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चीकू की खेती भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्यों में इसकी बड़े क्षेत्रफल में खेती की जाती है। चीकू के फलों की त्वचा मोटी व भूरे रंग का होता है। इसके प्रत्येक फल में एक या दो काले रंग के बीच पाये जाते है|
उन्नत किस्में:
देश में चीकू की कई किस्में प्रचलित हैं। उत्तम किस्मों के फल बड़े, छिलके पतले एवं चिकने और गूदा मीठा और मुलायम होता है। झारखंड क्षेत्र के लिए क्रिकेट बाल, काली पत्ती, भूरी पत्ती, पी.के.एम.1, डीएसएच-2 झुमकिया, आदि किस्में अति उपयुक्त हैं।
पौधे से पौधे की दूरी :
लाइन से लाइन - 12 फीट
पौधे से पौधे की दूरी - 10 फीट
रोग एवं कीट नियंत्रण
चीकू के पौधों पर रोग एवं कीटों का आक्रमण कम होता है। लेकिन कभी-कभी उपेक्षित बागों में पर्ण दाग रोग तथा कली बेधक, तना बेधक, पप्ती लपेटक एवं मिलीबग आदि कीटों का प्रभाव देखा जता है। इसके नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 2 ग्रा./लीटर तथा मोनोक्रोटोफास 1.5 मिली./लीटर के घोल का छिड़काव करना चाहिए।
उपज
चीकू में रोपाई के दो वर्ष बाद फल मिलना प्रारम्भ हो जाता है। जैसे-जैसे पौधा पुराना होता जाता है। उपज में वृद्धि होती जाती है। एक 30 वर्ष के पेड़ से 2500 से 3000 तक फल प्रति वर्ष प्राप्त हो जाते है।
चीकू । सपोता उत्तर भारत में भी अच्छी उपज दे रहा है ॥
जैसे - हरियाणा , पंजाब और उत्तर प्रदेश आदि
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चीकू की खेती कैसे करें
चीकू खेती कहाँ होती है
चीकू का पौधा कैसे लगायें
चीकू का पेड़ कैसे लगाये