आपका कहणेका मतलाप फिर गोयंका गुरुजी की विपसना बकवास है ..... तो सही द्यान सही साधना कैसे करते है .. आप बतायेंगे भांतेजी
@bhumika89549 күн бұрын
पहले यह सोचे विपस्सना -चार स्मृति प्रस्थान तथागत सम्यकसमबुद्ध का वचन है या गोयंका जी का?? फिर विपश्यना पहले या ध्यान पहले?? विपश्यना प्रज्ञा होने से सम्यकदृष्टि प्राप्त वाले का आंतरिक धर्म या मिथ्या दृष्टि के लोगों का दस दिन शिविर पद्धति की विपश्यना?? रही बात मौन की तो प्रवरणा स्कंधक मे तथागत का वचन है मौन का निषेध और मौन धारण करने वाले को दुग्गट दोषी, तार्किक लोग की शिक्षा और तथागत ने मौन धारण करने वाले भिक्खु को मोघपुरिस/मुर्ख कहा है। रही बात अरिय मौन की जो वितर्क विचार शांत होने से तृतीय ध्यान से अरिय मौन कहा है अब किसी को ध्यान क्या होता है ही अता पता नहीं है,तो दोनों ध्यान सभी के पास है, Rather पांच ध्यान प्राप्त है और पांच निवारण धर्म क्षय हुए हैं और सम्यकदृष्टि है?? यह खुद को पुछो। रही बात ध्यान की तो तथागत ने कुशल पुण्य कर्म के आधार पर ध्यान कहा है जो वितर्क विचार से कहा है ना की केवल श्वास को मन को भटकने नही देना के लिए। सबसे पहले आप घर में किस की पुजा वन्दना करते हैं?? क्या दस कुशल पुण्य कर्म भिक्खु से बौद्ध विहार जाकर करते हैं??तीन रत्न शरण से बुद्ध धम्म संघ की पुजा वन्दना पत्तिदान पत्तानुमोदन करते हैं,यह जरूर बताना।