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नाटक "अंधेर नगरी चौपट राजा"
निर्देशन - अमन तसेरा एवं रामरतन गुगलिया
संगीत - चितरंजन नामा
प्रकाश - अमन तसेरा
मंच पर :
राजा - राहुल बड़ोलिया
मंत्री - मणिकांत लक्षकार
गोवर्धन दास - शुभम मेघवंशी
नारायण दास - आदित्य वैष्णव
महंत - देवराज गौतम
कोतवाल - ऋतुराज गौतम
सिपाही - यशवंत सैनी
दुकानदार - अक्षत
चूनेवाल - धनराज साहू
हलवाई - आदित्य
मंच परे :
आशीष धाप, मोहित वैष्णव, आफताब नूर, गर्वित गिदवानी, राजवंती तामोली, उम्मीद, राजकुमार रजक
एक्स्ट्रा एन ऑर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में कम्यूनिटी थियेटर टोंक द्वारा आयोजित "उड़ान छुट्टियों की” 30 दिवसीय ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला के समापन के दूसरे दिन युवा कलाकारों के द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र जी द्वारा रचित नाटक "अंधेर नगरी चौपट राजा" का प्रभावी मंचन किया गया।
अंधेर नगरी हास्य और व्यंग्य नाटक है जिसने दर्शकों को पूरे नाटक के दौरान खूब गुदगुदाया और सोचने समझने के लिए प्रेरित किया कि आज अंधेरा कहां है।नाटक की बात करें तो इसमें सामाजिक और राजनैतिक परिवेश पर तीखे कटाक्ष किए गए हैं। नाटक में गोवर्धन दास अपने लोभ के चलते वो ऐसी नगरी में पहुंच जाता है जहां सभी वस्तुएं टका सेर बिकती है और वो वहीं रहने की सोचता है दूसरी तरफ चौपट राजा दीवार के नीचे बकरी के दब जाने से निरपराध कोतवाल को फांसी का हुक्म सुना देता है लेकिन फंदा बड़ा निकलता है और फंदा बड़ा होने के कारण मोटी गर्दन वाले किसी व्यक्ति को देखकर उसे फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दिया जाता है और पूरे नगर भर में सिर्फ गोवर्धन दास मुटाया हुआ दिखाई देता है जिसे फांसी पर चढ़ाया जाने लगता है लेकिन महंत जी अपनी बुद्धि और विकेक से उसको बचा लेते हैं और राजा को ही फांसी पर चढ़ने को मजबूर कर देते हैं।
- अमन तसेरा