से आतम ततव अलंग है आतम ततव परकाश पुंज शबद सवरुपी है क्षर नाशवान शरीर अक्षर अविनाशी आतमा आदि अक्षर अंखड अविनाशी अजर अमर अछेद अभेद शबद सवरुपी परमातमा है सब भगवान देवता मनुषय 33करोङ देवता विराट सब के सब अंखड अविनाशी आदि पुरुष परमातमा से परकट है
@neerajbhatia7109
@neerajbhatia7109 4 жыл бұрын
Proof kha se Mila hai
@rajkumargaikwad4630
@rajkumargaikwad4630 4 жыл бұрын
Fake video
@pallavipandya8568
@pallavipandya8568 3 жыл бұрын
तो फिर सत्य दर्शावो । क्या सत्य है ? बताओ । मेरे वोट्सअप 9825245937 पर बताओ
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
प्रमाण:* ज्योति: अजस्रं, यस्मिन लोके स्वहितम्। तस्मिन मां धेहि पवमान अमृते लोके अक्षित इन्द्राय इन्दो परिस्रव ।। ऋग्वेद ९/११३/७ न तत्र भासयते सूर्यो न शशांको न पावक:। गीता यद् गत्वा न निवर्तन्ते तद् धाम परमं मम्।। वेदाहमेतम् पुरुषं महान्तं अआदित्य वर्ण तमस: परस्तात्। तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्य: पन्था विद्यतेऽयनाय।। यजुर्वेद ३१/१८ असतो मा सद गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमयेति। शतपथ ब्राह्मण १४/३/१/३० दिव्ये ब्रह्मपुरे होेष: व्यो्नि आत्मा प्रतिष्ठित: । मुण्डकोपनिषद २/२/७ चतुष्पाद् भूत्वा भोग्य: सर्वमादत् भोजनम्। अथवेद १०/८/२१ पुरुष एवेदं सर्व यद् भूतं यच्च भाव्यम्। पादोस्य सर्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि।। ऋ्वेद १०/९०/२ त्रिपादूर्व उदैत्पुरूष: पादोऽस्थेहाभवत् पुनः । यजुर्वेद ३१/४ शुक्रोडडसि भ्राजोडडसि। रुचिरसि रोचोsऽसि। अथर्ववेद १७ /१/२० अथर्ववेद १७/৭/२१ एथोऽस्येथिषीय समिदासिसमेधिषीय। तेजोऽसि तेजोमयि धेहि।। अथर्ववेद ७/८९/४ शुक्रज्योतिक्ष चित्रज्योतिश्व सत्यज्योतिश्व ज्योतिष्माश्च । तमेव विद्वान न विभाय मृत्योरात्मानं धीरमजरं युवानम्। अथववेद १०/८/४४
@shreerajshyamaji9302
@shreerajshyamaji9302 Жыл бұрын
क्षर से परे जो अविनाशी, अखण्ड, नूरमयी तत्व है, उसे अक्षर कहा जाता है । अछर सरूप के पल में , ऐसे कई कोट इंड उपजे । पल में पैदा करके , फेर वाही पल में खपे ।। (किरन्तन ७४/२६) अक्षर ब्रह्म के एक पल में करोड़ों ब्रह्माण्ड बनते और नष्ट हो जाते हैं । उस सर्वोत्पादक ब्रह्म (अक्षर ब्रह्म) ने द्यौ और पृथ्वी को दृढ़ता से स्थिर किया । उसने ही आनन्दमय लोक और उसने ही प्रकाशमय मोक्षधाम (योगमाया) धारण कर रखा है । उसने ही अन्तरिक्ष और लोक-लोकान्तरों को बनाया है । उसकी कृपा से विद्वान मोक्ष को प्राप्त करते हैं। (अथर्ववेद १३/१/७) जो उत्पन्न हुआ, जो उत्पन्न होने वाला है, और जो यह वर्तमान जगत है, इस सबके प्रति पुरुष (अक्षर ब्रह्म) ही अपना विक्रम दर्शा रहा है । सभी चराचर प्राणी तथा प्राकृतिक लोक इस पुरुष के एक पाद (चतुर्थ पाद मनस्वरूप अव्याकृत) के संकल्प से निर्मित हैं और इस पुरुष के तीन पाद (सबलिक, केवल, सत्स्वरूप) उत्पत्ति तथा विनाश से रहित अपने अखण्ड प्रकाशमय स्वरूप में विद्यमान रहते हैं । (ऋग्वेद १०/९०/२, यजुर्वेद ३१/२, सामवेद आरण्यक ६/४/५) अक्षर ब्रह्म जो इच्छा करते हैं, वही इच्छा सत् स्वरूप में आ जाती है । वही इच्छा केवल, सबलिक होते हुए मन के स्वरूप अव्याकृत में आ जाती है । उसी से सृष्टि की रचना होती है। अक्षर ब्रह्म का चौथा पाद अव्याकृत, इस प्राकृतिक जगत की उत्पत्ति का निमित्त कारण है । उसके संकल्प मात्र से उत्पन्न प्रकृति असंख्यों लोक-लोकान्तरों का निर्माण करती है । निमित्त कारण होने के कारण अव्याकृत ब्रह्म इस जगत से परे है । इस जड़ जगत में केवल उनकी सत्ता है, उनका स्वरूप नहीं । अतः अव्याकृत भी अखण्ड हैं। अव्याकृत से परे अक्षर ब्रह्म के तीन पाद इस प्रकार हैं - सबलिक ब्रह्म (चित्त स्वरूप), केवल ब्रह्म (बुद्धि स्वरूप), सत्स्वरूप ब्रह्म (वास्तविक स्वरूप) । सबलिक ब्रह्म के सूक्ष्म में चिदानन्द लहरी नामक शक्ति विराजमान है, जो माया और त्रिगुण (आदिनारायण) का मूल स्थान है । शंकराचार्य जी ने सबलिक ब्रह्म को ही पूर्ण ब्रह्म मानते हुए चिदानन्द लहरी को उनकी महारानी माना है (सौन्दर्य लहरी ग्रन्थ- श्लोक ९८) । सबलिक से परे केवल ब्रह्म की नौ रसों वाली आनन्दमयी भूमि है (तैतरीयोपनिषद्) । इससे परे अक्षर ब्रह्म के अहं का स्वरूप सत्स्वरूप ब्रह्म है । यह तीनों पाद अखण्ड, प्रकाशमय, और सुखमय हैं । इन्हें ही वेद में त्रिपाद अमृत कहा गया है । अक्षर ब्रह्म की लीला के इस अखण्ड ब्रह्माण्ड को अक्षर ब्रह्माण्ड या बेहद या योगमाया कहते हैं । यह ब्रह्माण्ड चैतन्य, अविनाशी है तथा इसके कण-कण में करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमय ब्रह्म का स्वरूप विद्यमान है । यहाँ अक्षर ब्रह्म के अन्तःकरण की अद्वैत लीला अखण्ड रूप से होती है । अक्षर ब्रह्म अपनी अभिन्न शक्ति स्वरूपा अखण्ड चैतन्य माया के साथ लीला करते हैं । अक्षर ब्रह्म की आत्माओं को ईश्वरी सृष्टि कहते हैं, जिनका निवास सत्स्वरूप ब्रह्म में है । परमधाम की आत्माओं के साथ ये भी इस नश्वर जगत् में आयी हैं । अक्षर ब्रह्म का मूल स्वरूप इन चारों अखण्ड पादों से ऊपर है । वह सच्चिदानन्द परब्रह्म के सत् स्वरूप हैं तथा योगमाया से परे अखण्ड परमधाम में रहते हैं । अक्षर ब्रह्म का स्वरूप अखण्ड व एकरस है । वह अनादि काल से जैसा था, वैसा ही अब भी है, और अनन्त काल के पश्चात् भी वैसा ही रहेगा । उसके अनन्त ज्ञान, अनन्त शक्ति में कभी भी कमी नहीं आ सकती । उसकी उपासना करके, साक्षात्कार करने वाले अविनाशी धाम को प्राप्त होते हैं ।
@chittranjnadas8679
@chittranjnadas8679 4 жыл бұрын
अनंतकोटी ब्रह्मांड का एक रति नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर है ये कुल के सिरजनहार।।
@bikasholi1025
@bikasholi1025 4 жыл бұрын
Nijadham Ka concept be Sahi hae akxerartet Krishna akxeyr se para hae lakin ensa be para samrat Kabir hae ...saheb bandagi sat saheb ji🙏
@Kunal-yn9xs
@Kunal-yn9xs 4 жыл бұрын
ये असत्य है। आपने ज्ञान का खिचड़ी ज्ञान बना दिया ओर श्री कृष्ण को परमपुरुष सिद्ध कर दिया जो सत्य नहीं है। वास्तव में श्री कृष्ण त्रिलोकिय विष्णु के अवतार है। पूर्ण पुरुष / सत्य पुरुष / अविनाशी परमेश्वर कविर्देव हैं/ जिसे कबीर भी कहते हैं लोकभाषा में । अगर आपको प्रमाण चाहिए तो देखिए - भगवतगीता अध्याय 8, श्लोक 6/7/8 जिसमें कवियंपुरणम करके उस पुरुष की व्याख्या करी गई है। सत् साहेब।
@bikasholi1025
@bikasholi1025 4 жыл бұрын
Kabir saheb puran paramatma hae...inhona bataya huwa concept Sahi hae blkul Sahi Shree Krishna akxeyaratet param akxeyr hae lakin inse ve para samrat Kabir hae...saheb bandagi sat saheb
@Kunal-yn9xs
@Kunal-yn9xs 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 आप देखो आक्षरातित का मतलब होता है अक्षर(शब्द) के परे यानी जिसकी गतिं शब्द के भी परे हैं , जो कि कबीर साहब या कविरदेव हैं जो कि अनंत कला या सिद्धि के स्वामी हैं , श्री कृष्ण तो 16 कला के देव या ईश्वर हैं, शिव या विरंची भी 16 कला के आगे नहीं जा सकते तो ये अक्षर आतित केसे हुए, देवी दुर्गा या आदिशक्ति या प्रकृति देवी कि 64 कलाए हैं , त्रिदेवो के पिता ज्योति निरनजन या अलख निरंजन की 1000 कलाएं हैं जो कि इन्होंने महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण के माध्यम से अर्जुन को दिखाई थी और कहा था कि मेरा ये रूप दिव्य इसे किसी भी जाप, तप , साधना से नहीं देखा जा सकता और आगे भी कोई नहीं देख पाएगा , निरंजन (ॐ जिसका निजनाम हैं) ब्रह्मलोक रूपी दिव्य आकाश में रहता है जिसे सतलोक या सातवा आसमान या सातवा मंडल भी कहते हैं , इसे क्षर पुरुष भी कहते हैं , यह 21 ब्रह्मांडो का स्वामी या ईश्वर हैं , इसके आगे अक्षर पुरुष हैं , यह 10000 कलाओ का स्वामी या ईश्वर हैं , यह 7 संख ब्रह्मांडो का स्वामी या ईश्वर हैं , इन्हे अक्षर पुरुष भी कहते हैं , इसके आगे वास्तविक अविनाशी या पूर्ण अविनाशी स्थान हैं जिसे सत्यालोक कहते जहा सत्यपुरूष का स्थान हैं जो की अनंत कलाओं का स्वामी हैं , इन्हे परम अक्षर पुरुष / पूर्ण परमात्मा, सच्चिदानन्द परमेश्वर भी कहता है , पृथ्वी मंडल पर यह सतगुरु कबीर साहेब के रूप में आए थे और आज भी मौजूद हैं , इसके आगे अलख लोक , फिर अगम लोक , अनामी लोक अंतिम सीमा हैं परमेश्वर की रचना की जहा आत्मा परमात्मा में कोई भेद नहीं रह जाता। सत् साहेब। कबीर , क्षर अक्षर रूप रहे नहीं कोई , जिन एती लीला समू। परम अक्षर हैं रूप हमारा, हम ना चली, चली हैं सनसरा।। कबीर, अरबों तो ब्रह्मा गए, उनंचास कोटि कन्हैया(विष्णु)। सात कोटि शंभू गए, मोर एक ना पलैया।। जय रैदास। सत् कबीर।।
@bikasholi1025
@bikasholi1025 4 жыл бұрын
@@Kunal-yn9xs Sahi batt hae mere vae lakin en akxeyr bram Ka baat be Sahi hae unhona Jo concept bataya hae Sahi hae hum ya concept la Sakta hae lakin SB Ka upar puran dhani to Kabir saheb hae...sat saheb
@Kunal-yn9xs
@Kunal-yn9xs 4 жыл бұрын
@@bikasholi1025 भाईसाहब इन्होंने जो भी ज्ञान लिया है जो कबीर सागर या उनके किसी शिष्य से लिया हैं जो कि खिचड़ी ज्ञान हैं । शर, अक्षर , परम अक्षर - तीन पुरुष हैं और परम अक्षर कबीर या कविर्देव हैं , शर पुरष - ज्योति निरंजन हैं और अक्षर पुरुष हैं जिसे गिनती में नहीं लेते ये ज्ञानी लोग पर वो भी विद्यमान हैं । कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ हैं, निरंजन वाकी डार । तीनो देव शाखा हैं , पात रूप संसार ।। और जड़ कबीर साहब या कविर्देब हैं।
@bikasholi1025
@bikasholi1025 4 жыл бұрын
@@Kunal-yn9xs Sahi Kaha aap na ma aap Ka hat se samat hu lakin mana kabir saheb na be ASHA he gyan bataya hae inhona concept blkul Sahi leha hae enhona thk Kaha hae ke akxeyr se para akxeyaratet Krishna hae lakin. Ya nahe Samaj sake ke SB se para to samrat Kabir hae jeska ved saheb he da sakta hae Kabir puran bramha hae ...inhona concept Sahi Leya hae akxeyr purush Ka barama be thk bataya hae lakin Kabir saheb ko Jan nahe paya Jo ta samrat hae sabad swarupe hae Jo char dag ma nahe atha aur kishi na kishi rup ma Leela Kar rahe hae ..sat saheb
@laxmipatel6301
@laxmipatel6301 5 жыл бұрын
Pranamji
@pramilasareyam4706
@pramilasareyam4706 3 жыл бұрын
Pranam ji
@LAW_OF_ONE
@LAW_OF_ONE 6 жыл бұрын
Parnam ji
@gayatrigupta752
@gayatrigupta752 6 жыл бұрын
Pranaam ji
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 9 ай бұрын
प्रणाम जी
@nijdhamparamadham
@nijdhamparamadham 6 жыл бұрын
Pranamji
Birat Bigyan Darpan [Shree Krishna Pranami Sampradaya Virat Gyan]
30:14
sanjeev barma shakha
Рет қаралды 47 М.
Nijdham Paramdham's Personal Meeting Room
Nijdham
Рет қаралды 5
Shri Prannathji TV Serial Episode-41
45:37
The Prannath Multimedia
Рет қаралды 60 М.