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@MeriAawaz90karan
अलिफ़ लैला-सिंदबाद जहाज़ी की छठवी यात्रा की कहानी भाग-7
Alif Laila Bhag-7
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t.me/faujibhai...
जीवन का सबसे बड़ा गुरू, वक्त होता है क्योंकी, जो वक्त सिखाता है, वो कोई नहीं सिखा पाता! सफलता के मैदान में, वही विजयी होता है, जिसके पास मेहनत रूपी, ब्रह्मास्त्र होता है! जैसा की हरदम कहता हु बनो कुछ ऐसा की हर कोई बनना चाहे आपके जैसा नमस्कार मैं हूँ करन यादव मेरे चैनल मेरी आवाज़९० से…… अलिफ़ लैला में सिंदबाद जहाज़ी की ६ समुद्री यात्रा की कहानी-सिंदबाद ने अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्रा का उन्माद चढ़ा। मेरे सगे-संबंधियों ने मुझे बहुत रोका किंतु मैं न माना। आरंभ में मैंने बहुत-सी यात्रा थल मार्ग से की और फारस के कई नगरों में जाकर व्यापार किया। फिर एक बंदरगाह पर एक जहाज पर बैठा और नई समुद्र यात्रा शुरू की। कप्तान की योजना तो लंबी यात्रा पर जाने की थी किंतु वह कुछ समय बाद रास्ता भूल गया। वह बराबर अपनी यात्रा पुस्तकों और नक्शों को देखा करता था ताकि उसे यह पता चले कि कहाँ है। एक दिन वह पुस्तक पढ़ कर रोने-चिल्लाने लगा। उसने पगड़ी फेंक दी और बाल नोचने लगा। हमने पूछा कि तुम्हें यह क्या हो गया है, तो उसने कुछ देर में बताया कि यहाँ एक समुद्री धारा हमें एक ओर लिए जाती हैं, वह हमें एक तट पर ऐसा पटकेगी कि हमारा जहाज टूट जाएगा और हम सब उसी तट पर मर जाएँगे। यह कहकर उसने जहाज के पाल उतरवा दिए। उससे कुछ न हुआ। धारा के वेग से उछल कर जहाज पहाड़ी से टकराया और शीशे की तरह बिखर गया। चूँकि तट ही पर यह हुआ था इसीलिए हम लोग खाद्य सामग्री और अन्य सामान किनारे पर ले आए। कप्तान ने कहा 'भाग्य पर किसी का वश नहीं है। अब हम सब लोग एक-दूसरे के गले लगकर रो लें और अपनी-अपनी कब्रें खोद लें क्योंकि यहाँ से कोई बचकर नही गया है।' यह सुनकर हम लोग एक-दूसरे के गले लगकर रोने लगे क्योंकि हमने देखा कि किनारे पर दूर-दूर तक जहाजों के टुकड़े और मानव कंकाल बिखरे पड़े थे। मालूम होता था कि हजारों यात्री वहाँ आकर मर गए