तुमको पाया है जमाने से किनारा करके तुम बदल देते हो किस्मत को इशारा कर के मालों दौलत की तमन्ना न मुझे शोहरत की कुछ भी देदे तेरी चौखट का उतारा कर के क्यू किसी गैर के दर पे मै झकाऊ सर को मुझको अल्लाह ने भेजा है तुम्हारा कर के छानकर खाक ज़माने की यही सोचा है उम्र काटु तेरे टुकड़ों पे गुज़ारा कर के ना तो हंसने में लगे दिल ना लगे रोने में छुप गए तुम कहा ये हाल हमारा कर के रौशनी बढ़ गई आंखों की मेरी एक पल में मेरे ख्वाजा तेरे गुंबद का नज़ारा करके मैने पाई है खुशी सारे ज़माने की शकील उनकी चौखट की गुलामी को गवारा कर के