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अमरूद की सघन बागवानी का ये तरीका किसानों को कर रहा माला मॉल #farm #farmer #indianfarmercrops
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भारत में अमरूद की खेती एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय साबित हो रहा है अमरुद एक सामान्य परंतु एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक फलों की फसल है राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार यह आम केला और सिट्रस के बाद चौथा सबसे महत्वपूर्ण फल है इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है और साथ में पेक्टिन कैल्शियम और फास्फोरस भी पाया जाता है
अमरूद पूरे भारत में पाया जाता है
जैसे उत्तर प्रदेश बिहार महाराष्ट्र मध्य प्रदेश तमिल नाडु आंध्र प्रदेश कर्नाटक उड़ीसा पश्चिम बंगाल और हरियाणा पंजाब में सफलतापूर्वक उगाया जाता है
यह एक कठोर फसल है और यह सभी प्रकार की मिट्टी में विकसित हो जाता है
अमरूद की फसल के साथ इंटरक्रॉपिंग के लिए जैसे चना गाजर मूली भिंडी लहसुन प्याज मिर्च हल्दी अदरक इत्यादि फसलों का चुनाव कर सकते हैं
अमरुद को जामफल अमृत फल पेरू फल और बीहि के नाम से भी जाना जाता है
अमरूद की खेती फरवरी से मार्च अगस्त से अक्टूबर माह के बीच का समय अमरूद का पौधा लगाने के लिए अनुकूल माना जाता है
भारत के सभी किसान भाई पारंपरिक खेती से कुछ अलग करना चाहते हैं वह इसकी खेती कर सकते हैं इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पौधों में 12 महीने फूल और फल लगते रहते हैं
अर्थात यह बारहमासी किस्म होती है इसका फल काफी बड़ा होता है वजन के लिहाज से 400 ग्राम से लेकर 800 ग्राम का होता है इसकी खेती सघन बागवानी विधि से की जाती है जिसमें पौधे से पौधे 9 फीट तथा पंक्ति से पंक्ति 9 फिट की दूरी रखी जाती है प्रति एकड़ लगभग 540 पौधे लगते हैं अमरूद की अधिक पैदावार के लिए तने के बजाय शाखाओं को विकसित करने की जरूरत होती है पौधों में जितनी अधिक नई शाखाएं विकसित होंगी उतना ज्यादा फलों का उत्पादन होगा
इसलिए समय-समय पर इसकी कटाई छटाई (प्रूनिंग) अति अनिवार्य होती है पौध की ऊंचाई 6 फीट से अधिक नहीं रखनी चाहिए
पैदावार में वैरायटी साल में तीन बार फल देती है
वैसे तो प्रति पेड़ से एक बार में लगभग 50 किलो फल तक का भी प्रोडक्शन मिलता है लेकिन यदि हम प्रति पेड़ केवल 30 किलो फल भी लेते हैं तो प्रति एकड़ लगभग 16200 किलो फल एक बार में प्राप्त होता है इस प्रकार प्रतिवर्ष लगभग 540 पेड़ से 48600 किलोग्राम फलों का उत्पादन होता है वैसे तो इस अमरूद का खुदरा बाजार मूल्य ₹60 से लेकर ₹100 प्रति किलोग्राम रहता है परंतु किसान इसे ₹20 किलो के दाम में भी बेच देता है तो लगभग 9से ₹10 लाख की आमदनी 1 एकड़ जमीन से कर सकता है
जोकि अन्य सभी पारंपरिक फसलों से अधिक है
अमरूद की फसल में बहुत ज्यादा ना सिंचाई की आवश्यकता होती है नाही कीटनाशक नाही फर्टिलाइजर की
अतः किसान भाई अमरूद की इस किस्म की खेती करके एक अच्छा मुनाफा कमा सकते है
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अरविंद अधिकारी
लखनऊ
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