महान सन्त मंसूर ने वेदों उपनिषदों का सत्य कहा कि वही ब्रह्म है "अनल हक"। इसी को वेद संस्कृत में कहता है "अहम ब्रम्हास्मी"। यह उसका खुद का अनुभव था, इसीलिए वह राजा के सामने मुस्कुराते हुए बोलता रहा। कोड़ों से मार खाता रहा, लहूलुहान होता रहा..... लेकिन उसका जवाब एक ही था "अनलहक"। मरते २ अपने खून से उस महापुरुष ने वही लिखा "अनलहक"। उसके चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
@d.k5581 Жыл бұрын
कोटी कोटी प्रणाम 🙏🙏
@d.k5581 Жыл бұрын
सूफी मत बिल्कुल सनातन मत ही जैसा सभी साधु संतो और फकीर और सूफी संतों के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏