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"ऐ मेरे वतन के लोगों" एक प्रसिद्ध हिंदी देशभक्ति गीत है, जिसे कवि प्रदीप ने लिखा, सी. रामचंद्र ने संगीतबद्ध किया, और लता मंगेशकर ने गाया है। यह गीत 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में समर्पित है। इसका प्रथम प्रस्तुति 26 जनवरी 1963 को नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुई, जिसमें राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उपस्थित थे। कहते हैं कि इस गीत को सुनकर नेहरू जी की आंखों में आंसू आ गए थे।
गीत की रचना के पीछे की कहानी यह है कि कवि प्रदीप मुंबई के माहिम बीच पर टहलते समय युद्ध के शहीदों के बलिदान से प्रभावित हुए और उन्होंने सिगरेट के पैकेट की पन्नी पर इस गीत की पहली पंक्तियाँ लिखीं। बाद में, उन्होंने संगीतकार सी. रामचंद्र और गायिका लता मंगेशकर के साथ मिलकर इस गीत को तैयार किया। शुरुआत में कुछ मतभेदों के कारण आशा भोसले को इस गीत के लिए चुना गया था, लेकिन अंततः लता मंगेशकर ने इसे गाया।
इस गीत की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि यह भारत के सबसे प्रमुख देशभक्ति गीतों में से एक बन गया है, और इसे अक्सर सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों में प्रस्तुत किया जाता है। गीत से होने वाली रॉयल्टी को युद्ध विधवाओं के फंड में दान करने का निर्णय लिया गया था।
लता मंगेशकर ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि यह गीत इतना सफल होगा, लेकिन यह उनका सिग्नेचर ट्यून बन गया। कवि प्रदीप को इस गीत की सफलता पर पूरा विश्वास था और उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि लोग इसे हमेशा याद रखेंगे।
इस प्रकार, "ऐ मेरे वतन के लोगों" भारतीय संगीत के इतिहास में एक अमर देशभक्ति गीत के रूप में स्थापित है, जो आज भी देशवासियों के दिलों में देशप्रेम की भावना को जागृत करता है
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