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अखंड विष्णु कार्यम व्यासन्देन चराचरम तत्पदम दर्शितं येन तस्मै श्री लक्ष्मीय नमः नारायण-नारायण।
मंत्र का परिचय और महत्व
‘अखंड विष्णु कार्यं चराचरं’ मंत्र हिंदू धर्म में विष्णु भगवान की महिमा को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण मंत्र है। इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ है कि “विष्णु का कार्य अखंड है और यह चराचर जगत में व्याप्त है।” इस मंत्र के माध्यम से विष्णु भगवान की सर्वव्यापकता और उनकी अखंडता को प्रकट किया जाता है। विष्णु को ‘पालक’ के रूप में जाना जाता है, जो संपूर्ण सृष्टि का संरक्षण और पालन करते हैं। उनकी अखंडता और सर्वव्यापकता उन्हें हर जीव और हर वस्तु में विद्यमान बनाती है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, इस मंत्र का उच्चारण भक्तों को विष्णु भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक माना जाता है। यह मंत्र श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, ‘अखंड विष्णु कार्यं चराचरं’ मंत्र आत्मा की अनंतता और उसकी दिव्यता को भी दर्शाता है।
सांस्कृतिक महत्व की बात करें तो यह मंत्र हमारे जीवन में एकता और अखंडता का संदेश देता है। यह हमें सिखाता है कि समस्त सृष्टि एक ही परमात्मा का कार्य है और हम सब उसमें समाहित हैं। इस प्रकार, यह मंत्र हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
विष्णु भगवान की पूजा और इस मंत्र का नियमित जाप करने से भक्तों को आत्मिक बल और मानसिक शांति मिलती है। यह मंत्र हमें जीवन की अनिश्चितताओं और कठिनाइयों से निपटने का साहस प्रदान करता है।
अतः, ‘अखंड विष्णु कार्यं चराचरं’ मंत्र का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह मंत्र न केवल हमें भगवान विष्णु की महिमा का आभास कराता है, बल्कि हमें जीवन में स्थिरता और शांति प्रदान करने में भी सहायक सिद्ध होता है।
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