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पहले अभ्यास करना होगा।
अपने आप नहीं होगा।
ये मत सोचना या बोलना
कि भगवान में मन नहीं लगता।
लगाना होगा।
लगाना होगा, लड़ना होगा जिद्द करके।
अगर इस मानव देह में नहीं करोगे,
तो चौरासी लाख में करोड़ों युग घूमने के बाद
फिर मानव देह मिलेगा।
और फिर कोई सन्त मिले,
और हमको समझावे क्या करना है,
तो वहीं आयेंगे जहाँ इस समय हैं।
और अगर फिर चूक गये,
तो फिर वही चक्कर है।
यही तो हम कर रहे हैं अनादि काल से।