अपना रास्ता लो बाबा - काशीनाथ सिंह [ Apana Rasta lo Baba - Kashinath Singh]

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Katha Kahani aur Upanyas

Katha Kahani aur Upanyas

Күн бұрын

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@nathsonanchali430
@nathsonanchali430 Жыл бұрын
इस कहानी को सुनकर दादा राम अलम जी की प्रतिक्रिया 💐🙏 *समीक्षा* कहानी-- *अपना रास्ता लो बाबा* आज के युग के प्रख्यात एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार, उपन्यासकार एवं कहानीकार के रूप में श्री काशी नाथ सिंह जी की लेखनी खूब ही यश को प्राप्त की है। उपन्यास में *रेहन पर रग्घू* को साहित्य अकादमी से पुरस्कृत किया जा चुका है। आपके कुछ उपन्यास और कहानी संग्रह भी हैं उनके ही सगे भाई श्रीं नामवर सिंह जी अपने जमाने के जाने-माने समालोचक और निबन्धकार रहे हैं , पर दुख है कि आज वह इस दुनिया में नहीं रहे। काशीनाथ सिंह साहित्य जगत में अपनी साहित्यिक कृतियों से जगमगाते सितारों में से एक हैं। उनकी कहानी *अपना रास्ता लो बाबा* एक सफल कहानी के रूप में जानी जाती है। पूर्ण कहानी के जितने अवयव होते हैं, उन मानकों को यह बड़ी सहजता, सफलता से पूरी करती है। गाॅंव की सादगी, आवास, लिवास, वातावरण, रहन-सहन में जिस तरह जिन्दगी ढलती है इसका मनोवैज्ञानिक चित्रण के साथ मन में स्वयमेव ही चिन्तन मन्थन जो चलता है, उसकी उठा पटक की स्थिति को भली-भाॅंति चित्रित किया गया है। शहर की जिन्दगी जीकर, आज आदमी गाॅंव से कितना दूर हो चला है, यह कहानी जीती जागती, उसका एक अनुपम उदाहरण है। एक किसान, दिहाड़ी कमाने वाला मजदूर, धनिक, आम जिन्दगी जीने वालों बहु आयामी पेशेवरों का चरित्र चित्रण बड़ी ही सूक्ष्म दृष्टि रखकर आपने सफलतापूर्वक इसकी विवेचना की है । अब वे हर वर्ग के प्रेम से भरे ओत-प्रोत, प्रकृति से सजे सॅंवरे, हरे भरे गाॅंव-गिराॅंव कहाॅं ? जब गाॅंव भी शहर में तब्दील होने लगे तो गाॅंव की मनोरम छटा विलुप्त होगी ही ! बचपन की यादें तो चित्रपट की तरह बस अब यादें ही बनकर नेत्रों में घूमती रह गई हैं । जैसी कहानी गढ़ी ग‌ई है, उससे भी बढ़कर वाचन ! भोजन की सामग्रियों से ही मात्र विशेष मतलब नहीं है, उसे पकाकर स्वादिष्ट व्यञ्जन रूप में बनाकर परोसना ही सबसे बड़ी कला है, और इस कला में *श्री सोनांचली जी* वाचक के रूप में एक सिद्ध हस्त पारंगत एवं निपुण कलाकार हैं। कहानी जिस तरह से जैसे वाचन एवं भाव को माॅंगती है, वैसे ही आपने भली-भाॅंति निर्वहन किया है। आपके वाचन से कहानी सुनने में नीरस न होकर सदैव उसकी समर्थता, समरसता और उत्सुकता बनी रहती है। पढ़ने में असमर्थ श्रोतागण के लिए तो यह वाचन कथानक एक वरदान स्वरूप ही है। मैं आपकी कई कहानियों को पढ़कर अपने को बहुत भाग्यशाली एवं गर्वानुभूति का अनुभव कर रहा हूॅं। नामचीन कथाकार एवं एक वाचक के रूप में, मैं दोनों महान् विभूतियों को हार्दिक अभिनन्दन के साथ नमन भी करता हूॅं। आप दोनों एक दूसरे के पोषक होकर अमर रहेंगे । बधाई 💐 राम अलम सिंह जीवन चकिया, चन्दौली। उत्तर प्रदेश।
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