Q. अनहद नाद के साथ अंतर्यात्रा कैसे करें? Q. अनहद नाद का स्मरण करते हुए अंतर्यात्रा कैसे करें? || स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ||
Пікірлер: 245
@pardeepohekar19204 ай бұрын
Dhanywad, Swamiji Thanks, Jay Jay Oshojl and Parisar.
@rajendersingh-fb2dk7 ай бұрын
जंगल में मोर नाचा किसने देखा , जिसने देखा , मैने देखा ,तुने देखा, उसने देखा , इसने देखा , जिसने भी देखा उसी ने जाना क्योंकि उस वक्त .समय वहां जो था वह अकेला ही होता है ,दुसरा कोई नहीं।। जय गुरूदेव।।
@gurgurgur6 ай бұрын
Sach khoj academy say samjo deeply
@gurgurgur6 ай бұрын
Sach khoj academy bhi deep meaning karti ha nad kay bhahkunth kay vo hindu Muslim sikh ko ack he manntay ha kabir ji ko deeply samja ha sach khoj academy nay sikhnay bhahut milta ha dhram singh shatri sant ha veer ras may boltay ha dar koe nahi Hindu Muslim sikh ko veer ras nu samjatay ha narmi say bat nahi kartay atma gyan par he nishana rakhtay ha sariri ko nahi daykhtay atma par he talwar jasa war kartay ha sariri atma different dikhnay lagti ha kamal ha ağır koe oun ko sunn sakay kirpa mago vivaki shatri ha bharat kay
@HariOm-cm7pr8 ай бұрын
आपका कोटि कोटि शुकराना करती हूं आपने अनहद के बाद क्या करना है सब अच्छी तरह से समझा दिया है मिल के एक हो जाना है साक्षी भाव को भी छोड़ देना है बहुत अच्छी तरह से समझा दिया आपने सफर पूरा कर दिया आपका कोटि कोटि आभार
@gurwindersinghgssidhu2936Ай бұрын
यह सब कैसे करें हमे बैठकर पहले किआ करना है पूरा डिटेल से बताए भाई।
@AdarshTripathi-p1f6 күн бұрын
आपने सुन लिया क्या 😂😂😂
@cslal18 ай бұрын
Koti Koti Naman !
@veenasharma90716 ай бұрын
Very nice Jai guru ji
@surendrashahi10508 ай бұрын
बहुत सुंदर विष्लेषण। आपको कोटि कोटि प्रणाम।
@glbadhan83057 ай бұрын
बहुत सुंदर और स्पष्ट प्रवचन जी। प्रणाम।
@subhashmehta87834 күн бұрын
Naman Gurudev ❤
@bhaveshmawar51319 ай бұрын
समर्थ सतगुरु हरि की जय 🙏🌹🙏🌹🙏
@tikam69822 ай бұрын
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सादर वंदन
@narayinkrl63565 ай бұрын
नमन् ❤
@susheeladagar39219 ай бұрын
हृदय से आभार , बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने🙏🙏
@ranibhagchandani21568 ай бұрын
Satnam sakhi
@user-lv8tb5vg8v3 ай бұрын
Hari om
@bandananeupanae55186 ай бұрын
Naman guru dev
@surenderprasadyadav99116 ай бұрын
Bahut achhi baat hai. 3 saal se mujhe continue Jhingur ki aawaz aati rahti hai...sspp
@RamMilan-pz6bd2 ай бұрын
बहुत बहुत आभार जी
@Ranjitabiswas8863 ай бұрын
Dhanyvad prabhu 🌹🙏
@aparokshanubhuti.ratishanand9 ай бұрын
ॐ श्री परमात्मने नमः
@ramchandrasubedi42439 ай бұрын
❤ pal pal Namastute pyare Satgurudev ! ❤
@zavermaster70007 ай бұрын
Are you very great, Saheb Bandagi 🙏🙏🙏
@chitrasaini20945 ай бұрын
Sat sat namn svami ji esi dhun ko suti rahti hun lekin ek andhera hai thanks rasta thekhane ke liy thanks namsty
@shilpajain67695 ай бұрын
🙏🙏🙏🌸🌸🌸
@manishagala92809 ай бұрын
Vandan prabhu 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
@Kanta-oi7lj7 ай бұрын
शत् शत् नमन स्वामी जी 🙏🙏🙏🙏🙏
@dineshpandey5229 ай бұрын
चरणों में नमन
@prakashchandradiwan42818 ай бұрын
आत्मा को घंटे और शंख की आवाज की धुन पर सहस्त्रदल कमल से नीचे उतार कर दोनो आंखों के बीच मनुष्य शरीर मे बैठाया अब ऐसा गुरु चाहिए जो स्वयं उस स्थान तक साधना करके पहुंच गया हे , किताबी ज्ञान नहीं पहुंचा सकता या स्वयं प्रयास कर नहीं पहुंच सकते हे क्यों कि रास्ते मे नीलगिरी पर्वत जिस पर आत्मा को चढ़ने पर बार बार चींटी की तरह फिसल जाती हे फिर बंक नाल का रास्ता जो बड़ा ऊंचा नीचा तेडा बांका घुमाव दार हे अंधेरा भी मिलता हे जहा बड़े बड़े भुजंग,शेर,भालू आदि की फुफकार, दहाड़ सूनाई देती हे जो गोतम बुद्ध को सुनाईं पढी थी अगर पिछे पलट कर देख लिया तो पागल हो जायेगा, आगे अद्यामहाशकति का लोक हे जहां स्त्रिया हि स्त्रियां हे जो बेहद खूबसूरत हे बडे बड़े साधक यही रुक जाता हे उनको लै लिया साधना वही रुक जातीं हे लेकिन पूरा गुरु किया तो साथ मे रहता हे वो छोटे बच्चे की तरह खीच के लै जाता हे आगे ईश्वर का रुप दिखाई दैता हे ,,, परम प्रकाश रूप दिन राती नहीं कछु चाहिए दिया ग्रत बाती, मन्दिर मे यही चिन्ह रखा हे ऊपर घंटा नीचे शंख, सामने दीपक ,बीच मे देवता जो स्वयं ज्योति स्वरूप हे इन्हें ही ईश्वर, जगदीश, भगवान, तीर्थंकर,खूदा, गाड़, काल भगवान, त्रिलोकीनाथ मीरा ने श्याम सुंदर, गोस्वामी जी ने राम , गोविन्द, बांके बिहारी आदि नाम से सम्बोधित किया, झींगुर की आवाज़ तो बहुत नीचे की हे जब मन एकाग्र होने लगता हे सामने प्रातः काल जैसा थोड़ा थोडा उजाला जिसे झाकोडिया ग्रामीण भाषा मे बोला जाता दिखाई पड़ता है उसी समय सीटी, चिड़ियाओं की चहचहाहट, झींगुर, घुंघरु की तरह की आवाज सूनाई देती हे नींद मे आकाश मे ऊड रहे हे ऐसे स्वप्न आते हे बड़ा हल्का पन महसूस होता हे प्रश्ननता, आनन्द की अनुभूति होती हे मगर मुख्य पहुचाहुआ गुरु मिले, किताब या प्रवचनों से नहीं गुरु की दया का सहारा जरूरी हे ,, कलयुग केवल नाम आधारा,,, ये नाम वर्णनात्मक नहीं धुनातमक हे , रास्ता मंत्र, भैदी बताया ये गा। अभी हम उल्लू व चमगादड़ हे सूरज के बारे मे सून सकते हे आंख देने का काम व आंख साफ करने का काम रास्ते का भैदी गुरु करता हे,जय गुरु देव
@rohtashkumar11978 ай бұрын
❤ जय गुरुदेव ❤️🌹🙏🙏
@manojpatel-pq9js6 ай бұрын
"जिंदा मत" "ज़िंदा है मत तो ज़िंदा हैं हम, वरना मुर्दों से तो संसार भरा है !" इस बात को समझना जरूरी है कि, जिन सम्प्रदायो के भीतर से अब उनकी जान निकल चुकी है यानी उस मत में किसी भी स्तर के प्रकट गुरु मौजूद नहीं हैं, वे मत और सम्प्रदाय मरी हुई देह के समान हैं जो कि अब किसी तरह जिंदा नहीं किये जा सकते हैं। जब तक कि उन मज़हबों और मतों के चलाने वाले आचार्य और उनके बताये अंतर अभ्यास को करने वाले गुरमुख अभ्यासी मौजूद रहे, वे सभी मत, मज़हब और सम्प्रदाय जिंदा रहे। पर जब वे अभ्यासी भी न रहे, तब वे मत भी जिंदा न रह सके। सो अपने वक़्त के पहुंचे हुए, पर अब आज के वक़्त में अंतर्ध्यान हो चुके सन्त और संत मार्गीय साध, महात्माओं के मत में शामिल हो कर भी अब कुछ हासिल नहीं हो सकता है। इस तरह पोथियों में सर खपाने और लकीरें पीटने से कोई भी अंतर में नहीं जाग सकता है। क्योंकि मत की जान 'अंतर्मुख अभ्यास' की असल रीत पोथियों में नहीं लिखी गयी है और ना ही लिखी जा सकती है और ना ही पोथियों को पढ़ कर यह रीत हासिल ही की जा सकती है। सो अब के वक़्त में लगभग सभी अनजान हैं, ....कुछ ही सचेत और कोई विरला ही सुजान है। भेष धारी या वाचक ज्ञानी गुरुओं से अंतर का भेद हासिल नहीं हो सकता है। अब जो जिंदा मत हो यानी जहां जीते जागते 'धुर के ज्ञाता और धुन के भेदी' गुरु प्रकट कार्यवाही करते हों, तो वहीं वह मत जिंदा है और उसी मत से जुड़ कर ही जीव का काज पूरा और सुफल हो सकता है। देखा कि भक्ति तो सभी कर रहे हैं, पर किसकी.... ? यह तो वे खुद भी नहीं जानते। इस तरह की गफलत भरी भक्ति से, जो कि जीव को हो चुके पिछले गुरुओं की स्वार्थ पूर्ण टेक के सिवा और कुछ नहीं दे सकती। झूठे अहंकार के निर्बुद्ध अंधकार में धकेल देती है। कोई एक पिछले गुरू को मान रहा है, तो कोई दूसरे गुरु को। इस तरह देखा गया है कि वक़्त गुरु के अंतर्ध्यान होने पर मत में फाड़ पड़ जाती है और टुकड़े होते रहे हैं। इस तरह की स्वार्थ पूर्ण कार्यवाहियों से मत कमज़ोर होता जाता है। मत का फैलाव ओर विस्तार तो खूब नजर आता है, पर सब झूठा और खोखला ही है। विचारों के इस विस्तार में जीव तो कहीं खो जाता है, पर सच्चा कुल मालिक कभी नहीं मिल पाता। सच्चे मालिक से मिलने की सच्ची चाह और लगन ही जीव को अपने वक़्त के वर्तमान सतगुरु पूरे की खोज के लिए प्रेरित कर सकती है, और करती है। इसके अलावा अगर कोई और मतलब, स्वार्थ या चाह भक्ति के पीछे प्रेरक है, तो काज हरगिज ना बनेगा, यह भक्ति सच्ची नहीं है। "भक्ति सच्ची चाहिए चाहे कच्ची होए" कुल मालिक दयाल हर्ष, प्रेम और आनंद रस का सोत-पोत है, और सुरत उसकी निज अंश और जात है। सुरत के उसी सच्चे प्रेम, आनंद और निज को प्राप्त करने के सच्चे जतन और सच्ची कार्यवाही का नाम ही परमारथी करनी और 'सच्चा परमार्थ' है। 'सतगुरु स्वामी सदा सहाय' 'सप्रेम राधास्वामी' -------------------------------------------------- राधास्वामी हेरिटेज. www.radhasoamiheritage.org (परमपुरुष पूरणधनी समद हुज़ूर स्वामीजी महाराज के निज दैहिक अंशों व सन्तमत विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रति प्रयासरत व समर्पित).
@manojpatel-pq9js6 ай бұрын
"जिंदा मत" "ज़िंदा है मत तो ज़िंदा हैं हम, वरना मुर्दों से तो संसार भरा है !" इस बात को समझना जरूरी है कि, जिन सम्प्रदायो के भीतर से अब उनकी जान निकल चुकी है यानी उस मत में किसी भी स्तर के प्रकट गुरु मौजूद नहीं हैं, वे मत और सम्प्रदाय मरी हुई देह के समान हैं जो कि अब किसी तरह जिंदा नहीं किये जा सकते हैं। जब तक कि उन मज़हबों और मतों के चलाने वाले आचार्य और उनके बताये अंतर अभ्यास को करने वाले गुरमुख अभ्यासी मौजूद रहे, वे सभी मत, मज़हब और सम्प्रदाय जिंदा रहे। पर जब वे अभ्यासी भी न रहे, तब वे मत भी जिंदा न रह सके। सो अपने वक़्त के पहुंचे हुए, पर अब आज के वक़्त में अंतर्ध्यान हो चुके सन्त और संत मार्गीय साध, महात्माओं के मत में शामिल हो कर भी अब कुछ हासिल नहीं हो सकता है। इस तरह पोथियों में सर खपाने और लकीरें पीटने से कोई भी अंतर में नहीं जाग सकता है। क्योंकि मत की जान 'अंतर्मुख अभ्यास' की असल रीत पोथियों में नहीं लिखी गयी है और ना ही लिखी जा सकती है और ना ही पोथियों को पढ़ कर यह रीत हासिल ही की जा सकती है। सो अब के वक़्त में लगभग सभी अनजान हैं, ....कुछ ही सचेत और कोई विरला ही सुजान है। भेष धारी या वाचक ज्ञानी गुरुओं से अंतर का भेद हासिल नहीं हो सकता है। अब जो जिंदा मत हो यानी जहां जीते जागते 'धुर के ज्ञाता और धुन के भेदी' गुरु प्रकट कार्यवाही करते हों, तो वहीं वह मत जिंदा है और उसी मत से जुड़ कर ही जीव का काज पूरा और सुफल हो सकता है। देखा कि भक्ति तो सभी कर रहे हैं, पर किसकी.... ? यह तो वे खुद भी नहीं जानते। इस तरह की गफलत भरी भक्ति से, जो कि जीव को हो चुके पिछले गुरुओं की स्वार्थ पूर्ण टेक के सिवा और कुछ नहीं दे सकती। झूठे अहंकार के निर्बुद्ध अंधकार में धकेल देती है। कोई एक पिछले गुरू को मान रहा है, तो कोई दूसरे गुरु को। इस तरह देखा गया है कि वक़्त गुरु के अंतर्ध्यान होने पर मत में फाड़ पड़ जाती है और टुकड़े होते रहे हैं। इस तरह की स्वार्थ पूर्ण कार्यवाहियों से मत कमज़ोर होता जाता है। मत का फैलाव ओर विस्तार तो खूब नजर आता है, पर सब झूठा और खोखला ही है। विचारों के इस विस्तार में जीव तो कहीं खो जाता है, पर सच्चा कुल मालिक कभी नहीं मिल पाता। सच्चे मालिक से मिलने की सच्ची चाह और लगन ही जीव को अपने वक़्त के वर्तमान सतगुरु पूरे की खोज के लिए प्रेरित कर सकती है, और करती है। इसके अलावा अगर कोई और मतलब, स्वार्थ या चाह भक्ति के पीछे प्रेरक है, तो काज हरगिज ना बनेगा, यह भक्ति सच्ची नहीं है। "भक्ति सच्ची चाहिए चाहे कच्ची होए" कुल मालिक दयाल हर्ष, प्रेम और आनंद रस का सोत-पोत है, और सुरत उसकी निज अंश और जात है। सुरत के उसी सच्चे प्रेम, आनंद और निज को प्राप्त करने के सच्चे जतन और सच्ची कार्यवाही का नाम ही परमारथी करनी और 'सच्चा परमार्थ' है। 'सतगुरु स्वामी सदा सहाय' 'सप्रेम राधास्वामी' -------------------------------------------------- राधास्वामी हेरिटेज. www.radhasoamiheritage.org (परमपुरुष पूरणधनी समद हुज़ूर स्वामीजी महाराज के निज दैहिक अंशों व सन्तमत विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रति प्रयासरत व समर्पित).
@AdarshTripathi-p1f6 күн бұрын
अब गुरु को ही ज्ञान देंगे
@ashoksadafale5666 ай бұрын
अहोभाव के साथ ओशो नमन
@AnitaSharma-vm3ox6 ай бұрын
धन्यवाद स्वामी जी 🌹🙏
@unknownmiracles86 ай бұрын
Jai ho sadguru ko naman deeply gratitude thankyou love you thankyou 🙏🙏🏼🙏🏿🙏🏼🌃🙏🌞🪄⭐💐
@chandrakantbhaithakar59529 ай бұрын
Om osho naman chhote babake chharnome koti koti danvant pranam namskar ahobhav dhanyavad mere prabhu
@k.kpareek6285Ай бұрын
बाबा मुझे तो यह सुनते सुनते नींद आ जाती है!
@nirmaldassuryavanshi43938 ай бұрын
Samarth gurdeo charno me koti koti Naman 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
@RupchandJambhulkar4 ай бұрын
Dhanyvad
@rashpalchand44719 ай бұрын
आप का बहुत बहुत धन्यवाद जी।
@lalitkumarjain83448 ай бұрын
PRANAM BABA
@user-ld6vx6rs1h6 ай бұрын
Right❤
@vinayakgraphics8188Ай бұрын
धन्यवाद! आपने हे शिव सही मार्गदर्शन किया 🙏
@AdarshTripathi-p1f6 күн бұрын
आपको कैसे पता
@akritisinghakritiakriti617626 күн бұрын
❤❤
@gbraut55548 ай бұрын
Ahobhaw Swami jee
@Vision_Of_Realities7 ай бұрын
Jai Gurudev 🌺🙏🐚
@user-rr5qy2hh5h8 ай бұрын
Osho naman❤joy satsang joy hind
@bhupinderkaur37706 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🎉🎉
@suryaprakash-dk3cw6 ай бұрын
Osho naman
@laxmangirigoswami52798 ай бұрын
Very good like me guruji Om namo narayana
@pragatigarge98939 ай бұрын
बहुत सुंदर व्याख्या, कोटि कोटि नमन मास्टर ओशो
@modimodi36608 ай бұрын
यह डुप्लीकेट OSHO है
@sushmitasingh888628 күн бұрын
❤
@simplifiedmathsandscience84958 ай бұрын
Great swami ji sat sat pranam
@bandananeupanae55188 ай бұрын
Pranam swami ji
@vmanik98909 ай бұрын
प्रणाम स्वामीजी 🙏🙏ओशो जी के जिस प्रवचन कि चर्चा आपने अंत में कि है कृपया उससे सम्बंधित वीडियो डालने कि कृपा कीजिए. ऐसे लग रहा है जैसे कि कहीं कुछ जानने कि उत्सुकता है और वह बाधित हो गई इसलिए कृपा करें.
@AdarshTripathi-p1f6 күн бұрын
जीसस ने कहा है कि आंख हो तो देख लो और कान हो तो सुन लो
@user-dd5gt3rf6y8 ай бұрын
OSHO PARMAR 💓💓💓
@premghalay13569 ай бұрын
Jai sadguru ji 🙏🙏🙏🙏
@nishisaharan26319 ай бұрын
SHUKRANA SHUKRANA SHUKRANA AAPJI SADGURU JI KA.....🙏🙏🙏🙏🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️
@user-wf2gm7fd2k8 ай бұрын
Ek Ou-An-Kaar Satgur Prasaad 🙏🙏🙏🌹!!
@shilasalunke26169 ай бұрын
Koti koti Dhanyawaad Guruji 🌿🙏🌻
@lekhnathbhusal16369 ай бұрын
Parnam Gurudav ji🙏🙏🙏
@vishnuprasadpaudyal71826 ай бұрын
नमन और अनंत अहोभाव स्वामीजी ,जय गुरुदेव
@pujadey86849 ай бұрын
अहोभाव 🥰🙏🥰❤️🌹🙏
@divinehealing5427 ай бұрын
Thank you
@mshankarprasaddora98329 ай бұрын
Nice description. Thanks a lot.
@PankajKumar-gd2ke8 ай бұрын
Love 💕💕💕💕💕💕💕
@PawanSharma-un3pz9 ай бұрын
Parnaam gurudev 🙏🙏🙏
@vidushisingh97367 ай бұрын
Great thinking Great personality Great words 👏 👍 👌 🙌 😀 🙏 👏
@premgour87639 ай бұрын
❤❤❤❤❤❤
@rajivpradhan92189 ай бұрын
🙏🏻🌼Shree Sadgurudev Bhagwan ki Jai🌼🙏🏻🙂
@user-mt4yx4qv6b8 ай бұрын
Bahut achchhi bat batai aapne
@nirmaldassuryavanshi43938 ай бұрын
Samarth Gudeo Charno me koti koti Naman 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
@rashpalchand44719 ай бұрын
आप के बताने का तरीका बड़ा सुंदर लग रहा है।
@user-nz1vv3nf7o9 ай бұрын
❤❤❤ u prabhu
@Davindersingh-pd6eh9 ай бұрын
Vaheguru ji ❤❤
@nitasood70278 ай бұрын
Very nice,thnx
@namratapremy48319 ай бұрын
नमन है आपको
@prakashjaiswal68919 ай бұрын
अद्भुत प्रवचन स्वामी जी का बिल्कुल ओशो के करीब
@modimodi36608 ай бұрын
यह डुप्लीकेट OSHO है 😂😂😂😂😂😂 OSHO के जरा भी करीब नही है । OSHO तो OSHO ही है
@@modimodi3660तुमको कैसे पता दिमाग की बत्ती जलाऊं क्या
@modimodi36606 күн бұрын
@@AdarshTripathi-p1f पहले OSHO को ध्यान से सुन लो समज लो ..... दिमाग की बत्ती अपने आप जल जाएगी .....
@RakeshKumar-dl4mo8 ай бұрын
❤i like it❤❤❤❤
@HiteshPatel-he8kr9 ай бұрын
🙏🙏💐❤️❤️
@shwetaravi22339 ай бұрын
🙏🙏💐💐🙏🙏
@babulalmalviyaaap75146 ай бұрын
ओशो नमन आपका ध्यान शिविर करना चाहता हुं
@krishanchahar17049 ай бұрын
बहुत सुन्दर, नई बात पता चली, अनहद नाद सुन रहा था, अब आगे का रास्ता मिला, अब साक्षी को भी छोड़ना है। बहुत बहुत आभार ❤
@JassiSingh-ct9pv9 ай бұрын
Kida di awaz ha anhad di veer ji❤❤
@Neo070709 ай бұрын
@@JassiSingh-ct9pv ऐसी आवाज जो, कहीं भी, किसी भी जगह सुनायी देती है, continuous, लगातार चलती है, ear ringing jaisa. झींगुर या अलग अलग आवाज जैसी होती है पर लगातार वो चलती रहती है. किसी गुरु से जुडे और साधना करे.. 👍👍
@JassiSingh-ct9pv9 ай бұрын
@@Neo07070 muja sunyi diti ha bahi par eska fyada kya ha reply
@mandakinirecipes86219 ай бұрын
आप ओशो का "जिन खोजा तिन पाइयाँ" का सोलहवां प्रवचन सुनेंगे तो आपको समझ मे आयेगा की अनहद नाद मे लिन नही होना है बल्कि उसके प्रति साक्षीभाव रखना है।
@SureshlalKukreja-fd6oq9 ай бұрын
@@Neo070700
@padmadi74329 ай бұрын
Pranaam Swami ji 🙏🙏💐
@AdarshTripathi-p1f6 күн бұрын
खुश रहो बालक
@kuldeeptyagi22688 ай бұрын
🙇♂️🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
@Osho7849 ай бұрын
🙏🏻♥️🙏🏻
@kumarosho29039 ай бұрын
Osho Naman.
@jigarnaik99249 ай бұрын
🙏🙏🙏
@rajenderkumargandhi69399 ай бұрын
🙏
@ddm94499 ай бұрын
❤🙏🙏❤
@arunkumargupta81949 ай бұрын
💎👌🙏❤️🙏
@manoramabuda62879 ай бұрын
🌹❤🕉OSHO 🕉❤🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@sanjaygoyalca29 ай бұрын
🙏❤🕉
@surindersaini63109 ай бұрын
🙏❤️
@harbansmann61369 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏
@sandeeplathwal71559 ай бұрын
❤❤❤
@ramjisingh24949 ай бұрын
❤❤❤❤❤ ❤❤❤❤❤ ❤❤❤❤❤
@VinodKumar-sm1ly9 ай бұрын
🙏🌹🌹🌹🙏
@dinajoshi64987 ай бұрын
Guruji Nad jo Mastik me gunjata he and also it’s Gunjan all jagrut avastha ki activity ke sath bhi muze mahesus hoty he like bolte,Sunte, Nachte Gate bhi .kya is avastha me Drashta hu ? During meditation my body swings forward, backward , round as if some force is dragging or pushing. Shravan of Nad and movement of body simultaneously feel hota he. Guruji sharir ka zumna kabhy bandh hoga . Balance nahi rahta. For this what I should do? Krupa Kare and Pl. guide.